क्यों मैं ने पादरी पद को एक बेहतर सेवकाई के लिए छोड़ा
जुलाई ३१, १९५५, के दिन मुझे २४ वर्ष की उम्र में, एक कैथोलिक पादरी के तौर पर नियुक्त किया गया। राकोल, गोआ, भारत, के आर्चडाइओसिसन सेमिनरी में बिताए १२ रचनात्मक सालों की यह पराकाष्ठा थी। और किस बात ने मुझ में पादरी बनने की इच्छा उत्पन्न की थी?
सितम्बर ३, १९३० के दिन मैं बम्बई, भारत, में पैदा हुआ। अगले वर्ष में, मेरे पिता नौकरी से रिटायर हुए, और परिवार भारत के दक्षिण-पश्चिमी किनारे पर, सॅल्वडॉर डो मूँडो, बारडेज़, गोआ, में बस गया। चार बच्चों में मैं सबसे छोटा था। बचपन से मैं पुर्तगाली कैथोलिक संस्कृति और परम्परा में पाला-पोसा गया, जो कि गोआ में १५१० से विद्यमान रही है, जब उसे पुर्तगाल द्वारा उपनिवेशित किया गया।
मेरे माता-पिता, अपनी आस्थाओं के प्रति वफ़ादार, उत्साहपूर्ण कैथोलिक थे जो प्रति वर्ष क्रिसमस, चालीसा, ईस्टर और कुँवारी मरियम और विभिन्न “संतों” के सम्मान में पर्व मनाते थे। इन समारोह में भाग लेनेवाले पादरी अकसर हमारे घर में ठहरते थे, कई बार एक साथ दस से भी अधिक दिनों के लिए। इस तरह, हमारा उनके साथ निरंतर संपर्क रहा, और एक युवा के तौर पर मैं उनसे प्रभावित हुआ।
गोआ, सालामान्का, और रोम में मेरी सेवा
मैं ने पादरी सेवा बड़े जोश के साथ शुरू की, और कैथोलिक गिरजा के सिद्धांतों और अभ्यासों की सच्चाई के बारे में मुझे कुछ भी संदेह नहीं थे। गोआ में अपनी सेवा के पहले सात वर्षों में, गोआ की राजधानी पानाजी में सेंट थॉमस् चेपल में मैं ने सामाजिक एवं धर्मगुरु के कर्त्तव्य निभाए। साथ ही, उस समय के पुर्तगाली सरकार के पॉलिटैक्निक संस्थान में, मैं ने एक नागरिक कार्यनियुक्ति को सँभाला जिसकी दोहरी भूमिका थी—प्राध्यापक और संस्थान के अहाते का निर्देशक भी।
उन्नीस सौ बासठ में, स्पेन के सालामान्का विश्वविद्यालय में मुझे भेज दिया गया, जहाँ मैं ने क़ानून के तत्त्वज्ञान और गिरजा क़ानून में पी.एच.डी. हासिल की। मेरे वैधिक प्रशिक्षण के दौरान अध्ययन किए हुए कुछ विषय, विशेषकर रोमी क़ानून और गिरजा क़ानून के इतिहास ने मुझे जाँच-पड़ताल करने के लिए उकसाया कि कैथोलिक गिरजा का संविधान कैसे विकसित हुआ और यह पोप को पतरस के उत्तराधिकारी के तौर पर ‘गिरजे पर अधिकार की प्रमुखता’ के साथ पहचानने की अवस्था तक कैसे उभरा।
मैं ख्प्ताश था कि मेरा धर्म-विज्ञानी धर्माचार्य-संबंधी अध्ययन रोम, इटली में करने के लिए योजनाएँ बनायी जा रही थीं, जहाँ मुझे गिरजे के धर्मतन्त्र को सीखने का ज़्यादा मौका मिलता। उन्नीस सौ पैंसठ के ग्रीष्मकाल में मैं रोम गया।
इस समय पर अखिलचर्ची परिषद वैटिकन II अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच चुकी थी। जबकि मैं अपने धर्मवैज्ञानिक अध्ययन में लगा रहा, अनेक धर्मविज्ञानी और “परिषद के पादरियों” से मैं ने दिलचस्प चर्चाएँ कीं जो परिषद में शामिल अतिरूढ़िवादियों का विरोध करते थे। उस समय शासन करने वाला पोप था पौल VI, जिसके साथ रोम में भारतीय पादरी संगठन के उपाध्यक्ष की हैसियत से मेरे व्यक्तिगत संपर्क थे।
प्रारंभिक संघर्ष और सन्देह
इन संपर्कों और मेरे अध्ययन और धर्माचार्य-संबंधी थीसिस के लिए अनुसंधान की अवधि के दौरान, मुझे कैथोलिक गिरजे के इतिहास और बुनियादी ढाँचे के विकास के बारे में अधिक अंतर्दृष्टि हासिल करने का मौका मिला।a परिषद में रूढ़िवादियों के विचारों के विपरीत, जो कि पायस XII (१९३९-५८) की निरंकुश राजतंत्र के तरीक़े के आदी हो चुके थे, स्वातंत्र्यवादी आख़िरकार गिरजे पर सिद्धान्तात्मक संविधान (लातिनी उपाधि, लूमेन जेन्टयुम, राष्ट्रों की ज्योति) को लागू करने के लिए परिषद की स्वीकृति प्राप्त करने में सफ़ल हो ही गए। अन्य विषयों में, अध्याय ३ में इसने गिरजे पर पोप के सम्पूर्ण और सर्वोच्च अधिकार में बिशपों के एक निकाय के तौर पर भाग लेने के अधिकार पर विचार किया। इस सिद्धान्त की जड़ें गहराई से परम्परा में जमीं हुई थीं लेकिन इसे रूढ़िवादियों द्वारा विधर्मी और क्रान्तिकारी समझा गया।
मुझे दोनों ही विचार अस्वीकार्य लगे, क्योंकि उनमें सुसमाचार वृत्तांतों की सच्चाई नहीं थी। वे मत्ती १६:१८, १९ की विकृति हैं और गिरजे के पिछले और आनेवाले सभी अशास्त्रीय सिद्धान्तों और शिक्षाओं को अनुमति देते हैं।b मैं ने ग़ौर किया कि इस वचन में उपयोग किए गए यूनानी शब्द, पैट्रा (स्त्रीलिंग), जिसका अर्थ “चट्टान” (NW) है, और पैट्रोस (पुर्ल्लिग), जिसका अर्थ “पत्थर का टुकड़ा” है, यीशु द्वारा समानार्थी शब्दों की तरह उपयोग नहीं किए गए थे। इसके अतिरिक्त, यदि कोने के पत्थर की तरह, पतरस को एक चट्टान के तौर पर, प्रमुखता दी गई होती तो, प्रेरितों के बीच इस बात पर बाद में बहस न होती कि कौन उनमें सबसे बड़ा है। (मरकुस ९:३३-३५; लूका २२:२४-२६ से तुलना कीजिए.) साथ ही, ‘सुसमाचार की सच्चाई पर सीधी चाल नहीं चलने’ के कारण पौलुस सब के सामने पतरस को डाँटने की हिम्मत न करता। (गलतियों २:११-१४) मैं ने यह निष्कर्ष निकाला कि यीशु उनकी नींव के कोने का पत्थर है, और मसीह के आत्मा द्वारा उत्पन्न सभी अनुयायी समान रूप से पत्थर की तरह हैं।—१ कुरिन्थियों १०:४; इफिसियों २:१९-२२; प्रकाशितवाक्य २१:२, ९-१४.
जितना ऊँचा विद्वत्तापूर्ण और धर्मगुरु की पदवी का स्तर मैं ने प्राप्त किया और जितना अधिक विचारों का आदान-प्रदान मैं ने किया, उतना ही दिलोदिमाग़ से मैं कैथोलिक गिरजे के विभिन्न सिद्धान्तों से अधिक दूर होता गया, विशेषकर उनसे जो “मिस्सा के पवित्र बलिदान” और “यूखारिस्त के अति पवित्र परमप्रसाद”—जिसे तत्त्वपरिवर्तन कहा जाता है, के संदर्भ में पादरी नियुक्ति से संबंधित थे।
कैथोलिक भाषा शैली में, “मिस्सा का पवित्र बलिदान” एक चिरस्थायी स्मरणोत्सव है और “क्रूस” पर यीशु के बलिदान का लहूरहित नवीनीकरण है। लेकिन सामान्यतः मसीही यूनानी शास्त्र और विशेषकर इब्रानियों को लिखा पौलुस का पत्र मेरे लिए परिणाम निकालने के लिए पर्याप्त रूप से स्पष्ट थे कि यीशु का बलिदान परिपूर्ण बलिदान था। उसका कार्य सम्पूर्ण था। उसे किसी भी जोड़, दोहराव, या सुधार की न तो आवश्यकता थी और न ही इसकी कोई गुंजाइश थी। यह बलिदान “एक ही बार” चढ़ाया गया था।—इब्रानियों ७:२७, २८.
सत्य के लिए मेरी खोज जारी रहती है
स्वयं अपना परीक्षण करने के लिए, मैं पश्चिमी यूरोप के अनेक बिशप क्षेत्राधिकारों और प्रधानबिशप क्षेत्राधिकारों, न्यू यॉर्क के प्रधानबिशप क्षेत्राधिकार, और फेयरबैंक्स, अलास्का के बिशप क्षेत्राधिकार के लिए काम करता रहा। सत्य के लिए मेरी खोज में यह नौ साल की एक पीड़ादायक परीक्षा थी। मैं मुख्यतः प्रशासन-संबंधी बातों, चर्च-संबंधी न्यायशास्त्र, और न्यायिक अभ्यास में शामिल था। जितना हो सकता था मैं उतना पूजा-पद्धति विषयक धर्मविधियों और समारोहों से दूर रहता था। प्रतिदिन का मिस्सा बोलना सबसे बड़ी चुनौती थी। इससे भावनाओं और मनोभावों का गंभीर संघर्ष उत्पन्न हुआ क्योंकि मैं मसीह के पुनरावर्ती लहूरहित बलिदान में या तत्त्वपरिवर्तन में या पार्थिव धर्मानुसार पादरीपद में, जो वैधपूर्वक और विधिसंगत-रूप से तत्त्वपरिवर्तन का “जादू” करने के लिए आवश्यक था, विश्वास नहीं करता था।
दूसरी वैटिकन परिषद के दौरान, इस “जादू” के बारे में हंगामा हुआ। डच कैथोलिक धर्मतन्त्र के नेतृत्व में स्वातंत्र्यवादियों ने सिर्फ़ “चिह्नपरिवर्तन” का समर्थन किया, यानी, रोटी और दाखरस मसीह की देह और लहू का सिर्फ़ अर्थ हैं या इन्हें चित्रित करते हैं। दूसरी ओर, अति रूढ़िवादियों ने, इटली के कैथोलिक धर्मतन्त्र के नेतृत्व में, “तत्त्वपरिवर्तन” का दृढ़तापूर्वक समर्थन किया, मिस्सा के दौरान कहे गए “अभिषेक शब्दों” के द्वारा रोटी और दाखरस के तत्त्व का परिवर्तन मसीह के शरीर और लहू के सच्चे और वास्तविक तत्त्व में होता है। इसीलिए, कहावत थी: ‘हॉलन्ड में सब कुछ बदलता है सिवाय रोटी और दाखरस के, जबकि इटली में रोटी और दाखरस के सिवाय और कुछ नहीं बदलता।’
मैं गिरजे से अलग हुआ
मसीह और उसके सुसमाचार के ऐसे गलत चित्रण को देखते हुए, मैं ने घोर निराशा और हताशा महसूस की कि परमेश्वर की महिमा करने और लोगों के प्राणों को बचाने का मेरा लक्ष्य झूठे सिद्धान्तों से दुर्बल हो गया। इसलिए, जुलाई १९७४ में, मैं ने आख़िरकार अनिश्चित काल तक छुट्टी के लिए निवेदन देकर सक्रिय सेवा से इस्तीफ़ा दे दिया। यह मेरे लिए तर्कविरुद्ध और अस्वीकार्य था कि उस पादरीपद के व्रत से मुक्ति का निवेदन करूँ जिसका कोई भी बाइबलीय आधार नहीं था। परिणामस्वरूप, जुलाई १९७४ से दिसम्बर १९८४ तक, मैं सभी धर्मों से अलग रहा। मैं ने मसीहीजगत के अन्य किसी धर्म से संगति नहीं की क्योंकि उनमें से कोई भी धर्म त्रियेक, आत्मा के अमरत्व, सभी धार्मिक लोगों का स्वर्ग में अनन्त जीवन पाने के विचार, और कभी न समाप्त होनेवाली नरकाग्नि के दण्ड के विरुद्ध मेरे निष्कर्षों में मुझ से सहमत नहीं था। मैं इन सिद्धान्तों को विधर्म के फल समझता था।
आन्तरिक शान्ति और ख्प्ताशी
मेरा धार्मिक अलगाव दिसम्बर १९८४ में खत्म हुआ। ऐंकरेज, अलास्का में स्थित व्यापार के उधार और धन प्राप्तियाँ विभाग के प्रबंधक होने की हैसियत से, मुझे एक ग्राहक, बारब्रा लरमा से अनेक बीजकों पर चर्चा करनी थी। वह जल्दी में थी और उसने कहा कि उसे एक “बाइबल अध्ययन” के लिए जाना था। यह अभिव्यक्ति “बाइबल अध्ययन” ने मेरा ध्यान आकर्षित किया, और मैं ने उसे कुछ बाइबल-संबंधी सवाल पूछे। उसने तत्परता से और कुशलतापूर्वक मुझे शास्त्रवचन से जवाब दिए जो मेरे सैद्धान्तिक निष्कर्षों के काफ़ी अनुकूल थे। यह जानकर कि मेरे पास और भी सवाल हैं, बारब्रा ने मेरा संपर्क जेरल्ड रन्को से करवाया, जो कि अलास्का में यहोवा के गवाहों के शाखा दफ़्तर में था।
अनुवर्ती बाइबल-सम्बन्धी प्रोत्साहक चर्चाओं ने मुझे आन्तरिक शान्ति और ख़ुशी प्रदान की। ये वही क़िस्म के लोग थे जिनको मैं ढूँढ रहा था—परमेश्वर के लोग। मैं ने परमेश्वर से मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना की और कुछ ही समय में मैं बपतिस्मा-रहित सुसमाचार प्रकाशक के तौर पर यहोवा के गवाहों से संगति करने लगा। मैं यह जानकर सचमुच आश्चर्यचकित हुआ कि इस संस्था का मुख्यालय ब्रुकलिन, न्यू यार्क में स्थित था, मैनहैटन में होली फैमिली गिरजे से कुछ ही मील दूर, जहाँ मैंने (१९६९, १९७१, और १९७४ में) संयुक्त राष्ट्र संघ के पैरिश गिरजे में एक संगी पादरी के तौर पर सेवा की थी।
सच्चाई को समझने में अपने परिवार को सहायता देना
ऐंकरेज में यहोवा के गवाहों के साथ छः महीने संगति करने के बाद, जुलाई ३१, १९८५ में मैं पेन्सिलवेनिया गया। यहाँ अपनी भाँजी माइलिनी मेन्डान्या, जो स्क्रैन्टन विश्वविद्यालय में जीवरसायन में स्नातक अध्ययन कर रही थी, के साथ यहोवा के राज्य की सच्चाई को बाँटने का विशेषाधिकार मुझे मिला। जब माइलिनी को पता चला कि मैं यहोवा के गवाहों को ढूँढ रहा था, वह चकित हो गई, क्योंकि उसे यह ग़लत जानकारी दी गई थी कि यह समूह एक सम्प्रदाय है। शुरूआत में उसने मुझ से कुछ नहीं कहा क्योंकि अपने मामा के तौर पर और एक पादरी के तौर पर वह मेरा आदर करती थी और मेरी विद्वत्तापूर्ण और धर्मगुरु की उपलब्धियों के लिए उसे अत्यधिक सम्मान था।
अगले रविवार को, माइलिनी मिस्सा के लिए कैथोलिक चर्च गयी, और मैं बाइबल भाषण और प्रहरीदुर्ग अध्ययन के लिए राज्यगृह गया। उसी शाम हम इक्ट्ठे बैठे, वह कैथोलिक जेरूसलेम बाइबल के साथ और मैं न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन ऑफ द होली स्क्रिपचर्स् के साथ। मैं ने उसे उसके बाइबल में याहवे नाम दिखाया और न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन ऑफ द होली स्क्रिपचर्स् में उसका समशब्द, यहोवा, दिखाया। वह यह जानकर पुलकित हुई कि परमेश्वर का एक नाम है और कि वह चाहता है कि हम उसे उसके नाम से पुकारें। मैं ने उसे यह भी बताया कि त्रियेक, तत्त्वपरिवर्तन, और आत्मा के अमरत्व के सिद्धान्त कितने अशास्त्रीय हैं और उसे उपयुक्त वचन दिखाए। वह चकित हो गई!
माइलिनी की दिलचस्पी और बढ़ गई जब मैं ने उसे परादीस पृथ्वी पर अनन्त जीवन की आशा के बारे में बताया। उससे पहले वह चिन्तित थी कि मरने पर उसका क्या होगा। उसने सोचा कि वह इतनी पवित्र नहीं थी कि सीधे स्वर्ग जाए, लेकिन उसे ऐसा भी नहीं लगा कि वह इतनी दुष्ट है कि अनन्तकाल की नरकाग्नि के दण्ड के लिए उसे अपराधी ठहराया जाए। इसलिए, उसके दिमाग़ में शोधन-स्थान का एकमात्र विकल्प था, जहाँ उसे स्वर्ग में पहुँचाने के लिए लोगों की प्रार्थनाओं और मिस्साओं के लिए धीरज से रुकना पड़ता। तथापि, जब मैं ने परादीस पृथ्वी पर अनन्त जीवन की आशा के बारे में अनेक वचन दिखाकर उसे समझाए तो वह इस अत्युत्तम सुसमाचार के बारे में अधिक सीखने के लिए उत्सुक थी। माइलिनी मेरे साथ राज्य गृह की सभाओं के लिए उपस्थित हुई। हमने स्थानीय गवाहों के साथ एक औपचारिक बाइबल अध्ययन आरम्भ किया। कुछ ही समय बाद, हमने यहोवा परमेश्वर को अपना समर्पण किया और ३१ मई, १९८६ के दिन हमारा बपतिस्मा हुआ।
मेरा परिवार, विशेषकर मेरा सबसे बड़ा भाई, ओरलेन्डो, मेरे पादरीपद को छोड़ने के समाचार से परेशान था। उसने मेरी बड़ी बहन माइरा लोबो मेन्डान्या से मशवरा लिया, जिसने उसे यह कहकर शान्त किया: “हमें इससे चिन्तित नहीं होना चाहिए, क्योंकि ४३ सालों की कड़ी मेहनत को अलिनियो यूं ही बिना किसी अच्छे कारण के नहीं छोड़ता।” सितम्बर १९८७ में, माइरा और उसका परिवार विस्कनसिन, अमरीका, में मेरे साथ रहने लगे। अधिकांश कैथोलिक सिद्धान्तों और अभ्यासों के अशास्त्रीय प्रकार को उन्हें समझाने में मुझे मुश्किल नहीं हुई। वे बाइबल सच्चाई सीखने के लिए उत्सुक थे। तुरंत, माइलिनी और मैं ने उनके साथ एक बाइबल अध्ययन आरम्भ किया। ओरलेन्डो, फ्लोरिडा, लौटने पर उन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा।
जिस शान्ति और ख़ुशी का आनन्द हम सब ने पाया उसने हमें यहोवा के राज्य के सुसमाचार को मेरी सबसे बड़ी बहन, जेसी लोबो के साथ बाँटने के लिए प्रोत्साहित किया, जो टोरोन्टो, कनाडा में रहती है। उसे १९८३ में गवाही दी गई थी। लेकिन, उसका विश्वास था कि, उसका भाई पादरी है इसलिए कोई भी बात उसके विश्वास को बदल नहीं सकती। यहोवा के गवाहों के साथ उस प्रारम्भिक वार्तालाप के चार साल बाद, जब उसे पता चला कि मैं एक यहोवा का गवाह बन गया हूँ और कि माइरा और उसका परिवार सुसमाचार के प्रचारक थे, उसने एक यहोवा के गवाह से संपर्क किया जिसने तुरंत एक बाइबल अध्ययन का प्रबंध किया। जेसी ने अप्रैल १४, १९९० को बपतिस्मा लिया; माइरा, मेरे जीजाजी ऑज़वल्ड, और मेरी भाँजी ग्लिनस ने फरवरी २, १९९१ को, बपतिस्मा लिया। वे परम प्रधान, यहोवा परमेश्वर की सेवा करने में बहुत ही आनन्दित थे।
कैथोलिक गिरजे में रूढ़िवादी परम्परावादी और स्वतंत्र प्रगामी निश्चय ही बुद्धिमान लोग हैं। वे विश्वास करते हैं कि वे परमेश्वर की इच्छा कर रहे हैं। फिर भी, हमें इस तथ्य को नज़रअन्दाज नहीं करना चाहिए कि “उन अविश्वासियों . . . की बुद्धि को इस संसार के ईश्वर ने अन्धी कर दी है, ताकि मसीह जो परमेश्वर का प्रतिरूप है, उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके।” (२ कुरिन्थियों ४:४) तो, यह स्पष्ट है कि इस रीति व्यवस्था की बुद्धि परमेश्वर के लिए मूर्खता है। (१ कुरिन्थियों ३:१८, १९) मैं कितना ख्प्ताश और आभारी हूँ कि यहोवा अपने वचन के यथार्थ ज्ञान के द्वारा “साधारण लोगों को बुद्धिमान” बना देता है।—भजन १९:७.
कैथोलिक पादरी के तौर पर मेरी १९ वर्षों की सेवा अतीत की बात है। अब मैं एक यहोवा का गवाह हूँ। मेरी इच्छा है कि मैं यहोवा के मार्गों पर चलूँ और उसके बेटे, यीशु मसीह, हमारे राजा और उद्धारकर्ता का अनुकरण करूँ। मैं औरों को भी यहोवा के बारे में जानने के लिए मदद करना चाहता हूँ ताकि वे भी परादीस पृथ्वी पर अनन्त जीवन के पुरस्कार के लिए योग्य हो सकें और यह सच्चे परमेश्वर, यहोवा की महिमा के लिए हो।—अलिनियो डा सैन्टा रीटा लोबो द्वारा बताया गया।
[Footnotes]
a मैं सालामान्का छोड़ते वक्त भी अपनी गिरजा क़ानून की थीसिस पर अनुसंधान कर रहा था, जिसे मैं ने १९६८ में प्रस्तुत किया।
b कैथोलिक न्यू अमेरिकन बाइबल के अनुसार, यह पाठ अंशतः यूँ कहता है: “मैं भी तुझको घोषणा करता हूँ, तू ‘चट्टान’ है, और इस चट्टान पर मैं अपनी कलीसिया बनाऊँगा . . . जो कुछ तू पृथ्वी पर बन्धा हुआ घोषित करेगा स्वर्ग में बान्धा जाएगा; जो कुछ तू पृथ्वी पर छोड़ा हुआ घोषित करेगा स्वर्ग में भी छोड़ दिया जाएगा।”—बक्स देखिए, पृष्ठ २१.
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राज्य की कुँजियाँ
धार्मिक नेताओं के प्रति यीशु की फटकार पर जब हम ध्यान देते हैं, तब ‘स्वर्ग के राज्य की कुंजियों’ का अर्थ स्पष्ट होता है: “तुम ने ज्ञान की कुंजी ले तो ली, परन्तु तुम ने आपही प्रवेश नहीं किया, और प्रवेश करनेवालों को भी रोक दिया।” (लूका ११:५२) मत्ती २३:१३ ‘प्रवेश करने’ की व्याख्या “स्वर्ग के राज्य” में प्रवेश को सूचित करने के लिए करता है।
जिन कुंजियों की प्रतिज्ञा यीशु ने पतरस से की वह एक अद्वितीय शैक्षणिक भूमिका थी जो व्यक्तियों के लिए स्वर्गीय राज्य में प्रवेश करने के लिए विशिष्ट अवसर खोल देती। पतरस ने इस विशेषाधिकार को तीन अवसरों पर इस्तेमाल किया और यहूदियों, सामरियों और अन्यजातियों की सहायता की।—प्रेरितों २:१-४१; ८:१४-१७; १०:१-४८; १५:७-९.
इस प्रतिज्ञा का उद्देश्य, पतरस का स्वर्ग को यह आदेश देना नहीं था कि क्या बाँधना है या नहीं या क्या छोड़ देना है या नहीं, बल्कि पतरस को उन तीन विशिष्ट कार्यनियुक्तियों के लिए स्वर्ग के एक साधन की तरह इस्तेमाल किया जाना था। यह ऐसा है क्योंकि यीशु ही कलीसिया का वास्तविक सिर रहा।—१ कुरिन्थियों ११:३; इफिसियों ४:१५, १६; ५:२३; कुलुस्सियों २:८-१०; इब्रानियों ८:६-१३ से तुलना कीजिए.
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अलिनियो डा सैन्टा रीटा लोबो अब एक गवाह