युवा लोग पूछते हैं . . .
मैं इन भावनाओं को कैसे दूर कर सकता हूँ?
“मैं समलिंगकामुकता को अब बहुत ही घृणित समझता हूँ, फिर भी कभी-कभी मैं अपने आपको उसकी तरफ़ आकर्षित पाता हूँ। ये भावनाएँ मुझे कभी-कभी दिन-रात परेशान करती हैं। मैं ने यहोवा से निरन्तर प्रार्थना की है कि ‘इन भद्दी भावनाओं को दूर कर दीजिए!’ क्या वे कभी दूर होंगी?”—डॆनिस।a
अनेक मसीही युवाओं—लड़कों और लड़कियों—ने मदद के लिए समान आग्रही निवेदन किए हैं। वे समलिंगकामुकता की ओर झुकाव महसूस करते हैं लेकिन वे उस स्वच्छन्द संभोग, रोग और नैतिक शून्यता में भाग नहीं लेना चाहते हैं जो उस जीवन-शैली की विशेषता है। उससे भी महत्त्वपूर्ण, वे परमेश्वर को प्रसन्न करना चाहते हैं और वह अपने वचन में स्पष्ट रूप से समलिंगकामुकता की निन्दा करता है।—रोमियों १:२६, २७; कुलुस्सियों १:१०.
अकसर ऐसा दावा किया जाता है कि समलिंगी व्यक्ति बदल नहीं सकते। लेकिन यह सच नहीं है। कुछ प्रारंभिक मसीहियों ने पहले समलिंगकामुकता का अभ्यास किया था, लेकिन उनमें बदलाव आया। (१ कुरिन्थियों ६:९-११) जी हाँ, लोकप्रिय धारणाओं के विपरीत, लोग बदल सकते हैं और बदलते भी हैं। हालाँकि, एक युवा शायद सफलतापूर्वक समलिंगी कार्यों से दूर रहे, फिर भी वह शायद समलिंगी इच्छा को पूरी तरह मिटाना मुश्किल पाए। एक युवक ने स्वीकार किया: “मैं ने अपनी भावनाओं को बदलने की कोशिश की है। मैं ने मदद के लिए यहोवा से प्रार्थना की है। मैं ने बाइबल पढ़ी। इस विषय पर मैं ने भाषण सुने हैं। लेकिन मैं यह नहीं जानता कि इसके बाद मदद के लिए कहाँ जाऊँ।”
इसका कोई जादुई या तात्क्षणिक इलाज नहीं है। डॆनिस याद करता है: “मैं ने ‘मर्द’ बनने की कोशिश में अपने आपको स्वच्छन्द इतरलिंगी कार्यों में लगा दिया। यह सबकुछ व्यर्थ था और इससे ज़्यादा दर्द ही पैदा हुआ।” फिर भी, बाइबल सिद्धांतों को लागू करने के द्वारा, एक व्यक्ति इन भावनाओं का सामना कर सकता है।
ग़लत सोच-विचार के ढंग पहचानना
सबसे पहले, इस बात को समझिए कि कार्यों से पहले विचार आते हैं। (यशायाह ५५:६, ७; याकूब १:१४, १५) वाक़ई, डॉ. वेन डब्ल्यू. डायर कहता है: “आपकी भावना (आवेग), पहले विचार आए बग़ैर नहीं जाग सकती।” सो समलिंगी इच्छाओं का मूल कारण हो सकता है अपने, विपरीत लिंग, प्रेम इत्यादि के बारे में विकृत सोच-विचार का ढंग। इससे पहले कि एक व्यक्ति ‘अपने मन को नया’ करे और ऐसे विचारों को बदल सके, उसे इन विचारों को पहले पहचानना चाहिए। (रोमियों १२:२, NHT) ऐसा करना एक व्यक्ति को इस बात की मूल्यवान अंतर्दृष्टि दे सकता है कि वह समान लिंग के सदस्यों की ओर आख़िर क्यों आकर्षित हो जाता है।
एक व्यक्ति ऐसा कैसे कर सकता है? एक तरीक़ा है, भजनहारे की तरह प्रार्थना करना: “हे ईश्वर, मुझे जांचकर जान ले! मुझे परखकर मेरी चिन्ताओं को जान ले! और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं।” (भजन १३९:२३, २४) एक विचारशील और प्रौढ़ मसीही के साथ अपनी भावनाओं की चर्चा करने से भी मदद मिल सकती है। जैसे नीतिवचन २७:१७ कहता है, “लोहा लोहे को चमका देता है।” अतः एक युवक ने एक ऐसे मसीही प्राचीन को अपने दिल की बात बतायी जो सहानुभूतिशील और करुणामय होने के लिए प्रसिद्ध था। अपनी गुप्त बात को लेकर किसी पर भरोसा करना उसके लिए किसी भी तरह आसान नहीं था, लेकिन एक मूल्यवान रिश्ता विकसित हुआ। वह कहता है: “मैं किसी भी विषय पर उससे बात कर सकता हूँ।” वह प्राचीन न सिर्फ़ सुनता है बल्कि कुशलतापूर्वक प्रश्न पूछने के द्वारा उस युवक की भावनाओं और विचारों को निकलवाने में मदद करता है।—नीतिवचन २०:५ से तुलना कीजिए।
यदि एक पुरुष का एक तिरस्कार या दुर्व्यवहार करनेवाला पिता रहा हो, तो वह शायद यह पाए कि समान लिंग की ओर उसका आकर्षण, असल में पिता के प्रेम की ज़रूरत को पूरा करने का निष्फल प्रयास है। क्योंकि उसके सामने कभी एक आदर्श-पुरुष नहीं रहा, वह शायद ऐसा भी महसूस करे जिसे डॉ. जोसफ निकोलोसी “पुरुषत्व से जुड़े हुए गुण, अर्थात् शक्ति, निश्चय और ताक़त के सम्बन्ध में कमज़ोरी और असमर्थता का भाव” कहता है। यदि एक व्यक्ति जिन विशेष गुणों की कमी महसूस करता है उन पर बारी-बारी विचार करे, तो उसे यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन्हीं गुणों को वह दूसरे पुरुषों में आकर्षक पाता है।
अतीत के दुःखद “सबक़”
अन्य युवा यह महसूस करने लगते हैं कि उनकी समस्या अतीत के दुःखद अनुभवों से जुड़ी हुई है। एक लड़की याद करती है: “मैं ऐसे अश्लील साहित्य के प्रभाव में आयी जो समलैंगिक विषयों पर था। मुझमें अस्वाभाविक इच्छाएँ विकसित होने लगीं।” एक युवक कहता है: “मैं अपने पिता की ओर से कौटुम्बिक व्यभिचार से पीड़ित था। इसके परिणामस्वरूप, पुरुष के साथ मैथुन मुझे सामान्य लगता था।” ऐसे दर्दनाक अनुभव पीड़ितों को शायद यह सिखाएँ कि विपरीत लिंग को नापसंद करें यहाँ तक कि उससे डरें या कि प्रेम की बराबरी शारीरिक सम्बन्धों से करें। अतः एक पीड़ित अपनी लैंगिक इच्छाओं का वर्णन “शारीरिक नहीं, बल्कि एक भावात्मक ज़रूरत—कोमलता और सहानुभूति की ज़रूरत”—के तौर पर करती है।
लेकिन, यह सच है कि समलिंगकामुकता के कारण जटिल हैं और कई मामले सरल रूप से समझ में नहीं आते।b लेकिन, चाहे कोई भी बात ग़लत सोच-विचार का कारण बनी हो, उसे सही करने के लिए एक व्यक्ति काफ़ी कुछ कर सकता है।
अपने मन को नया करना
परमेश्वर के वचन का प्रयोग करना सबसे बेहतरीन तरीक़ा है। एक युवक का उदाहरण लीजिए, जो अपने आपको पुरुषों की ओर आकर्षित पाता है। ये पुरुष ऐसे पुरुषवत् गुणों को प्रदर्शित करते हैं जिनकी कमी वह युवक अपने आप में महसूस करता है। या एक युवती का उदाहरण लीजिए जो विपरीत लिंग से डरती है। यीशु के उदाहरण का अध्ययन करना एक तरीक़ा है जिससे वे दोनों पुरुषत्व के बारे में स्वस्थ नज़रिया विकसित कर सकते हैं। (१ पतरस २:२१) वह कोमलता से संतुलित पुरुषवत् शक्ति का एक परिपूर्ण आदर्श था। (मत्ती १९:१४; यूहन्ना १९:५) अतः एक युवक वह सर्वश्रेष्ठ मनुष्य जो कभी जीवित रहा किताब का अध्य्यन करना सहायक पाता है।c “यीशु को जानना, एक पुरुष की मेरी छवि को नयी परिभाषा प्रदान करता है,” वह कहता है।
समान रूप से अपने सोच-विचार को सही करने के लिए ऐसे बाइबल पाठों पर मनन करना सहायक होता है, जिनमें मैथुन, प्रेम और समान-लिंग की दोस्ती के बारे में परमेश्वर के नज़रिए के विषयों पर बात की गयी है।—उत्पत्ति १:२७, २८; रूत १:१६, १७; १ शमूएल १८:१; नीतिवचन ५:१८, १९; १ कुरिन्थियों १३:४-८.
यह भी महत्त्वपूर्ण है कि ग़लत विचारों पर सोचते रहने से दूर रहें। अकसर ये आवेग विशेष रूप से तब शक्तिशाली होते हैं जब एक व्यक्ति अकेला, हताश या निराश होता है। (नीतिवचन २४:१०) एक मसीही स्त्री कहती है, “हम जो हैं उसे बदलने का एकमात्र तरीक़ा है बुरे विचारों को अच्छे विचारों में बदलना।” जब एक अपवित्र आवेग उस पर हावी होता है, तो वह अपने आपको समलिंगकामुकता के बारे में परमेश्वर के नज़रिए की याद दिलाती है। एक किशोर कहता है: “जब कभी मैं समलिंगी आवेग महसूस करता हूँ, मैं अपने प्रिय बाइबल पाठ पर मनन करता हूँ।” (२ कुरिन्थियों १०:४ से तुलना कीजिए. फिलिप्पियों ४:८) अन्य लोगों ने वॉच टावर संस्था के विभिन्न बाइबल-आधारित ऑडियोकैसेट को सुनते-सुनते सो जाना सहायक पाया है।
जिस प्रकार हमारे सोचने का ढंग हमारे व्यवहार को प्रभावित करता है, ठीक उसी प्रकार हमारा व्यवहार हमारे सोचने और महसूस करने के तरीक़े को प्रभावित कर सकता है। इसलिए एक व्यक्ति का ऐसे बर्ताव और संगति को रोकना भी ज़रूरी है जो ग़लत इच्छा को प्रेरित कर सकता है या बढ़ा सकता है। (१ कुरिन्थियों १५:३३) एक व्यक्ति को शायद सार्वजनिक विश्राम घरों, समुद्र के किनारों, लॉकर रूम और ऐसे अन्य स्थानों के मामले में भी “सावधान रहने” की ज़रूरत हो जो एक व्यक्ति को प्रलोभन के लिए खुला छोड़ सकते हैं।—भजन ११९:९.
हस्तमैथुन एक और हानिकर अभ्यास है जिससे दूर रहना है। अनेक समलिंगी पुरुषों और स्त्रियों के लिए यह एक अनियंत्रणीय मजबूरी है। “जब मैं छः साल का था तब से मुझे हस्तमैथुन की समस्या रही है,” एक युवक स्वीकार करता है। “लैंगिक कल्पनाओं ने मेरी समलिंगी भावनाओं को और भी बढ़ा दिया।” इस गंदी आदत का विरोध कीजिए!d—कुलुस्सियों ३:५.
दूसरी ओर, यह भी महत्त्वपूर्ण है कि एक व्यक्ति बर्ताव के स्वास्थ्यकर ढंग स्थापित करे। कुछ लोगों ने सुझाव दिया है कि यदि एक युवक पुरुषवत् गुणों को विकसित करे, तो वह शायद अन्य पुरुषों की ओर कम आकर्षित हो। निःसंदेह, एक युवक का यदि बचपन में कोई मज़बूत आदर्श-पुरुष न रहा हो, तो वह शायद यह जान नहीं पाएगा कि ऐसा किस तरह करे। वह शायद अपने ही शरीर से बेचैन हो और अजीब या नामर्द महसूस करे। मेहनत का काम, संतुलित व्यायाम या थकावट दूर करनेवाली खेल गतिविधियाँ इस सम्बन्ध में अकसर सहायक हो सकती हैं। (१ तीमुथियुस ४:८ से तुलना कीजिए।) लेकिन ठीक जैसे युवा तीमुथियुस प्रेरित पौलुस के लिए पुत्र जैसा बन गया, एक संतुलित वृद्ध मसीही पुरुष के साथ एक स्वस्थ समझ विकसित करना एक व्यक्ति को विशेषकर सहायक मालूम हो सकता है। (फिलिप्पियों २:१९-२२; २ तीमुथियुस ३:१०) बर्ताव की स्पष्ट सीमाएँ स्थापित करने के द्वारा और खुले संचार को बढ़ाने के द्वारा, ऐसे सम्बन्ध में स्नेह और भरोसा हो सकता है, फिर भी यह किसी कामुक अधिछवि से मुक्त हो सकता है।
इन सबसे अधिक, एक व्यक्ति को मज़बूत आध्यात्मिक अभियान चलाना चाहिए। बाइबल का नियमित अध्ययन, प्रार्थना और अपने विश्वास को दूसरों के साथ बाँटना, व्यक्ति को अपना मन आध्यात्मिक मार्ग पर रखने के लिए मदद करता है। (भजन ५५:२२; ११९:११; रोमियों १०:१०) कभी-कभी अयोग्यता की भावनाएँ शायद संगी मसीहियों के साथ संगति करना मुश्किल कर दें, लेकिन बाइबल अपने आपको अलग करने के विरुद्ध चेतावनी देती है। (नीतिवचन १८:१) दोनों लिंगों के मसीहियों से हितकर संगति एक व्यक्ति को संतुलित रहने में मदद कर सकती है।—इब्रानियों १०:२४, २५.
यदि आप समलिंगी इच्छा से पीड़ित हैं, तो ये सुझाव सहायक साबित हो सकते हैं। लेकिन, यदि बुरी भावनाएँ बनी रहती हैं तो अत्यधिक रूप से निरुत्साहित न हो जाइए। परमेश्वर आपकी भावनाओं को समझता है और उसे उन लोगों के लिए करुणा है जो उसकी सेवा करने के लिए संघर्ष करते हैं। (१ यूहन्ना ३:१९, २०) नए संसार में, मानवजाति उन सभी बीमारियों से चंगाई का अनुभव करेगी जो हमें पीड़ित करती हैं। (प्रकाशितवाक्य २१:३, ४) इस बीच, परमेश्वर पर भरोसा रखिए और ग़लत इच्छाओं का विरोध कीजिए। (गलतियों ६:९) समय के बीतने पर और दृढ़संकल्प प्रयास से, स्वयं ग़लत इच्छाएँ कम हो सकती हैं।
[फुटनोट]
a कुछ नाम बदल दिए गए हैं।
b हमारा फरवरी ८, १९९५ (अंग्रेज़ी) अंक का “युवा लोग पूछते हैं. . . ” देखिए।
c वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित।
d युवाओं के प्रश्न—व्यावहारिक उत्तर (अंग्रेज़ी, वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित) किताब के अध्याय २५ और २६ में, एक युवा को इस व्यसन से छुटकारा पाने में मदद करने के लिए व्यावहारिक सुझाव हैं।
[पेज 24 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
यीशु के उदाहरण का अध्ययन करने के द्वारा पुरुषत्व का एक स्वस्थ नज़रिया विकसित कीजिए