4 तो मैं सोच में पड़ जाता हूँ,
‘नश्वर इंसान है ही क्या कि तू उसका खयाल रखे?
इंसान है ही क्या कि तू उसकी परवाह करे?’+
5 तूने उसे स्वर्गदूतों से कुछ कमतर बनाया,
उसे महिमा और वैभव का ताज पहनाया।
6 उसे अपने हाथ की रचनाओं पर अधिकार दिया,+
सबकुछ उसके पैरों तले कर दिया: