4 जो बातें पहले से लिखी गयी थीं, वे इसलिए लिखी गयीं कि हम उनसे सीखें+ और शास्त्र से हमें धीरज धरने में मदद मिले+ और हम दिलासा पाएँ ताकि हमारे पास आशा हो।+
16 हमारा प्रभु यीशु मसीह और हमारा पिता यानी परमेश्वर जिसने हमसे प्यार किया+ और अपनी महा-कृपा के ज़रिए हमें सदा कायम रहनेवाला दिलासा दिया है और एक शानदार आशा दी है,+17 वे दोनों तुम्हारे दिलों को दिलासा दें और तुम्हें हर अच्छे काम और वचन के लिए मज़बूत करें।