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सजग होइए!–1997
g97 7/8 पेज 19-24

सिंगापुर—एशिया का बदरंगी रत्न

भड़ाक! अनिष्ट-सूचक रूप से सिंगापुर चॆंगी महिला जेल का भारी लोहे का दरवाज़ा एक कमज़ोर ७१-वर्षीया विधवा, एक मसीही के पीछे धम्म-से बंद हो गया। वह एक यहोवा की साक्षी थी, जिसने अध्यक्षता कर रहे जज को अपनी स्थिति समझाने की कोशिश की थी: “मैं इस सरकार के लिए कोई ख़तरा नहीं हूँ।”

भड़ाक! उसके पीछे एक ७२-वर्षीया दादीमाँ, एक और मसीही को बंद कर दिया गया। उसका क़सूर? वॉच टावर सोसाइटी के चार बाइबल प्रकाशनों को रखना, जिनमें उसकी पवित्र बाइबल की प्रति भी शामिल थी।

कुल मिलाकर, सिंगापुर के ६४ नागरिकों को, जो १६ से ७२ वर्ष की आयु के थे, गिरफ़्तार किया गया और दोषी ठहराया गया। सैंतालिस लोगों ने सिद्धांत के कारण जुर्माना देने से इनकार कर दिया और उन्हें एक से चार सप्ताहों की विभिन्‍न अवधियों के लिए जेल में डाल दिया गया। ऐसे नगर-राज्य में जिसे लोग संसार-भर में रहने की सबसे बढ़िया जगह कहते हैं, यह कैसे हो सकता था? एक ऐसे नगर-राज्य में जो अपनी आर्थिक स्थिरता, असाधारण विकास, और आधुनिक इमारतों, साथ ही अपनी घोषित धार्मिक सहनशीलता के लिए संसार-भर में मशहूर है, ऐसा कैसे हो सकता था?

एक आधुनिक नगर-राज्य

पहले, एक संक्षिप्त इतिहास। आधुनिक-दिन सिंगापुर की कहानी १८१९ में, ब्रिटेन के सर थोमस स्टैम्फ़र्ड रैफ़ल्ज़ के आगमन के साथ शुरू होती है। रैफ़ल्ज़, जो ईस्ट इंडिया कंपनी का एक प्रतिनिधि था, पूर्वीय दुनिया में कार्य करने के लिए एक अड्डे की तलाश कर रहा था। उसने सिंगापुर को चुनने का फ़ैसला किया। इस तरह व्यापार के उस अड्डे की शुरूआत हुई जिसने आज तक पूर्वी एशिया के विकास को प्रभावित किया है।

स्वतंत्रतापूर्व सिंगापुर का वर्णन एक गंदे नगर के रूप में किया गया है। आज, कोई भी सिंगापुर को गंदा नहीं कहेगा। असलियत इसके विपरीत है। पिछले ३० वर्षों में, नगर को लगभग पूरी तरह पुनर्निर्मित किया गया है, जहाँ तक संभव हो सका है, पुरानी छाप को या तो पुरानी इमारतों के अग्रभागों को सुरक्षित रखने या समूची ऐतिहासिक संरचनाओं को आधुनिक इमारतों के साथ जोड़ने के द्वारा क़ायम रखा गया है। सिंगापुर पूर्व में समुद्री यातायात का चौराहा बन गया है, जिसमें अकसर बंदरगाह पर एक समय में ८०० के क़रीब जलपोत रुकते हैं। आधुनिक हाई-टॆक उपकरणों के कारण विशाल माल जलपोत को महज़ चंद घंटों में लादा और ख़ाली किया जा सकता है। नगर का वाणिज्य केंद्र भूसंपत्ति के प्रति वर्ग फुट के लिए $५,००० या उससे ज़्यादा की माँग करता है और पाता भी है।

लगभग ३४,००,००० की जनसंख्या चीनी, मलयवासी, भारतीय, यूरोपीय, और अन्य लोगों की व्यापक क़िस्म से मिलकर बनी है। जो भाषाएँ वे बोलते हैं उनमें मंदरिन, मलय, तमिल, और अंग्रेज़ी शामिल है।

भूमि के ऊपर और भूमिगत तिरास्सी किलोमीटर का तीव्र-गति रेलमार्ग सिंगापुर को संसार की सबसे आधुनिक, सबसे कार्यकुशल यातायात व्यवस्था प्रदान करता है। हरे-भरे बाग़ीचे सारे नगर में अधिकाई से फैले हुए हैं, ये आधुनिक निर्माण के ऊँचे भूदृश्‍य को बीच-बीच में से विभाजित करते हैं। पहली बार जा रहे पर्यटक के लिए “ज़रूर देखिए” एक ऐसा रैफ़्लज़ होटल है, जिसे पूरी तरह से नवीनीकृत किया गया है, और अब उसके १८८९ के उद्‌गमों की वज़ह से एक राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर दिया गया है। दूसरा १२८-एकड़ का वानस्पतिक और उद्यान-वैज्ञानिकी केंद्र है, जिसका दस एकड़ परिरक्षित जंगल है, जहाँ कभी बाघ घूमा करते थे।

धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी दी गई

उसकी बेमिसाल आर्थिक उन्‍नति के संपूरक के रूप में, सिंगापुर सभी देशवासियों से धार्मिक स्वतंत्रता का वायदा करता है। दुःख की बात है कि सिंगापुर ने अपना वायदा पूरा नहीं किया। ख़ासकर इस बात को उन लोगों ने सच पाया है जो यहोवा के साक्षियों की कलीसिया के साथ संगति करते हैं।

सिंगापुर गणराज्य का संविधान, अनुच्छेद १५(१) में, उपासना की स्वतंत्रता की मूलभूत गारंटी प्रदान करता है: “हरेक व्यक्‍ति को अपने धर्म पर विश्‍वास करने उसके धार्मिक कार्य करने और उसका प्रचार करने का अधिकार है।”

संविधान का अनुच्छेद १५(३) गारंटी देता है: “हरेक धार्मिक समूह को—

(क) अपने धार्मिक मामलों की देखभाल करने का अधिकार;

(ख) धार्मिक और ख़ैराती उद्देश्‍यों के लिए संस्थान स्थापित करने और संचालित करने का अधिकार; और

(ग) संपत्ति ख़रीदने और निजीकरण तथा नियम के अनुसार उसका संचालन करने का अधिकार है।”

वर्ष १९३६ से ही, यहोवा के साक्षी सिंगापुर के समाज का हिस्सा थे। अनेक वर्षों से उन्होंने एक व्यस्त बाज़ार के सामने, ८ एक्सेटर रोड पर स्थित उनके अपने राज्यगृह में नियमित रूप से कलीसिया सभाएँ संचालित की थीं। कलीसिया फूली-फली, साथ ही उसने सामाजिक जीवन की स्थिरता के लिए अपना विशेष योगदान दिया।

यहोवा के साक्षियों पर प्रतिबंध

यह सब जनवरी १२, १९७२ को बदल गया। सरकारी निषेध अधिनियम, अध्याय १०९ के तहत एक निष्कासन आदेश जारी किया गया, जिसमें २३-वर्ष से सिंगापुर के निवासी, मसीही मिशनरी नॉरमन डेविड बेलॉटी और उसकी पत्नी, ग्लैडिस्‌ को देश छोड़ने की आज्ञा दी गई। इसके तुरंत बाद एक आज्ञा निकली जिसमें सिंगापुर में यहोवा के साक्षियों की कलीसिया को विपंजीकृत कर दिया गया। कुछ ही घंटों के भीतर राज्यगृह पर पुलिस द्वारा क़ब्ज़ा कर लिया गया, जो मुख्य द्वार तोड़कर अंदर घुस गयी। उसके लगभग तुरंत बाद वॉच टावर सोसाइटी के सभी साहित्य पर एक सरकारी प्रतिबंध लगा दिया गया। इस तरह यहोवा के साक्षियों के दमन का दौर शुरू हुआ।

बाद में राज्यगृह को सरकार द्वारा उसकी निरंकुश कार्यवाही के भाग के रूप में बेच दिया गया, यह सब बिना नोटिस—बिना सुनवाई, बिना पेशी, चुनौती देने का कोई अवसर दिए बिना—किया गया।

सिंगापुर की सरकार ने पूर्ण प्रतिबंध को न्यायसंगत ठहराने के लिए यहोवा के साक्षियों के सैन्य सेवा में हिस्सा न लेने की ओर बारंबार संकेत किया है। हाल ही में दिसंबर २९, १९९५ में, जिनीवा स्थित संयुक्‍त राष्ट्र में सिंगापुर के स्थायी प्रतिनिधि श्री. के. केसवॉपॉनी ने जिनीवा स्थित संयुक्‍त राष्ट्र के मानव अधिकारों के सहायक महासचिव हिज़ एक्सेलेंसि इब्राहीम फाल को अपने एक पत्र में ऐसा लिखा:

“यहोवा के साक्षी अभियान पर मेरी सरकार का प्रतिबंध राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए शुरू हुआ है। इस अभियान का जारी रहना सिंगापुर में जनहित और अच्छी व्यवस्था के लिए हानिकारक होगा। यहोवा के साक्षियों के विपंजीकरण के साथ एक ज़रूरी उप-सिद्धांत यह था कि उनके सभी प्रकाशनों पर रोक लगाया जाए ताकि इस अभियान पर प्रतिबंध सुदृढ़ किया जाए और उनके विश्‍वास के प्रचार और अभियान को नियंत्रित किया जाए।”

सिंगापुर की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर विरोध को देखते हुए, इस बात पर ग़ौर किया जाना चाहिए कि सैन्य सेवा से इनकार करनेवाले नौजवानों की संख्या प्रतिवर्ष पाँच है। सिंगापुर लगभग ३,००,००० की सेना रखता है। सिंगापुर की सरकार ने अंतर्ग्रस्त इन मुट्ठी-भर लोगों के लिए नागरिक राष्ट्रीय सेवा पर चर्चा तक करने से इनकार कर दिया है।

खुला अत्याचार

अस्थिर सहनशीलता के अनेक वर्षों बाद, १९९२ में मानव अधिकारों पर खुले अत्याचार का अध्याय शुरू हुआ जब अनेक लोगों को गिरफ़्तार किया गया और उन पर अवांच्छनीय प्रकाशन अधिनियम के तहत प्रतिबंधित साहित्य रखने का आरोप लगाया गया। १९९४ में वॉच टावर सोसाइटी ने क्वीनस्‌ काउंसिल, ७५-वर्षीय डब्ल्यू. ग्लेन हाउ, एक वकील को जो आजीवन यहोवा का साक्षी रहा था, सिंगापुर रवाना किया। क्वीनस्‌ काउंसिल के उसके पद ने उसे मान्यता दी, जिसकी वज़ह से उसे सिंगापुर की अदालत के सामने पेश होने की अनुमति मिली। संविधान की धार्मिक गारंटी को ध्यान में रखते हुए, सिंगापुर के सर्वोच्च न्यायालय में एक अपील प्रस्तुत की गई, जिसमें गिरफ़्तारी की वैधता और १९७२ के प्रतिबंध को एक चुनौती शामिल थी। अगस्त ८, १९९४ को, सिंगापुर के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश योंग पॆंग हाउ द्वारा अपील नामंजूर कर दी गई। फ़ैसले पर अपील करने के अतिरिक्‍त प्रयास विफल रहे।

वर्ष १९९५ की शुरूआत तक ऐसा लगने लगा कि सिंगापुर के संविधान पर आधारित कानूनी चुनौती ने और अधिक दमनकारी कार्यवाहियों को भड़का दिया था। एक सैन्य-कार्यवाही जैसी योजना के तहत, जिसे ऑपरेशन होप नाम दिया गया था, क्रिमिनल इनवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट की सीक्रेट सोसाइटीज़ ब्राँच के जासूस अधिकारियों ने निजी घरों में मिलनेवाले मसीहियों के अनेक छोटे-छोटे समूहों पर धावा बोला। लगभग ७० अधिकारियों और सहयोगी कर्मचारियों ने कमांडो-तरीक़े से छापे मारे, जिसके परिणामस्वरूप ६९ लोगों को गिरफ़्तार किया गया। सभी को पूछताछ केंद्रों में ले जाया गया, कुछ लोगों से पूरी रात सवाल पूछे गए, और यहोवा के साक्षियों की सभाओं में उपस्थित होने और बाइबल साहित्य रखने का सभी पर दोष लगाया गया। कुछ लोगों को १८ घंटे तक असंचारी अवस्था में रखा गया, जिससे वे अपने-अपने परिवारों को फ़ोन तक करने में असमर्थ थे।

विदेशियों के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोप वापस ले लिए गए। लेकिन ६४ लोग जो सिंगापुर के नागरिक हैं उन पर १९९५ के अंत और १९९६ की शुरूआत में अदालत में मुक़द्दमा चलाया गया। सभी ६४ लोगों को दोषी पाया गया। सैंतालिस ने, जिनकी आयु १६ से ७२ वर्ष थी, हज़ारों डॉलरों का जुर्माना नहीं दिया और उन्हें एक से चार सप्ताहों के लिए जेल भेज दिया गया।

अपनी-अपनी कोठरियों में भेजने से पहले, पुरुषों और स्त्रियों को निर्वस्त्र किया गया और अनेक लोगों के सामने उनकी तलाशी ली गई। कुछ स्त्रियों को अपने हाथ उठाने, पाँच बार बैठक लगाने, अपना मुँह खोलकर जीभ ऊपर उठाकर दिखाने के लिए कहा गया। कम-से-कम एक स्त्री को अपने उँगलियों से अपनी गुदा द्वार खोलने के लिए कहा गया। जेल में, कुछ पुरुषों को कमोड में से पानी पीना पड़ा। कुछ युवतियों के साथ ख़तरनाक अपराधियों की तरह व्यवहार किया गया, उनकी पूरी सज़ा के दौरान उन्हें काल-कोठरी में रखा गया, और आधा-पेट खाना दिया गया। कुछ जेल वार्डनों ने साक्षियों को उनकी बाइबलें तक नहीं दीं।

लेकिन आइए हम क़ैद की हुई महिलाओं की कुछ टिप्पणियाँ पर ग़ौर करें। जो उनकी आपबीती ने प्रकट किया वह इस आधुनिक नगर के प्राचीन मुखौटे की स्पष्ट विषमता में था।

“कोठरी गंदी थी। वाशबेसिन और शौचालय खेदजनक हालत में थे। वे चिपचिपे और गंदे थे। जिस बॆंच पर मैं बैठी थी उसके नीचे मकड़ी के जाले और मिट्टी थी।”

“मुझे सारे कपड़े उतारने के लिए कहा गया, और मुझे एक जोड़ी क़ैदियों के कपड़े दिए गए, एक साबुनदानी (बिना साबुन की), और एक टूथब्रश। मुझे दूसरे क़ैदियों ने बताया कि कम सज़ावाले क़ैदियों को टूथपेस्ट और टॉयलॆट पेपर नहीं दिया जाता।”

“एक कोठरी में हम २० लोग थे। शौच नीचे बैठनेवाला था जिसकी चारदीवारी मेरी कमर तक आती थी। ग़ुसलखाने में केवल एक फ़व्वारा था और एक नलवाला वाशबेसिन था। हमें छः के समूहों में नहाना पड़ता था—कोठरी के सभी लोगों को सुबह आधा घंटे के अंदर नहाना होता था।”

जेल के सदमे के बावजूद, सभी ने परमेश्‍वर की सेवा करने को एक विशेषाधिकार समझा—कभी-भी, कहीं भी, और किसी भी परिस्थिति में। एक किशोरी की निम्नलिखित टिप्पणी पर ग़ौर कीजिए:

“उस वक़्त से जब मैंने जेल में क़दम रखा, मैंने हमेशा ख़ुद को वह उद्देश्‍य याद दिलाया जिसकी वज़ह से मैं वहाँ थी। हर दिन मैंने यहोवा से प्रार्थना की कि वह मेरी प्रार्थना सुने और मुझे अकेला न छोड़े। मैंने महसूस किया कि उसने मेरी प्रार्थनाओं का जवाब दिया क्योंकि यह उसकी पवित्र आत्मा थी जिसने बर्दाशत करने में मेरी मदद की। केवल तभी मैंने उस नज़दीक़ी को महसूस किया जो मेरी उसके साथ थी, और इसने मुझे बहुत मज़बूती दी है, यह जानते हुए कि उसकी दृष्टि हम पर है। मैं उसके नाम की ख़ातिर इस परीक्षा से गुज़रने में समर्थ होने के लिए विशेषाधिकार-प्राप्त महसूस करती हूँ।”

संसार-भर में अख़बारों को कहानी का तुरंत पता चला। ऑस्ट्रेलिया, अमरीका, कनाडा, मलेशिया, यूरोप, हांग कांग, और अन्य जगहों की प्रेस ने इन घटनाओं की गूँज बार-बार सुनाई। कनाडा के द टोरोन्टो स्टार ने इस गतिविधि के आक्रोश को इस शीर्षक में व्यक्‍त किया “बाइबल रखने के कारण दादीमाँ दोषी।” यह सच है कि संसार में अनेक समस्याएँ हैं जिनमें इससे भी ज़्यादा लोग शामिल हैं, लेकिन इस मामले में हर जगह हैरान लोगों द्वारा एक ही सवाल पूछा गया है। “क्या सिंगापुर में?”

यह समझना कठिन है कि क्यों एक ऐसे धर्म को, जो क़ानून की पूरी सुरक्षा के साथ विश्‍वभर में २०० से अधिक देशों में खुलेआम कार्य करता है, सिंगापुर में सताहट का निशाना बनाया जाना चाहिए। इसे समझना और भी ज़्यादा कठिन है, जब हम देखते हैं कि सिंगापुर में किसी भी अन्य धर्म के साथ इस तरह अनुचित और निरंकुश रूप से सलूक नहीं किया गया है।

वाक़ई, एक सहायक पुलिस अधीक्षक ने, जिसने यहोवा के साक्षियों पर धावा बोलनेवाली टुकड़ी का नेतृत्व किया था, अदालत के सामने यह स्वीकार किया कि यह मात्र पहली बार था जब उसे और उसके अफ़सरों को एक धार्मिक सभा भंग करने की आज्ञा दी गई थी। निम्नलिखित उद्धरण, सबूत की प्रतिलिपि की नक़ल हैं:

प्र: (गवाह से) क्या आपकी जानकारी में कभी-भी सीक्रेट सोसाइटीज़ ब्राँच ने यहोवा के साक्षियों के अलावा किसी-भी अन्य अपंजीकृत धार्मिक समूह से पूछताछ की और उस पर मुक़द्दमा चलाया है?

उ: जहाँ तक मुझे जानकारी है, ऐसा नहीं हुआ है।

फिर सवालात चलते रहे।

प्र: (गवाह से) क्या आपने कभी-भी व्यक्‍तिगत तौर पर किसी एक छोटे धार्मिक समूह पर धावा बोला है, जो एक घर में सभा करता हो और सोसाइटीज़ के अधिनियम के तहत पंजीकृत न हो?

उ: जी नहीं।

कार्यवाही के लिए पुकार

एमनेस्टी इंटरनेशनल और इंटरनेशनल बार एसोसिएशन दोनों ने अपने ख़ास अवलोकनकर्ताओं को मुक़द्दमे की सत्यनिष्ठा पर नज़र रखने के लिए भेजा। एमनेस्टी इंटरनेशनल के निष्पक्ष अवलोकनकर्ता एनड्रू रैफ़ल ने, जो ख़ुद हांग कांग का बैरिस्टर है, ऐसा कहा: “मैंने अपनी रिपोर्ट में यह लिखा कि यह एक बनावटी मुक़द्दमा दिख रहा था।” उसने आगे समझाया कि गवाहों के तौर पर बुलाए गए सरकारी अधिकारी, अदालत को यह समझाने में समर्थ नहीं थे कि यहोवा के साक्षियों के साहित्य को अवांच्छनीय क्यों समझा जाना था। रैफ़ल ने प्रतिबंधित बाइबल प्रकाशनों में से कुछ की सूची दी जिसमें ख़ुशी—इसे कैसे प्राप्त करें (अंग्रेज़ी) और आपकी युवावस्था—इसका पूरा लाभ उठाना (अंग्रेज़ी) शामिल हैं। उसने आगे कहा कि इन्हें किसी भी तरह से अवांच्छनीय नहीं समझा जा सकता।

इंटरनेशनल बार एसोसिएशन के अवलोकनकर्ता, सिसिल राजेन्द्र ने ऐसा कहा:

“इस अवलोकनकर्ता को शुरू से ही ऐसा लग रहा था कि यह पूरा मुक़द्दमा एक . . . स्वाँग से ज़्यादा और कुछ भी नहीं था जिसका नाटक संसार को यह प्रदर्शित करने के लिए किया गया था कि सिंगापुर में अभी तक लोकतंत्र चलता है।

“नतीजा पहले से ही तय किया हुआ फ़ैसला था और किसी भी वक़्त, यानी मुक़द्दमे से पहले, मुक़द्दमे के दौरान और मुक़द्दमे के अंत में इस बात पर ज़रा भी संदेह नहीं हुआ कि सभी अभियुक्‍तों पर जैसा आरोप था, वैसा ही दोषी घोषित कर दिया जाएगा।

“हालाँकि पेशी निचली अदालत में हुई थी और आरोप सोसाइटीज़ के अधिनियमों के मामूली उल्लंघनों के थे, अदालत के आसपास का माहौल भय और दहशत का था।

“ऐसा इसलिए था क्योंकि कम-से-कम १० वर्दीधारी पुलिसकर्मी वहाँ तैनात थे (६ अदालत के अंदर और ४ बाहर) जिनके साथ अनेक स्पेशल ब्राँच कर्मी सादे कपड़ों में गलियारे में बैठे थे।”

जिस तरीक़े से मुक़द्दमा चलाया गया उस पर टिप्पणी करते हुए, राजेन्द्र ने आगे कहा:

“अवलोकन की अवधि के दौरान (साथ ही पूरे मुक़द्दमे के दौरान, जैसा सबूत की प्रतिलिपि की नक़ल द्वारा प्रमाणित है) बताए गए न्यायाधीश का व्यवहार बहुत ओछा था . . . एक निष्कपट मुक़द्दमे की सभी नियमों के विरुद्ध, न्यायाधीश ने बार-बार सरकारी वकील के पक्ष में दख़ल दिया और वकील-ए-सफ़ाई को पेश किए गए सबूतों के बारे में सरकारी गवाहों से जिरह नहीं करने दी, उदाहरण के लिए बाइबल का किंग जेम्स्‌ वर्शन, जो कि सरकारी वकील द्वारा यह दिखाने के लिए पेश किया गया कि अभियुक्‍तों के पास प्रतिबंधित प्रकाशन थे!”

सिंगापुर द्वारा मानव अधिकारों के दमन के परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय चिंता का यह स्तर है कि एक बॆलजियम-स्थित सीमा रहित मानव अधिकार (अंग्रेज़ी) नामक पत्रिका ने १८-पृष्ठ की एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें सिंगापुर की सरकार द्वारा यहोवा के साक्षियों पर आक्रमण के बारे में ही बताया गया था। उस पत्रिका के मुख्य संपादक, वीली फ़ॉत्रे ने, संपादकीय में लिखते हुए, किसी भी राजनैतिक राज्य में मानव स्वतंत्रता के वास्तविक क़दमों को बड़े ही सटीक रूप से परिभाषित किया:

“हालाँकि किसी भी समाज में धार्मिक स्वतंत्रता मानव स्वतंत्रता की आम दशा की सर्वोत्तम सूचकों में से एक है, बहुत ही कम लौकिक मानव अधिकार संगठन, धर्म या विश्‍वास पर आधारित पक्षपात और असहनशीलता के रूपों को समाप्त करने या फिर ऐसी नीतियाँ बनाने की प्रक्रिया में शामिल रहे हैं, जो धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करेंगी और उसे बढ़ावा देंगी।”

सीमा रहित मानव अधिकार ने अपनी रिपोर्ट के अंतिम मुखपृष्ठ पर बड़े अक्षरों में सिफ़ारिश की सूची प्रकाशित की।

यहोवा के साक्षी सिंगापुर के लिए फ़ायदेमंद हैं। वे अपने पड़ोसियों के अधिकारों का आदर करते हैं और उनके ख़िलाफ़ कोई भी अपराध नहीं करेंगे। किसी भी सिंगापुर निवासी को यहोवा के एक साक्षी द्वारा ताला तोड़ने या ठगे जाने, पीटे जाने, या बलात्कार किए जाने के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं।

उनकी स्वयंसेवी जन सेवकाई, पारिवारिक जीवन को मज़बूत बनाती और सुधारती है और अच्छी नागरिकता को बढ़ावा देती है। वे ऐसे किसी भी व्यक्‍ति के साथ मुफ़्त बाइबल अध्ययन संचालित करते हैं जो बाइबल के प्रोत्साहक सिद्धांतों को सीखना और अपने जीवन में उन्हें लागू करना सीखना चाहता है। बाइबल अध्ययन और प्रार्थना के लिए उनकी सभाएँ उनके मसीही शिक्षण का भाग हैं। इसी कारण वे उत्तम नागरिक बने हैं।

सिंगापुर के नागरिक जो अपने गणराज्य का आदर करते हैं और उसके भविष्य की शुभ कामना करते हैं उन्हें सिंगापुर के समाज में यहोवा के साक्षियों के न्यायसंगत स्थान पर सरकार से एक बार फिर विचार करने का आग्रह करना चाहिए। यह उनके ख़िलाफ़ प्रतिबंध हटाने का समय है और उन्हें वह वापस देने का समय है जो हर नागरिक का अधिकार है—उपासना की स्वतंत्रता।

[पेज 24 पर बक्स]

संसार देख रहा है

१. “सिंगापुर की पुलिस ने सैन्य-कार्यवाही के आक्रमण की तरह जब पिछली फरवरी की एक रात में पाँच घरों पर धावा बोला, तब ६९ पुरुषों, स्त्रियाँ और किशोरों को गिरफ़्तार किया गया और उन्हें घसीटकर पुलिस मुख्यालय ले जाया गया। बाइबल अध्ययन सभाओं की समाप्ति इस तरह से तो नहीं होनी थी।”—द ओटावा सिटिज़न, कनाडा, दिसंबर २८, १९९५, पृष्ठ ए१०.

२. “यदि सिंगापुर की सरकार इन निर्दोष और अहानिकारक लोगों के बारे में अपनी स्थिति बदले और उन्हें बिना डर या बाधा के अपने विश्‍वास का पालन करने और उसका प्रचार करने की अनुमति दे, तो उन सभों के लिए जो धार्मिक स्वतंत्रता और अंतःकरण के अधिकारों के बारे में परवाह करते हैं, यह सच्ची ख़ुशी का स्रोत होगा।”—प्रोफ़ॆसर ब्रायन आर. विलसन, इंग्लैंड ऑक्सफॉर्ड विश्‍वविद्यालय।

३. “उस मुक़द्दमों की श्रंखला में, जिसने अंतर्राष्ट्रीय नागरिक स्वतंत्रता समूहों द्वारा विरोध को भड़काया है, सिंगापुर की अदालत ने पिछले नवंबर से ६३ यहोवा के साक्षियों को दोषी ठहराया हुआ है।”—आसाही ईवनिंग न्यूज़, जापान, जनवरी १९, १९९६, पृष्ठ ३.

४. “यहोवा के साक्षियों को शांतिपूर्वक इकट्ठा होने और गिरफ़्तार या जेल होने के डर के बिना अपने धर्म के कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए। धर्म की स्वतंत्रता वह मूलभूत अधिकार है जिसकी गारंटी सिंगापुर के संविधान ने दी है।”—एमनेस्टी इंटरनेशनल, नवंबर २२, १९९५.

५. हांग कांग कैथोलिक धर्मप्रेदश के न्याय और शांति समिति के अध्यक्ष चॆन स्यू-चिंग ने, प्रधान मंत्री कार्यालय के वरिष्ठ-मंत्री, ली क्वाँ ईयु को दिनांक जून १, १९९५ के अपने पत्र में लिखा: “ख़ास वाद-विषय यह है कि यदि सिंगापुर की सरकार यह समझती भी है कि वे लोग जो सैन्य-सेवा से इनकार करते हैं कानून का उल्लंघन करते हैं और उन पर आरोप लगाया जाना चाहिए, तो उन अन्य लोगों को इससे प्रभावित नहीं होना चाहिए जो सैन्य सेवा के लिए बाध्य नहीं हैं और मात्र धार्मिक समूहों में उपासना के उद्देश्‍य से हिस्सा लेते हैं।. . .

“इसलिए हम आपकी सरकार से निवेदन करने के लिए लिखते हैं:

१. यहोवा के साक्षियों पर प्रतिबंध न लगाया जाए ताकि वे उपासना और अंतःकरण की स्वतंत्रता का आनंद उठा सकें;

२. यहोवा के साक्षियों के सदस्यों पर आरोप लगाना समाप्त किया जाए जो मात्र धार्मिक उद्देश्‍य के लिए समूहनों में उपस्थित होते हैं।

३. यहोवा [के] साक्षियों के उन सदस्यों को छोड़ दिया जाए जिन्हें हाल ही में मात्र धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए गिरफ़्तार किया गया है।”

[पेज 21 पर तसवीर]

आरोप लगाए जाने के बाद यहोवा के साक्षी कचहरी में

[पेज 21 पर तसवीर]

इस ७१-वर्षीया साक्षी ने न्यायाधीश को बताया: “मैं इस सरकार के लिए कोई ख़तरा नहीं हूँ।” फिर भी, इसे क़ैद कर दिया गया

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