1 परमेश्वर का नाम (יהוה), यूनानी शास्त्र में भी क्यों होना चाहिए
(इस बात का समर्थन करनेवाली हस्तलिपियों के बारह हिस्से)
यह वाकई हैरत की बात है कि बाइबल का जो भाग यूनानी भाषा में लिखा गया था, उसकी मौजूदा हस्तलिपियों में परमेश्वर का नाम नहीं पाया जाता। इसके अलावा, आज के नए-पुराने अनुवादों में भी परमेश्वर का नाम नहीं पाया जाता। प्राचीन इब्रानी शास्त्र में (उत्पत्ति से मलाकी तक) परमेश्वर का नाम करीब 7,000 बार आता है। इब्रानी भाषा में यह नाम इन चार अक्षरों से लिखा जाता है, יהוה और आम तौर पर इसे अँग्रेज़ी में टेट्राग्रामटन कहा जाता है। हिंदी में इसे इन चार अक्षरों से लिखा जाता है, य-ह-व-ह (या, ज-ह-व-ह)। इस नाम का सही-सही उच्चारण आज कोई नहीं जानता, मगर इसका सबसे जाना-माना अनुवाद है “यहोवा।” इस नाम का छोटा रूप है “याह” और बाइबल के यूनानी शास्त्र में ऐसे कई नाम हैं जिनमें “याह” शब्द जुड़ा है। इसके अलावा, परमेश्वर की स्तुति में बार-बार दोहराए जानेवाले शब्द “हल्लिलूयाह” में भी “याह” शब्द पाया जाता है। “हल्लिलूयाह” का मतलब है “हे लोगो, याह का गुणगान करो!”—प्रकाशितवाक्य 19:1, 3, 4, 6.
परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा गया यूनानी शास्त्र, इब्रानी शास्त्र का पूरक है और इन दोनों को मिलाकर पूरी बाइबल बनती है। इसलिए जब इब्रानी शास्त्र में परमेश्वर का नाम हज़ारों बार आता है, तो यूनानी शास्त्र से इस नाम का अचानक गायब हो जाना, बिलकुल सही नहीं लगता। खास तौर पर इसलिए भी, क्योंकि पहली सदी में चेले याकूब ने यीशु के प्रेषितों और दूसरे चेलों से कहा था: “पतरस ने पूरा ब्यौरा देकर बताया है कि परमेश्वर ने कैसे पहली बार गैर-यहूदी राष्ट्रों की तरफ ध्यान दिया कि उनके बीच से वे लोग चुन ले जो परमेश्वर के नाम से पहचाने जाएँ।” (प्रेषितों 15:14) फिर अपनी इस बात को और पुख्ता करने के लिए, याकूब ने आमोस 9:11, 12 से हवाला दिया जिसमें परमेश्वर का नाम दिया गया है। अगर मसीहियों की पहचान परमेश्वर के नाम से होनी है, तो इब्रानी भाषा के जिन चार अक्षरों से उसका नाम लिखा जाता है, उन्हें बाइबल के यूनानी भाग से क्यों निकाला गया? आम तौर पर इसके लिए जो सफाई दी जाती थी, वह आज मायने नहीं रखती। एक अरसे से माना जाता था कि सेप्टुआजेंट अनुवाद में परमेश्वर का नाम मौजूद नहीं है, इसलिए आज की मौजूदा हस्तलिपियों में भी यह नाम नहीं पाया जाता। बाइबल के इब्रानी शास्त्र का पहली बार यूनानी में जो अनुवाद हुआ था, उसे ही सेप्टुआजेंट अनुवाद कहा जाता है। इस अनुवाद का काम ई.स.पू. तीसरी सदी में शुरू किया गया था। कहा जाता था कि इस अनुवाद में परमेश्वर का नाम नहीं था और इसीलिए मौजूदा हस्तलिपियों में भी यह नाम नहीं लिखा गया। यह बात इसलिए मानी जाती थी, क्योंकि सेप्टुआजेंट अनुवाद की चौथी और पाँचवी सदी की अहम हस्तलिपियों की नकलों में यह नाम नहीं है। ये लिपियाँ हैं: वैटिकन हस्तलिपि 1209, कोडेक्स साइनाइटिकस और कोडेक्स एलेक्ज़ैंड्रिनस। इन लिपियों में परमेश्वर के बेजोड़ नाम के बदले यूनानी शब्द किरियॉस (प्रभु) और थियॉस (परमेश्वर) लिखा गया है। उस वक्त के विद्वानों का मानना था कि परमेश्वर को इस तरह बेनाम रखने से यह शिक्षा देना आसान होगा कि सारे जहान का बनानेवाला परमेश्वर एक है।
मगर यह धारणा पूरी तरह गलत साबित हो चुकी है कि सेप्टुआजेंट अनुवाद में परमेश्वर का नाम नहीं था। खोजकर्ताओं को सेप्टुआजेंट अनुवाद की एक ऐसी पांडुलिपि मिली है जिसमें व्यवस्थाविवरण किताब का पिछला आधा हिस्सा है। इस पांडुलिपि के हिस्सों में से एक भी ऐसा नहीं है जिसमें परमेश्वर के नाम की जगह पर किरियॉस (प्रभु) और थियॉस (परमेश्वर) लिखा गया हो। इसके बजाय, जहाँ-जहाँ परमेश्वर का नाम आता है वहाँ-वहाँ इब्रानी भाषा में उसके नाम के चार अक्षर लिखे गए हैं।
सन् 1944 में इस पांडुलिपि का एक हिस्सा लोगों के सामने लाया गया। डब्ल्यू. जी. वाड्डल ने धार्मिक अध्ययनों की पत्रिका (अँग्रेज़ी, भाग 45, पेज 158-161) में इसे छापा। फिर, सन् 1948 में वॉच टावर बाइबल एंड ट्रैक्ट सोसाइटी के गिलियड स्कूल से ट्रेनिंग पाए दो मिशनरियों ने इस पांडुलिपि के 18 हिस्सों की तसवीरें हासिल कीं और साथ ही इन्हें छापने की इजाज़त भी ले ली। फिर, इनमें से 12 हिस्सों की तसवीरें, 1950 में निकाली गयी न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन ऑफ द क्रिस्चियन ग्रीक स्क्रिप्चर्स् के पेज 13, 14 पर छापी गयीं।
इस पांडुलिपि पर जर्मनी के एक विद्वान पौल काल्हे ने 1959 में स्तुदिया इवैन्जलिका नाम की किताब में अपनी राय दी और इस किताब का संपादन कर्ट आलान्ड, एफ.एल. क्रॉस, ज्हाँ दानिएलू, हाराल्ड रीसनफेल्ड और डब्ल्यू.सी. वॉन यूनिक ने किया। बर्लिन में छपी इस किताब के पेज 614 पर काल्हे ने लिखा: “इसी पांडुलिपि की एक तसवीर से इसके और भी हिस्सों की नकल तैयार की गयी। यह तसवीर, वॉच टावर बाइबल एंड ट्रैक्ट सोसाइटी के नए नियम के अँग्रेज़ी अनुवाद के परिचय में छापी गयी थी। सन् 1950 में न्यू यॉर्क शहर के ब्रुकलिन इलाके में यह अनुवाद निकाला गया था। इस पांडुलिपि की एक खासियत यह है कि इसमें परमेश्वर का नाम इब्रानी भाषा के चार चौकोर अक्षरों से लिखा गया है। इस पांडुलिपि के जो हिस्से प्रकाशित किए गए, मेरी गुज़ारिश पर पातेर वाक्कारी ने उनकी जाँच की और वे इस नतीजे पर पहुँचे कि यह पांडुलिपि, ज़रूर कोडेक्स बी से करीब 400 साल पहले लिखी गयी थी और इसमें व्यवस्थाविवरण किताब का जो सेप्टुआजेंट पाठ है, वह शायद अब तक हमें मिली सभी हस्तलिपियों से उम्दा है।”
सेप्टुआजेंट की इस पांडुलिपि (P. Fouad Inv. 266) के 117 हिस्से एत्युदिस दे पपिरॉलॉजी, भाग 9, काइरो, 1971, पेज 81-150, 227, 228 पर छापे गए थे। इस पांडुलिपि के सभी हिस्सों की तसवीरें ज़ाकी अली और लुदविग कोनन ने प्रकाशित कीं। ये तसवीरें सन् 1980 में जर्मनी के बॉन शहर सेa निकाली जा रही पत्रिका, “पैपिरॉलॉजिस्क टैक्स्ट उंड अबहांडलुंगन” भाग 27 में इस शीर्षक के नीचे छापी गयीं, शुरू के सेप्टुआजेंट के तीन खर्रे: उत्पत्ति और व्यवस्थाविवरण।
इस पांडुलिपि के 12 हिस्सों की इन तसवीरों से हमारे पाठक इस बात की जाँच कर सकते हैं कि सेप्टुआजेंट की इस बहुत ही प्राचीन नकल में परमेश्वर के नाम के चार इब्रानी अक्षर कहाँ-कहाँ आते हैं। यह पांडुलिपि कितनी पुरानी है? विद्वानों के मुताबिक यह पांडुलिपि ई.पू. पहली सदी में तैयार की गयी थी, यानी सेप्टुआजेंट अनुवाद के शुरू होने के करीब दो सौ साल बाद। इससे साबित होता है कि बाइबल के मूल इब्रानी शास्त्र में जहाँ-जहाँ परमेश्वर का नाम था, वहाँ-वहाँ सेप्टुआजेंट अनुवाद में भी यह नाम था। इसके अलावा यूनानी भाषा की नौ और हस्तलिपियों में भी परमेश्वर का नाम दिया गया है।—NW, रेफ्रेंस बाइबल, पेज 1562-1564 देखें।
क्या यीशु मसीह के पास और उसके जिन चेलों ने बाइबल का यूनानी शास्त्र लिखा, उनके पास यूनानी सेप्टुआजेंट की वे नकलें थीं जिनमें परमेश्वर का नाम इब्रानी भाषा के चार अक्षरों से लिखा गया था? हाँ थीं! सेप्टुआजेंट की नकलों में परमेश्वर के नाम के चार इब्रानी अक्षर, मसीह और उसके प्रेषितों के ज़माने के बाद भी सदियों तक कायम रहे। दूसरी सदी के पहले पचास सालों में जब अक्विला नाम के अनुवादक ने यूनानी भाषा में एक और अनुवाद तैयार किया, तो इसमें भी प्राचीन इब्रानी भाषा के अक्षरों से परमेश्वर का नाम लिखा गया था।
चौथी और पाँचवी सदी के अनुवादक, जेरोम ने बाइबल की शमूएल और राजाओं की किताबों का जो अनुवाद किया, उसके परिचय में उसने लिखा: “हम आज के दिन तक, कुछ यूनानी हस्तलिपियों में परमेश्वर के नाम को चार प्राचीन इब्रानी अक्षरों में लिखा हुआ [יהוה] देख सकते हैं।” लैटिन भाषा में वल्गेट नाम का अनुवाद तैयार करने में जेरोम का बड़ा हाथ रहा था। जेरोम के इन शब्दों से हम कह सकते हैं कि उसके ज़माने में भी बाइबल के इब्रानी शास्त्र के यूनानी अनुवादों की वे हस्तलिपियाँ मौजूद थीं जिनमें चार इब्रानी अक्षरों से परमेश्वर का नाम लिखा गया था।
अगर यीशु और उसके चेले बाइबल का इब्रानी शास्त्र, मूल इब्रानी पाठ से पढ़ते या फिर इसके यूनानी अनुवाद सेप्टुआजेंट से पढ़ते, तो अपनी पढ़ाई के दौरान वे कई बार परमेश्वर का नाम चार इब्रानी अक्षरों में लिखा हुआ देखते। क्या यीशु ने परमेश्वर के नाम की जगह अधोनाइ (प्रभु) पढ़ने के यहूदियों के रिवाज़ को माना? उस ज़माने के यहूदी इस बात से डरते थे कि अगर वे परमेश्वर का नाम लेंगे तो वे इसे अपवित्र कर रहे होंगे और इस तरह दस आज्ञाओं में से तीसरी आज्ञा तोड़ने के कसूरवार होंगे। (निर्गमन 20:7) नासरत के सभा-घर में, जब यीशु ने उठकर यशायाह की किताब ली और यशायाह (61:1, 2) की उन आयतों को पढ़ा जहाँ परमेश्वर के नाम के चार इब्रानी अक्षर आते हैं, तब क्या उसने परमेश्वर के नाम का उच्चार नहीं किया? यह मुमकिन नहीं कि यीशु ने उस नाम का उच्चार न किया हो। यीशु ऐसी परंपराएँ नहीं मानता था जो यहूदी धर्मगुरुओं ने बनायी थीं और जो परमेश्वर के वचन के हिसाब से सही नहीं थीं। मत्ती 7:29 कहता है: “यीशु उन्हें उनके शास्त्रियों की तरह नहीं, बल्कि ऐसे इंसान की तरह सिखा रहा था जिसके पास बड़ा अधिकार हो।” और अपने वफादार प्रेषितों के सामने यीशु ने यहोवा परमेश्वर से यह कहते हुए प्रार्थना की: “मैंने तेरा नाम उन लोगों पर ज़ाहिर किया है जिन्हें तू ने दुनिया में से मुझे दिया है। . . . मैंने तेरा नाम उन्हें बताया है और आगे भी बताऊँगा।”—यूहन्ना 17:6, 26.
अब हमारे सामने सवाल यह है: यीशु के चेलों ने जब परमेश्वर की प्रेरणा से बाइबल की किताबें लिखीं, तब क्या उन्होंने इनमें परमेश्वर का नाम लिखा था? यानी, जब बाइबल का यूनानी शास्त्र लिखा गया तब क्या परमेश्वर का नाम उसमें था? हाँ था। ऐसा कहने का हमारे पास आधार है। वह है, मत्ती की खुशखबरी की किताब। चौथी और पाँचवी सदी का इतिहासकार जेरोम यह जानकारी देता है कि मत्ती की किताब पहले यूनानी भाषा में नहीं, बल्कि इब्रानी भाषा में लिखी गयी थी। उसका यह कहना था:
“मत्ती, जो लेवी भी कहलाता है, और जो कर-वसूली का काम करता था, वह एक प्रेषित बन गया। उसने यहूदिया में सबसे पहले इब्रानी भाषा और अक्षरों में मसीह की खुशखबरी लिखी, ताकि इससे उन यहूदियों को फायदा हो जिन्होंने मसीह पर विश्वास किया था। बाद में इस किताब का अनुवाद यूनानी भाषा में किसने किया, यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। और इब्रानी भाषा में लिखी खुशखबरी की किताब आज के दिन तक कैसरिया की लाइब्रेरी में सुरक्षित है, जिसे शहीद पैम्फिलस ने बड़ी मेहनत से इकट्ठा किया था। नासरत के लोगों ने मुझे सीरिया के बीरिया शहर में इस किताब की नकल उतारने की और इसका इस्तेमाल करने की इजाज़त दी थी।”—दी विरिस इनलसट्रिबुस (बेजोड़ आदमियों के बारे में) अध्याय तीन। (लैटिन पाठ का अनुवाद, ई.सी. रिचर्डसन द्वारा संपादित और जर्मन भाषा में श्रंखला लेख में प्रकाशित, “Texte und Untersuchungen zur Geschichte der altchristlichen Literatur,” Vol. 14, Leipzig, 1896, pp. 8, 9.)
मत्ती ने अपनी किताब में, इब्रानी शास्त्र में से सौ से भी ज़्यादा हवाले दिए हैं। इनमें जहाँ-जहाँ यहोवा का नाम आता है, मत्ती ने भी वहाँ इसे पूरी वफादारी के साथ चार इब्रानी अक्षरों में अपनी किताब में लिखा होगा। उन्नीसवीं सदी में एफ. डीलिश ने मत्ती की किताब का इब्रानी भाषा में अनुवाद तैयार किया, जिसमें यहोवा का नाम 18 बार आता है। इससे ज़ाहिर है कि मत्ती की किताब इस अनुवाद से मिलती-जुलती होगी। मत्ती ने सेप्टुआजेंट से हवाले देने के बजाय सीधे इब्रानी शास्त्र से हवाले देने का चुनाव किया। हो सकता है कि वह सेप्टुआजेंट के अनुवादकों के दस्तूर पर चला हो और यूनानी पाठ में जहाँ-जहाँ परमेश्वर का नाम आना चाहिए वहाँ इसे चार इब्रानी अक्षरों में लिखा हो। बाइबल के यूनानी शास्त्र के बाकी सभी लेखकों ने भी इब्रानी शास्त्र से या सेप्टुआजेंट से उन आयतों का हवाला दिया जहाँ परमेश्वर का नाम आता है।
बाइबल के यूनानी शास्त्र में परमेश्वर के नाम के चार इब्रानी अक्षर किस हद तक इस्तेमाल हुए हैं, इस बारे में जॉर्जिया यूनिवर्सिटी के जॉर्ज हॉवर्ड ने बाइबल साहित्य की पत्रिका (अँग्रेज़ी, भाग 96, 1977, पेज 63) में लिखा: “हाल के सालों में मिस्र और जूडिया के वीरान इलाकों में जो हस्तलिपियाँ मिलीं उनसे हम देख सकते हैं कि मसीह से पहले के ज़माने में परमेश्वर का नाम किस हद तक इस्तेमाल किया जाता था। ये खोजें वाकई बहुत अहमियत रखती हैं क्योंकि इनसे हमें नए नियम का और अच्छी तरह अध्ययन करने में मदद मिलेगी। खोज की गयी ये हस्तलिपियाँ, मसीही लेखकों की सबसे पुरानी लिपियों से काफी मेल खाती हैं और इसलिए ये हमें समझा सकती हैं कि नया नियम (बाइबल का यूनानी शास्त्र) लिखनेवालों ने अपनी किताबों में परमेश्वर के नाम का किस हद तक इस्तेमाल किया। आगे के पन्नों पर हम यह धारणा पेश करेंगे कि पुराने नियम से सीधे हवाले देते वक्त या उनका ज़िक्र करते वक्त कैसे नए नियम में परमेश्वर का नाम, יהוה (और शायद इसका छोटा रूप), शुरू में लिखा गया था और कैसे कुछ वक्त के बाद परमेश्वर के नाम के बजाय ज़्यादातर जगहों पर κς [यूनानी शब्द किरियॉस यानी ‘प्रभु’ का छोटा रूप] डाल दिया गया। हमारे हिसाब से परमेश्वर के नाम के इन चार इब्रानी अक्षरों को निकालने से शुरू के गैर-यहूदी मसीहियों के मन में यह उलझन पैदा हो गयी कि ‘प्रभु परमेश्वर’ और ‘प्रभु मसीह’ के बीच क्या नाता है। यही बात नए नियम की हस्तलिपियों में भी देखी जा सकती है जिनमें बदस्तूर परमेश्वर का नाम नहीं लिखा गया है।”
ऊपर जो कहा गया है हम उससे सहमत हैं, सिवा एक बात के। वह यह कि हम इसे महज़ एक “धारणा” नहीं मानते, मगर ऊपर जो बताया गया है वह इतिहास के सच्चे सबूत हैं कि बाइबल की हस्तलिपियाँ हम तक किन हालात में पहुँचीं, और उस गुज़रे हुए वक्त में क्या-क्या हुआ।
a सेप्टुआजेंट की व्यवस्थाविवरण की इस पांडुलिपि (P. Fouad Inv. No. 266) के हिस्सों की तसवीरों के लिए पेज 598-99 देखें। हमने इन 12 हिस्सों को अलग-अलग नंबर दिए हैं। इनमें से कुछ हिस्सों में इब्रानी भाषा में परमेश्वर के नाम के चार अक्षर एक से ज़्यादा बार आते हैं और इन पर घेरा बनाकर निशान लगाया गया है। नं. 1, व्यवस्थाविवरण 31:28 से 32:7, इसमें लाइन नं. 7 और 15 पर इब्रानी भाषा में परमेश्वर के नाम के चार अक्षर आते हैं; नं. 2 (व्यव 31:29, 30) लाइन नं. 6 पर यह नाम है; नं. 3 (व्यव 20:12-14, 17-19) लाइन 3 और 7 पर; नं. 4 (व्यव 31:26) लाइन 1 पर; नं. 5 (व्यव 31:27, 28) लाइन 5 पर; नं. 6 (व्यव 27:1-3) लाइन 5 पर; नं. 7 (व्यव 25:15-17) लाइन 3 पर; नं. 8 (व्यव 24:4) लाइन 5 पर; नं. 9 (व्यव 24:8-10) लाइन 3 पर; नं. 10 (व्यव 26:2, 3) लाइन 1 पर; नं. 11 दो हिस्सों में (व्यव 18:4-6) लाइन 5 और 6 पर; और नं. 12 (व्यव 18:15, 16) लाइन 3 पर।
[पेज 598, 599 पर तसवीरें]
[P. Fouad Inv. No. 266 की सेप्टुआजेंट की व्यवस्थाविवरण की पांडुलिपि के हिस्सों की तसवीरों के लिए प्रकाशन देखिए]