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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
इफिसियों

इफिसियों के नाम

1 मैं पौलुस, जो परमेश्‍वर की मरज़ी से मसीह यीशु का प्रेषित* हूँ, इफिसुस के पवित्र जनों को लिख रहा हूँ, जो मसीह यीशु के साथ एकता में विश्‍वासयोग्य हैं।

2 तुम्हें परमेश्‍वर हमारे पिता की तरफ से और प्रभु यीशु मसीह की तरफ से महा-कृपा और शांति मिले।

3 हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमेश्‍वर और पिता धन्य हो। क्योंकि उसने हमें मसीह यीशु के साथ एकता में होने की वजह से स्वर्गीय स्थानों में हर तरह की आशीष दी है। 4 जैसा कि इस बात से दिखाया गया है कि परमेश्‍वर ने दुनिया की शुरूआत के पहले से हमें मसीह के साथ एकता में चुन लिया, ताकि हम प्यार में परमेश्‍वर के सामने पवित्र और बेदाग हों। 5 जैसा उसे अच्छा लगा उसने अपनी मरज़ी के मुताबिक पहले से यह ठहराया था कि हमें यीशु मसीह के ज़रिए अपने बेटों के नाते गोद ले, 6 ताकि परमेश्‍वर की इस शानदार महा-कृपा के लिए उसकी तारीफ हो, जो उसने मेहरबान होकर अपने प्यारे बेटे के ज़रिए हम पर की है। 7 उसी बेटे के लहू के ज़रिए फिरौती देकर हमें छुड़ाया गया है। हाँ, उसी के ज़रिए परमेश्‍वर की महा-कृपा की दौलत हम पर लुटायी गयी और इस महा-कृपा से हमें गुनाहों की माफी दी गयी।

8 उसने हमें यह महा-कृपा सारी बुद्धि और समझ के रूप में बहुतायत में दी है, 9 यानी अपनी मरज़ी के बारे में पवित्र रहस्य हम पर ज़ाहिर किया। यह रहस्य उसने अपनी मरज़ी के मुताबिक खुद तय किया था 10 कि तय वक्‍त के पूरा होने पर वह एक इंतज़ाम की शुरूआत करे, यानी चाहे स्वर्ग की चीज़ें हों या धरती की, सबकुछ फिर से मसीह में इकट्ठा करे, हाँ उसी में। 11 उसी के साथ एकता में हम वारिस भी ठहराए गए हैं। परमेश्‍वर ने अपने मकसद के मुताबिक हमें वारिस होने के लिए पहले से चुन लिया है और वह अपनी मरज़ी के हिसाब से सबकुछ चलाता है। 12 परमेश्‍वर ने हमें इसलिए चुना ताकि हम जो मसीह में आशा रखनेवालों में सबसे पहले हैं, हमारे ज़रिए परमेश्‍वर का गुणगान और महिमा हो। 13 तुमने भी जब अपने उद्धार की खुशखबरी यानी सच्चाई का वचन सुना था तब मसीह पर आशा रखी। तुम्हारे विश्‍वास करने के बाद, उसी के ज़रिए तुम पर उस पवित्र शक्‍ति की मुहर लगायी गयी जिसका वादा किया गया था। 14 यह पवित्र शक्‍ति हमें अपनी विरासत मिलने से पहले एक बयाने के तौर पर दी गयी है, ताकि परमेश्‍वर फिरौती देकर अपने लोगों* को छुड़ाए जिससे कि उसकी महिमा की बड़ाई हो।

15 इसीलिए, जब से मैंने तुम्हारे विश्‍वास के बारे में सुना जो तुम्हें प्रभु यीशु पर है और जिस तरह तुम सभी पवित्र जनों के साथ अपने बर्ताव से यह विश्‍वास दिखाते हो, 16 मैंने तुम्हारे लिए प्रार्थना में धन्यवाद देना नहीं छोड़ा। मैं हमेशा तुम्हारे लिए प्रार्थना करता रहता हूँ 17 कि हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमेश्‍वर, वह पिता जो महिमा से भरपूर है, तुम्हें बुद्धि और उन बातों को समझने की शक्‍ति दे जो वह प्रकट करता है ताकि तुम उसका सही ज्ञान हासिल कर सको। 18 और क्योंकि उसने तुम्हारे मन की आँखें खोलकर तुम्हें समझ की रौशनी दी है, इसलिए मैं यह भी प्रार्थना करता हूँ कि तुम जान सको कि वह आशा क्या है जिसके लिए उसने तुम्हें बुलाया है और वह शानदार दौलत क्या है जो उसने पवित्र लोगों को विरासत में देने के लिए रखी है। 19 और यह भी समझ सको कि हम विश्‍वास करनेवालों की ज़िंदगी में उसकी जो ताकत असर करती है वह कितनी बेजोड़, कितनी महान है। इस ताकत की महानता, उसकी महा-शक्‍ति के काम करने से ज़ाहिर होती है। 20 परमेश्‍वर ने यह महा-शक्‍ति मसीह के मामले में तब दिखायी जब उसने उसे मरे हुओं में से जी उठाया और स्वर्गीय स्थानों में अपनी दायीं तरफ बिठाया। 21 यानी हर सरकार और अधिकार और ताकत और प्रभुता और हर उस नाम से, जो न सिर्फ इस ज़माने* में बल्कि आनेवाले ज़माने में दिया जाएगा, उसे कहीं ऊपर बिठाया है। 22 साथ ही परमेश्‍वर ने सबकुछ उसके पैरों तले कर दिया और उसे सब चीज़ों पर मुखिया ठहराकर मंडली* की खातिर दे दिया। 23 मंडली, मसीह का शरीर है, जिसमें वह पूरी तरह समाया हुआ है और वही है जो सब चीज़ों में सबकुछ पूरा करता है।

2 यही नहीं, तुम्हीं को परमेश्‍वर ने ज़िंदा किया जबकि तुम अपने गुनाहों और पापों की वजह से मरे हुओं जैसे थे। 2 इन पापों में पड़े हुए तुम एक वक्‍त पर इस दुनिया और इसकी व्यवस्था के मुताबिक जीते थे। तुम उस राजा की मानते हुए चलते थे जो दुनिया की फितरत के अधिकार पर राज करता है। यह फितरत चारों तरफ हवा की तरह फैली हुई है और अब आज्ञा न माननेवालों में काम करती हुई दिखायी देती है। 3 हाँ, एक वक्‍त पर हम सब इन्हीं लोगों के बीच रहते थे और अपने शरीर की ख्वाहिशों के मुताबिक चलते थे। हम वही करते थे जो हमारा शरीर चाहता था और सोचता था। और हम पैदाइश से उन बाकियों की तरह थे जिन पर परमेश्‍वर का क्रोध है।* 4 मगर परमेश्‍वर ने, जो दया का धनी है, उस बड़े प्यार की वजह से जो उसने हमसे किया, 5 हमें ज़िंदा किया और मसीह के साथ एक किया, जब हम अपने गुनाहों की वजह से मरे हुओं जैसे थे, (तुमने महा-कृपा की वजह से ही उद्धार पाया है) 6 उसी परमेश्‍वर ने हमें मसीह यीशु के साथ एकता में जी उठाया है और हमें उसके साथ स्वर्गीय स्थानों में बिठाया है 7 ताकि आनेवाले ज़मानों* में परमेश्‍वर अपनी महा-कृपा की बेशुमार दौलत हम पर ज़ाहिर कर सके जो उसने बड़ी उदारता दिखाते हुए हम पर की है, जो मसीह यीशु के साथ एकता में हैं।

8 वाकई, तुम्हारा उद्धार इसी महा-कृपा की वजह से, विश्‍वास के ज़रिए किया गया है। और यह इंतज़ाम तुम्हारी अपनी वजह से नहीं है, बल्कि यह परमेश्‍वर का तोहफा है। 9 नहीं! यह उद्धार तुम्हारे कामों की वजह से नहीं है, जिससे किसी भी इंसान के पास शेखी मारने की कोई वजह न हो। 10 इसलिए कि हम उसी के हाथों की कारीगरी हैं और हमें मसीह यीशु के साथ एकता में उन अच्छे कामों के लिए सिरजा गया था, ताकि हम वे अच्छे काम करें* जिन्हें परमेश्‍वर ने पहले से हमारे लिए तय कर दिया है।

11 इसलिए यह हमेशा याद रखो कि एक वक्‍त तुम पैदाइश के हिसाब से दूसरी जातियों के लोग थे। और जिनका शरीर में हाथ से खतना हुआ है, वे तुम्हें बिना खतनेवाले लोग कहते थे। 12 यह भी याद रखो कि उस वक्‍त तुम मसीह के बिना, इस्राएल राष्ट्र से अलग थे और अजनबी होने की वजह से तुम्हारा वादे के करारों में कोई हिस्सा न था और तुम्हारे पास कोई आशा न थी और तुम इस दुनिया में बिना परमेश्‍वर के थे। 13 मगर अब तुम्हें, जो एक वक्‍त परमेश्‍वर से बहुत दूर थे, मसीह के लहू के ज़रिए मसीह यीशु के साथ एकता में परमेश्‍वर के पास लाया गया है। 14 इसलिए कि मसीह हमारे लिए शांति लाया है। उसी ने दो पक्षों को एक किया और उस दीवार को ढा दिया है जो इन दोनों के बीच एक बाड़े की तरह थी और इन्हें अलग किए हुए थी। 15 उसने अपना शरीर बलिदान कर इस दुश्‍मनी की वजह को रद्द कर दिया, और वह वजह थी, मूसा का कानून जिसमें कई आज्ञाएँ थीं, ताकि वह दो किस्म के लोगों को अपने साथ एकता में लाकर एक नया इंसान बनाए और इनके बीच शांति कायम कर सके 16 और वह इन दोनों किस्म के लोगों को एक शरीर बनाकर यातना की सूली* के ज़रिए परमेश्‍वर के साथ इनकी पूरी तरह सुलह करा सके, क्योंकि उसने खुद अपने ज़रिए इस दुश्‍मनी को खत्म कर दिया। 17 और वह आया और उसने तुम्हें, जो दूर थे और उन्हें भी जो पास थे शांति की खुशखबरी सुनायी 18 क्योंकि उसी के ज़रिए हम दोनों किस्म के लोग, एक ही पवित्र शक्‍ति के ज़रिए पिता के पास पहुँच हासिल करते हैं।

19 इसलिए, बेशक अब तुम अजनबी और परदेसी नहीं रहे, मगर पवित्र जनों के साथ संगी नागरिक हो और परमेश्‍वर के घराने के सदस्य हो। 20 तुम्हें प्रेषितों और भविष्यवक्‍ताओं की नींव पर खड़ा किया गया है, जिसका नींव का कोने का पत्थर खुद मसीह यीशु है। 21 यह पूरी इमारत जो मसीह के साथ एकता में है और जिसके सारे हिस्से एक-दूसरे के साथ पूरे तालमेल से जुड़े हुए हैं, बढ़ती जा रही है ताकि यहोवा* के लिए एक पवित्र मंदिर बने। 22 उसी के साथ एकता में, तुम्हारा एक-साथ निर्माण किया जा रहा है ताकि तुम परमेश्‍वर के लिए एक निवास-स्थान बन सको जहाँ वह अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए रहे।

3 इस वजह से, मैं पौलुस जो मसीह यीशु की खातिर तुम लोगों के लिए कैद में हूँ, तुम जो दूसरी जातियों के हो, तुम्हारे लिए . . . 2 तुमने ज़रूर सुना होगा कि तुम्हारे फायदे के लिए मुझे परमेश्‍वर की महा-कृपा के प्रबंधक होने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी थी, 3 और यह भी कि मुझ पर पवित्र रहस्य प्रकट किया गया था, जैसा कि मैं पहले चंद शब्दों में लिख चुका हूँ। 4 इस बात को ध्यान में रखते हुए, जब तुम यह पढ़ोगे तो जान सकोगे कि मसीह के बारे में पवित्र रहस्य की मैं कैसी समझ रखता हूँ। 5 पिछली पीढ़ियों के लोगों पर यह रहस्य उस हद तक प्रकट नहीं किया गया जैसे आज पवित्र शक्‍ति से उसके पवित्र प्रेषितों और भविष्यवक्‍ताओं पर प्रकट किया गया है। 6 यानी, यह कि खुशखबरी के ज़रिए मसीह यीशु में दूसरी जातियों के लोग हमारे संगी वारिस हों और एक ही शरीर के अंग हों और परमेश्‍वर के वादे में हमारे साथ साझेदार हों। 7 मैं परमेश्‍वर की महा-कृपा की वजह से इसी पवित्र रहस्य का सेवक बना हूँ। उसने मुझे यह मुफ्त वरदान अपनी ताकत के सबूत के तौर पर दिया है।

8 मुझ जैसे आदमी को, जो सभी पवित्र जनों में सबसे छोटे से भी छोटा है, यह महा-कृपा दी गयी कि मैं दूसरी जातियों को मसीह के बारे में उस बेशुमार दौलत की खुशखबरी सुनाऊँ जिसका अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता, 9 और लोगों को यह दिखा सकूँ कि पवित्र रहस्य कैसे अमल में लाया गया है, जिसे सब चीज़ों के सिरजनहार, परमेश्‍वर ने लंबे अरसे से छिपा रखा है। 10 ऐसा इसलिए किया गया ताकि मंडली के ज़रिए स्वर्गीय स्थानों की सरकारों और अधिकारियों को परमेश्‍वर की बुद्धि के अलग-अलग अनगिनत पहलू बताए जा सकें, 11 यह युग-युग से चले आ रहे उस मकसद के मुताबिक है, जो उसने मसीह, हमारे प्रभु यीशु के मामले में तय किया है। 12 मसीह के ज़रिए ही हमें इस तरह बेझिझक बोलने की हिम्मत मिली है और उस पर हमारे विश्‍वास के ज़रिए पूरे भरोसे के साथ परमेश्‍वर के सामने पहुँच हासिल हुई है। 13 इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ कि मेरी इन दुःख-तकलीफों की वजह से, जो मैं तुम्हारी खातिर सह रहा हूँ, तुम हिम्मत न हारना क्योंकि इनका मतलब तुम्हारी महिमा है।

14 . . . इस वजह से मैं उस पिता के सामने घुटने टेककर तुम्हारे लिए प्रार्थना करता हूँ, 15 जिसकी बदौलत स्वर्ग में और धरती पर हर परिवार का नाम वजूद में आया है,* 16 कि वह जिसके पास अपार महिमा है अपनी पवित्र शक्‍ति* से तुम्हें वह ताकत दे जिससे तुम्हारे अंदर का इंसान शक्‍तिशाली होता जाए, 17 और मसीह तुम्हारे विश्‍वास के ज़रिए तुम्हारे प्यार-भरे दिलों में निवास करे। और परमेश्‍वर तुम्हें यह आशीष भी दे कि तुम मज़बूती से जड़ पकड़कर उस नींव पर कायम हो जाओ। 18 ताकि तुम सभी पवित्र जनों के साथ अच्छी तरह समझ सको कि सच्चाई की चौड़ाई, लंबाई, ऊँचाई और गहराई क्या है, 19 और मसीह के प्यार को भी जान सको जो ज्ञान से कहीं बढ़कर है, ताकि परमेश्‍वर के गुण अपनी पूरी हद तक तुम में पाए जाएँ।

20 अब उस परमेश्‍वर को, जिसकी ताकत हमारे अंदर काम कर रही है और जितना हम माँग सकते हैं या जहाँ तक हम सोच सकते हैं, उससे कहीं बढ़कर जो हमारे लिए कर सकता है, 21 उसे मंडली के ज़रिए और मसीह यीशु के ज़रिए पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमेशा-हमेशा तक महिमा मिलती रहे। आमीन।

4 इसलिए, मैं जो प्रभु का चेला होने के नाते कैदी हूँ, तुमसे गुज़ारिश करता हूँ कि तुम्हारा चालचलन उस बुलावे के योग्य हो जो तुम्हें दिया गया है। 2 और मन की पूरी दीनता, कोमलता और सहनशीलता के साथ प्यार से एक-दूसरे की सहते रहो, 3 शांति के एक करनेवाले बंधन में बंधे हुए उस एकता में रहने की जी-जान से कोशिश करते रहो जो पवित्र शक्‍ति की तरफ से मिलती है। 4 एक ही शरीर है और परमेश्‍वर की भी एक ही पवित्र शक्‍ति* है, ठीक जैसे वह आशा भी एक ही है जिसके लिए तुम बुलाए गए थे। 5 एक ही प्रभु है, एक ही विश्‍वास, एक ही बपतिस्मा। 6 और सबका एक ही परमेश्‍वर और पिता है, जो सबके ऊपर है और सबके ज़रिए और सब में काम करता है।

7 मसीह ने हरेक को जिस नाप से मुफ्त वरदान दिया है, उसी के मुताबिक हममें से हरेक को महा-कृपा दी गयी है। 8 इसलिए वह कहता है:* “जब वह ऊँचे पर चढ़ा तो बंदियों को बाँध ले गया। उसने आदमियों के रूप में तोहफे दिए।” 9 “वह चढ़ा,” इस बात का क्या मतलब है? यही कि वह निचले इलाकों यानी धरती पर उतरा भी था। 10 वह जो उतरा, वही है जो सारे स्वर्गों से कहीं ऊपर चढ़ा ताकि वह सब बातों को अंजाम तक लाए।

11 और उसने कुछ को प्रेषित, कुछ को भविष्यवक्‍ता, कुछ को प्रचारक, कुछ को चरवाहे और शिक्षक ठहराया, 12 ताकि पवित्र जनों का सुधार हो और वे सेवा का काम करें और मसीह का शरीर तब तक तरक्की करता जाए* 13 जब तक कि हम सब विश्‍वास में और परमेश्‍वर के बेटे के बारे में सही ज्ञान में एकता हासिल न कर लें और एक पूरी तरह से विकसित आदमी की तरह मसीह की पूरी कद-काठी हासिल न कर लें, 14 ताकि हम अब से बच्चे न रहें जो झूठी बातों की लहरों से यहाँ-वहाँ उछाले जाते और शिक्षाओं के हर झोंके से इधर-उधर उड़ाए जाते हैं, क्योंकि वे ऐसे इंसानों की बातों में आ जाते हैं जो फरेब और चालाकी से बातें गढ़कर उन्हें झूठ की तरफ बहका लेते हैं। 15 मगर प्यार के साथ सच बोलते हुए आओ हम, सब बातों में मसीह के अधीन बढ़ते जाएँ जो हमारा सिर* है। 16 उसी से शरीर के सारे अंग, ज़रूरी काम करनेवाले हरेक जोड़ के ज़रिए आपस में पूरे तालमेल से जुड़े हुए हैं और एक-दूसरे को सहयोग देते हैं और शरीर के ये अलग-अलग अंग अपना-अपना काम पूरा करते हैं। इसीलिए सारा शरीर बढ़ता जाता है और प्यार में अपना निर्माण करता है।

17 इस वजह से मैं प्रभु के सामने तुमसे यह कहता हूँ और तुम्हें सीख देकर उकसाता हूँ कि तुम अब से दुनिया के लोगों की तरह न बनो जो अपने मन के खोखले विचारों के मुताबिक चलते हैं। 18 उनके जान-बूझकर अनजान बने रहने और उनके दिलों की कठोरता की वजह से, वे दिमागी तौर पर अंधकार में हैं और उस ज़िंदगी से दूर हैं जो परमेश्‍वर देता है। 19 वे शर्म-हया की सारी हदें पार कर चुके हैं* इसलिए उन्होंने खुद को बदचलनी के हवाले कर दिया है ताकि हर तरह का घिनौना काम करें और उसकी और लालसा करें।

20 मगर, तुमने मसीह के बारे में ऐसी शिक्षा नहीं पायी। 21 बशर्ते, जब तुम्हें वह सच्चाई सिखायी गयी जो यीशु ने सिखायी, तब तुमने उसकी सुनी हो और उससे सीखा हो 22 कि तुम्हें उस पुरानी शख्सियत को उतार देना चाहिए जो तुम्हारे पिछले चालचलन के मुताबिक है और जो उसकी गुमराह करनेवाली ख्वाहिशों के मुताबिक भ्रष्ट होती जा रही है। 23 इसके बजाय, तुम्हें अपने मन को प्रेरित करनेवाली शक्‍ति को नया बनाते जाना चाहिए, 24 और नयी शख्सियत को पहन लेना चाहिए, जो परमेश्‍वर की मरज़ी के मुताबिक रची गयी है और परमेश्‍वर की नज़र में सच्चाई, नेकी और वफादारी की माँगों के मुताबिक है।

25 इसलिए, जब तुमने झूठ को अपने से दूर किया है, तो तुममें से हरेक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम एक ही शरीर के अलग-अलग अंग हैं। 26 अगर तुम्हें क्रोध आए, तो भी पाप मत करो। सूरज ढलने तक तुम्हारा गुस्सा बना न रहे, 27 न ही शैतान* को मौका दो। 28 जो चोरी करता है वह अब से चोरी न करे। इसके बजाय, कड़ी मेहनत करे और अपने हाथों से ईमानदारी का काम करे, ताकि किसी ज़रूरतमंद को देने के लिए उसके पास कुछ हो। 29 कोई गंदी बात* तुम्हारे मुँह से न निकले, मगर सिर्फ ऐसी बात निकले जो ज़रूरत के हिसाब से हिम्मत बँधाने* के लिए अच्छी हो, ताकि उससे सुननेवालों को फायदा पहुँचे। 30 और परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति को दुःखी न करो, जिससे तुम पर उस दिन के लिए मुहर लगायी गयी है, जब फिरौती के ज़रिए तुम छुड़ाए जाओगे।

31 हर तरह की जलन-कुढ़न, गुस्सा, क्रोध, चीखना-चिल्लाना और गाली-गलौज, साथ ही हर तरह की बुराई को खुद से दूर करो। 32 इसके बजाय, एक-दूसरे के साथ कृपा से पेश आओ और कोमल-करुणा दिखाते हुए एक-दूसरे को दिल से माफ करो, ठीक जैसे परमेश्‍वर ने भी मसीह के ज़रिए तुम्हें दिल से माफ किया है।

5 इसलिए, परमेश्‍वर के प्यारे बच्चों की तरह उसकी मिसाल पर चलो, 2 और प्यार की राह पर चलते रहो, ठीक जैसे मसीह ने भी तुमसे प्यार किया और तुम्हारी खातिर परमेश्‍वर के सामने सुगंध देनेवाली भेंट और बलिदान के तौर पर खुद को सौंप दिया।

3 जैसा पवित्र लोगों को शोभा देता है, तुम्हारे बीच व्यभिचार और किसी भी तरह की अशुद्धता या लालच का ज़िक्र तक न हो, 4 न तुम्हारे बीच शर्मनाक बर्ताव, न बेवकूफी की बातें, न ही अश्‍लील मज़ाक हो जो शोभा नहीं देते। इसके बजाय, परमेश्‍वर का धन्यवाद ही सुना जाए। 5 क्योंकि तुम जानते हो और तुम्हें इस बात का पूरा एहसास है कि कोई भी व्यभिचारी या अशुद्ध काम करनेवाला या लालची, जो मूरतों को पूजनेवाले के बराबर है, मसीह के और परमेश्‍वर के राज में कोई विरासत नहीं पाएगा।

6 कोई भी इंसान तुम्हें खोखली बातों से धोखा न दे, क्योंकि इन्हीं बुराइयों की वजह से परमेश्‍वर का क्रोध आज्ञा न माननेवालों पर आ रहा है। 7 इसलिए उनके साथ साझेदार न बनो। 8 इसलिए कि तुम एक वक्‍त अंधकार में थे, मगर अब तुम प्रभु के साथ एकता में होने की वजह से रौशनी में हो। रौशनी की संतानों के नाते चलते रहो, 9 क्योंकि रौशनी का नतीजा हर तरह की भलाई, नेकी और सच्चाई है। 10 जाँच कर पक्का करते रहो कि प्रभु को क्या भाता है, 11 और उनके साथ अंधकार के निकम्मे कामों में हिस्सा लेना छोड़ दो। इसके बजाय उनकी निंदा करते रहो, 12 क्योंकि वे गुप्त में जो काम करते हैं, उनके बारे में बताना भी शर्मनाक है। 13 जितनी भी बातों का पर्दाफाश किया जाता है, वे रौशनी से ज़ाहिर की जाती हैं, क्योंकि हर वह बात जो ज़ाहिर की जा रही है, वह रौशनी है। 14 इसलिए वह कहता है: “अरे सोनेवाले, जाग और मरे हुओं में से* जी उठ, तब तू मसीह की तरफ से ज्ञान की रौशनी पाएगा।”

15 इसलिए खुद पर कड़ी नज़र रखो कि तुम्हारा चालचलन कैसा है, मूर्खों की तरह नहीं बल्कि बुद्धिमानों की तरह चलो। 16 तय वक्‍त का पूरा-पूरा इस्तेमाल करो* जिससे तुम्हें फायदा हो, क्योंकि दिन बुरे हैं। 17 इस वजह से अड़ियल मत बनो, बल्कि यह समझो और मालूम करते रहो कि यहोवा की मरज़ी क्या है। 18 साथ ही, दाख-मदिरा पीकर धुत्त न हो, जो बदचलनी की तरफ ले जाता है, मगर पवित्र शक्‍ति से भरपूर होते जाओ। 19 आपस में भजन गाते और परमेश्‍वर का गुणगान करते और उसकी उपासना के गीत गाते रहो, और अपने दिलों में संगीत के साथ यहोवा के लिए गीत गाते रहो, 20 और हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से हमेशा सब बातों के लिए हमारे परमेश्‍वर और पिता का धन्यवाद करते रहो।

21 मसीह का भय मानते हुए एक-दूसरे के अधीन रहो। 22 पत्नियाँ अपने-अपने पति के ऐसे अधीन रहें जैसे प्रभु के, 23 क्योंकि पति अपनी पत्नी का सिर है, ठीक जैसे मसीह भी अपने शरीर यानी मंडली का सिर है और उसका उद्धारकर्त्ता है। 24 ठीक जैसे मंडली मसीह के अधीन है, वैसे ही पत्नियाँ भी हर बात में अपने-अपने पति के अधीन रहें। 25 हे पतियो, अपनी-अपनी पत्नी से प्यार करते रहो, ठीक जैसे मसीह ने भी मंडली से प्यार किया और अपने आपको उसकी खातिर दे दिया, 26 ताकि वह पानी-रूपी वचन के स्नान से स्वच्छ कर उसे पवित्र बनाए। 27 और मंडली को इसके पूरे वैभव के साथ अपने सामने पेश करे जिसमें न कोई दाग हो, न झुर्री हो, न ही ऐसी कोई और खामी हो, बल्कि यह पवित्र और बेदाग हो।

28 इसी तरह पतियों को चाहिए कि वे अपनी-अपनी पत्नी से ऐसे प्यार करते रहें जैसे अपने शरीर से। जो अपनी पत्नी से प्यार करता है, वह खुद से प्यार करता है। 29 इसलिए कि कोई भी इंसान अपने शरीर से कभी नफरत नहीं करता, बल्कि वह उसे खिलाता-पिलाता है और उसे अनमोल समझकर बड़े प्यार से उसकी देखभाल करता है, ठीक जैसे मसीह भी मंडली के साथ करता है, 30 क्योंकि हम उसके शरीर के अंग हैं। 31 “इस वजह से पुरुष अपने पिता और अपनी माँ को छोड़ देगा और अपनी पत्नी से जुड़ा रहेगा, और वे दोनों एक तन होंगे।” 32 यह पवित्र रहस्य महान है। मैं मसीह और मंडली के बारे में बात कर रहा हूँ। 33 साथ ही, तुम में से हरेक अपनी पत्नी से वैसा ही प्यार करे जैसा वह अपने आप से करता है। और पत्नी भी अपने पति का गहरा आदर करे।

6 बच्चो, प्रभु में अपने माता-पिता का कहना माननेवाले बनो, क्योंकि यह परमेश्‍वर की नज़र में सही है: 2 “अपने पिता और अपनी माँ का आदर कर।” यह पहली आज्ञा है जिसके साथ यह वादा भी किया गया है: 3 “कि तेरे साथ भला हो और तू धरती पर बहुत दिनों तक ज़िंदा रहे।” 4 और हे पिताओ, अपने बच्चों को चिढ़ मत दिलाओ, बल्कि उन्हें यहोवा की तरफ से आनेवाला अनुशासन देते हुए और उसी की सोच के मुताबिक उनके मन को ढालते हुए उनकी परवरिश करो।

5 हे दासो, जो दुनिया में तुम्हारे मालिक हैं, उनसे डरते और थरथराते हुए दिल की सीधाई के साथ उनकी आज्ञा मानो, जैसे तुम मसीह की मानते हो। 6 इंसानों को खुश करनेवालों की तरह दिखावे के लिए नहीं, बल्कि मसीह के दासों की तरह तन-मन से परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करो। 7 अच्छी भावना के साथ काम करनेवाले दास बनो, मानो तुम यह सेवा यहोवा के लिए करते हो, न कि इंसानों के लिए, 8 क्योंकि तुम जानते हो कि हर कोई, चाहे दास हो या आज़ाद, जो अच्छा काम करेगा, वह यहोवा से इसका इनाम पाएगा। 9 साथ ही तुम जो मालिक हो, तुम भी उनके साथ ऐसा ही बर्ताव करो और उन्हें धमकाना छोड़ो, क्योंकि तुम जानते हो कि तुम दोनों का मालिक स्वर्ग में है और वह पक्षपात नहीं करता।

10 आखिर में, मैं तुम्हें उकसाता हूँ कि प्रभु में और उसकी महा-शक्‍ति में ताकत हासिल करते जाओ। 11 परमेश्‍वर के दिए सारे हथियार बाँध लो ताकि तुम शैतान के दाँव-पेंचों* के खिलाफ डटे रह सको। 12 इसलिए कि हमारी कुश्‍ती हाड़-माँस* के इंसानों से नहीं, बल्कि सरकारों, अधिकारियों, दुनिया के अंधकार के शासकों और उन शक्‍तिशाली दुष्ट दूतों से है जो स्वर्गीय स्थानों में हैं। 13 इसलिए परमेश्‍वर के दिए सारे हथियार बाँध लो, ताकि जब बुरा दिन आए, तो तुम सामना कर सको और जो करना चाहिए वह सब अच्छी तरह करने के बाद, डटे रह सको।

14 इसलिए, सच्चाई से अपनी कमर कसकर और नेकी का कवच पहनकर डटे रहो। 15 साथ ही, पैरों में शांति की खुशखबरी सुनाने की तैयारी के जूते पहनकर डटे रहो। 16 सबसे बढ़कर, विश्‍वास की बड़ी ढाल उठा लो, जिससे तुम उस दुष्ट के सभी जलते हुए तीरों को बुझा सकोगे। 17 और उद्धार का टोप और पवित्र शक्‍ति की तलवार, यानी परमेश्‍वर का वचन ले लो। 18 साथ ही, हर मौके पर पवित्र शक्‍ति के ज़रिए हर तरह की प्रार्थना और मिन्‍नतें करते रहो। और यह करने के लिए पूरी लगन के साथ जागते रहो और सभी पवित्र जनों की खातिर मिन्‍नतें करते रहो। 19 मेरे लिए भी करो ताकि मुझे बोलने की ऐसी काबिलीयत दी जाए कि मैं हिम्मत के साथ बेझिझक होकर बोल सकूँ और खुशखबरी का पवित्र रहस्य सुना सकूँ 20 जिसके लिए मैं ज़ंजीरों में जकड़ा हुआ राजदूत हूँ। मेरे लिए प्रार्थना करो ताकि जैसा मुझे बोलना चाहिए वैसा ही बोल सकूँ।

21 हमारा प्यारा भाई और प्रभु में विश्‍वासयोग्य सेवक तुखिकुस तुम्हें मेरे बारे में सारी बात बता देगा ताकि तुम मेरा हाल-चाल जान सको और यह भी कि मैं क्या कर रहा हूँ। 22 मैं इसी मकसद से उसे तुम्हारे पास भेज रहा हूँ कि तुम हमारे बारे में जान सको और वह तुम्हारे दिलों को दिलासा दे सके।

23 हमारे परमेश्‍वर और पिता और प्रभु यीशु मसीह की तरफ से भाइयों को विश्‍वास के साथ शांति और प्यार मिले। 24 उन सभी पर महा-कृपा होती रहे, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह से ऐसा प्यार रखते हैं जो कभी मिटता नहीं।

इफि 1:1 या, “भेजा गया।” यूनानी में “अपोस्टोलोस।”

इफि 1:14 शाब्दिक, “अपनी संपत्ति।”

इफि 1:21 या, “दुनिया की व्यवस्था।”

इफि 1:22 मत्ती 16:18 दूसरा फुटनोट देखें।

इफि 2:3 शाब्दिक, “हम क्रोध की संतान थे।”

इफि 2:7 शाब्दिक, “दुनिया की व्यवस्थाओं।”

इफि 2:10 शाब्दिक, “हम अच्छे कामों में चलें।”

इफि 2:16 अतिरिक्‍त लेख 6 देखें।

इफि 2:21 यह उन 237 जगहों में से एक जगह है, जहाँ परमेश्‍वर का नाम, ‘यहोवा’ इस अनुवाद के मुख्य पाठ में पाया जाता है। अतिरिक्‍त लेख 2 देखें।

इफि 3:15 या, “हर परिवार को नाम मिला है।”

इफि 3:16 यूनानी नफ्मा। अतिरिक्‍त लेख 7 देखें।

इफि 4:4 यूनानी नफ्मा। अतिरिक्‍त लेख 7 देखें।

इफि 4:8 या, “वे कहते हैं,” यानी शास्त्र।

इफि 4:12 शाब्दिक, “निर्माण करे।”

इफि 4:15 यानी, “मुखिया।”

इफि 4:19 शाब्दिक, “उनका एहसास मिट चुका है।”

इफि 4:27 यूनानी में “दियाबोलोस,” जिसका मतलब है “निंदा करनेवाला।”

इफि 4:29 शाब्दिक, “सड़न से भरी।”

इफि 4:29 शाब्दिक, “निर्माण।”

इफि 5:14 यानी, मुरदा हालत में से।

इफि 5:16 शाब्दिक, “वक्‍त को खरीद लो।”

इफि 6:11 या, “धूर्त चालों।”

इफि 6:12 शाब्दिक, “लहू और माँस।”

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