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मरकुस 4:37-41पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
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37 अब एक ज़ोरदार आँधी चलने लगी और लहरें नाव से इतनी ज़ोर से टकराने लगीं कि नाव पानी से भरने पर थी।+ 38 मगर यीशु नाव के पिछले हिस्से में एक तकिए पर सिर रखकर सो रहा था। चेलों ने उसे जगाया और कहा, “गुरु, क्या तुझे फिक्र नहीं कि हम नाश होनेवाले हैं?” 39 तब वह उठा और उसने आँधी को डाँटा और लहरों से कहा, “शश्श! खामोश हो जाओ!”+ तब आँधी थम गयी और बड़ा सन्नाटा छा गया।+ 40 यीशु ने उनसे कहा, “तुम क्यों इतना डर रहे हो?* क्या तुममें अब भी विश्वास नहीं?” 41 मगर उनमें अजीब-सा डर समा गया और वे एक-दूसरे से कहने लगे, “आखिर यह कौन है? आँधी और समुंदर तक इसका हुक्म मानते हैं!”+
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लूका 8:23-25पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
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23 मगर सफर के दौरान वह सो गया। तब झील में भयंकर तूफान उठा और उनकी नाव में पानी भरने लगा, उनकी जान खतरे में थी।+ 24 चेले उसके पास आकर उसे जगाने लगे, “गुरु, गुरु, हम नाश होनेवाले हैं!” यीशु ने उठकर आँधी और उफनती लहरों को डाँटा और वे शांत हो गए और सन्नाटा छा गया।+ 25 फिर उसने चेलों से कहा, “कहाँ गया तुम्हारा विश्वास?” मगर उन पर डर छा गया और वे ताज्जुब करने लगे और एक-दूसरे से कहने लगे, “आखिर यह कौन है जो आँधी और पानी तक को हुक्म देता है और वे उसकी मानते हैं?”+
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