मन और शरीर के लिए चिकित्सा
अनुसंधान दिखाता है कि लम्बी हँसी मन और शरीर की थकावट दूर करने वाली और स्वास्थ्यकर है। यौर बैटर हैल्थ पत्रिका कहती है कि यह ”सिर्फ़ तनाव से मुक्त ही नहीं करती, परन्तु गम्भीर बीमारी से बचने की संभावना को भी बढ़ा सकती है।” यह आन्तरिक हिचकोले खाने“ के जैसे है। परीक्षण प्रकट करते हैं कि दीर्घ हँसी, दर्द को कम करने के साथ ही साथ हृदय के लिए शारीरिक कसरत भी हो सकती है। परिसंचरण में सुधार होता है, डायफ्राम की कसरत होती है, और लहू में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ जाता है। छाती, गले, चेहरे और सिर की खाल की माँसपेशियों के साथ ही साथ आँख की माँसपेशियों की भी कसरत होती है जो आँसू निकालती हैं।
एक अध्ययन पर जर्नल ऑफ दी अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन ने रिपोर्ट किया जो ”सुझाव देता है कि एक हास्य चिकित्सा कार्यक्रम चिरकालिक समस्याओं वाले मरीजों के लिए जीवन का दर्जा बढ़ा सकता है और कि हँसी इन मरीजों के लिए एक तुरन्त रोगलक्षण-मुक्ति का प्रभाव करती है।” स्वास्थलाभ के इस मनोवैज्ञानिक अभिगम के परिणामों ने ब्रिटिश कोलम्बिया कैंसर एजेंसी को अपने पुस्तकालय में एक ”हास्य कक्ष” जोड़ने के लिए प्रेरित किया।
फिर भी, पूरी ज़िन्दगी हँसते रहना, अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित नहीं करेगा। बल्कि, संतुलन ज़रूरी है। बाइबल कहती है कि हँसने का समय है और चुप रहने का भी समय है। व्यर्थ हँसी शायद दूसरों के कानों में अखरेगी और इसकी तुलना हांडी के नीचे जलते हुए कांटों की चरचराहट से की गई है क्योंकि यह बेकार है और कोई सद्-उदाहरण पेश नहीं करती।—सभोपदेशक ३:४, ७; ७:६.