10 और इसराएल के लोगों* की गिनती समुंदर की बालू के किनकों जैसी होगी, जिन्हें न तौला जा सकता है और न ही गिना जा सकता है।+ और जिस जगह उनसे कहा गया था, ‘तुम मेरे लोग नहीं हो,’+ वहाँ उनसे कहा जाएगा, ‘तुम जीवित परमेश्वर के बेटे हो।’+
14 शिमौन*+ ने पूरा ब्यौरा देकर बताया कि परमेश्वर ने कैसे पहली बार गैर-यहूदी राष्ट्रों की तरफ ध्यान दिया ताकि उनके बीच से ऐसे लोगों को इकट्ठा करे जो परमेश्वर के नाम से पहचाने जाएँ।+
25 यह ऐसा ही है जैसा होशे की किताब में भी वह कहता है, “जो मेरे लोग नहीं थे,+ उन्हें मैं ‘अपने लोग’ कहूँगा और जो मेरी प्यारी नहीं थी, उसे ‘प्यारी’ कहूँगा+