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  • 2 तीमुथियुस 2
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

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2 तीमुथियुस का सारांश

      • योग्य आदमियों को संदेश सौंप (1-7)

      • खुशखबरी की खातिर दुख सह (8-13)

      • परमेश्‍वर का वचन सही तरह इस्तेमाल कर (14-19)

      • जवानी में उठनेवाली इच्छाओं से दूर भाग (20-22)

      • विरोधियों के साथ कैसे पेश आएँ (23-26)

2 तीमुथियुस 2:1

संबंधित आयतें

  • +1ती 1:2

2 तीमुथियुस 2:2

संबंधित आयतें

  • +2ती 3:14

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    12/2020, पेज 29

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    1/2017, पेज 27-31

2 तीमुथियुस 2:3

संबंधित आयतें

  • +1ती 1:18
  • +2ती 1:8

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    3/1/1991, पेज 28

2 तीमुथियुस 2:4

फुटनोट

  • *

    या शायद, “रोज़मर्रा के कामों।”

  • *

    शा., “नहीं उलझता।”

  • *

    या “उसे खुश कर सके।”

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    11/2019, पेज 17

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    7/2017, पेज 10-11

    प्रहरीदुर्ग,

    5/1/2007, पेज 31

    3/1/1991, पेज 28

2 तीमुथियुस 2:5

संबंधित आयतें

  • +1कुर 9:25

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/2001, पेज 28-29

2 तीमुथियुस 2:7

फुटनोट

  • *

    या “पैनी समझ।”

2 तीमुथियुस 2:8

फुटनोट

  • *

    शा., “दाविद के बीज से।”

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  • +प्रेष 2:24
  • +प्रेष 2:29-32; रोम 1:3
  • +प्रेष 13:23

2 तीमुथियुस 2:9

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  • +प्रेष 9:16; फिल 1:7
  • +कुल 4:3, 4

2 तीमुथियुस 2:10

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  • +2कुर 1:6; इफ 3:13; कुल 1:24

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    12/2020, पेज 28

2 तीमुथियुस 2:11

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  • +रोम 6:5, 8

2 तीमुथियुस 2:12

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  • +प्रक 3:21; 20:4, 6
  • +मत 10:33; लूक 12:9

2 तीमुथियुस 2:14

फुटनोट

  • *

    शा., “अच्छी तरह गवाही दे।”

  • *

    या “तबाह करता; उलट देता।”

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2014, पेज 14

2 तीमुथियुस 2:15

संबंधित आयतें

  • +2ती 4:2

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2010, पेज 11-12

    11/15/2003, पेज 9-10

    1/1/2003, पेज 27-28

    12/1/2002, पेज 16

    1/15/1997, पेज 7

    1/1/1996, पेज 29-31

    सेवा स्कूल, पेज 153-154

    राज-सेवा,

    7/1990, पेज 1

2 तीमुथियुस 2:16

फुटनोट

  • *

    या “परमेश्‍वर से बगावत करनेवाले।”

संबंधित आयतें

  • +1ती 4:7; 6:20

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2014, पेज 14

2 तीमुथियुस 2:17

संबंधित आयतें

  • +1ती 1:20

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/2003, पेज 28-29

    10/1/1991, पेज 26-27

    12/1/1986, पेज 14-15

2 तीमुथियुस 2:18

संबंधित आयतें

  • +1कुर 15:12

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/2003, पेज 28-29

    2/1/1988, पेज 30

    5/1/1987, पेज 31

2 तीमुथियुस 2:19

फुटनोट

  • *

    अति. क5 देखें।

  • *

    अति. क5 देखें।

संबंधित आयतें

  • +गि 16:5
  • +यश 26:13

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2014, पेज 8-10, 12-16

2 तीमुथियुस 2:20

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  • खोजबीन गाइड

    मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका,

    8/2019, पेज 3

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2014, पेज 15-16

    11/15/2002, पेज 19

    सजग होइए!,

    10/8/2005, पेज 14-15

2 तीमुथियुस 2:21

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  • खोजबीन गाइड

    मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका,

    8/2019, पेज 3

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2014, पेज 15-16

    11/15/2002, पेज 19

    सजग होइए!,

    10/8/2005, पेज 14-15

2 तीमुथियुस 2:22

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2014, पेज 16

    6/15/2008, पेज 10-11

    2/1/1996, पेज 25-26

    2/1/1988, पेज 19

2 तीमुथियुस 2:23

संबंधित आयतें

  • +1ती 1:3, 4; 4:7; तीत 3:9

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2014, पेज 14-15

2 तीमुथियुस 2:24

फुटनोट

  • *

    या “समझदारी।”

संबंधित आयतें

  • +1थि 2:7
  • +मत 5:39

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  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 12

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/2015, पेज 26

    4/1/2006, पेज 19

    5/15/2005, पेज 25-30

    4/1/2003, पेज 24

2 तीमुथियुस 2:25

फुटनोट

  • *

    या “अपनी सोच बदलने।”

संबंधित आयतें

  • +नीत 15:1; गल 6:1; तीत 3:2; 1पत 3:15
  • +1ती 2:3, 4

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  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 12

    प्रहरीदुर्ग,

    4/1/2006, पेज 19

    4/1/2003, पेज 24

2 तीमुथियुस 2:26

फुटनोट

  • *

    शा., “इबलीस।” शब्दावली देखें।

संबंधित आयतें

  • +यूह 13:27; प्रेष 5:3; 1ती 1:20

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2012, पेज 20

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

2 तीमु. 2:11ती 1:2
2 तीमु. 2:22ती 3:14
2 तीमु. 2:31ती 1:18
2 तीमु. 2:32ती 1:8
2 तीमु. 2:51कुर 9:25
2 तीमु. 2:8प्रेष 2:24
2 तीमु. 2:8प्रेष 2:29-32; रोम 1:3
2 तीमु. 2:8प्रेष 13:23
2 तीमु. 2:9प्रेष 9:16; फिल 1:7
2 तीमु. 2:9कुल 4:3, 4
2 तीमु. 2:102कुर 1:6; इफ 3:13; कुल 1:24
2 तीमु. 2:11रोम 6:5, 8
2 तीमु. 2:12प्रक 3:21; 20:4, 6
2 तीमु. 2:12मत 10:33; लूक 12:9
2 तीमु. 2:152ती 4:2
2 तीमु. 2:161ती 4:7; 6:20
2 तीमु. 2:171ती 1:20
2 तीमु. 2:181कुर 15:12
2 तीमु. 2:19गि 16:5
2 तीमु. 2:19यश 26:13
2 तीमु. 2:231ती 1:3, 4; 4:7; तीत 3:9
2 तीमु. 2:241थि 2:7
2 तीमु. 2:24मत 5:39
2 तीमु. 2:25नीत 15:1; गल 6:1; तीत 3:2; 1पत 3:15
2 तीमु. 2:251ती 2:3, 4
2 तीमु. 2:26यूह 13:27; प्रेष 5:3; 1ती 1:20
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
  • अध्ययन बाइबल (nwtsty) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
2 तीमुथियुस 2:1-26

तीमुथियुस के नाम दूसरी चिट्ठी

2 इसलिए मेरे बेटे,+ तू उस महा-कृपा से शक्‍ति पाता जा जो मसीह यीशु के साथ एकता में रहनेवालों पर होती है। 2 और जो बातें तूने मुझसे सुनी हैं और जिसकी बहुतों ने गवाही दी है,+ वे बातें विश्‍वासयोग्य आदमियों को सौंप दे ताकि वे बदले में दूसरों को सिखाने के लिए ज़रूरत के हिसाब से योग्य बनें। 3 मसीह यीशु के एक बढ़िया सैनिक के नाते+ मुश्‍किलें झेलने के लिए तैयार रह।+ 4 कोई भी सैनिक खुद को दुनिया के कारोबार* में नहीं लगाता* ताकि वह उसकी मंज़ूरी पा सके* जिसने उसे सेना में भरती किया है। 5 और जो कोई खेल-प्रतियोगिता में हिस्सा लेता है, अगर वह नियमों के हिसाब से न खेले तो उसे ताज नहीं मिलता।+ 6 एक मेहनती किसान को ही सबसे पहले अपनी उपज का हिस्सा मिलना चाहिए। 7 मैं जो कह रहा हूँ उस पर हमेशा ध्यान देता रह। प्रभु तुझे सब बातों की समझ* देगा।

8 याद रख कि यीशु मसीह को मरे हुओं में से ज़िंदा किया गया था+ और वह दाविद का वंशज* था।+ मैं इसी बारे में खुशखबरी सुनाता हूँ।+ 9 इस खुशखबरी की वजह से मैं दुख सह रहा हूँ और एक अपराधी की तरह कैद हूँ।+ फिर भी परमेश्‍वर का वचन कैद नहीं है।+ 10 इसी वजह से मैं चुने हुओं की खातिर सबकुछ सह रहा हूँ+ ताकि वे भी मसीह यीशु के ज़रिए उद्धार और वह महिमा पा सकें जो हमेशा तक रहेगी। 11 यह बात भरोसे के लायक है: अगर हम उसके साथ मर चुके हैं तो वाकई उसके साथ जीएँगे भी।+ 12 अगर हम धीरज धरते रहें तो उसके साथ राजा बनकर राज भी करेंगे।+ अगर हम उससे इनकार करेंगे, तो वह भी हमसे इनकार कर देगा।+ 13 चाहे हम विश्‍वासघाती निकलें, तो भी वह विश्‍वासयोग्य बना रहता है क्योंकि वह खुद से इनकार नहीं कर सकता।

14 उन्हें परमेश्‍वर के सामने ये बातें याद दिलाता रह और हिदायत दे* कि वे शब्दों को लेकर झगड़ा न करें क्योंकि इससे कोई फायदा नहीं होता बल्कि सुननेवालों को नुकसान पहुँचता* है। 15 तू अपना भरसक कर ताकि तू खुद को परमेश्‍वर के सामने ऐसे सेवक की तरह पेश कर सके जिसे परमेश्‍वर मंज़ूर करे और जिसे अपने काम पर शर्मिंदा न होना पड़े और जो सच्चाई के वचन को सही तरह से इस्तेमाल करता हो।+ 16 खोखली शिक्षाओं को ठुकरा दे जो पवित्र बातों के खिलाफ हैं,+ क्योंकि ऐसी शिक्षाएँ* और भी ज़्यादा भक्‍तिहीन कामों की तरफ ले जाएँगी 17 और उनकी शिक्षा सड़े घाव की तरह फैलती जाएगी। हुमिनयुस और फिलेतुस ऐसे ही लोगों में से हैं।+ 18 ये आदमी सच्चाई के रास्ते से हट गए हैं क्योंकि ये कहते हैं कि मरे हुए ज़िंदा किए जा चुके हैं+ और ये कुछ लोगों के विश्‍वास को तबाह कर रहे हैं। 19 फिर भी परमेश्‍वर ने जो पक्की नींव डाली है वह मज़बूत बनी रहती है और उस पर इन शब्दों की मुहर लगी है: “यहोवा* उन्हें जानता है जो उसके अपने हैं”+ और “हर कोई जो यहोवा* का नाम लेता है+ वह बुराई को छोड़ दे।”

20 एक बड़े घर में न सिर्फ सोने-चाँदी के, बल्कि लकड़ी और मिट्टी के भी बरतन होते हैं। कुछ आदर के काम के लिए तो कुछ मामूली इस्तेमाल के लिए। 21 अगर कोई मामूली इस्तेमाल के बरतनों से खुद को दूर रखता है, तो वह ऐसा बरतन बनेगा जो आदर के इस्तेमाल के लिए पवित्र ठहराया जाता है, अपने मालिक के काम आता है और हर अच्छे काम के लिए तैयार किया जाता है। 22 इसलिए जवानी में उठनेवाली इच्छाओं से दूर भाग और उन लोगों के साथ जो साफ दिल से प्रभु का नाम लेते हैं, नेकी, विश्‍वास, प्यार और शांति हासिल करने में जी-जान से लगा रह।

23 मूर्खता से भरे और बेकार के वाद-विवादों में न पड़,+ क्योंकि तू जानता है कि इनसे झगड़े पैदा होते हैं। 24 क्योंकि प्रभु के दास को लड़ने की ज़रूरत नहीं बल्कि ज़रूरी है कि वह सब लोगों के साथ नरमी* से पेश आए,+ सिखाने के काबिल हो और जब उसके साथ कुछ बुरा होता है तब भी खुद को काबू में रखे+ 25 और जो सही नज़रिया नहीं दिखाते उन्हें कोमलता से समझाए।+ हो सकता है परमेश्‍वर उन्हें पश्‍चाताप करने* का मौका दे जिससे वे सच्चाई का सही ज्ञान पाएँ+ 26 और शैतान* के उस फंदे से छूटकर होश में आ जाएँ जिसमें उसने उन्हें ज़िंदा फँसा लिया है ताकि वे उसकी मरज़ी पूरी करें।+

हिंदी साहित्य (1972-2025)
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