परदेस जाने की क़ीमत आँकिए!
दक्षिण अफ्रीका में सजग होइए! संवाददाता द्वारा
क्या आप परदेस जाने की सोच रहे हैं? क्या आपने इसकी क़ीमत आँकी है? हमारा अर्थ केवल रुपयों के ख़र्च से नहीं है। आख़िरकार, अधिकांश लोग किसी-न-किसी भाँति, आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही परदेस जाते हैं। हमारा अर्थ उस छिपी हुई क़ीमत से है जो वास्तव में परदेस जाने के बाद ही प्रत्यक्ष होती है। अकसर, तब तक लौटने के लिए बहुत देर हो चुकी होती है। निम्नलिखित मुद्दे आपको डराने के इरादे से नहीं हैं, फिर भी इन पर विचार करना पते की बात होगी:
“नयी भाषा सीखने के लिए नम्रता और प्रयास की ज़रूरत होती है। एक वयस्क को यह जानना हताश करता है कि बच्चे भी उसे अजीबोग़रीब मानते हैं क्योंकि वे उसे समझ नहीं पाते। हमेशा ही गड़बड़ी करते रहना जब आपकी ग़लतियों के लिए लगातार आपका मज़ाक उड़ाया जा रहा हो, तब यह कई लोगों की नम्रता के लिए एक भारी परीक्षा होती है। परदेसियों के लिए जो स्थानीय भाषा नहीं बोल पाते, जीवन बहुत ही सूना-सूना होता है।”—रोज़मॆरी, जापान में एक मिशनरी।
कदाचित् आपको लगे कि गुज़ारा कर लेने जितनी भाषा तो आपको आती है। पर क्या आपको यक़ीन है कि आपका पूरा परिवार इस हद तक भाषा जानता है ताकि परदेस जाने के विषय से ख़ुश रहे?
परिवार पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, यदि कुछ सदस्यों को उनकी इच्छा के खिलाफ़ बहला-फुसलाकर देशांतरण करवाया गया था? “[मॆक्सिको से] कुछ स्त्रियों का,” स्त्रियों का मनोविज्ञान तिमाही (अंग्रेज़ी) पत्रिका कहती है, “देशांतरण का निर्णय लेने में कोई भाग नहीं था और वे देशांतरण चाहती ही नहीं थीं, न ही देशांतरण के बाद वे अमरीका में बसे रहना चाहती थीं।” ऐसी स्थितियों में, जबरन परदेस ले जाना परिवार की एकता नष्ट कर सकता है। लेकिन तब क्या जब स्वयं कमानेवाला ही परदेस जाता है?
अफ्रीका में आबादी, देशांतरण, और नगरीकरण (अंग्रेज़ी) इस पुस्तक में अनुमान लगाया गया है कि दक्षिण अफ्रीका के एक छोटे से ग्रामीण देश में, ५० प्रतिशत से भी ज़्यादा “वयस्क पुरुष किसी भी अमुक समय में घर पर नहीं रहते हैं।” यह अनुपस्थिति परिवार की संतुष्टि और स्थिरता चुरा सकती है। यह विवाहित साथियों के अनैतिकता का शिकार हो जाने की संभावना को भी खुला छोड़ सकती है। यह कितना अच्छा होगा यदि परिवार साथ मिलकर रह सके, चाहे वह देशांतरण का निर्णय ले या न ले! पारिवारिक एकता ऐसी चीज़ है जिसे रुपया नहीं ख़रीद सकता।
फिर, पूर्वधारणा से निपटना एक भारी बोझ है। “जब तक मैं इंग्लैंड नहीं आयी मुझे पता नहीं चला कि ‘रंग’ का भेदभाव होता है” एक भारतीय प्रवासी याद करती है। “यह [एहसास] बहुत ही अप्रिय था। एक दुःखद सदमा। इन सबसे दूर होने के लिए, मैं घर जाना चाहती थी।”—दी अन-मॆल्टिंग पॉट।
इसलिए परदेस जाने से पहले, स्वयं से पूछिए: ‘विकल्प क्या हैं? क्या हम घर पर ही कुछ फेर-बदल नहीं कर सकते? क्या दूसरे देश जाना वास्तव में लाभदायक होगा?’ यह शायद हो या शायद न हो, लेकिन इससे पहले कि आप निर्णय लें, यीशु की इस अच्छी सलाह पर विचार कीजिए: “तुम में से कौन है कि गढ़ बनाना चाहता हो, और पहिले बैठकर खर्च न जोड़े, कि पूरा करने की विसात मेरे पास है कि नहीं?”—लूका १४:२८.