6भाइयो, हो सकता है कि कोई इंसान गलत कदम उठाए और उसे इस बात का एहसास न हो। ऐसे में, तुम जो परमेश्वर की ठहरायी योग्यताएँ रखते हो, कोमलता की भावना+ से ऐसे इंसान को सुधारने की कोशिश करो। मगर तुम खुद पर भी नज़र रखो+ कि कहीं तुम फुसलाए न जाओ।+
15 मगर मसीह को प्रभु जानकर अपने दिलों में पवित्र मानो और जो कोई तुम्हारी आशा की वजह जानने की माँग करता है, उसके सामने अपनी आशा की पैरवी करने के लिए हमेशा तैयार रहो, मगर ऐसा कोमल स्वभाव+ और गहरे आदर के साथ करो।+