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सजग होइए!–1996
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आज की विज्ञान-कथा पर एक नज़र

मोटर गाड़ियाँ, टेलीफ़ोन, कम्प्यूटर—क्या १३० साल से पहले, संभवतः कोई उनके आविष्कार की पूर्वदृष्टि पा सकता था? विज्ञान-कथा (SF) लेखक जूलस्‌  वर्न ने पायी थी! ये हैरान करनेवाली वैज्ञानिक अंतर्दृष्टियाँ जूलस्‌ वर्न के एक उपन्यास, जिसका शीर्षक है बीसवीं शताब्दी में पैरिस (अंग्रेज़ी) की हाल ही में खोजी गयी हस्तलिपियों में मिलीं। इस पहले अप्रकाशित उपन्यास में, वर्न ने एक यंत्र का भी वर्णन किया जो आधुनिक फैक्स मशीन से बहुत-ही मिलता-जुलता है!a

लेकिन, विज्ञान-कथा के सबसे चतुर लेखक भी सच्चे भविष्यवक्‍ता होने से कोसों दूर हैं। उदाहरण के लिए, जूलस्‌ वर्न की पृथ्वी के केंद्र तक यात्रा (अंग्रेज़ी) पढ़ना रुचिकर है, लेकिन वैज्ञानिक अब जानते हैं कि एक ऐसी यात्रा करना असंभव है। न ही ऐसा संभव प्रतीत होता है कि वर्ष २००१ में मनुष्य बृहस्पति अथवा अन्य ग्रहों की यात्रा करेंगे, जैसा कि कुछ लोगों ने पहले सुझाया था।

विज्ञान-कथा लेखक अनेक चकित करनेवाले वैज्ञानिक विकासों को भी पूर्वबताने में असफल रहे हैं जो असल में हुए हैं। अटलांटिक मासिक (अंग्रेज़ी) में छपे एक लेख में, विज्ञान-कथा लेखक थॉमस एम. डिश स्वीकार करता है: “संतांत्रिक [कम्प्यूटर] युग . . . , ग्रीनहाऊस प्रभाव या ओज़ोन परत का विनाश या एड्‌स की कल्पना करने से चूकना, SF की इन सभी असफलताओं पर विचार कीजिए। शक्‍ति के नए भू-राजनैतिक असंतुलन पर विचार कीजिए। इन सभी बातों पर विचार कीजिए, और फिर पूछिए कि SF ने इनके बारे में क्या कहा। लगभग एक भी शब्द नहीं।”

विज्ञान-कथा—बड़ा व्यापार

निःसंदेह, प्रशंसकों के लिए विज्ञान-कथा सैद्धान्तिक विज्ञान नहीं परन्तु मनोरंजन है। फिर भी, ऐसे लोग हैं जो इस पहलू में भी उसके महत्त्व पर प्रश्‍न उठाते हैं। घटिया पत्रिकाओं के प्रकाशन के साथ जो विज्ञान-कथा में ख़ासियत रखती थीं, विज्ञान-कथा को इस शताब्दी के आदि से रद्दी साहित्य होने का नाम मिलना शुरू हुआ। इनमें से पहली, पत्रिका आश्‍चर्यजनक कहानियाँ (अंग्रेज़ी) १९२६ में बिकना शुरू हुई। इसके संस्थापक, ह्‍यूगो गर्नस्बैक को उस शब्द का आविष्कार करने का श्रेय दिया जाता है जो पद “विज्ञान-कथा” बन गया। अनेक लोगों ने महसूस किया कि इन सनसनीखेज़ साहस की कहानियों का शायद ही कुछ साहित्यिक मूल्य था।

दूसरे विश्‍व युद्ध के बाद विज्ञान-कथा को ज़्यादा गंभीरता से लिया जाने लगा। उस युद्ध में विज्ञान ने जो नाटकीय भूमिका अदा की उसने विज्ञान को नयी प्रतिष्ठा दी। विज्ञान-कथा लेखकों के पूर्वकथन ज़्यादा विश्‍वसनीय प्रतीत होने लगे। सो विज्ञान-कथा कॉमिक्स, पत्रिकाओं, और काग़ज़-जिल्द पुस्तकों का प्रकाशन बढ़ने लगा। कड़े-जिल्द की विज्ञान-कथा पुस्तकें सबसे अधिक बिकनेवाली पुस्तकों की सूची में आ गयीं। लेकिन जैसे-जैसे विज्ञान-कथा जन बाज़ार की माँगों को पूरी करने का संघर्ष करती है, साहित्यिक गुणवत्ता—और वैज्ञानिक यथार्थता—अकसर बलि चढ़ जाती है। विज्ञान-कथा लेखक रॉबर्ट ए. हाइनलाइन शोक मनाता है कि अब “पढ़ने योग्य और थोड़ी-बहुत मनोरंजक कोई भी चीज़” प्रकाशित हो जाती है, जिसमें “ढेरों घटिया मीमांसात्मक उपन्यास” शामिल हैं। लेखिका अरसॆला के. लॆगिन आगे कहती है कि “दूसरे-दर्जे का माल” भी छप जाता है।

इतनी आलोचना के बावजूद, विज्ञान-कथा लोकप्रियता की नयी ऊँचाइयों तक पहुँच गयी है, क्योंकि इसे वैज्ञानिकों द्वारा नहीं, परन्तु चलचित्र उद्योग द्वारा उल्लेखनीय बढ़ावा मिला है।

विज्ञान-कथा “बड़े परदे” पर आती है

विज्ञान-कथा फ़िल्में १९०२ से बनी हैं जब ज़ॉर्ज़ मेल्यॆस ने फ़िल्म ए ट्रिप टू द मून बनायी। फ़िल्म देखनेवाले युवाओं की एक अगली पीढ़ी फ्लैश गॉर्डन से सम्मोहित हो गयी। लेकिन १९६८ में, मनुष्य के चाँद पर पहुँचने से एक साल पहले, फ़िल्म २००१: ए स्पेस ओडिसी को कलात्मक स्वीकृति मिली और व्यावसायिक रूप से भी वह सफल थी। हॉलीवुड ने अब विज्ञान-कथा फ़िल्मों पर बहुत पैसा लगाना शुरू किया।

दशक १९७० के अन्त और दशक १९८० के आरंभ तक, अमरीका के बॉक्स ऑफिस की आधी आमदनी एलियन, स्टार वॉरस्‌, ब्लेड रनर, और इटी: दी एक्सट्राटॆरॆस्ट्रियल जैसी फ़िल्मों से हुई। सचमुच, अब तक बनी सबसे हिट फ़िल्मों में से एक विज्ञान-कथा की देन है, जुरासिक पार्क। फ़िल्म के साथ-साथ कुछ १,००० जुरासिक पार्क उत्पादों की बाढ़ आयी। इसमें कोई हैरानी नहीं कि टीवी भी इस धारा में बह चला। लोकप्रिय कार्यक्रम स्टार ट्रॆक बाह्‍य अंतरिक्ष के बारे में अनेक कार्यक्रमों के निर्माण की ओर ले गया।

लेकिन, अनेक लोग महसूस करते हैं कि बहुजन की माँगों को पूरा करने के द्वारा, कुछ विज्ञान-कथा लेखकों ने उन गुणों को बलि चढ़ाया है जिन्होंने विज्ञान-कथा को कुछ हद तक महत्त्व दिया था। जर्मन लेखक कार्ल मिकाएल आरमर दावा करता है कि ‘विज्ञान-कथा अब मात्र एक लोकप्रिय व्यापार चिन्ह है जो अब अपने अंतर्विषय से नहीं बल्कि विक्रय तकनीकों से पहचाना जाता है।’ दूसरे शोक मनाते हैं कि आज की विज्ञान-कथा फ़िल्मों के असली “सितारे” व्यक्‍ति नहीं, परन्तु विशेष-प्रभाव हैं। एक आलोचक यहाँ तक कहता है कि विज्ञान-कथा “अपनी इतनी सारी अभिव्यक्‍तियों में घृणास्पद और नारकीय” है।

उदाहरण के लिए, अनेक तथाकथित विज्ञान-कथा फ़िल्में वास्तव में विज्ञान अथवा भविष्य के बारे में बिलकुल भी नहीं हैं। भविष्यवादी माहौल को कभी-कभी सजीव हिंसा का चित्रण करने के लिए मात्र पृष्ठभूमि के रूप में प्रयोग किया जाता है। लेखक नॉरमन स्पिनरैड नोट करता है कि आज की अनेक विज्ञान-कथा कहानियों में किसी को “गोली लगती है, छुरा भोंका जाता है, वाष्पित किया जाता है, लेज़र शस्त्र से मारा जाता है, नोंचा जाता है, निगला जाता है, या विस्फोट में उड़ा दिया जाता है।” अनेक फ़िल्मों में इस तबाही को भयावह रीति से चित्रित किया जाता है!

चिन्ता का एक और क्षेत्र है अलौकिक तत्व जो विज्ञान-कल्पना की कई पुस्तकों और फ़िल्मों में प्रस्तुत किया जाता है। जबकि कुछ लोग ऐसी कहानियों को भलाई और बुराई के बीच मात्र लाक्षणिक लड़ाइयाँ समझें, ऐसा लगता है कि इनमें से कुछ कृतियाँ रूपक-कथाओं से आगे जाती हैं और प्रेतात्मवादी अभ्यासों को बढ़ावा देती हैं।

संतुलन की ज़रूरत

निःसंदेह, बाइबल अपने आप में कल्पनात्मक मनोरंजन की निन्दा नहीं करती। वृक्षों के बारे में योताम की नीतिकथा में, ऐसा चित्रित किया गया कि निर्जीव पौधे एक दूसरे से बात कर रहे हैं—यहाँ तक कि योजनाएँ और षडयंत्र बना रहे हैं। (न्यायियों ९:७-१५) समान रीति से भविष्यवक्‍ता यशायाह ने एक कल्पनात्मक यंत्र प्रयोग किया जब उसने लम्बे अरसे से मरे हुए राष्ट्रीय शासकों को क़ब्र में बातचीत करते हुए चित्रित किया। (यशायाह १४:९-११) यीशु की भी कुछ नीतिकथाओं में ऐसे तत्व थे जो असलियत में पूरे नहीं हो सकते। (लूका १६:२३-३१) ऐसे कल्पनात्मक यंत्रों ने उपदेश और सिखाने का काम किया, मात्र मनोरंजन करने का नहीं।

आज कुछ लेखक उपदेश देने या मनोरंजन करने के लिए उचित रूप से शायद एक भविष्यवादी माहौल का प्रयोग करें। लेकिन, वे पाठक जो सतर्क मसीही हैं यह ध्यान में रखते हैं कि बाइबल उन बातों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रबोधन देती है जो शुद्ध और हितकर हैं। (फिलिप्पियों ४:८) यह हमें इस बात की भी याद दिलाती है: “सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है।” (१ यूहन्‍ना ५:१९) विज्ञान-कथा की कुछ फ़िल्में और पुस्तकें ऐसे विचारों और तत्वज्ञानों को बढ़ाने के साधन के रूप में काम करती हैं जिनका बाइबल के साथ मेल बिठाना बिलकुल असंभव है, जैसे क्रमविकास, मानव अमरत्व, और पुनर्जन्म। बाइबल हमें आगाह करती है कि “तत्व-ज्ञान और व्यर्थ धोखे” के शिकार न बनें। (कुलुस्सियों २:८) सो विज्ञान-कथा के सम्बन्ध में सतर्कता उचित है, जैसा कि सभी प्रकार के मनोरंजन के बारे में उचित है। हम जो पढ़ते या देखते हैं उसके बारे में हमें चयनशील होना चाहिए।—इफिसियों ५:१०.

जैसा पहले बताया गया है, अनेक लोकप्रिय फ़िल्में हिंसक हैं। क्या हमारा अकारण रक्‍तपात का अंतर्ग्रहण करना यहोवा को प्रसन्‍न करेगा जिसके बारे में कहा गया है: “जो उपद्रव से प्रीति रखता है उस से वह जी से घृणा करता है”? (भजन ११:५, NHT) और चूँकि शास्त्र में प्रेतात्मवाद की निन्दा की गयी है, मसीही अच्छी परख करना चाहेंगे जब उन पुस्तकों या फ़िल्मों की बात आती है जो जादू या तन्त्र-मन्त्र जैसे तत्व प्रस्तुत करती हैं। (व्यवस्थाविवरण १८:१०) यह बात भी समझिए कि जबकि शायद एक वयस्क कल्पना और वास्तविकता के बीच बड़ी आसानी से भेद कर ले, सभी बच्चे ऐसा नहीं कर सकते। इसलिए माता-पिता इस बारे में ध्यान रखना चाहेंगे कि उनके बच्चे जो पढ़ते और देखते हैं उससे वे कैसे प्रभावित होते हैं।b

कुछ लोग शायद यह फ़ैसला करें कि वे पढ़ने और मनोरंजन के अन्य प्रकार ज़्यादा पसन्द करते हैं। लेकिन ऐसे व्यक्‍तियों को इस सम्बन्ध में दूसरों के बारे में न्यायिक होने या व्यक्‍तिगत चुनाव के मामलों में बात का बतंगड़ बनाने की कोई ज़रूरत नहीं है।—रोमियों १४:४.

दूसरी ओर, वे मसीही जो कभी-कभी मनबहलाव के लिए विभिन्‍न प्रकार के कथा-साहित्य का मज़ा लेने का चुनाव करते हैं, उन्हें सुलैमान की चेतावनी याद रखनी चाहिए: “बहुत पुस्तकों की रचना का अन्त नहीं होता, और बहुत पढ़ना देह को थका देता है।” (सभोपदेशक १२:१२) यह स्पष्ट है कि आज के संसार में अनेक लोग विज्ञान-कथा पुस्तकों और फ़िल्मों को ज़रूरत से ज़्यादा भक्‍ति देते हैं। विज्ञान-कथा क्लब और अधिवेशन बढ़ गए हैं। टाइम (अंग्रेज़ी) पत्रिका के अनुसार, पाँच महाद्वीपों पर स्टार ट्रॆक प्रशंसकों ने अपने आपको काल्पनिक भाषा क्लिंगॉन सीखने में लगा दिया है, जो स्टार ट्रॆक टीवी कार्यक्रम और फ़िल्मों में प्रस्तुत की गयी थी। ऐसा आत्यंतिक व्यवहार १ पतरस १:१३ में बाइबल की सलाह के सामंजस्य में नहीं है: ‘सचेत रहो [“संतुलित रहो,” NW फुटनोट]।’

अपने सर्वोत्तम प्रयास में भी, विज्ञान-कथा इस विषय में मनुष्य की जिज्ञासा को संतुष्ट नहीं कर सकती कि भविष्य में क्या रखा है। जो वास्तव में भविष्य जानना चाहते हैं उन्हें एक ऐसे स्रोत की ओर मुड़ने की ज़रूरत है जो निश्‍चित है। इसकी चर्चा हम अपने अगले लेख में करेंगे।

[फुटनोट]

a वर्न के शब्दों में एक “फ़ोटोग्राफ़िक टॆलीग्राफ़ [जिसने] किसी लेखन, हस्ताक्षर या डिज़ाइन की प्रतिकृति को लम्बी दूरियों तक प्रेषित करना संभव किया।”—न्यूज़वीक (अंग्रेज़ी), अक्‍तूबर १०, १९९४.

b सजग होइए! (अंग्रेज़ी) के मार्च २२, १९७८ अंक में “आपके बच्चे को क्या पढ़ना चाहिए?” लेख देखिए।

[पेज 7 पर तसवीर]

माता-पिताओं को अपने बच्चों के मनोरंजन का निरीक्षण करना चाहिए

[पेज 7 पर तसवीर]

विज्ञान-कथा के सम्बन्ध में मसीहियों को चयनात्मक होने की ज़रूरत है

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