22 वहाँ उन्होंने चेलों की हिम्मत बँधायी+ और यह कहकर उन्हें अपना विश्वास मज़बूत बनाए रखने का बढ़ावा दिया, “हमें बहुत तकलीफें झेलकर ही परमेश्वर के राज में दाखिल होना है।”+
9 मुझे ऐसा लगता है कि परमेश्वर ने हम प्रेषितों को, उन आदमियों की तरह ठहराया है जिन्हें मौत की सज़ा सुनायी गयी है और जिन्हें रंगशाला में सबसे आखिर में लाया जाता है,+ क्योंकि दुनिया और स्वर्गदूतों और इंसानों के सामने हमारी नुमाइश हो रही है।+
21 दरअसल, तुम्हें इसी राह पर चलने के लिए बुलाया गया है, क्योंकि मसीह ने भी तुम्हारी खातिर दुख उठाया+ और वह तुम्हारे लिए एक आदर्श छोड़ गया ताकि तुम उसके नक्शे-कदम पर नज़दीकी से चलो।+