विश्व-दर्शन
In This Article, Reference is Also Taken From G/94/04/08
सरकार में अविश्वास
“सारे संसार में लोग व्यवस्था में विश्वास खो रहे हैं,” हाल ही में द वॉशिंगटन पोस्ट ने दावा किया और आगे कहा, “हर जगह सरकार एक गंदा शब्द है।” हाल ही के वर्षों में लिए गए अनेक जन-विचार मतदानों पर टिप्पणी करते हुए, समाचार-पत्र ने कहा: “कनाडा से लेकर जापान तक और इनके बीच के देशों में, कभी-कभी चकरा देनेवाली बहुसंख्या में नागरिक मतदान लेनेवालों को कह रहे हैं कि उनके देश की सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता। वे यह भी कहते हैं कि उनके राष्ट्र की अर्थ-व्यवस्था लगभग ढह चुकी है, और स्थिति सिर्फ़ बदतर ही होगी, बेहतर नहीं।” उदाहरण के लिए फ्रान्स में, कुछ ६० प्रतिशत मतदाताओं ने भविष्य में स्थिति के और बदतर होने की अपेक्षा की, जबकि लगभग उतने ही अनुपात के लोगों ने देश को शासित करने के तरीक़े पर असंतुष्टि व्यक्त की। इटली में लगभग ७५ प्रतिशत ने महसूस किया कि सरकार उतनी अच्छी तरह कार्य नहीं कर रही जितना पाँच या दस वर्ष पूर्व करती थी। कनाडा में आधे से ज़्यादा लोग महसूस कर रहे थे कि अगली पीढ़ी उनसे भी बदतर आर्थिक स्थिति में होगी।
कूट-भेषज की शक्ति
चिकित्सीय अनुसंधायक काफ़ी समय से यह धारणा बनाए हुए हैं कि लगभग एक तिहाई मरीज़ कूट भेषज दिए जाने पर कुछ प्रगति दिखाते हैं। यह एक ऐसा उपचार है जिसका कोई असल चिकित्सीय मूल्य नहीं। लेकिन एक नए अध्ययन ने दिखाया है कि कूट-भेषज कहीं ज़्यादा शक्तिशाली प्रभाव कर सकता है। द न्यू यॉर्क टाइम्स् ने हाल ही में रिपोर्ट किया कि ला होया, कैलिफोर्निया, यू.एस.ए. में, वैज्ञानिकों ने लगभग ७,००० मरीज़ों का अध्ययन किया जिन्हें नए, प्रयोगात्मक उपचार दिए गए थे और जो बाद में चिकित्सीय रूप से व्यर्थ पाए गए। अध्ययन ने दिखाया कि उपचारों की प्रतिक्रिया में, कम-से-कम तात्कालिक तौर पर, दो तिहाई मरीज़ों ने प्रगति की। जबकि यह कूट-भेषज प्रभाव कुछ मामलों में शायद असल जैविक प्रगति शामिल करे, वैज्ञानिक सावधान करते हैं कि यह कभी-कभार, प्रगति की रिपोर्ट देने के द्वारा चिकित्सक को ख्प्ताश करने की मरीज़ की अपनी इच्छा को दिखाता है। इस प्रकार, कुछ अनुसंधायक इस अध्ययन का उल्लेख नयी दवाओं पर और कड़ा परीक्षण लगाने के एक कारण के तौर पर करते हैं।
प्रोत्साहक अनुभव व्यक्ति को स्वस्थ रहने में मदद करते हैं
“थका देनेवाला तनाव और भावात्मक समस्याएँ शरीर की समुत्थान-शक्ति को कम कर देते हैं, जबकि हर्ष और आनन्द रक्षा-तंत्र को उत्तेजित करते हैं और बीमारी के प्रतिरोध को मज़बूत करते हैं।” इस तरह जर्मन समाचार-पत्र नासाउइश नोइए प्रेसे ने मनोतंत्रिका-प्रतिरक्षण के नए विज्ञान द्वारा इकट्ठे किए गए सबूत का सारांश दिया। कार्यस्थल पर या घर में नकारात्मक प्रभाव शरीर के प्रतिरोध को कमज़ोर करते हैं। दूसरी ओर डॉ. ऑन्टोन माइर, एक प्रोफेसर और सूक्ष्मजीव वैज्ञानिक के अनुसार, सकारात्मक भावनाओं और अनुभवों का एक शक्तिप्रद प्रभाव होता है। कुछ उदाहरणों का उसने उल्लेख किया: “विश्वास, आशा, प्रेम, भरोसा, सुरक्षा, संचार, जीवन में सकारात्मक उत्तेजना, मनोरंजन—और जीने और स्वस्थ रहने की इच्छा।”
मेघ देवता निराश करते हैं
तीव्र सूखे का सामना करते हुए, दक्षिणपूर्वी भारत में आंध्र प्रदेश राज्य की सरकार ने हाल ही में वर्षा लाने की एक असामान्य तरक़ीब अपनायी। पत्रिका इंडिया टुडे के अनुसार, राज्य सरकार ने “मेघ देवताओं को प्रसन्न करने के लिए प्राचीन वैदिक विधि” की सहायता ली। राज्य के अक्षयनिधि मंत्री ने तर्क किया: “ईश्वर हमारी सहायता करेगा।” पचास चुने हुए मन्दिरों से पंडितों ने ११ दिनों के लिए धार्मिक संस्कार सम्पन्न किए। परिणाम? इंडिया टुडे रिपोर्ट करती है: “प्रत्यक्षता देवता प्रभावित नहीं हुए। . . . धर्म के निराश करने पर, सरकार ने अब वैज्ञानिक तरीक़ा प्रयोग करने का निर्णय किया है।” बादलों पर रसायनों के छिड़काव या गिराने से बादलों का पानी बरसाने के द्वारा “उसने नकली वर्षा लाने के कदम उठाए हैं।”
समझौते पर समझौता
अमरीका के लूथरन और ब्रिटेन के मेथडिस्ट लोगों ने हाल ही में समलिंगकामुकता के वादविषय की ओर ध्यान दिया है। ब्रिटेन में, एक मेथडिस्ट सम्मेलन एक अस्पष्ट निर्णय पर पहुँचा। उन्होंने निर्धारित किया कि समलिंगी पुरुष और स्त्रियों को धर्मगुरुओं के तौर पर नियुक्त नहीं किया जाए; यद्यपि उसी समय, उन्होंने घोषित किया कि गिरजा “समलिंगकामी स्त्रियों और पुरुषों की गिरजे में सहभागिता और सेवकाई को मान्यता देता, स्वीकार करता, और घोषित करता है।” अमरीका में लूथरन गिरजे के नियत कार्यकर्त्ताओं ने एक २१-पृष्ठ की रिपोर्ट प्रकाशित की जिसे गिरजे के १९,००० धर्मगुरुओं को उनकी प्रतिक्रिया देने के लिए भेजने की ख़ातिर तैयार किया गया था। असोसिएटेड प्रेस के अनुसार, रिपोर्ट अभिकथन करती है कि बाइबल समलिंगी मेल का समर्थन करती है। रिपोर्ट यह भी दावा करती है कि हस्तमैथुन “सामान्यता उचित और स्वास्थ्यकर” है। इस अभिकथन और इस दावे में, रिपोर्ट इन मामलों में बाइबल की स्थिति का विरोध करती है।—रोमियों १:२६, २७; १ कुरिन्थियों ६:९, १०; कुलुस्सियों ३:६, ७.
ब्रिटेन में पाया गया रोमी ख़ज़ाना
सफोक, इंग्लैंड के एक फ़ार्म में १४,७८० सोने, चान्दी और काँसे के सिक्कों का ख़ज़ाना ढूँढ निकाला गया है। साथ ही ९०-सेंटीमीटर लम्बी सोने की एक ज़ंज़ीर, १५ सोने के कंगन, और लगभग १०० चान्दी के चम्मच भी मिले हैं। इस ख़ज़ाने का पता एक अवकाश-प्राप्त बाग़बान ने लगाया जो एक धातु-डिटेक्टर का प्रयोग खोयी हुई एक हथौड़ी को ढूँढने के लिए कर रहा था। एक विशेषज्ञ ने खोज का मूल्य कम-से-कम १.५ करोड़ डॉलर आँका है। एक जूरी ने ख़ज़ाने को ब्रिटिश सरकार की संपत्ति निश्चित किया है, जिसका अर्थ है कि ७०-वर्षीय ऐरिक लोज़ को, जिसने ख़ज़ाने का पता लगाया, ख़ज़ाने के बाज़ारी मूल्य के बराबर अनुग्रही अदायगी प्राप्त होगी। ख़ज़ाने को सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए ब्रिटिश संग्रहालय में रखा गया है, गार्डियन वीकली ने रिपोर्ट किया।
विश्व-स्वास्थ्य रिपोर्ट
रोग के विरुद्ध विश्वव्यापी संघर्ष का एक फीका चित्र खींचते हुए, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने, अपनी विश्व स्वास्थ्य स्थिति पर आठवीं रिपोर्ट में कहा: “इस शताब्दी में पहली बार अमरीकी देशों में कॉलेरा फैलने से, पीत ज्वर और लंगड़ा ज्वर महामारियों का और भी अधिक संख्या को प्रभावित करने से, और मलेरिया की स्थिति बदतर होने से, प्रतीत होता है कि उष्णप्रदेशीय रोग आक्रमण कर रहे हैं . . . एडस् महामारी विश्वव्यापी रूप से फैल रही है . . . फेफड़ों का क्षयरोग बढ़ रहा है . . . विकासशील संसार में, कैंसर के किस्सों की संख्या पहली बार विकसित देशों में कैंसर के किस्सों की संख्या से ज़्यादा हो गई है। मधुमेह हर तरफ़ बढ़ रहा है।” वर्ष १९८५-९० तक की अवधि को लेते हुए, रिपोर्ट ने दिखाया कि प्रत्येक वर्ष ५ करोड़ व्यक्तियों की मृत्यु में से ४ करोड़ ६५ लाख मृत्यु बीमारी और रोग के कारण होती हैं। रिपोर्ट ने यह भी दिखाया कि प्रत्येक वर्ष जन्मे १४ करोड़ शिशुओं में से तकरीबन ४० लाख शिशु अपने जन्म के बाद कुछ ही घंटों या दिनों में मर जाते हैं। प्रत्येक वर्ष सत्तर लाख कैंसर के नए किस्से बनते हैं, और एक वर्ष में दस लाख से अधिक लोग एडस्-करनेवाले एच.आइ.वी. से संक्रामित होते हैं। इसके उज्ज्वल पहलू में, कुछ बालावस्था रोग, जैसे कि खसरा और काली खाँसी, कम हो रहे हैं, और प्रत्याशित जीवनकाल एक से दो वर्षों तक बढ़ा है। विश्वव्यापी औसत अब ६५ वर्ष है।
अमरीका में धूम्रपान-संबंधी मौतें कम हो रही हैं
अमरीकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केन्द्र (सीडीसी) ने धूम्रपान-संबंधी मौतों की संख्या में कमी की घोषणा की है। वर्ष १९८५ से, जब रिकार्ड रखने शुरू किए गए, यह पहली बार हुआ है। प्रत्येक वर्ष सिगरेट पीने से मरनेवाले अमरीकी लोगों की संख्या १५,००० से घट गयी, यह संख्या १९९० में घटकर ४,१९,००० हो गयी। यह मूलतः धूम्रपान-प्रेरित हृदय रोग में कमी के कारण हुआ है। वर्ष १९६५ में अमरीकी वयस्कों में से कुछ ४२.४ प्रतिशत धूम्रपान करते थे। वर्ष १९९० में यह २५.५ प्रतिशत हो गया। लेकिन, धूम्रपान अब भी निरोध्य रोग और मृत्यु का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है और प्रत्येक वर्ष स्वास्थ्य ख़र्च को लगभग $२० अरब से बढ़ाता है। जबकि सरकार प्रत्येक वर्ष लगभग $१० लाख धूम्रपान-विरोधी विज्ञापनों पर ख़र्च करती है, तम्बाकू उद्योग धूम्रपान बढ़ाने के लिए प्रवर्तकों और विज्ञापनों पर $४ अरब ख़र्च करता है। सीडीसी रिपोर्ट करता है कि धूम्रपान प्रत्येक धूम्रपान करनेवाले के औसतन प्रत्याशित जीवनकाल में पाँच वर्षों को घटाता है।
पहियों पर अस्पताल
एक असामान्य अस्पताल भारत में बीमारों की सहायता कर रहा है: एक रेलगाड़ी जिसे लाइफलाईन एक्सप्रेस कहा जाता है। एशियावीक पत्रिका रिपोर्ट करती है कि यह रेलगाड़ी “पहियों पर एक वास्तविक अस्पताल” है, जिसे स्वयंसेवी डॉक्टर चलाते हैं। यह गाँवों में जाती है और एक से डेढ़ महीने तक रुकती है। इस तरह, इससे पहले कि वह अगले गाँव की ओर चल पड़े, उसके शल्यचिकित्सकों को कम-से-कम ६०० मरीज़ों का उपचार करने का समय मिलता है। इम्पैक्ट इंडिया फाउन्डेशन नामक लाभ-रहित समूह द्वारा चलाए गए, इस चलते-फिरते अस्पताल ने अब तक कुछ ४,००,००० लोगों की सहायता की है। इम्पैक्ट इंडिया की ज़ैल्मा लाज़रस रिपोर्ट करती है: “यह परियोजना थोड़े ही समय में एक विशाल कार्य में विकसित हो गयी है। अन्य देश अब हमें एक समान चलती-फिरती अस्पताल व्यवस्था खड़ी करने के लिए कह रहे हैं।”
कोई अन्त नज़र नहीं आता
वर्ष १९८९ में, क्रेग शरगोल्ड, एक सात-वर्षीय अंग्रेज़ लड़का, ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित था और उसके जीवित बचने की अपेक्षा नहीं की गई थी। उसकी इच्छा थी कि वह अधिकतम स्वास्थ्य-शुभकामना कार्ड प्राप्त करने का विश्व रिकॉर्ड तोड़े। संचार माध्यम और अटलान्टा-स्थित चिल्ड्रनस् विश फाउन्डेशन इंटरनैशनल द्वारा प्रचारित, महीनों में ही रिकॉर्ड टूट गया। पहले वर्ष, १ करोड़ ६० लाख शुभकामना-कार्ड प्राप्त हुए, और १९९२ तक ३ करोड़ ३० लाख। दो से ज़्यादा वर्ष पहले, और अधिक कार्ड न भेजने के निवेदन किए जाने के बावजूद भी हर सप्ताह ३,००,००० कार्ड के दर पर अब भी प्राप्त किए जा रहे हैं। गिनती ६ करोड़ पर रोक दी गयी। फाउन्डेशन के अध्यक्ष आर्थर स्टाईन कहते हैं, “हमारे पास ९०० वर्ग मीटर का गोदाम है जो छत तक ऐसी चिट्ठियों से भरा हुआ है जिन्हें अब तक खोला नहीं गया।” एक हितकारी की सहायता से, क्रेग का आपरेशन १९९१ के प्रारंभ में किया गया, और ९० प्रतिशत ट्यूमर निकाला गया।