ऑस्ट्रेलिया की “गाती मीनार”
ऑस्ट्रेलिया में सजग होइए! संवाददाता द्वारा
कला, टेक्नॉलॉजी, और विज्ञान अकसर विभिन्न प्रकार के असाधारण गुणवाले वाद्य उत्पन्न करने के लिए संगीत के क्षेत्र में मिले हैं। लेकिन जबकि एन्टोनियस स्ट्राडिवेरीयस के वॉयलिन और टेओबॉल्ड बोयम की बाँसुरियाँ शायद मशहूर हों, शानदार घंटा-तरंग के बारे में आम तौर पर बहुत कम जानकारी है।
लेकिन एक घंटा-तरंग है क्या, और इसे कैसे बजाया जाता है? संसार के बड़े घंटा-तरंगों में से एक से भेंट करना प्रबुद्ध करनेवाला होगा शायद उसके अनोखे संगीत के लिए हमारे मूल्यांकन को और गहरा करे।
एक विशाल वाद्य
घंटा-तरंग संसार के सबसे बड़े वाद्यों में से एक है और इसका प्राचीन उद्गम है। यह आम तौर पर एक घंटामीनार में लगाया जाता है और इसीलिए इसे उचित रूप से “गाती मीनार” कहा जाता है। ऑस्ट्रेलिया की राजधानी, कैनबरा का घंटा-तरंग और घंटामीनार, १९६३ में ग्रेट ब्रिटेन सरकार की ओर से उस शहर की स्थापना और नामकरण मनाने के लिए ५० साल पहले दी गई एक जयन्ती भेंट थी। घंटा-तरंग एस्पन द्वीप की चित्रमय झील बर्ली ग्रिफ़्फ़िन के बीचोंबीच स्थित है।
यह ५०-मीटर-ऊँची घंटामीनार तीन त्रिकोणरूपी खंभों के समूह से मिलकर बनी है, और हरेक खंभा एक मध्य समभुजा त्रिकोण की एक भुजा के साथ जुड़ा हुआ है। बहुत ऊँचाई पर और तीन खंभों के बीच लटकी वह मंज़िल है जिसमें घंटा-तरंग रखा हुआ होता है।
मीनार में लगी लिफ़्ट हमें पहली मंज़िल पर ले जाती है, जहाँ हम ऑर्गन के समान दो बड़े क्लैवियर, अथवा कुंजी-फलक देखते हैं। पहला केवल घंटा-तरंग वादक के लिए होता है, जैसा कि बजानेवाले को पुकारा जाता है, ताकि वह अपने प्रदर्शन का अभ्यास कर सके। इस कुंजी-फलक के मुँगरे मात्र समस्वरक डंडों पर मारते हैं।
अभ्यास कुंजी-फलक के बिलकुल पीछे असली घंटा-तरंग क्लैवियर होता है। लेकिन यह साधारण कुंजी-फलक नहीं है, क्योंकि इसमें, व्यास में लगभग दो सेंटीमीटर बड़ी, गोलाकार बाँज की लकड़ी की कुंजियाँ होती हैं। कुंजियों की ऊपरी पंक्ति पियानो अथवा आर्गन की परिचित काली कुंजियों को दर्शाती हैं। ये लगभग नौ सेंटीमीटर बाहर निकली होती हैं, जबकि निचली पंक्ति (जो पियानो की सफ़ेद कुंजियों को दर्शाती है) लगभग १७ सेंटीमीटर बाहर निकली होती है। लेकिन, एक पियानो अथवा आर्गन वादक की विषमता में, घंटा-तरंग वादक अपनी उँगलियों का इस्तेमाल नहीं करता बल्कि बंद हाथों से बजाता है। इसीलिए कुंजियाँ दूर-दूर होती हैं—ताकि वादक बजाते वक़्त दूसरी कुंजियों को छूने से दूर रह सकता है।
सचमुच एक प्रभावशाली यंत्रावली
मुख्य क्लैवियर के ऊपर से तार ऊपरवाली मंजिल पर जाते हैं, और साढ़े चार अष्टकों की प्रत्येक कुंजी एक अलग स्टील के तार से जुड़ी होती है, जिसमें एक ख़ास तनावट-समंजन होता है। यह जानने के लिए कि ये सारे तार कहाँ जाते हैं, हम लिफ़्ट को अगली मंज़िल पर ले जाते हैं। यहाँ पर, दो विशालकाय घंटे, जिनमें से प्रत्येक का वज़न लगभग छः टन है, प्रभावशाली रूप से लटके हैं। फिर, उन घंटों के बीच देखने पर, हम उनके ऊपर लटके हुए और ५१ घंटे देखते हैं जो कि आहिस्ता-आहिस्ता ऊपर सबसे छोटे घंटे की ओर जाते हैं, जिसका वज़न केवल सात किलोग्राम है।
सभी घंटे किसी भी ध्वनिक बाधा को रोकने के लिए कुशलतापूर्ण रूप से लगाए गए हैं, जो कि कभी-कभी कुछ घंटों के प्रबल अधिस्वरकों के कारण होता है। अन्दर की ओर अपने नरम धातु के लोलक के साथ, प्रत्येक घंटा एक स्टील के तार द्वारा क्रियाशील किया जाता है जो नीचे क्लैवियर की प्रत्येक कुंजी से जुड़ा होता है। प्रत्येक घंटा-तरंग वादक के ख़ास अन्दाज़ के अनुसार साथ ही साथ छाए हुए मौसम की परिस्थितियों के अनुसार खिंचाव को ठीक-ठीक समंजित किया जाता है।
कुछ दिलचस्प तथ्य
कैनबरा घंटा-तरंग के घंटे जॉन टेलर एण्ड कम्पनी ऑफ़ इंग्लैण्ड के ढलाई घर में ढाले गए थे और प्राचीन कला के २०वीं शताब्दी के उत्तम नमूने हैं। ये घंटे अपनी लय झील के पानी के उस पार पास के बगीचों और उद्यानों तक पहुँचा सकते हैं।
यह घंटा-तरंग संसार का सबसे बड़ा घंटा-तरंग नहीं है, लेकिन ५३ घंटे होने के कारण यह सूची में अव्वल है, क्योंकि अधिकतर घंटा-तरंगों में २३ से लेकर ४८ घंटे होते हैं। लेकिन, सबसे बड़ा घंटा-तरंग न्यू यॉर्क शहर में है। उसमें ७४ घंटे हैं। इसमें संसार का सबसे बड़ा समस्वरित घंटा भी है। इस घंटे का वज़न १८ टन से ज़्यादा है और इसकी ध्वनि कैनबेरा घंटा-तरंग के मध्यम तीव्र चतुर्थ की तुलना में, मंद पहला शुद्ध स्वर है।
सो आइए एक घंटा-तरंग वादक द्वारा दी जानेवाली एक संगीत-गोष्ठी का अब आनन्द लें। क्या हम नीचे के बगीचों में बैठें? यहाँ हम न केवल “गाती मीनार” का शानदार संगीत सुन सकते हैं बल्कि उसके साथ ही उस सृष्टि के चमत्कारों का भी आनन्द उठा सकते हैं जो हमारे चारों ओर हैं। शाम की शान्त हवा और घंटों की प्रभावशाली ऊँचाई मिलकर प्रतीयमानतः अलौकिक संगीत उत्पन्न करते हैं, और हमारे हृदय को संगीत की ईश्वरीय देन के लिए कृतज्ञता से भर देते हैं।
[पेज 25 पर तसवीर]
मीनार में घंटे