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  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

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प्रेषितों का सारांश

      • पौलुस और सीलास थिस्सलुनीके में (1-9)

      • पौलुस और सीलास बिरीया में (10-15)

      • पौलुस एथेन्स में (16-22क)

      • अरियुपगुस में पौलुस का भाषण (22ख-34)

प्रेषितों 17:1

संबंधित आयतें

  • +1थि 2:1

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 133-134

प्रेषितों 17:2

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 9:19, 20; 13:13, 14; 14:1; 18:4
  • +प्रेष 18:19

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 134-135

    सेवा स्कूल, पेज 251-252

प्रेषितों 17:3

संबंधित आयतें

  • +भज 22:7; 34:20; 69:21; 118:22; यश 50:6; 53:3, 5
  • +भज 16:10; लूक 24:45, 46

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 134-135

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/1991, पेज 27

प्रेषितों 17:4

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 15:22, 40

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 135

    प्रहरीदुर्ग,

    11/1/1997, पेज 11

प्रेषितों 17:5

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 13:45

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 135-136, 139

प्रेषितों 17:6

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 16:19-21

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 135-136

प्रेषितों 17:7

फुटनोट

  • *

    यूनानी में “कैसर।”

संबंधित आयतें

  • +लूक 23:1, 2; यूह 19:12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 135-136

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (1थिस्स-प्रका), पेज 4

प्रेषितों 17:8

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (मत्ती-कुलु), पेज 16

प्रेषितों 17:9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 136

प्रेषितों 17:10

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 136-137

प्रेषितों 17:11

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 137-138

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 2

    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/2011, पेज 25

    10/15/1998, पेज 6

    5/15/1996, पेज 16-17

    1/1/1991, पेज 28

    11/1/1990, पेज 6

    5/1/1990, पेज 6

    सजग होइए!,

    4/2008, पेज 26-27

प्रेषितों 17:13

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 14:2, 19

प्रेषितों 17:14

संबंधित आयतें

  • +मत 10:23

प्रेषितों 17:15

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 16:1, 2; 1थि 3:2

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/2004, पेज 19

    1/1/1991, पेज 28

प्रेषितों 17:16

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 140

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/1998, पेज 26-27

    9/1/1989, पेज 21

प्रेषितों 17:17

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 140-141

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 18

प्रेषितों 17:18

संबंधित आयतें

  • +यूह 5:28, 29; 11:25; 1कुर 15:12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 141-142

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2003, पेज 22

    8/1/2001, पेज 8

    7/15/1998, पेज 25, 27

    1/1/1991, पेज 28

    7/1/1990, पेज 3-4

    9/1/1989, पेज 21-23

प्रेषितों 17:19

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    नयी दुनिया अनुवाद, पेज 2101

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/1991, पेज 28

    9/1/1989, पेज 22-23

प्रेषितों 17:21

फुटनोट

  • *

    या “आनेवाले।”

प्रेषितों 17:22

फुटनोट

  • *

    या “धार्मिक।”

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 17:33, 34
  • +प्रेष 17:16

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  • खोजबीन गाइड

    प्यार, पाठ 5

    गवाही दो, पेज 142-143

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2010, पेज 30

    9/1/1989, पेज 22-23

    सेवा स्कूल, पेज 252

प्रेषितों 17:23

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्यार, पाठ 5

    गवाही दो, पेज 143

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2010, पेज 30

    7/15/2002, पेज 32

    9/1/1989, पेज 22-23

प्रेषितों 17:24

संबंधित आयतें

  • +भज 146:6
  • +1रा 8:27

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 144

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2010, पेज 30

    10/1/2008, पेज 32

    9/1/1989, पेज 24

प्रेषितों 17:25

संबंधित आयतें

  • +भज 50:12
  • +यश 42:5

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 144

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 38

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2010, पेज 30

    10/1/2008, पेज 32

    9/1/1989, पेज 24

प्रेषितों 17:26

संबंधित आयतें

  • +उत 5:2
  • +उत 1:28
  • +व्य 2:5, 19; 32:8; भज 74:17

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    यहोवा के साक्षियों के बारे में अकसर पूछे जानेवाले सवाल, लेख 64

    गवाही दो, पेज 145

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2010, पेज 30

    10/1/2008, पेज 32

    9/15/1998, पेज 11-12

    1/1/1991, पेज 28

    9/1/1989, पेज 24-25

    7/1/1989, पेज 25

    सबके लिए किताब, पेज 25

    सजग होइए! ब्रोशर,

    पेज 9

प्रेषितों 17:27

संबंधित आयतें

  • +व्य 4:29; भज 145:18; रोम 1:20

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 145

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2010, पेज 30

    10/1/2008, पेज 32

    9/1/1989, पेज 25

प्रेषितों 17:28

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 144, 146

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 38

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2010, पेज 30-31

    6/15/2004, पेज 14

    9/1/1989, पेज 26

प्रेषितों 17:29

संबंधित आयतें

  • +उत 1:27
  • +व्य 5:8; यश 37:19; 40:18-20; 46:5

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 146

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2010, पेज 30-31

    1/15/2004, पेज 32

प्रेषितों 17:30

संबंधित आयतें

  • +इफ 4:17, 18

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 146-147

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2010, पेज 31

    10/1/1989, पेज 11

प्रेषितों 17:31

फुटनोट

  • *

    या “गारंटी देने।”

संबंधित आयतें

  • +भज 96:13; 98:9; यूह 5:22; प्रेष 10:42
  • +यूह 11:25; प्रेष 2:24; 13:32, 33

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 147

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2010, पेज 31

    1/15/2008, पेज 20

    1/1/1991, पेज 28

    7/1/1990, पेज 7

    10/1/1989, पेज 11-15

    सर्वदा जीवित रहिए, पेज 175

प्रेषितों 17:32

संबंधित आयतें

  • +1कुर 1:23

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 147

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2010, पेज 31

    7/1/1998, पेज 12

प्रेषितों 17:34

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2010, पेज 31

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

प्रेषि. 17:11थि 2:1
प्रेषि. 17:2प्रेष 9:19, 20; 13:13, 14; 14:1; 18:4
प्रेषि. 17:2प्रेष 18:19
प्रेषि. 17:3भज 22:7; 34:20; 69:21; 118:22; यश 50:6; 53:3, 5
प्रेषि. 17:3भज 16:10; लूक 24:45, 46
प्रेषि. 17:4प्रेष 15:22, 40
प्रेषि. 17:5प्रेष 13:45
प्रेषि. 17:6प्रेष 16:19-21
प्रेषि. 17:7लूक 23:1, 2; यूह 19:12
प्रेषि. 17:13प्रेष 14:2, 19
प्रेषि. 17:14मत 10:23
प्रेषि. 17:15प्रेष 16:1, 2; 1थि 3:2
प्रेषि. 17:18यूह 5:28, 29; 11:25; 1कुर 15:12
प्रेषि. 17:22प्रेष 17:33, 34
प्रेषि. 17:22प्रेष 17:16
प्रेषि. 17:24भज 146:6
प्रेषि. 17:241रा 8:27
प्रेषि. 17:25भज 50:12
प्रेषि. 17:25यश 42:5
प्रेषि. 17:26उत 5:2
प्रेषि. 17:26उत 1:28
प्रेषि. 17:26व्य 2:5, 19; 32:8; भज 74:17
प्रेषि. 17:27व्य 4:29; भज 145:18; रोम 1:20
प्रेषि. 17:29उत 1:27
प्रेषि. 17:29व्य 5:8; यश 37:19; 40:18-20; 46:5
प्रेषि. 17:30इफ 4:17, 18
प्रेषि. 17:31भज 96:13; 98:9; यूह 5:22; प्रेष 10:42
प्रेषि. 17:31यूह 11:25; प्रेष 2:24; 13:32, 33
प्रेषि. 17:321कुर 1:23
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
  • अध्ययन बाइबल (nwtsty) में पढ़िए
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र (bi7) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
प्रेषितों 17:1-34

प्रेषितों के काम

17 अब वे अम्फिपुलिस और अपुल्लोनिया शहरों से होते हुए थिस्सलुनीके शहर आए,+ जहाँ यहूदियों का एक सभा-घर था। 2 पौलुस अपने रिवाज़ के मुताबिक+ उस सभा-घर में गया और उसने तीन सब्त तक पवित्र शास्त्र से उन यहूदियों के साथ तर्क-वितर्क किया+ 3 और वह शास्त्र से हवाले दे-देकर समझाता रहा और साबित करता रहा कि मसीह के लिए दुख उठाना+ और मरे हुओं में से ज़िंदा होना ज़रूरी था।+ वह कहता था, “यही है वह मसीह, वह यीशु जिसके बारे में मैं तुम्हें बता रहा हूँ।” 4 नतीजा यह हुआ कि उनमें से कुछ विश्‍वासी बन गए और पौलुस और सीलास के साथ हो लिए।+ इनके अलावा, परमेश्‍वर की उपासना करनेवाले यूनानियों की एक बड़ी भीड़ ने भी विश्‍वास किया। इनमें कई जानी-मानी औरतें भी थीं।

5 मगर यह देखकर यहूदी जलन से भर गए+ और अपने साथ बाज़ार के कुछ आवारा बदमाशों को लेकर एक दल बना लिया और शहर भर में हंगामा करने लगे। उन्होंने यासोन के घर पर धावा बोल दिया ताकि पौलुस और सीलास को इस पागल भीड़ के हवाले कर दें। 6 मगर जब ढूँढ़ने पर उन्हें पौलुस और सीलास वहाँ नहीं मिले, तो उन्होंने यासोन और कुछ और भाइयों को पकड़ लिया और उन्हें घसीटकर नगर-अधिकारियों के पास ले गए और चिल्ला-चिल्लाकर कहने लगे, “जिन आदमियों ने सारी दुनिया में उथल-पुथल मचा रखी है, वे अब यहाँ भी आ पहुँचे हैं+ 7 और इस यासोन ने उन्हें अपने घर में मेहमान ठहराया है। ये आदमी सम्राट* के आदेशों के खिलाफ बगावत करते हैं और कहते हैं कि कोई दूसरा राजा है, जिसका नाम यीशु है।”+ 8 जब भीड़ ने और नगर-अधिकारियों ने यह सुना तो वे घबरा गए। 9 नगर-अधिकारियों ने यासोन और बाकियों से ज़मानत के तौर पर भारी रकम लेकर उन्हें छोड़ दिया।

10 तब भाइयों ने बिना देर किए रातों-रात पौलुस और सीलास, दोनों को बिरीया शहर भेज दिया। वहाँ पहुँचने पर वे यहूदियों के सभा-घर में गए। 11 बिरीया के लोग तो थिस्सलुनीके के लोगों से ज़्यादा भले और खुले विचारोंवाले थे क्योंकि उन्होंने बड़ी उत्सुकता से वचन स्वीकार किया। वे हर दिन ध्यान से शास्त्र की जाँच करते थे कि जो बातें वे सुन रहे हैं वे सच हैं या नहीं। 12 इसलिए उनमें से कई लोग विश्‍वासी बन गए। और कई इज़्ज़तदार यूनानी आदमी-औरत भी विश्‍वासी बन गए। 13 मगर जब थिस्सलुनीके के यहूदियों को पता चला कि पौलुस बिरीया में भी परमेश्‍वर का वचन सुना रहा है, तो वे वहाँ आ धमके ताकि जनता को भड़काएँ और हंगामा मचाएँ।+ 14 तब भाइयों ने फौरन पौलुस को समुंदर किनारे भेज दिया,+ मगर सीलास और तीमुथियुस वहीं बिरीया में रहे। 15 जो भाई पौलुस को छोड़ने उसके साथ गए वे उसे बहुत दूर एथेन्स तक ले गए। पौलुस ने उन्हें विदा करते वक्‍त सीलास और तीमुथियुस+ के लिए यह खबर दी कि वे जल्द-से-जल्द उसके पास एथेन्स चले आएँ।

16 जब पौलुस एथेन्स में उनका इंतज़ार कर रहा था, तब उसने देखा कि पूरा शहर मूरतों से भरा हुआ है। यह देखकर उसका जी जलने लगा। 17 इसलिए वह सभा-घर में यहूदियों के साथ और परमेश्‍वर का डर माननेवाले दूसरे लोगों के साथ शास्त्र से तर्क-वितर्क करने लगा। साथ ही, हर दिन बाज़ार में उसे जो भी मिलता था उसके साथ वह इसी तरह तर्क-वितर्क करता था। 18 मगर इपिकूरी और स्तोइकी दार्शनिकों में से कुछ लोग पौलुस से बहस करने लगे। उनमें से कुछ कहते थे, “यह बकबक करनेवाला आखिर कहना क्या चाहता है?” दूसरे कहते थे, “यह तो कोई विदेशी देवताओं का प्रचारक लगता है।” क्योंकि पौलुस, यीशु के बारे में खुशखबरी सुना रहा था और यह सिखा रहा था कि मरे हुए ज़िंदा किए जाएँगे।+ 19 तब ये लोग उसे अपने साथ अरियुपगुस ले गए और कहने लगे, “क्या हम जान सकते हैं कि तू यह जो नयी शिक्षा सिखा रहा है यह क्या है? 20 क्योंकि तू ऐसी नयी बातें बता रहा है जो हमारे कानों को अजीब लगती हैं। हम जानना चाहते हैं कि इन सब बातों का क्या मतलब है।” 21 दरअसल एथेन्स के सभी लोग और वहाँ रहनेवाले* विदेशी लोग अपना फुरसत का समय किसी और काम में नहीं बल्कि कुछ-न-कुछ नया सुनने या सुनाने में बिताते थे। 22 तब पौलुस अरियुपगुस+ के बीच खड़ा हुआ और उनसे कहने लगा,

“एथेन्स के लोगो, मैं देख सकता हूँ कि तुम हर बात में दूसरों से बढ़कर देवताओं के भक्‍त* हो।+ 23 मिसाल के लिए, जब मैं यहाँ से गुज़र रहा था और उन चीज़ों पर गौर कर रहा था जिनकी तुम पूजा करते हो, तो मैंने एक वेदी देखी जिस पर लिखा था, ‘अनजाने परमेश्‍वर के लिए।’ इसलिए तुम अनजाने में जिस परमेश्‍वर की उपासना कर रहे हो, मैं उसी के बारे में तुम्हें बता रहा हूँ। 24 जिस परमेश्‍वर ने पूरी दुनिया और उसकी सब चीज़ें बनायीं, वह आकाश और धरती का मालिक है+ इसलिए वह हाथ के बनाए मंदिरों में नहीं रहता,+ 25 न ही वह इंसान के हाथों अपनी सेवा करवाता है, मानो उसे किसी चीज़ की ज़रूरत हो+ क्योंकि वह खुद सबको जीवन और साँसें और सबकुछ देता है।+ 26 उसने एक ही इंसान से+ सारे राष्ट्र बनाए कि वे पूरी धरती पर रहें+ और उनका वक्‍त ठहराया और उनके रहने की हदें तय कीं+ 27 ताकि वे परमेश्‍वर को ढूँढ़ें और उसकी खोज करें और वाकई उसे पा लें।+ सच तो यह है कि वह हममें से किसी से भी दूर नहीं है। 28 क्योंकि उसी से हमारी ज़िंदगी है और हम चलते-फिरते हैं और वजूद में हैं, जैसा तुम्हारे कुछ कवियों ने भी कहा है, ‘हम तो उसी के बच्चे हैं।’

29 हम परमेश्‍वर के बच्चे हैं+ इसलिए हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि परमेश्‍वर सोने या चाँदी या पत्थर जैसा है, या इंसान की कल्पना और कला से गढ़ी गयी किसी चीज़ जैसा है।+ 30 सच है कि परमेश्‍वर ने उस वक्‍त को नज़रअंदाज़ किया जब लोगों ने अनजाने में ऐसा किया था।+ मगर अब वह हर जगह ऐलान कर रहा है कि सब लोग पश्‍चाताप करें। 31 क्योंकि उसने एक दिन तय किया है जब वह सच्चाई से सारी दुनिया का न्याय करेगा+ और इसके लिए उसने एक आदमी को ठहराया है। और सब इंसानों को इस बात का पक्का यकीन दिलाने* के लिए परमेश्‍वर ने उसे मरे हुओं में से ज़िंदा किया है।”+

32 जब उन्होंने मरे हुओं के ज़िंदा होने की बात सुनी, तो कुछ लोग उसकी खिल्ली उड़ाने लगे+ जबकि दूसरों ने कहा, “हम इस बारे में तुझसे फिर कभी सुनेंगे।” 33 तब पौलुस वहाँ से निकल गया। 34 मगर कुछ आदमी उसके साथ हो लिए और विश्‍वासी बन गए। इनमें अरियुपगुस की अदालत का एक न्यायी दियोनिसियुस और दमरिस नाम की एक औरत और इनके अलावा और भी लोग थे।

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