बाइबल का दृष्टिकोण
क्या मसीहियों को शांतिवादी होना चाहिए?
“गिरजों को फिर से शांतिवादी बनना चाहिए जैसे वे मसीहियत की पहली शताब्दियों में थे।”—ह्यूबर्ट बटलर, आइरिश लेखक।
दूसरे विश्व युद्ध के उपरांत युगोस्लाविया की यात्रा के बाद, ह्यूबर्ट बटलर ने साहसपूर्वक उक्त शब्दों को १९४७ में लिखे एक निबंध में दर्ज़ किया, परंतु यह अब जाकर पिछले साल प्रकाशित हुआ! वह यह देखकर दंग था कि कैसे “युद्ध के दौरान मसीही गिरजे ने घृणित अपराधों को शह दी और मसीह की शिक्षा से बहुत दूर चला गया।”
बटलर अलोकप्रिय सिद्धांतों या समूहों के पक्ष में आवाज़ उठाने से नहीं डरता था। जब वह बोला, आम तौर पर अकेला ही बोला। उसने अपने आपको निडरता से व्यक्त किया जब उसने गिरजों के व्यवहार की विषमता यहोवा के साक्षियों की साहसी स्थिति से की, जिनका वर्णन दी आइरिश टाइम्स ने इस प्रकार किया, “निश्चित ही सबसे निर्दोष और सभी से एकदम अराजनैतिक धार्मिक संप्रदाय।” अपने निबंध, “युगोस्लाविया पर रिपोर्ट” में बटलर ने लिखा कि साक्षियों पर, जिन्होंने “उन सभी कुतर्कों को अस्वीकार [किया] जिनके द्वारा राजनैतिक और धार्मिक दायरे के अगुवे युद्ध को न्यायसंगत ठहराते हैं,” युगोस्लाविया के अधिकारियों ने युद्ध में हिस्सा लेने से इनकार करने के लिए मुक़दमा चलाया।
लेकिन, क्या यहोवा के साक्षियों को शांतिवादी कहना शास्त्रीय रूप से सही है? इसे स्पष्ट करें, तो यह इस पर निर्भर करेगा कि शब्द “शांतिवादी” का क्या अर्थ है। बटलर ने यह शब्द साक्षियों के साहस के लिए उनकी सराहना करने के लिए प्रयोग किया क्योंकि उन्होंने बड़ा कष्ट सहकर भी युद्ध में शस्त्र उठाने से इनकार किया। लेकिन, दुःख की बात है कि अनेक लोग जिनको युद्ध का बुख़ार चढ़ा है, समझते हैं कि शांतिवादी केवल “डरपोक या धोखेबाज़ होता है जो अपने राष्ट्र के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी से भागने को उत्सुक” है। क्या यह दृष्टिकोण सही है?
युद्ध या हिंसा का विरोध
वॆबस्टर्स नाइंथ न्यू कॉलिजिएट डिक्शनरी कहती है कि शांतिवादी वह होता है जो “दृढ़ता और सक्रियता से संघर्ष और ख़ास[कर] युद्ध के विरुद्ध है।” यह “शांतिवाद” को इस प्रकार परिभाषित करती है, “झगड़ों को सुलझाने के साधन के रूप में युद्ध या हिंसा का विरोध; विशिष्ट [रूप से]: नैतिक या धार्मिक कारणों से शस्त्र उठाने से इनकार।” ये परिभाषाएँ आरंभिक मसीही कलीसिया के विश्वासियों पर कैसे लागू होंगी?
उन्होंने ‘नैतिक और धार्मिक कारणों से शस्त्र उठाने से इनकार’ किया और हर ‘संघर्ष और युद्ध’ से दूर रहे। क्यों? क्योंकि वे जानते थे कि यीशु ने कहा था कि उसके अनुयायी “संसार के नहीं” थे और कि “जो तलवार चलाते हैं, वे सब तलवार से नाश किए जाएंगे।” (यूहन्ना १५:१९; मत्ती २६:५२) आरंभिक गिरजा और संसार (अंग्रेज़ी) में, एक इतिहासकार हमें बताता है कि “कम-से-कम मारकुस ऑरेलीअस के शासन तक [सा.यु. १६१-१८०], कोई मसीही अपने बपतिस्मे के बाद सैनिक नहीं बनता।” प्राचीन-काल में नए संसार के आधार (अंग्रेज़ी) में, एक और इतिहासकार कहती है: “प्रथम मसीही सोचते थे कि लड़ना ग़लत है, और सेना में तब भी नहीं काम करते जब साम्राज्य को सैनिकों की ज़रूरत होती।”
मसीहियों की नियुक्ति थी सुसमाचार का प्रचार करना। (मत्ती २४:१४; २८:१९, २०) उनकी समझ थी कि उन्हें परमेश्वर से कोई नियुक्ति नहीं मिली थी कि उसके शत्रुओं के विरुद्ध युद्ध छेड़ें, मानो परमेश्वर के वधिकों के रूप में कार्य कर रहे हों। (मत्ती ५:९; रोमियों १२:१७-२१) जब तथाकथित मसीही ‘मसीह की शिक्षा से दूर चले जाते हैं,’ जैसा बटलर ने कहा, केवल तभी वे राष्ट्रों के युद्धों में उलझ जाते हैं। फिर पादरी सेनाओं को आशिष देते हैं और विजय की प्रार्थनाएँ करते हैं, प्रायः यह संघर्ष के दोनों पक्षों में होता है। (यूहन्ना १७:१६; १८:३६ से तुलना कीजिए।) उदाहरण के लिए, मध्य युग में, प्रोटॆस्टॆंट और कैथोलिक लोगों ने अनेक खूनी युद्ध लड़े, जिसके फलस्वरूप “पश्चिमी यूरोप में संत्रास [आए], दोनों पक्ष कह रहे थे कि वे परमेश्वर के क्रोध के माध्यम हैं,” कॆनॆथ क्लार्क अपनी पुस्तक सभ्यता (अंग्रेज़ी) में लिखता है। इस क़िस्म के युद्ध को न्यायसंगत ठहराने के तर्क, मॆकलिनटॉक और स्ट्रॉन्ग का बाइबलीय, धर्मविज्ञानी, और कलीसियाई साहित्य कोश (अंग्रेज़ी) कहता है, “प्रत्यक्षतः सरकारी अधिकारियों को प्रसन्न करने की इच्छा से उपजे हैं, और स्पष्टतया प्राचीन मसीही धर्म-सिद्धांत और सुसमाचार के वास्तविक अभिप्राय के विरुद्ध हैं।”—याकूब ४:४.
पूरी तरह से युद्ध के विरुद्ध?
लेकिन, क्या ‘प्राचीन मसीही धर्म-सिद्धांत और सुसमाचार का वास्तविक अभिप्राय’ सचमुच शांतिवादी था? क्या आरंभिक मसीहियों को सचमुच शांतिवादी कहा जा सकता था, जैसे पहले परिभाषित किया गया है? जी नहीं! क्यों नहीं? एक कारण यह है कि उन्होंने युद्ध लड़ने के परमेश्वर के अधिकार को स्वीकार किया। (निर्गमन १४:१३, १४; १५:१-४; यहोशू १०:१४; यशायाह ३०:३०-३२) इसके अलावा, उन्होंने परमेश्वर के इस अधिकार का कभी खंडन नहीं किया कि उसने प्राचीन इस्राएल को उसके पक्ष में लड़ने के लिए अधिकृत किया जब वह जाति पृथ्वी पर उसके एकमात्र साधन के रूप में कार्य कर रही थी।—भजन १४४:१; प्रेरितों ७:४५; इब्रानियों ११:३२-३४.
न्याय के आधार पर परमेश्वर के पास न केवल अधिकार है परंतु उस पर बाध्यता भी है कि पृथ्वी पर से दुष्ट लोगों को दूर करे। परमेश्वर धीरता के साथ कुकर्मियों से अनुरोध करता है कि अपने मार्ग सुधार लें लेकिन अनेक ऐसा कभी नहीं करेंगे। (यशायाह ४५:२२; मत्ती ७:१३, १४) कुकर्म को सहने की परमेश्वर की एक सीमा है। (यशायाह ६१:२; प्रेरितों १७:३०) इसलिए, मसीही स्वीकार करते हैं कि अंततः परमेश्वर बलपूर्वक कुकर्मियों को पृथ्वी से हटा देगा। (२ पतरस ३:९, १०) जैसा बाइबल पूर्वबताती है, यह तब होगा जब “प्रभु यीशु अपने सामर्थी दूतों के साथ, धधकती हुई आग में स्वर्ग से प्रगट होगा। और जो परमेश्वर को नहीं पहचानते, और हमारे प्रभु यीशु के सुसमाचार को नहीं मानते उन से पलटा लेगा।”—२ थिस्सलुनीकियों १:६-९.
बाइबल की अंतिम पुस्तक इस संघर्ष का वर्णन “सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उस बड़े दिन की लड़ाई,” या अरमगिदोन के रूप में करती है। (तिरछे टाइप हमारे।) (प्रकाशितवाक्य १६:१४, १६) यह कहती है कि यीशु मसीह इसमें अगुवाई करेगा, कि वह “धर्म के साथ . . . लड़ाई करता है।” (तिरछे टाइप हमारे।) (प्रकाशितवाक्य १९:११, १४, १५) यीशु मसीह को उचित ही “शान्ति का राजकुमार” कहा गया है। (यशायाह ९:६) लेकिन वह शांतिवादी नहीं है। वह स्वर्ग को परमेश्वर के सभी विद्रोही शत्रुओं से मुक्त करने के लिए पहले ही वहाँ एक युद्ध कर चुका है। (प्रकाशितवाक्य १२:७-९) ‘पृथ्वी के बिगाड़नेवालों का नाश करने’ के लिए जल्द ही वह एक और युद्ध करेगा। लेकिन, पृथ्वी पर उसके अनुयायी उस ईश्वरीय न्याय में कोई भाग नहीं लेंगे।—प्रकाशितवाक्य ११:१७, १८.
सच्चे मसीही शांति से प्रेम करते हैं। वे संसार के सैन्य, राजनैतिक, और नृजातीय संघर्षों में पूरी तरह तटस्थ रहते हैं। लेकिन, असल में, वे शांतिवादी नहीं हैं। क्यों? क्योंकि वे परमेश्वर के युद्ध का स्वागत करते हैं जो अंततः पृथ्वी पर उसकी इच्छा प्रबल करेगा—युद्ध जो विश्व सर्वसत्ता का बड़ा वाद-विषय निपटाएगा और पृथ्वी को शांति के सभी शत्रुओं से सदा-सर्वदा के लिए मुक्त करेगा।—यिर्मयाह २५:३१-३३; दानिय्येल २:४४; मत्ती ६:९, १०.
[पेज 22 पर चित्र का श्रेय]
मसीह का ठट्ठा किया गया/The Doré Bible Illustrations/Dover Publications, Inc.