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  • 1 तीमुथियुस 4
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

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1 तीमुथियुस का सारांश

      • दुष्ट स्वर्गदूतों की शिक्षाओं से खबरदार (1-5)

      • मसीह के बढ़िया सेवक कैसे बनें (6-10)

        • शरीर की कसरत और परमेश्‍वर की भक्‍ति में फर्क (8)

      • अपनी शिक्षा पर ध्यान दे (11-16)

1 तीमुथियुस 4:1

संबंधित आयतें

  • +2थि 2:1, 2; 2ती 4:3, 4; 2पत 2:1

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/2006, पेज 9-10

    7/1/1994, पेज 8

    5/1/1994, पेज 8-13

    4/1/1994, पेज 9-14

    एकमात्र सच्चा परमेश्‍वर, पेज 72-73

1 तीमुथियुस 4:2

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 20:29, 30; 2ती 2:16; 2पत 2:3

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  • खोजबीन गाइड

    प्यार के लायक, पेज 23-24

    परमेश्‍वर का प्यार, पेज 25

    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/2006, पेज 9-10

1 तीमुथियुस 4:3

संबंधित आयतें

  • +1कुर 7:36; 9:5
  • +रोम 14:3
  • +उत 9:3; रोम 14:17; 1कुर 10:25

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/1/1996, पेज 6-7

1 तीमुथियुस 4:4

संबंधित आयतें

  • +उत 1:31
  • +प्रेष 10:15

1 तीमुथियुस 4:6

संबंधित आयतें

  • +2ती 2:15

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  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 54

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/2009, पेज 16-17

    राज-सेवा,

    1/2005, पेज 1

1 तीमुथियुस 4:7

संबंधित आयतें

  • +1ती 6:20; तीत 1:13, 14

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    9/2020, पेज 28

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2018, पेज 14

1 तीमुथियुस 4:8

संबंधित आयतें

  • +यूह 17:3

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  • खोजबीन गाइड

    सजग होइए!,

    अंक 1 2020 पेज 11

    प्रहरीदुर्ग,

    2/1/2001, पेज 5

    1/1/1997, पेज 5

    6/1/1994, पेज 25-26

1 तीमुथियुस 4:10

संबंधित आयतें

  • +लूक 13:24
  • +1ती 2:3, 4; यहू 25

1 तीमुथियुस 4:11

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2018, पेज 13

1 तीमुथियुस 4:12

फुटनोट

  • *

    या “शुद्धता।”

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2022, पेज 4-9

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    8/2018, पेज 11

    4/2018, पेज 13

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2009, पेज 12-15

    9/15/1999, पेज 31

    राज-सेवा,

    9/1996, पेज 1

1 तीमुथियुस 4:13

फुटनोट

  • *

    या “हौसला बढ़ाने।”

संबंधित आयतें

  • +कुल 4:16; 1थि 5:27

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    8/2021, पेज 24

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 7/2019, पेज 8

    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/2011, पेज 18-19

    3/15/1999, पेज 20

    सेवा स्कूल, पेज 26

1 तीमुथियुस 4:14

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 6:5, 6; 13:2, 3; 19:6; 2ती 1:6

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  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 121

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2009, पेज 11

    9/15/2008, पेज 30

    9/15/1999, पेज 29

    2/15/1998, पेज 25

1 तीमुथियुस 4:15

फुटनोट

  • *

    या “मनन करता रह।”

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2009, पेज 11-12

    10/1/2007, पेज 23

    8/1/2001, पेज 12-17

    11/1/1992, पेज 11-12

    12/1/1988, पेज 10-15

    सेवा स्कूल, पेज 74-77

    सजग होइए!,

    4/8/1998, पेज 17

    राज-सेवा,

    12/1995, पेज 2

    शिक्षण क्षमता, पेज 92-96

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (1थिस्स-प्रका), पेज 7-8

1 तीमुथियुस 4:16

संबंधित आयतें

  • +2ती 4:2
  • +1कुर 9:22

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    10/2021, पेज 24

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 21

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    8/2016, पेज 23

    प्रहरीदुर्ग,

    6/1/2000, पेज 14-19

    3/15/1999, पेज 10-15

    2/15/1998, पेज 25-26

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (1थिस्स-प्रका), पेज 7-8

दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए किसी आयत पर क्लिक कीजिए।

दूसरी

1 तीमु. 4:12थि 2:1, 2; 2ती 4:3, 4; 2पत 2:1
1 तीमु. 4:2प्रेष 20:29, 30; 2ती 2:16; 2पत 2:3
1 तीमु. 4:31कुर 7:36; 9:5
1 तीमु. 4:3रोम 14:3
1 तीमु. 4:3उत 9:3; रोम 14:17; 1कुर 10:25
1 तीमु. 4:4उत 1:31
1 तीमु. 4:4प्रेष 10:15
1 तीमु. 4:62ती 2:15
1 तीमु. 4:71ती 6:20; तीत 1:13, 14
1 तीमु. 4:8यूह 17:3
1 तीमु. 4:10लूक 13:24
1 तीमु. 4:101ती 2:3, 4; यहू 25
1 तीमु. 4:13कुल 4:16; 1थि 5:27
1 तीमु. 4:14प्रेष 6:5, 6; 13:2, 3; 19:6; 2ती 1:6
1 तीमु. 4:162ती 4:2
1 तीमु. 4:161कुर 9:22
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
  • अध्ययन बाइबल (nwtsty) में पढ़िए
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र (bi7) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
1 तीमुथियुस 4:1-16

तीमुथियुस के नाम पहली चिट्ठी

4 परमेश्‍वर की प्रेरणा से कहे गए वचन साफ-साफ बताते हैं कि आगे ऐसा वक्‍त आएगा जब कुछ लोग गुमराह करनेवाले प्रेरित वचनों और दुष्ट स्वर्गदूतों की शिक्षाओं पर ध्यान देने की वजह से विश्‍वास को छोड़ देंगे।+ 2 क्योंकि वे ऐसे कपटियों की झूठी बातों में आ जाएँगे,+ जिनका ज़मीर सुन्‍न हो गया है मानो गरम लोहे से दागा गया हो। 3 वे शादी करने से मना करेंगे+ और लोगों को आज्ञा देंगे कि वे फलाँ चीज़ें न खाएँ+ जबकि परमेश्‍वर ने उन चीज़ों को इसलिए बनाया है कि जो विश्‍वास रखते हैं और सच्चाई को सही-सही जानते हैं, वे धन्यवाद देकर उन्हें खा सकें।+ 4 क्योंकि परमेश्‍वर की हर सृष्टि बढ़िया है+ और ऐसी कोई चीज़ नहीं जो ठुकराने लायक हो,+ बशर्ते उसे धन्यवाद के साथ खाया जाए। 5 इसलिए कि परमेश्‍वर के वचन से और प्रार्थना की वजह से वह चीज़ पवित्र हो जाती है।

6 भाइयों को यह सलाह देने से तू मसीह यीशु का एक बढ़िया सेवक ठहरेगा और तू विश्‍वास के वचनों से और उस उत्तम शिक्षा से अपना पालन-पोषण करता रहेगा जिन पर तू बड़े ध्यान से चलता आया है।+ 7 मगर परमेश्‍वर की निंदा करनेवाली झूठी कथा-कहानियों को ठुकरा दे,+ जैसी बूढ़ी औरतें सुनाती हैं। इसके बजाय, परमेश्‍वर की भक्‍ति को अपना लक्ष्य बनाकर खुद को प्रशिक्षण देता रह। 8 इसलिए कि शरीर की कसरत सिर्फ कुछ हद तक फायदेमंद होती है, मगर परमेश्‍वर की भक्‍ति सब बातों के लिए फायदेमंद है क्योंकि यह आज और आनेवाले वक्‍त में भी ज़िंदगी देने का वादा करती है।+ 9 इस बात पर भरोसा किया जा सकता है और यह पूरी तरह मानने लायक है। 10 इसीलिए हम कड़ी मेहनत करते हुए संघर्ष कर रहे हैं,+ क्योंकि हमने एक जीवित परमेश्‍वर पर आशा रखी है जो सब किस्म के लोगों का उद्धारकर्ता है,+ खासकर उनका जो विश्‍वासयोग्य हैं।

11 इन बातों की आज्ञा देता रह और इनके बारे में सिखाता रह। 12 कोई भी तेरी कम उम्र की वजह से तुझे नीची नज़रों से न देखे। इसके बजाय, बोलने में, चालचलन में, प्यार में, विश्‍वास में और शुद्ध चरित्र* बनाए रखने में विश्‍वासयोग्य लोगों के लिए एक मिसाल बन जा। 13 जब तक मैं न आऊँ, तब तक लोगों के सामने पढ़कर सुनाने,+ उन्हें बढ़ावा देने* और सिखाने में जी-जान से लगा रह। 14 अपने उस वरदान की तरफ लापरवाह न हो जो तुझे उस वक्‍त दिया गया था जब तेरे बारे में भविष्यवाणी की गयी थी और प्राचीनों के निकाय ने तुझ पर अपने हाथ रखे थे।+ 15 इन बातों के बारे में गहराई से सोचता रह* और इन्हीं में लगा रह ताकि तेरी तरक्की सब लोगों को साफ दिखायी दे। 16 खुद पर और अपनी शिक्षा पर लगातार ध्यान देता रह।+ इन्हीं बातों में लगा रह क्योंकि ऐसा करने से तू अपना और तेरी बात सुननेवालों का भी उद्धार करेगा।+

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