लाइम रोग क्या आप ख़तरे में हैं?
जबकि एड्स मुख्य समाचार है, लाइम रोग का मुश्किल से ज़िक्र किया जाता है। फिर भी, लाइम रोग तीव्र-गति से फैल रहा है। वास्तव में, कुछ साल पहले, द न्यू यॉर्क टाइम्स् मैगॆज़ीन (अंग्रेज़ी) ने इसे “[अमरीका में] एड्स के बाद सबसे तीव्र-गति से फैलनेवाला संक्रामक रोग” कहा। अन्य देशों से रिपोर्टें दर्शाती हैं कि यह रोग एशिया, यूरोप, और दक्षिण अमरीका में फैल रहा है।
लाइम रोग क्या है? यह कैसे फैल रहा है? क्या आप ख़तरे में हैं?
किलनी, हिरण, और आप
क़रीब २० साल पहले लाइम शहर, कनेक्टीकट में, जो अमरीका के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है, और उसके आस-पास संधिशोथ के मामलों में एक रहस्यमयी वृद्धि हुई। इसके शिकार मुख्यतः बच्चे थे। उनका संधिशोथ पित्तिका, सरदर्द और उनके जोड़ों में दर्द के साथ शुरू हुआ। एक निवासी ने टिप्पणी की कि जल्द ही उसका “पति और दो बच्चे बैसाखी के सहारे चल रहे थे।” जल्द ही, उस क्षेत्र के ५० से अधिक लोग संक्रामित थे, और कुछ ही सालों में हज़ारों लोग उन्हीं दर्दनाक लक्षणों से पीड़ित थे।
शोधकर्ताओं ने, यह पहचानते हुए कि यह बीमारी अन्य रोगों से भिन्न थी, इसे लाइम रोग नाम दिया। इसका कारण? बोरेलिया बुर्गडोर्फेरि—एक कॉर्क-पेच जैसे आकार वाला जीवाणु जो किलनी में रहता है। यह कैसे फैलता है? जंगल में टहलते हुए एक व्यक्ति पर एक संक्रामित किलनी लग सकती है। यह किलनी उस व्यक्ति की त्वचा को भेदती है और रोग उत्पन्न करनेवाले जीवाणु को उस अभागे टहलनेवाले में डाल देती है। क्योंकि ये संक्रामित किलनियाँ अकसर हिरणों पर सवारी करतीं, भोजन करतीं और जोड़ा बनातीं हैं और क्योंकि अधिकाधिक लोग ग्रामीण क्षेत्रों में बस रहे हैं जहाँ हिरण फल-फूल रहे हैं, इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि लाइम रोग के पीड़ितों की संख्या बढ़ रही है।
लक्षण और समस्याएँ
लाइम रोग का पहला लक्षण साधारणतया एक त्वचा पित्तिका (जिसे एराईथीमा मीग्रान्स्, या ई.एम. कहा जाता है) होती है जो एक छोटी लाल फुंसी के रूप में शुरू होती है। कई दिनों या सप्ताहों की अवधि के दौरान, वह सूचक फुंसी फैलकर गोलाकार, त्रिकोण आकार या दीर्घवृत्ताकार पित्तिका में बदल जाती है जो शायद एक सिक्के के जितनी हो या यह एक व्यक्ति की पूरी पीठ पर फैल सकती है। ज्वर, सरदर्द, गर्दन की अकड़न, शरीर का दर्द, और थकान अकसर इस पित्तिका के साथ-साथ होते हैं। यदि समय पर इलाज नहीं कराया गया तो आधे से ज़्यादा शिकारों को जोड़ों में दर्द और सूजन के दौरे पड़ते हैं जो कई महीनों तक रह सकते हैं। जिन मरीज़ों का इलाज नहीं कराया जाता उनमें से २० प्रतिशत तक जीर्ण संधिशोथ से पीड़ित हो जाते हैं। हालाँकि यह इतना साधारण नहीं है, यह रोग शायद स्नायु तंत्र को भी प्रभावित करे और हृदय की समस्याएँ उत्पन्न करे।—साथ दिए गए बक्स को देखिए।
अनेक विशेषज्ञ लाइम रोग का निदान करना मुश्किल मानते हैं क्योंकि इसके प्रारंभिक श्लैष्मिक ज्वर-समान लक्षण अन्य संक्रमणों के लक्षणों के समान हैं। इसके अलावा, हर ४ संक्रामित लोगों में से १ को पित्तिका नहीं होती—वह एकमात्र पहचान चिन्ह जो लाइम रोग के लिए अनोखा है—और अनेक मरीज़ यह याद नहीं कर सकते कि उन्हें एक किलनी ने काटा था या नहीं क्योंकि उसका काटना अकसर दर्दहीन होता है।
इस रोग के निदान में और बाधाएँ आती हैं क्योंकि इस समय उपलब्ध प्रतिपिण्ड रक्त परीक्षण विश्वसनीय नहीं हैं। मरीज़ों के रक्त में प्रतिपिण्ड बताते हैं कि शरीर के रोगक्षम तंत्र ने आक्रमणकारियों का पता लगाया है, लेकिन कुछ परीक्षण यह नहीं बता सकते हैं कि वे आक्रमणकारी लाइम रोग के रोगाणु हैं या नहीं। सो एक मरीज़ लाइम रोग की जाँच में शायद रोगी साबित हो जबकि वास्तव में, उसके लक्षण अन्य रोगाणु संक्रमणों की वजह से हों। अतः अमरीका के स्वास्थ्य के राष्ट्रीय संस्थान (एन.आइ.एच.) चिकित्सकों को सलाह देता है कि वे अपना निदान किलनी द्वारा काटे जाने के उस व्यक्ति की याद, मरीज़ के लक्षण, और अन्य रोगों का पूर्ण अपवर्जन, जिनकी वजह से ये लक्षण संभवतः हो सकते हैं, के आधार पर करें।
चिकित्सा और निरोध
यदि सही समय पर निदान किया जाता है तो अधिकांश मरीज़ों का प्रतिजैविक पदार्थों से सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है। जितना जल्दी इलाज शुरू होगा, उतना जल्दी और पूर्ण स्वास्थ्यलाभ होगा। इलाज के बाद कई महीनों तक थकावट और दर्द शायद रहे, लेकिन ये लक्षण अतिरिक्त प्रतिजैविक चिकित्सा की ज़रूरत के बिना घटेंगे। लेकिन एन.आइ.एच. चिताता है, “लाइम रोग का एक बार होना इस बात की गारंटी नहीं है कि यह रोग भविष्य में नहीं होगा।”
क्या वह बेचैन करनेवाली प्रत्याशा कभी बदलेगी? अमरीका में येल विश्वविद्यालय के चिकित्सा स्कूल के एक समाचार विज्ञाप्ति ने घोषणा की कि शोधकर्ताओं ने एक परीक्षणात्मक वैक्सीन तैयार की है जो लाइम रोग का शायद निरोध करे। यह “दोहरा-असर करनेवाली” वैक्सीन मानव रोगक्षम तंत्र को प्रतिपिण्ड उत्पन्न करने के लिए उत्तेजित करती है जो आक्रमणकारी लाइम रोगाणु पर आक्रमण करती और उसे मार देती है। उसी समय, यह उस किलनी में रहनेवाले रोगाणु को भी नाश कर देती है जो वैक्सीन प्राप्त व्यक्ति को काटती है।
“इस वैक्सीन का परीक्षण करना,” डॉ. स्टीवन इ. मालाविस्ता कहते हैं, जो १९७५ में लाइम रोग का पता लगानेवाले शोधकर्ताओं में से एक थे, “लाइम रोग के संभावित गंभीर परिणामों से लोगों को सुरक्षा देने के हमारे प्रयासों में एक महत्त्वपूर्ण क़दम है।” द न्यू यॉर्क टाइम्स् (अंग्रेज़ी) नोट करता है कि वैज्ञानिक आशा करते हैं कि उन क्षेत्रों में जहाँ रोग के डर ने लोगों को घरों में बन्द रखा है, वहाँ “यह वैक्सीन उस मरुभूमि को मानव इस्तेमाल के लिए योग्य बनने में मदद देगा।”
लेकिन इस बीच, आप अपने कुछ निरोधक क़दम उठा सकते हैं। एन.आइ.एच. सलाह देता है: यदि किलनियों से भरे क्षेत्रों से चल रहे हों तो पगडंडियों के बीच में रहिए। लम्बे पतलून, लम्बी बाँहवाली शर्ट, तथा एक टोपी पहनिए। पतलून के पैर जुराबों के अन्दर डालिए और ऐसे जूते पहनिए जिससे पैरों का कोई भी हिस्सा खुला न हो। हल्के रंग के कपड़े पहनने से किलनियों का पता लगाना आसान हो जाता है। कपड़े या त्वचा पर लगाए जानेवाले कीट निवारक प्रभावकारी हैं लेकिन ख़ासकर बच्चों को गंभीर अनुषंगी प्रभाव हो सकते हैं। “लाइम रोग के क्षेत्रों में गर्भवती स्त्रियों को किलनियों से दूर रहने के लिए ख़ासकर सचेत रहना चाहिए,” एन.आइ.एच. चिताता है, “क्योंकि संक्रमण अजन्मे बच्चे को दिया जा सकता है” और गर्भपात या मृत्जात शिशु की संभावनाएँ बढ़ा सकता है।
घर पहुँचने के तुरन्त बाद, स्वयं अपनी और अपने बच्चों की किलनियों के लिए जाँच कीजिए, ख़ासकर शरीर के रोएँदार हिस्सों में। यह ध्यानपूर्वक कीजिए क्योंकि अवयस्क किलनी चन्द्रबिन्दु के बिन्दु जितनी छोटी होती है और आप आसानी से उसे गंदगी का एक कण समझने की गलती कर सकते हैं। यदि आपके पालतू पशु हैं, तो घर में उनके प्रवेश करने से पहिले उन्हें भी जाँचिए—उन्हें भी लाइम रोग हो सकता है।
आप एक किलनी को कैसे निकालते हैं? अपनी खाली उंगलियों से नहीं परन्तु नोकहीन चिमटों से। धीरे से परन्तु मज़बूती से किलनी के सिर के पास पकड़िए और खींचिए जब तक कि वह त्वचा पर अपनी पकड़ नहीं छोड़ती, लेकिन उसके शरीर को मत दबाइए। फिर जहाँ उसने आपको काटा है उस क्षेत्र को एक रोगाणुरोधक से अच्छी तरह साफ़ कीजिए। किलनी को २४ घंटों के अन्दर निकालना आपको शायद लाइम रोग संक्रमण से बचाएगा, संक्रामक रोगों के एक अमरीकी विशेषज्ञ, डॉ. गॆरी वर्मज़र कहते हैं।
माना कि जहाँ भारी संख्या में किलनियाँ हैं वहाँ भी अपंगकारी लाइम रोग होने की संभावनाएँ कम है। लेकिन इन साधारण सावधानियों को बरतना, इसकी कम संभावना को और भी कम कर देगा। क्या ये सुरक्षण इस मेहनत के योग्य हैं? लाइम रोग के किसी भी मरीज़ से पूछिए।
[पेज 21 पर बक्स]
लाइम रोग के चिन्ह
प्रारंभिक संक्रमण:
○ पित्तिका
○ पेशियों ओर जोड़ों में दर्द
○ सरदर्द
○ गर्दन की अकड़न
○ उल्लेखनीय थकावट
○ ज्वर
○ आननपेशीघात
○ मस्तिष्कावरणशोथ
○ जोड़ों में दर्द और सूजन के संक्षिप्त दौरे
कम साधारण:
○ आँखों की सूजन
○ चक्कर आना
○ साँस फूलना
परवर्ती संक्रमण:
○ संधिशोथ, सविराम अथवा जीर्ण
कम साधारण:
○ याददाश्त की कमी
○ एकाग्रता में कठिनाई
○ मिज़ाज अथवा सोने की आदतों में बदलाहट
संक्रमण के दौरान विभिन्न समयों में इनमें से एक या उससे अधिक लक्षण शायद विद्यमान हों।—स्वास्थ्य के राष्ट्रीय संस्थान द्वारा प्रकाशित लाइम रोग—तथ्य, चुनौती (अंग्रेज़ी)।
[पेज 22 पर तसवीर]
जंगल में टहलना आपको ख़तरे में डाल सकता है
[पेज 23 पर तसवीर]
एक किलनी (बहुत ही बड़ी दिखायी गयी)
[चित्र का श्रेय]
Yale School of Medicine
[पेज 23 पर तसवीर]
किलनी (वास्तविक आकार)