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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
फिलिप्पियों

फिलिप्पियों के नाम

1 मैं पौलुस और तीमुथियुस, जो मसीह यीशु के दास हैं, फिलिप्पी में रहनेवाले सभी पवित्र जनों को जो मसीह यीशु में हैं, साथ ही निगरानी करनेवालों और सहायक सेवकों को लिख रहे हैं:

2 तुम्हें परमेश्‍वर हमारे पिता की तरफ से और प्रभु यीशु मसीह की तरफ से महा-कृपा और शांति मिले।

3 मैं जब-जब तुम्हें याद करता हूँ, तब-तब अपने परमेश्‍वर का धन्यवाद करता हूँ। 4 तुम सबके लिए अपनी हरेक मिन्‍नत में मैं हमेशा उसे धन्यवाद देता हूँ। मैं खुशी-खुशी तुम्हारे लिए मिन्‍नतें करता हूँ, 5 क्योंकि जिस दिन से तुमने खुशखबरी सुनी, उस दिन से लेकर आज के दिन तक तुमने खुशखबरी फैलाने में योगदान दिया है। 6 मुझे इस बात का यकीन है कि परमेश्‍वर जिसने तुम्हारे बीच एक भले काम की शुरूआत की है, वह यीशु मसीह के दिन तक उसे पूरा भी करेगा। 7 तुम सबके बारे में ऐसा सोचना मेरे लिए बिलकुल सही है। तुम सब मेरे दिल में बसे हो, क्योंकि चाहे मेरी ज़ंजीरों में कैद होने की बात हो या खुशखबरी की पैरवी करने और उसे कानूनी तौर पर मान्यता दिलाने की, तुम सब मेरे साथ परमेश्‍वर की महा-कृपा में साझेदार रहे हो।

8 परमेश्‍वर मेरा गवाह है कि मैं तुम सबसे मिलने के लिए कितना तरस रहा हूँ, क्योंकि मैं तुमसे वैसा ही गहरा लगाव रखता हूँ जैसा मसीह यीशु रखता है। 9 और मैं यही प्रार्थना करता रहता हूँ कि सही ज्ञान और पूरी परख-शक्‍ति के साथ तुम्हारा प्यार और भी बढ़ता जाए, 10 ताकि तुम पहचान सको कि ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातें क्या हैं, जिससे कि मसीह के दिन तक तुम्हारे अंदर कोई खामी न हो और तुम दूसरों के विश्‍वास में बाधा न बनो, 11 और नेकी के फलों से लद जाओ जो तुम यीशु मसीह की बदौलत पैदा कर पाओगे और जिनसे परमेश्‍वर की महिमा और तारीफ होती है।

12 भाइयो, मैं चाहता हूँ कि तुम यह जान लो कि मेरे साथ जो कुछ हुआ है, उससे खुशखबरी के फैलने में रुकावट नहीं आयी बल्कि तरक्की ही हुई है। 13 सम्राट के अंगरक्षक-दल में से हर कोई और बाकी सभी लोग यह जान गए हैं कि मैं मसीह की वजह से ज़ंजीरों में हूँ। 14 और ज़्यादातर भाई मेरी ज़ंजीरों की वजह से प्रभु में पूरा भरोसा रखते हुए निडर होकर और भी हिम्मत के साथ परमेश्‍वर का वचन सुना रहे हैं।

15 यह सच है कि कुछ लोग ईर्ष्या और होड़ लगाने की भावना से मसीह का प्रचार कर रहे हैं, मगर दूसरे अच्छी भावना से प्रचार कर रहे हैं। 16 जो अच्छी भावना रखते हैं वे प्यार की वजह से मसीह का प्रचार करते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि मैं खुशखबरी की पैरवी करने के लिए ही यहाँ ठहराया गया हूँ। 17 मगर जो ईर्ष्या करते हैं, वे नेक इरादे से नहीं बल्कि झगड़े और विरोध की भावना से प्रचार करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इस तरह वे कैद में मेरे दुःख को और बढ़ा सकेंगे। 18 तो क्या हुआ? कुछ नहीं! बस इतना कि चाहे बुरी भावना से हो या सच्ची भावना से, मसीह का प्रचार हर तरह से हो रहा है और यह बात मुझे खुशी देती है। दरअसल, मैं खुशी मनाता रहूँगा, 19 क्योंकि मैं जानता हूँ कि तुम्हारी मिन्‍नतों की वजह से और यीशु मसीह से ज़रूरी पवित्र शक्‍ति मिलने से मेरा उद्धार होगा। 20 और मैं दिल से यही उम्मीद और आशा करता हूँ कि मुझे किसी भी तरह से शर्मिंदा न होना पड़ेगा। इसके बजाय जैसे हमेशा होता आया है, वैसे ही अब भी मेरे बेझिझक होकर बोलने की वजह से मेरे शरीर के ज़रिए मसीह की बड़ाई होगी, फिर चाहे मैं जीऊँ या मर जाऊँ।

21 मेरे मामले में ज़िंदगी का मतलब है मसीह की सेवा में लगे रहना, और मौत का मतलब है फायदा। 22 जब तक मैं दुनिया में* ज़िंदा हूँ, मैं अपने काम से और ज़्यादा फल पैदा कर सकूँगा। मैं नहीं बताता कि मैं क्या चुनूँगा। 23 मैं इन दोनों चुनावों के दबाव में हूँ। मगर मैं तो यही चाहता हूँ कि छुड़ाए जाकर मसीह के साथ रहूँ, क्योंकि वाकई यह बाकी सबसे कहीं बढ़कर है। 24 लेकिन, तुम्हारी खातिर मेरे लिए इस दुनिया में जीते रहना ज़्यादा ज़रूरी है। 25 मुझे इस बात का भरोसा है और मैं जानता हूँ कि मैं यहीं तुम सबके साथ रहूँगा ताकि तुम तरक्की करो और वह खुशी पाओ जो तुम्हारे विश्‍वास से है, 26 ताकि जब मैं तुम्हारे बीच फिर से मौजूद रहूँ, तो मसीह यीशु में तुम्हारी खुशी उमड़ती रहे।

27 सिर्फ इसका ध्यान रखो कि तुम ऐसे पेश आओ* जैसे मसीह की खुशखबरी के योग्य है, ताकि चाहे मैं आकर तुमसे मिलूँ या चाहे दूर रहूँ, मैं तुम्हारे बारे में यही सुनूँ कि तुम सब एक ही सोच रखते हुए, मज़बूती से एक-साथ खड़े हो और खुशखबरी पर विश्‍वास के लिए कंधे-से-कंधा मिलाकर कड़ा संघर्ष कर रहे हो 28 और किसी भी तरह विरोधियों से नहीं डरते। यही उनके लिए इस बात का सबूत है कि वे नाश किए जाएँगे, और तुम्हारे लिए यह सबूत है कि तुम्हारा उद्धार होगा। और यह निशानी परमेश्‍वर की तरफ से है। 29 क्योंकि मसीह की खातिर तुम्हें यह सम्मान दिया गया कि तुम न सिर्फ उस पर विश्‍वास करो बल्कि उसकी खातिर दुःख भी सहो। 30 इसी वजह से तुम्हारा भी वैसा ही संघर्ष है जैसा तुमने मेरे मामले में देखा था और जैसा तुम मेरे मामले में सुनते हो कि मैं अब भी संघर्ष कर रहा हूँ।

2 तो फिर, जब कभी तुम मसीह में एक-दूसरे की हिम्मत बँधा सको, जब कभी प्यार से दिलासा दे सको, जब कभी हमदर्दी दिखा सको, जब कभी तुम्हारे बीच गहरा लगाव और करुणा की भावना हो, 2 तो मेरी खुशी इस बात से पूरी करो कि तुम एक ही मन रखो और तुममें एक-सा प्यार हो। तुम एक जान बनकर एक-दूसरे से जुड़े रहो और एक ही सोच रखो। 3 झगड़ालूपन या अहंकार की वजह से कुछ न करो, मगर मन की दीनता के साथ दूसरों को खुद से बेहतर समझो 4 और हर एक सिर्फ अपने भले की फिक्र में न रहे, बल्कि दूसरे के भले की भी फिक्र करे।

5 तुम मन का वैसा स्वभाव पैदा करो जैसा मसीह यीशु का था। 6 उसने परमेश्‍वर के स्वरूप में होते हुए भी, उस पद को हथियाने की बात कभी न सोची, यानी यह कि वह परमेश्‍वर की बराबरी करे। 7 इसके बजाय, उसने अपना सबकुछ त्याग दिया* और एक दास का स्वरूप ले लिया और इंसान बन गया। 8 इतना ही नहीं, जब उसने खुद को इंसान की शक्ल-सूरत में पाया, तो उसने खुद को नम्र किया और इस हद तक आज्ञा माननेवाला बना कि उसने मौत भी, हाँ, यातना की सूली* पर मौत भी सह ली। 9 इसी वजह से परमेश्‍वर ने उसे पहले से भी ऊँचा पद देकर महान किया और मेहरबान होकर उसे वह नाम दिया जो दूसरे हर नाम से महान है 10 ताकि जो स्वर्ग में हैं और जो धरती पर हैं और जो ज़मीन के नीचे हैं, हर कोई यीशु के नाम से घुटना टेके, 11 और हर जीभ खुलकर यह स्वीकार करे कि यीशु मसीह ही प्रभु है, जिससे परमेश्‍वर हमारे पिता की महिमा हो।

12 इसलिए मेरे प्यारो, जिस तरह तुम हमेशा आज्ञा मानते आए हो, न सिर्फ मेरी मौजूदगी में बल्कि अब उससे भी ज़्यादा मेरी गैर-मौजूदगी में, डरते और काँपते हुए अपने उद्धार के लिए काम करते जाओ। 13 क्योंकि परमेश्‍वर है जो अपनी मरज़ी के मुताबिक तुम्हारे अंदर काम कर रहा है ताकि तुम्हारे अंदर इच्छा पैदा हो और तुम उस पर अमल भी करो। 14 सब काम बिना कुड़कुड़ाए और बिना झगड़ा किए करते रहो, 15 ताकि तुम निर्दोष और मासूम और परमेश्‍वर के बच्चे ठहरो और एक टेढ़ी और भ्रष्ट पीढ़ी के बीच बेदाग बने रहो, जिसके बीच तुम इस दुनिया में रौशनी की तरह चमक रहे हो 16 और जीवन के वचन पर मज़बूत पकड़ बनाए रखो, ताकि मसीह के दिन मुझे खुशी मनाने की वजह मिले कि मैं बेकार ही नहीं दौड़ा या मैंने बेकार ही कड़ी मेहनत नहीं की। 17 फिर चाहे तुम्हारे उस बलिदान पर और तुम्हारी जन-सेवा पर जो तुम विश्‍वास की वजह से कर रहे हो, मुझे अर्घ की तरह उंडेला जा रहा है, तो भी मैं खुश होता हूँ और तुम सबके साथ खुशी मनाता हूँ। 18 इसी तरह तुम भी मेरे साथ खुश रहो और आनंद मनाओ।

19 जहाँ तक मेरी बात है, अगर प्रभु यीशु की मरज़ी हो, तो मैं आशा करता हूँ कि बहुत जल्द तीमुथियुस को तुम्हारे पास भेजूँगा, ताकि मैं जब तुम्हारे बारे में सुनूँ तो मेरा जी खुश हो। 20 इसलिए कि मेरे पास उसके जैसा स्वभाव रखनेवाला दूसरा और कोई भी नहीं जो सच्चे दिल से तुम्हारी परवाह करेगा। 21 क्योंकि बाकी सभी अपने ही भले की फिक्र में रहते हैं, कोई मसीह यीशु के काम की फिक्र नहीं करता। 22 लेकिन तुम जानते हो कि तीमुथियुस ने तुम्हारे सामने अपने बारे में कैसा सबूत दिया है, जैसे एक बेटा अपने पिता का हाथ बँटाता है वैसे ही उसने खुशखबरी फैलाने में मेरे साथ कड़ी मेहनत की है। 23 मैं इसी आदमी को तुम्हारे पास जल्द-से-जल्द भेजने की आशा करता हूँ। जैसे ही मुझे मालूम पड़ जाएगा कि मेरे मामले का क्या होनेवाला है, मैं उसे भेज दूँगा 24 और प्रभु में मुझे यह भरोसा है कि मैं खुद भी जल्द तुम्हारे पास आऊँगा।

25 फिर भी, मुझे यह ज़रूरी जान पड़ता है कि मैं तुम्हारे पास इपफ्रुदीतुस को भेजूँ। वह मेरा भाई और सहकर्मी और संगी सैनिक है, मगर तुम्हारा भेजा हुआ दूत और मेरी ज़रूरत के वक्‍त मेरा सेवक रहा है। 26 वह तुम सबको देखने के लिए तरस रहा है और इसलिए बहुत हताश हो गया है, क्योंकि तुमने सुना था कि वह बीमार पड़ गया है। 27 हाँ, वह वाकई बहुत बीमार हो गया था, यहाँ तक कि मरने पर था। मगर परमेश्‍वर ने उस पर दया की और सिर्फ उस पर ही नहीं बल्कि मुझ पर भी की, ताकि मुझे दुःख पर दुःख न मिले। 28 इसलिए मैं और भी ज़्यादा जल्दी करते हुए उसे भेज रहा हूँ, ताकि उसे देखकर तुम फिर खुश हो जाओ और मेरा दुःख भी कुछ हल्का हो। 29 इसलिए, जैसा दस्तूर है प्रभु में बड़ी गर्मजोशी और पूरी खुशी के साथ उसका स्वागत करना; और ऐसे भाइयों की कदर किया करना। 30 क्योंकि प्रभु के काम की खातिर उसने अपनी जान की बाज़ी लगा दी यहाँ तक कि वह मरने पर था, ताकि तुम लोगों के यहाँ न होने की कमी पूरी करने के लिए तुम्हारे बदले वह मेरी सेवा कर सके।

3 आखिर में, मेरे भाइयो, तुम प्रभु में खुशी मनाते रहो। तुम्हें वही बातें फिर से लिखना मेरे लिए परेशानी की बात नहीं है, मगर इनसे तुम्हारी ही हिफाज़त होगी।

2 अशुद्ध लोगों* से खबरदार रहो, नुकसान पहुँचानेवालों से खबरदार रहो और जो परंपरा की वजह से शरीर के अंगों की काट-कूट करते हैं, उनसे खबरदार रहो। 3 इसलिए कि हम वे हैं जिनका सच्चा खतना हुआ है, जो परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति से पवित्र सेवा करते हैं और मसीह यीशु में गर्व करते हैं और शरीर पर भरोसा नहीं करते। 4 लेकिन अगर किसी के पास शरीर पर भरोसा करने की वजह है, तो सबसे बढ़कर मेरे पास है।

अगर कोई और आदमी सोचता है कि उसे शरीर पर भरोसा करने की वजह है तो सबसे ज़्यादा मेरे पास ये वजह हैं: 5 आठवें दिन मेरा खतना हुआ, मैं इस्राएल की जाति से बिन्यामीन के गोत्र का हूँ, मैं पैदाइशी इब्रानी हूँ और मेरे माता-पिता भी इब्रानी थे। मूसा के कानून को मानने के हिसाब से देखा जाए, तो मैं एक फरीसी हूँ। 6 जहाँ तक जोशीला होने की बात है, तो मैं मंडली* पर ज़ुल्म किया करता था, जहाँ तक मूसा का कानून मानकर नेक ठहराए जाने की बात है, मैंने खुद को निर्दोष साबित किया है। 7 फिर भी जो बातें मेरे फायदे की थीं, उन्हीं को मैंने मसीह की खातिर नुकसान समझा है। 8 दरअसल मैं अपने प्रभु मसीह यीशु के बारे में उस ज्ञान की खातिर जिसका कोई मोल नहीं लगाया जा सकता, सब बातों को वाकई नुकसान समझता हूँ। उसी की खातिर मैंने सब बातों का नुकसान उठाया है और मैं इन्हें ढेर सारा कूड़ा समझता हूँ ताकि मसीह को पा सकूँ 9 और उसके साथ एकता में पाया जाऊँ, जिसका मतलब मूसा का कानून मानकर नेकी हासिल करना नहीं, बल्कि वह नेकी हासिल करना है जो मसीह पर विश्‍वास करने से मिलती है, यानी वह नेकी जिसे परमेश्‍वर विश्‍वास के आधार पर देता है, 10 ताकि मसीह को और उसके जी उठने की ताकत को जानूँ और उसके जैसी दुःख-तकलीफें सहने में हिस्सेदार बनूँ और उसके जैसी मौत मरने के लिए खुद को सौंप दूँ, 11 ताकि मैं किसी तरह उन लोगों में शामिल हो जाऊँ जो पहले जी उठाए जाएँगे।

12 यह नहीं कि मैं यह इनाम पा चुका हूँ या मैं सिद्ध हो चुका हूँ, बल्कि मैं उसका पीछा कर रहा हूँ ताकि उसे हर हाल में पकड़ सकूँ जिसके लिए मसीह यीशु ने वाकई मुझे चुना था। 13 भाइयो, मैं अपने बारे में यह नहीं मानता कि मैं उसे पकड़ चुका हूँ, मगर इसके बारे में एक बात यह है: जो बातें पीछे रह गयी हैं, उन्हें भूलकर मैं खुद को खींचता हुआ आगे की बातों की तरफ बढ़ता जा रहा हूँ। 14 और मसीह यीशु के ज़रिए परमेश्‍वर ने ऊपर का जो बुलावा रखा है, उस इनाम के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए उसका पीछा कर रहा हूँ। 15 तो आओ, हम सभी जो सयाने और समझदार हैं, हमारे मन का स्वभाव ऐसा ही हो। और अगर तुम्हारे मन का झुकाव किसी और तरफ होगा तो परमेश्‍वर तुम पर ज़ाहिर कर देगा कि मन का सही स्वभाव क्या है। 16 और हमने जिस हद तक तरक्की की है, आओ हम इसी नियम पर कायदे से चलते रहें।

17 भाइयो, तुम सब मिलकर मेरी मिसाल पर चलो और उन पर गौर करते रहो जो उस मिसाल के मुताबिक चलते हैं जो हमने तुम्हारे सामने कायम की है। 18 इसलिए कि ऐसे कई हैं जिनका मैं पहले अकसर ज़िक्र किया करता था लेकिन अब आँसुओं के साथ ज़िक्र करता हूँ, क्योंकि वे मसीह की यातना की सूली* के दुश्‍मन बन गए हैं। 19 उनका अंजाम विनाश है, और उनका पेट ही उनका ईश्‍वर है, और जिन बातों पर उन्हें शर्मिंदा होना चाहिए, उन पर वे घमंड करते हैं और अपना मन धरती की बातों पर लगाते हैं। 20 जहाँ तक हमारी बात है, हमारी नागरिकता स्वर्ग की है, और उसी जगह से हम एक उद्धारकर्ता यानी प्रभु यीशु मसीह का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं, 21 उसके पास सबकुछ अपने वश में कर लेने की ताकत है। वह इसी ताकत का इस्तेमाल कर हमारे तुच्छ शरीरों को बदल देगा और इन्हें अपने जैसा महिमा से भरपूर बना देगा।

4 इसलिए, मेरे प्यारे भाइयो, तुम जो मेरी खुशी और मेरे ताज हो और जिनसे मिलने के लिए मेरा मन तरस रहा है, तुम प्रभु में इसी तरह मज़बूती से खड़े रहो।

2 यूओदिया को मैं उकसाता हूँ और सुन्तुखे को भी कि वे प्रभु में एक ही मन रखें। 3 हाँ, मेरे सच्चे सहकर्मी, मैं तुझसे भी गुज़ारिश करता हूँ कि इन स्त्रियों की मदद करता रह, जिन्होंने खुशखबरी सुनाने में मेरे साथ और क्लेमेंस और मेरे बाकी सहकर्मियों के साथ जिनके नाम जीवन की किताब में हैं, कंधे-से-कंधा मिलाकर कड़ी मेहनत की है।

4 प्रभु में हमेशा खुश रहो। मैं एक बार फिर कहता हूँ, खुश रहो! 5 सब लोग यह जान जाएँ कि तुम लिहाज़ करनेवाले इंसान हो। प्रभु पास है। 6 किसी भी बात को लेकर चिंता मत करो, मगर हर बात में प्रार्थना और मिन्‍नतों और धन्यवाद के साथ अपनी बिनतियाँ परमेश्‍वर को बताते रहो। 7 और परमेश्‍वर की वह शांति जो हमारी समझने की शक्‍ति से कहीं ऊपर है, मसीह यीशु के ज़रिए तुम्हारे दिल के साथ-साथ तुम्हारे दिमाग की सोचने-समझने की ताकत की हिफाज़त करेगी।

8 आखिर में भाइयो, जो बातें सच्ची हैं, जो बातें गंभीर सोच-विचार के लायक हैं, जो बातें नेकी की हैं, जो बातें पवित्र और साफ-सुथरी हैं, जो बातें चाहने लायक हैं, जो बातें अच्छी मानी जाती हैं, जो सद्‌गुण हैं और जो बातें तारीफ के लायक हैं, लगातार उन्हीं पर ध्यान देते रहो। 9 जो बातें तुमने मुझसे सीखीं और स्वीकार कीं, साथ ही मुझसे सुनीं और मुझ में देखीं, उनका पालन करते रहो; और शांति का परमेश्‍वर तुम्हारे साथ रहेगा।

10 मैं प्रभु में बहुत खुश हूँ कि अब फिर से तुम मेरे भले के बारे में सोचने लगे हो। तुम पहले भी मेरे भले की चिंता करते थे, मगर तुम्हें यह दिखाने का मौका नहीं मिला था। 11 मैं यह इसलिए नहीं कह रहा क्योंकि मैं तंगी में हूँ, इसलिए कि मैं चाहे जैसे भी हाल में रहूँ उसी में संतोष करना मैंने सीख लिया है। 12 मैं जानता हूँ कि कम चीज़ों में गुज़ारा करना कैसा होता है, और यह भी जानता हूँ कि भरपूरी में जीना कैसा होता है। मैंने हर बात में और हर तरह के हालात में यह राज़ सीख लिया है कि भरपेट होना कैसा होता है और भूखे पेट होना कैसा होता है, भरा-पूरा होना कैसा होता है और तंगी झेलना कैसा होता है। 13 इसलिए कि जो मुझे ताकत देता है, उसी से मुझे सब बातों के लिए शक्‍ति मिलती है।

14 फिर भी, तुमने यह अच्छा काम किया कि मेरे दुःखों में मेरे साथ हिस्सेदार हुए। 15 फिलिप्पी के भाइयो, तुम असल में यह भी जानते हो कि जब मैंने खुशखबरी सुनानी शुरू की और मकिदुनिया से रवाना हुआ, तो सिर्फ तुम्हें छोड़ किसी भी मंडली ने न तो मेरी मदद की, और न मुझसे मदद ली, 16 क्योंकि थिस्सलुनीके में भी तुमने मेरी ज़रूरत को पूरा करने के लिए मुझे एक बार नहीं बल्कि दो बार कुछ भेजा था। 17 ऐसा नहीं है कि मैं तुमसे तोहफा पाने की कोशिश में लगा हूँ, बल्कि मैं वह फल पाने की कोशिश में जी-जान से लगा हूँ, जो तुम्हारे खाते में और अच्छाई जोड़ देगा। 18 मगर, मेरे पास सबकुछ है और भरपूर है। इपफ्रुदीतुस के हाथों तुम्हारी भेजी हुई चीज़ें पाकर मैं तृप्त हो गया हूँ। यह तोहफा परमेश्‍वर को भानेवाला ऐसा खुशबूदार बलिदान है जिससे वह बेहद खुश होता है। 19 इसके बदले में, मेरा परमेश्‍वर अपनी आशीषों की बेशुमार दौलत से तुम्हारी हर ज़रूरत को मसीह यीशु के ज़रिए पूरा करेगा। 20 हमारे परमेश्‍वर और पिता की महिमा हमेशा-हमेशा होती रहे। आमीन।

21 हर एक पवित्र जन को जो मसीह यीशु के साथ एकता में है, मेरा नमस्कार कहना। जो भाई मेरे साथ हैं वे तुम्हें नमस्कार कहते हैं। 22 सभी पवित्र जन, खासकर जो सम्राट* के घराने के हैं, तुम्हें नमस्कार कहते हैं।

23 हमारे प्रभु यीशु मसीह की महा-कृपा तुम्हारी उस भावना के साथ हो जो तुम दिखाते हो।

फिलि 1:22 शाब्दिक, “शरीर में।”

फिलि 1:27 शाब्दिक, “नागरिकों जैसा बर्ताव करो।”

फिलि 2:7 शाब्दिक, “खुद को पूरी तरह खाली कर दिया।”

फिलि 2:8 अतिरिक्‍त लेख 6 देखें।

फिलि 3:2 शाब्दिक, “कुत्तों।”

फिलि 3:6 मत्ती 16:18 दूसरा फुटनोट देखें।

फिलि 3:18 अतिरिक्‍त लेख 6 देखें।

फिलि 4:22 यूनानी में, “कैसर।”

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