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सजग होइए! ब्रोशर (1993) (gbr-4)
gbr-4 पेज 30-31

दुनिया पर नज़र रखना

अघातक शस्त्र

द वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, अमरीकी सरकार युद्ध में उपयोग के लिए अघातक शस्त्रों को प्रस्तुत करने की संभावना पर खोज कर रही है। आधुनिक टैक्नोलॉजी शायद भविष्य में सैनिकों को विद्युत्‌ चुंबकीय स्पंद जनित्रों (electromagnetic pulse generators) का प्रयोग करने के द्वारा लोगों को मारे बिना शत्रुओं के रेडार, टेलिफोन, कंप्यूटर, और अन्य आवश्‍यक साधनों को अयोग्य करने में समर्थ कर सके। जर्नल कहता है कि, प्रयोगशालाएँ ‘दहनशील निरोधकों’ (combustion inhibitors) पर भी “जो चलती हुई गाड़ियों के इंजनों को रोकते हैं, साथ ही ऐसे रसायनों पर जो विशेष क़िस्म के टायरों को क्रिस्टल बनाकर नष्ट करते हैं,” काम कर रही हैं। लेकिन, इनमें से कुछ शस्त्र मानव जीवन के लिए गंभीर ख़तरा खड़ा कर सकते हैं। जर्नल आगे कहता है कि “शत्रु टैंक के दूरवीक्षक यंत्र (optics) को नष्ट करने के लिए बनाए गए शक्‍तिशाली लेज़र एक सैनिक के नेत्र गोलकों को भी फोड़ सकते हैं। अमरीकी विशेष सेनाओं द्वारा क्षेत्र परीक्षण किए जा रहे सुवाह्‍य सूक्ष्मतरंग (portable microwave) शस्त्र शत्रुओं के संचार माध्यमों को चुपचाप काट सकते हैं लेकिन ये आंतरिक अंगों को भी जला सकते हैं।”

ख़तना और एडस्‌

फ्रेंच पत्रिका ला रवू फ्राँसाज़ डू लाबोरातवार कहती है कि पुरुष ख़तना का रिवाज़ लैंगिक रूप से फैलने वाले रोग, जैसे कि एडस्‌, को रोकने में फ़ायदेमंद प्रतीत होता है। यह पत्रिका तीन अलग-अलग चिकित्सीय अध्ययनों का उल्लेख करती है जो दिखाते हैं कि पुरुष ख़तना (शिश्‍नाग्रच्छद का निकाला जाना) एडस्‌ के फैलाव को रोकने का एक तत्त्व है। प्रयोगशाला के बंदरों पर किए गए अनुसंधान ने दिखाया है कि पुरुष शिश्‍नाग्रच्छद के ऊतकों में अन्य ऊतकों से ज़्यादा मात्रा में ऐसी कोशिकाएँ पायी जाती हैं जिनके लिए एडस्‌ कीटाणु द्वारा संक्रमण एक ख़तरा पेश करता है। इसके अतिरिक्‍त, अफ्रीका के १४० विभिन्‍न भागों में किए गए एक केनेडियन अध्ययन से ज़ाहिर हुआ कि जिन समुदायों में ख़तना का रिवाज़ नहीं है, उनमें एडस्‌ के रोगी उन समुदायों से ज़्यादा हैं जिनमें खतना किया जाता है। एक और अध्ययन ने ख़तनाप्राप्त अमरीकी विलिंगी पुरुषों में संक्रमण के थोड़े ही किस्से पाए।

अशिक्षित बच्चे

बोलिविया के हज़ारों बच्चों को उचित शिक्षा नहीं मिल रही है। बोलिविया के समाचार-पत्र प्रेज़ेनस्यो के अनुसार, १९९२ की एक जनगणना से मालूम हुआ कि बोलिविया में २२,६८,६०५ बच्चे स्कूल जाने की उम्र के थे। लेकिन, शिक्षा मंत्रालय के रिकार्ड दिखाते हैं कि उसी अवधि के दौरान, सिर्फ़ १६,६८,७९१ बच्चे राष्ट्र के स्कूलों में भर्ती किए गए थे। इसका अर्थ है कि ६,००,००० बच्चों को उचित शिक्षण नहीं मिला। प्रेज़ेनस्यो आगे कहता है कि जो बच्चे स्कूलों में भर्ती हो सके, उनमें से उस वर्ष १,०२,६५२ बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया।

बच्चे और बोतल से दूध पिलाना

जापान के लगभग २५ प्रतिशत बच्चे भोजन संबंधी मुश्‍किलों का अनुभव करते हैं। इसका कारण बोतल से दूध पिलाना हो सकता है। आसाही ईवनिंग न्यूज़ रिपोर्ट करता है कि, बीस से अधिक वर्षों तक, नर्सरी-स्कूलों के शिक्षकों ने नोट किया है कि कुछ बच्चों को ऐसे भोजन के साथ मुश्‍किल होती है जो चबाने में सख़्त होता है। कुछ बच्चों को उसे निगलने में मुश्‍किल होती है, अन्य उसे थूक देते हैं, और कई अन्य बच्चे दोपहर की नींद के बाद भी उसे मुँह में ही लिए होते हैं। डॉक्टरों ने यह देखा है कि इन बच्चों के जबड़े कमज़ोर और ठुड्डियाँ छोटी होती हैं। दंत चिकित्सक नाओहीको ईनोउई और जन-स्वास्थ्य विशेषज्ञ रेको साकाश्‍ते ने शिशुकाल और बोतल से दूध पिलाने में इसका कारण खोज निकालने का दावा किया है। ऐसा लगता है कि जब शिशु बोतल से दूध पीते हैं, उन्हें जबड़े हिलाए बिना सिर्फ़ चूसने की ज़रूरत होती है। लेकिन, जब शिशु माँ का दूध पीते हैं, वे ताक़त से अपने जबड़े इस्तेमाल करते हैं और अपनी उन माँस-पेशियों को मज़बूत करते हैं जिनकी ज़रूरत बाद में उन्हें खाना चबाने के लिए होगी।

महार्घ ख़तरा

अमेज़न जंगल में ब्राज़ील के ढाई लाख आदिवासी अपने परंपरागत घरों को खोने के ख़तरे में हैं। सरकार की आदिवासी सेवा के मुख्याधिकारी के अनुसार, “सबसे बड़ा ख़तरा” महार्घ के व्यापार से आता है। लंदन का द गार्डियन रिपोर्ट करता है कि अनधिकृत महार्घ पेड़ों के गिराये जाने के परिणामस्वरूप पैरा राज्य के दक्षिणी भाग के बीच से कुछ ३,००० किलोमीटर ग़ैरकानूनी रास्तों का निर्माण हुआ है। प्रत्येक बार एक महार्घ पेड़ काटा जाता है, तो क़रीब २० अन्य जातियों के पेड़ों को नुक़सान पहुँचता है। लोभी व्यापारी जैसे ही जंगल को साफ़ करते हैं, तो उपनिवेशियों और सोने की खान के मालिकों, साथ ही हज़ारों आरा मिलों के लिए रास्ता खोल देते हैं। वर्तमान खपत दरों पर सिर्फ़ ३२ वर्षों की सप्लाई बाक़ी बचने के कारण, आदिवासियों की तरह, महार्घ भी अनिश्‍चित भविष्य का सामना कर रहा है।

ज़हरीले रासायनिक कूड़े का निर्यात

ब्राज़ील के वातावरण और नवीकरणीय प्राकृतिक साधन संस्था (Brazilian Institute of Environment and Renewable Natural Resources) का सेबास्टयाऊँ पिन्यारो कहता है कि “कूड़े को निपटाने के बड़े ख़र्च के कारण अमीर देश अपना ज़हरीला कूड़ा ग़रीब देशों को निर्यात कर देते हैं।” वेजा पत्रिका में दी गई रिपोर्ट के अनुसार, एक अध्ययन ने दिखाया कि “प्रति वर्ष दस लाख टन ख़तरनाक कूड़ा पिछड़े देशों को निर्यात किया जाता है।” आयात किए इस ज़हरीले कूड़े से क्या किया जाता है? नए विद्युत्‌ संयंत्रों में इसे ईंधन की तरह जलाया जा सकता है। ब्राज़िली पर्यावरण एजेन्सी का एक सलाहकार कहता है, “विकासशील देश इस धारणा की सफ़ाई देते हैं कि किसी भी क़ीमत पर यहाँ नौकरियाँ पैदा करना ज़रूरी है।” फिर भी, दुनिया भर में सवाल उठाए जा रहे हैं। लंदन की फाइनेन्‌शल टाईम्स्‌ पूछती है: “क्या फैक्टरियों के स्थान के बारे में निर्णयों को इन अनुमानों पर निर्धारित करना चाहिए कि मानव जीवन का मूल्य कहाँ कम है?” व्यंग्यात्मक रूप से वेजा आगे कहती है: “प्रतीत होता है कि जवाब हाँ है।”

मधु—एक स्वास्थ्यकर

प्राचीन काल से, मधुमक्खी के मधु को उसके स्वास्थ्यकारी गुणों के लिए इस्तेमाल किया गया है। एक फ्रेंच पत्रिका, ला प्रेस मेडीकॉल रिपोर्ट करती है कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान अब मधु की स्वास्थ्यकारी शक्‍तियों की फिर से खोज करना शुरू कर रहा है। हाल ही के एक अध्ययन में, डॉक्टरों ने जलने से हुए घावों और अन्य प्रकार के ऊपरी घावों का इलाज करने के लिए शुद्ध प्राकृतिक मधु को इस्तेमाल करके देखा। मधु को सीधे घावों पर लगाया गया और सूखी रोगाणु रहित पट्टियों से ढक दिया गया। इस मरहमपट्टी को हर २४ घंटे में बदला गया। परिणाम दिखाते हैं कि मधु एक शोधन और स्वास्थ्यकर के तौर पर विशिष्ट रूप से प्रभावकारी है। अधिकांश कीटाणुओं को यह छूने पर ही नष्ट कर देता है और नए ऊतकों के विकास को तीव्र करता है। ला प्रेस मेडीकॉल आख़िर में कहती है: “क्योंकि यह साधारण और सस्ती है, मधु को बेहतर पहचाना जाना चाहिए और सामान्य तौर से इस्तेमाल किए जानेवाले ऐन्टिसेप्टिक पदार्थों की सूची में भी जोड़ा जाना चाहिए।”

निष्क्रिय मस्तिष्क में ज़ंग लग जाता है

क्या लंबी अवधियों के लिए निष्क्रियता मस्तिष्क के लिए लाभकारी है? निश्‍चय ही नहीं, डयूसलडॉर्फ, जर्मनी में हुए चिकित्सीय व्यापार मेले में प्रोफ़ेसर बर्न्ट फिशर ने कहा। जैसे डेर श्‍टाईगरवॉल्ट-बोटे ने रिपोर्ट किया, उसकी जाँच ज़ाहिर करती है कि “प्रयोगों ने दिखाया था कि कुछ ही घंटों के लिए उत्तेजना की पूर्ण अनुपस्थिति के बाद एक व्यक्‍ति की विचार-शक्‍ति क़ाफी हद तक कम हो गई थी।” प्रोफ़ेसर उन लोगों को दुबारा सोचने की सलाह देता है जिनकी उत्कृष्ट छुट्टी आलसी निष्क्रियता की होती है। समाचारपत्र ने टिप्पणी की कि “अप्रशिक्षित माँसपेशी की तरह, निष्क्रियता की एक लंबी छुट्टी के बाद, कुछ परिस्थितियों में मस्तिष्क को काम करने की पहली स्थिति में आने के लिए तीन सप्ताह लगे।” यह कहा गया था कि क्रीड़ा, खेलकूद, और दिलचस्प पढ़ाई की सामग्री छुट्टी के दौरान मस्तिष्क को ज़ंग लगने से रोक सकते हैं।

समुद्री कछुओं की समस्या

समुद्री कछुओं का घर जबकि पानी है, सूखी ज़मीन पर वे अंडे देते हैं। दुनिया के समुद्रों में विशाल दूरियों तक घूमने के बाद, समुद्री कछुए विशिष्ट किनारों पर जन्म देने के लिए लौटते हैं। समुद्र में मैथुन करने के बाद, मादा कछुआ धीरे-धीरे हिचकोले खाते किनारे पर आती है—शायद उसी किनारे पर जहाँ वो पैदा हुई थी—और सौम्यता से सावधानीपूर्वक चुनी हुई जगह में अपने अंडे देती है। ऐसा लगातार कुछ दिनों तक किया जाता है, जब तक कि सारे अंडे—लगभग एक हज़ार—दिए जाते और परिश्रम से ढके नहीं जाते हैं। लेकिन तब एक समस्या उत्पन्‍न होती है। दक्षिण अफ्रीकी पत्रिका प्रिस्मा इसे मानव द्वारा “अद्वितीय लोभ और वातावरण के लिए संगीन अनादर,” के कारण “घोंसलों को योजनाबद्ध तरीके से खाली करना” कहती है, जिसने “कछुओं के प्रजनन प्रतिरूपों में गंभीर बाधाएं डाली हैं।” कुछ प्रकार के कछुए विलुप्त होने का सामना कर रहे हैं।

टेलीविज़न को पूर्व-नियोजित करना?

द जर्नल ऑफ दि अमेरिकन मेडिकल असोसिएशन (The Journal of the American Medical Association) में प्रकाशित एक अध्ययन में अमरीकी बाल चिकित्सा अकादमी ने कहा, “बच्चों के लिए टी.वी. कम देखना ही बेहतर है, विशेषकर हिंसात्मक टी. वी.।” इस लेख ने रिपोर्ट किया कि “१४ महीने की उम्र के शिशु भी प्रदर्शनीय रूप से टी. वी. पर दिखाए आचरण को देखते और अपनाते भी हैं।” जो कुछ वे अधिकतर देखते हैं वह आक्रमणकारी और हिंसात्मक रूप का होता है। यह रिपोर्ट माता-पिता के अधिकार को पुनःस्थापित करने के प्रयास में, टी.वी. पर इलेक्ट्रॉनिक समय-चैनल ताले का प्रयोग करने की सलाह देती है, ताकि कार्यक्रमों, चैनलों, और समयों को पूर्व-नियोजित किया जा सके। इस प्रकार, जब माता-पिता घर में नहीं होते, तब भी उनके बच्चे टी. वी. पर क्या देखते हैं और कब देखते हैं इसका नियंत्रण कर सकते हैं।

अपने हाथ धोइए!

हालाँकि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के तकनीकी विकासों ने रोग से लड़ने में काफ़ी योगदान दिया है, वैज्ञानिक कहते हैं कि अब भी संक्रामक बीमारियों के फैलाव को रोकने का सबसे प्रभावकारी तरीका है साधारण साबुन और पानी से हाथ धोना। फ्रेंच समाचार-पत्र ले फिगारो रिपोर्ट करता है कि हाल में ही लिए गए स्वास्थ्य संबंधी आदतों के एक अध्ययन में, फ्राँस, जर्मनी, नीदरलैंडस्‌, और स्विट्‌जरलैंड में संशोधकों ने मरम्मत करनेवालों अथवा सफ़ाई करनेवालों का भेस धरकर होटलों, भोजनालयों, दफ़्तरों, स्कूलों, और कारख़ानों के सार्वजनिक शौचालयों में गए। उन्होंने पाया कि ४ में से १ व्यक्‍ति शौचालय इस्तेमाल करने के बाद अपने हाथ नहीं धोता और जो धोते हैं उनमें से एक चौथाई लोग साबुन का इस्तेमाल नहीं करते। वैज्ञानिक कहते हैं कि दुनिया भर में मानव का हाथ ही रोग फैलाने का सबसे सामान्य साधन लगता है।

खगोल वैज्ञानिकों की आशा

अमरीकी राष्ट्रीय वैमानिकी और अंतरिक्ष प्रशासन (U.S. National Aeronautics and Space Administration) के एक दस-वर्षीय कार्यक्रम में, खगोल वैज्ञानिक अन्य ग्रहों पर बसे बुद्धिमान प्राणियों से रेडियो प्रसारण पाने की कोशिश में १० करोड़ डॉलर ख़र्च करने की योजना बना रहे हैं। इन्टरनैशनल हैरल्ड ट्रिब्यून के अनुसार, अर्जेंटाइना, आस्ट्रेलिया, भारत, रशिया, पोर्टो रिको और अमरीका में स्थित रेडियो दूरदर्शकों के लाखों सूक्ष्म-तरंग चैनलों को एक ही समय पर निरीक्षण करने की उनकी योजना है। जबकि कुछ वैज्ञानिक आशावादी होकर जल्द सफलता पाने का पूर्वानुमान लगाते हैं, अन्य वैज्ञानिक १९६० से किए उन ५० संशोधनों की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं जो निष्फल रहे हैं।

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