हमारे पाठकों से
कंप्यूटर खेल मैं १५ साल का हूँ, और मैं आपका “युवा लोग पूछते हैं . . . क्या मुझे कंप्यूटर या वीडियो खेल खेलने चाहिए?” (अगस्त २२, १९९६, अंग्रेज़ी) इस लेख के लिए धन्यवाद करना चाहता हूँ। इसने वास्तव में उन खेलों के हानिकर पक्ष को दिखाया, और इन्हें खेलने के नकारात्मक एवं सकारात्मक पहलुओं को परखने में यह मसीहियों की सहायता करेगा।
एफ़. आर., इंडोनेशिया
मैं १७ साल का हूँ, और मुझे हिंसक कंप्यूटर खेल बड़े पसंद आते थे। मैंने सोचा था ये मुझे प्रभावित नहीं करते थे, लेकिन मुझे इन खेलों की लत लग गयी थी—ख़ासकर हिंसक प्रकार के, जिनका आपने वर्णन किया था। अब मैंने अपने सभी कंप्यूटर डिस्क जो हिंसा और ख़ून से संबंधित थे नष्ट कर दिए हैं। इसका नतीजा? मैं बेहतर महसूस करता हूँ, और मेरे पास परमेश्वर यहोवा के विषय में अध्ययन करने, सीखने, और बातें करने के लिए ज़्यादा समय है।
एस. ए., यूनान
शरणार्थी संकट मैं बुरूण्डी से आया हुआ शरणार्थी हूँ, और “शरणार्थी संकट—क्या यह कभी ख़त्म होगा?” (अगस्त २२, १९९६) इस श्रंखला के लिए मैं अपना मूल्यांकन व्यक्त करना चाहूँगा। मैं इस मामले में यहोवा के दृष्टिकोण को समझने से और प्राचीन काल में, उसने अपने लोगों से शरणार्थियों के प्रति कैसे कृपापूर्ण व्यवहार करवाया था, यह जानने से बहुत प्रोत्साहित हुआ। मैं इन लेखों के लिए आपका धन्यवाद करता हूँ; इन्होंने वास्तव में मुझे दिलासा दिया।
डी. एम., केन्या
बस दुर्घटना “यहोवा के सामर्थ्य से विपत्ति पार करना” (अगस्त २२, १९९६) लेख को पढ़ते समय मुझसे रहा नहीं गया और मैं रो पड़ी क्योंकि इसने मेरे दिल को छू लिया। मैं भी, अपनी सबसे क़रीबी सहेली के साथ एक दुर्घटना का शिकार हुई थी। बड़ी गहरी चोट के कारण वह कुछ घंटों के बाद चल बसी। क्योंकि मैं बच गई और वह नहीं बच पायी इस शोक और दोष की गहरी भावनाओं पर क़ाबू पाने के लिए मुझे अगले पाँच साल लगे। मुझे यहोवा पर भरोसा है कि वह मेरी प्यारी सहेली को याद करेगा। मुझे उनके लिए भी गहरी हमदर्दी है, जिनके प्रियजन स्पेन की इस दुर्घटना में चल बसे थे।
जे. टी., अमरीका
हकलाहट “हकलानेवालों की जीभ भी बोलेगी” इस लेख के लिए आपका शुक्रिया। (अगस्त २२, १९९६) पीटर कुंट के अनुभव ने मुझे बड़ी शक्ति दी। मैं भी हकलाता हूँ। बाइबल भाषण देने के पहले, मैं हमेशा यहोवा से मदद माँगता हूँ ताकि मैं स्वयं को स्पष्ट रीति से व्यक्त कर सकूँ।
एम. एम., इटली
जब मैं २० का हुआ, मैंने पाया कि दूसरों से और यहोवा के साक्षियों के राज्यगृह में मंच पर से बोलने में मुझे बड़ी तकलीफ़ हुआ करती थी। कार्य-नियुक्ति के बाद, मैं पसीने से तर-बतर होता और असाधारण रूप से मुझे थकावट महसूस होती थी। ऐसी समस्या के बावजूद यहोवा की सेवा कर रहे इस संगी मसीही का यह अनुभव पढ़ना वास्तव में बड़ा ही प्रोत्साहक है। विषयों को सकारात्मक ढंग से लेने के लिए इसने मेरी मदद की है।
एम. एस., जापान
यह अनुभव प्रकाशित करने के लिए मैं आपको धन्यवाद कहने के लिए प्रेरित हुआ हूँ। बचपन से मुझे यह समस्या रही थी। पीटर के समान, मैं कलीसिया में प्राचीन के तौर पर सेवा करता हूँ, और अपनी कार्य-नियुक्तियों को पूरा करने की शक्ति के लिए मुझे यहोवा पर निर्भर होना पड़ता है। मैं ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल संचालित करता हूँ, जिसमें अब मैं दूसरों को उनके बोलने में मदद करता हूँ।
एन. ओ. एन., नाइजीरिया
पॉम्पेई “पॉम्पेई—जहाँ समय रुक गया” (अक्तूबर-दिसम्बर, १९९६) मैंने हाल ही में आपका यह लेख पढ़ा और पूरी तरह से इसका आनंद उठाया। ऐसा लगता था मानो हम वहीं पर मौजूद हैं! लेकिन यदि एक मुद्दे पर स्पष्टीकरण दें तो मैं आपका आभार मानूँगी। लेख कहता है कि पॉम्पेई को भेंट करनेवाला “अब भी मकई को पीसने की चक्की” देख सकता है। यदि मैं ग़लत हूँ तो मुझे सुधारिए, लेकिन क्या मकई अमरीका के महाद्वीप का मूल अनाज नहीं है; जिससे यूरोप-वासी क्रिस्टोफ़र कोलम्बस के दिनों तक अनजान थे?
आर. डी., अमरीका
क्षमा कीजिए यदि इस संबंध में हमने कोई गड़बड़ी पैदा की हो। यह कहना बेहतर होता कि “अनाज” पीसने की चक्की वहाँ देखी जा सकती है। दिलचस्पी की बात है, “मकई” के लिए अंग्रेज़ी शब्द का अर्थ बस “धान्य का बीज,” जैसे कि गेहूँ या जई होता है।—संपादक
मैं बचपन से ही प्राचीन इतिहास की ओर आकर्षित हुआ हूँ। विशेषकर पॉम्पेई के इतिहास ने मुझे हमेशा मोहित किया था। जब मैंने यह लेख पढ़ा, मुझे लगा कि मानो मैं इस शहर से गुज़र रहा था। क्या ही अद्भुत! मैंने ऐसी कई बातों को जाना जो मेरे लिए नयी थीं। अंत के समय के साथ हमारे दिन की वह तुलना भी मुझे अच्छी लगी। मैं जहाँ नहीं जा सकता ऐसी जगहों की जानकारी करवाने में मेरी मदद के लिए आपका शुक्रिया।
जे. एस. ए., ब्राज़ील