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सजग होइए!–1997
g97 7/8 पेज 16-18

नदी किनारे के रत्न

स्पेन में सजग होइए! संवाददाता द्वारा

जब कभी मैं किसी नदी या तालाब के किनारे टहलता हूँ, मैं निरंतर अपने पसंदीदा रत्नों की खोज करता रहता हूँ—चाहे वह लाल हो, नीला हो, या हरा हो। मैं कभी-कभी किसी एक को पत्ते पर स्थिर पड़ा हुआ देखता हूँ; मैं किसी दूसरे को शायद पानी पर मँडराते हुए या अचानक तीव्र गति के साथ अपने सामने से निकलते हुए भी देखूँ। जिस रत्न की मैं खोज करता हूँ वह है व्याध पतंगा—कीट-पतंगों के संसार का चमकीला “हेलीकॉप्टर”।

कई वर्ष पहले जब मैं जंगल से गुज़र रहा था, तब अचानक ही सुस्त-सी बहती नदी के पास इन उड़नेवाले मणियों ने मेरा ध्यान खींचा था। कई व्याध पतंगे धूप से आँख-मिचौली खेल रहे थे—कुछ चमचमाते नीले और अन्य उज्ज्वल हरे-पीले-से। एक घंटे तक मैं उनके हवाई नृत्य को देखता रहा, जिसने जंगल के मैदान को एक छोटी-सी नृत्यशाला बना दिया था। तब से इन्होंने मुझ में जिज्ञासा पैदा की है।

मैं जितना अधिक व्याध पतंगों के विषय में सीखता गया, उतना अधिक मैं उनकी सुंदरता और उनके महत्त्व की क़द्र करने लगा। मेरी पहली खोज थी कि व्याध पतंगे और डेमसेल पतंगे के बीच अंतर है। व्याध पतंगे तेज़ उड़नेवाले और प्रायः बड़े होते हैं, जबकि डेमसेल पतंगे—जैसा कि उनका नाम सूचित करता है—नाज़ुक, और अपेक्षाकृत धीमी उड़ान भरनेवाले होते हैं। जिस प्रकार से वे अपने पंखों को रखते हैं इससे इनमें एक प्रमुख अंतर स्पष्ट होता है। व्याध पतंगा विश्राम के दौरान अकसर अपने दोनों पंखों को समतल फैलाए रखता है जबकि डेमसेल पतंगा अपनी पीठ पर ऊपर की ओर उन्हें मिलाकर रखता है।a

मुझे ताज्जुब होने लगा कि व्याध पतंगे मच्छरों को हवा में से इतनी आसानी से कैसे झपट सकते हैं। जहाँ तक मेरा सवाल है, मैं रसोई की दीवार पर सेंक ले रही एक बड़ी मक्खी को भी मार पाना असंभव पाता हूँ। मैंने ख़ुद से पूछा, ‘व्याध पतंगे के पास ऐसा क्या है जो मेरे पास नहीं?’ दो बातें: हवा में उड़ान भरने का संपूर्ण कौशल और ऐसी नज़रें जिनसे एक पहरेदार को भी ईर्ष्या हो सकती है।

व्याध पतंगे की उड़ान

व्याध पतंगे को हेलीकॉप्टर बुलाना—स्पेन में एक सामान्य उपनाम—असल में एक घटिया तुलना है। उनकी हवाई कलाबाज़ियाँ इतनी तेज़ होती हैं कि कभी-कभार आँखों से उनका पीछा कर पाना असंभव हो जाता है। छोटे-छोटे झटकों में, कुछ जातियाँ क़रीब ९६ किलोमीटर प्रति घंटे की तेज़ रफ़्तार हासिल कर सकती हैं। क्षण भर में वे हवा में आगे, पीछे, या आड़े-तिरछे मँडरा सकते या उड़ सकते हैं। इसके अलावा, जब व्याध पतंगा अचानक हवा में घूमता है, वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि उसे २.५ G तक की शक्‍ति बरदाश्‍त करनी चाहिए।

व्याध पतंगों के दो जोड़े लचीले, झिल्लीदार पंख होते हैं। हालाँकि ये पंख नाज़ुक दिखते हैं, ये प्रति सेकेंड ४० बार फड़फड़ा सकते हैं और बहुत कम क्षति के साथ धक्के बरदाश्‍त कर सकते हैं। जीव-विज्ञानी रॉबिन जे. वुटन इनका वर्णन “दक्षतापूर्ण रचना की छोटी-छोटी श्रेष्ठ कृतियाँ” के रूप में करते हैं।

“जितना बेहतर हम कीट-पतंगे के पंखों का कार्य समझते हैं,” वे आगे कहते हैं, “उनकी रचनाएँ उतनी ही कुशाग्र और सुंदर प्रतीत होती हैं। . . . यदि हैं भी, तो इनके बहुत थोड़े प्रौद्योगिक समांतर हैं।” कोई आश्‍चर्य नहीं कि वर्तमान में, वैमानिक इंजिनियर व्याध पतंगे की उड़ान-तकनीक का अध्ययन कर रहे हैं।

आँखों से भरा हुआ सिर

यदि व्याध पतंगे की उड़ान अद्‌भुत है, तो उसकी आँखें भी कोई कम नहीं हैं। दो बड़ी-बड़ी संयुक्‍त आँखें व्याध पतंगे के सिर को लगभग ढक लेती हैं। प्रत्येक आँख में ३०,००० तक षट्‌कोणीय इकाइयाँ होती हैं, जो आँख में छोटी-सी आँखों के समान होती हैं, क्योंकि हरेक, अलग-अलग प्रतिबिंब मस्तिष्क को पहुँचाती है। परंतु, इसका अर्थ यह नहीं कि व्याध पतंगा एक ही समय पर हज़ारों विभिन्‍न तस्वीरों को देखता है। संपूर्ण तस्वीर देखने के बजाय जैसी हमें नज़र आती है, यह गति, ढाँचों, विषमताओं, और आकारों को महसूस करता है।

इन सारे प्रतिबिंबों का विश्‍लेषण करने की ज़रूरत होती है। इसलिए व्याध पतंगे का ८० प्रतिशत मस्तिष्क, दृष्टि सूचनाएँ निर्धारित करने के लिए समर्पित है। बहुत कम नेत्र प्रणालियाँ इतनी संवेदनशील होती हैं—व्याध पतंगा २० मीटर की दूरी से एक मच्छर देख सकता है। अंधेरे में भी जब रोशनी बहुत कम होती है, उष्णप्रदेशीय व्याध पतंगे छोटी मक्खियों को बड़ी आसानी से झपट लेते हैं जबकि मनुष्य बड़ी मुश्‍किल से उन्हें देख पाता है।

व्याध पतंगे को नदी किनारे की वनस्पति में से तत्काल व तीव्र गति की उड़ान के लिए फुर्ती से सैकड़ों निर्णय लेने की ज़रूरत पड़ती है। यह इस कठिन कार्य को सँभाल सकता है क्योंकि यह प्रति सेकेंड सैकड़ों विभिन्‍न प्रतिबिंब देख सकता है, हम जितना देख सकते हैं उससे पाँच गुना अधिक। इसलिए, एक चलचित्र, जो प्रति सेकेंड २४ प्रतिबिंब प्रक्षेपित करता है, व्याध पतंगे को मात्र स्थिर तस्वीरों का एक सिलसिला नज़र आएगा।

जीवन-शैली में परिवर्तन

जब व्याध पतंगा अपना जीवन शुरू करता है, तब उस आकर्षक और कुशल उड़ान भरनेवाले का कोई नामोनिशान नहीं होता, जो आख़िरकार वह बनेगा। अंडे से बाहर निकलने के उपरांत, जलीय लार्वा इस ताक में नदी या तालाब में क़रीब-क़रीब बिना हिले-डुले पड़ा रहता है कि जो भी पदार्थ उसकी पहुँच में आए उसे लपक ले। त्वचा में कई परिवर्तनों के बाद—कई महीने या फिर कुछ जातियों में तो सालों लग जाते हैं—लार्वा नरकट पर चढ़ जाता है। वहाँ, अनोखा कायांतरण होता है।

छाती से त्वचा को चीरकर, पूर्णकीट व्याध पतंगा रेंगकर बाहर निकल आता है। इससे पहले कि पंख कड़े हों और नया जीवन शुरू हो, तितली के समान, इस बाहर निकले हुए नए पतंगे को कुछ घंटे रुकना पड़ता है। बस कुछ दिनों में, उसकी नैसर्गिक बुद्धि सफलतापूर्वक शिकार करने और उड़ान भरने की जटिलता में दक्ष होने के लिए उसे समर्थ करती है।

जल्द ही छोटा व्याध पतंगा हवा में मच्छर एवं मक्खी पकड़ने में प्रवीण हो जाता है। हर दिन अपने भार के तुल्य कीटों को निगलकर यह अमूल्य सेवा करता है। भोजन-पदार्थ की आपूर्ति निश्‍चित करने के लिए, कई नर व्याध पतंगे छोटे क्षेत्रों पर हक़ जमाते हैं, जिनका वे जलन से पहरा देते हैं।

व्याध पतंगे की कुछ जातियाँ एफिड या बीटल का शिकार करती हैं, अन्य नन्हें मेढ़कों पर लपकती हैं, और एक उष्णप्रदेशीय डेमसेल पतंगा मकड़ियाँ भी खाता है। यह बड़ी ऑर्ब मकड़ी के जाल के आस-पास मँडराता है और उन छोटी मकड़ियों को दबोच लेता है जो उस भोजन पदार्थ को चट करने आती हैं जिसे जाल का मालिक छोड़ जाता है।

विकासवाद के विरुद्ध प्रमाण

अनेक विकासवादी वैज्ञानिक व्याध पतंगे को सबसे प्राचीन उड़नेवाले कीटों में से मानते हैं। फ्रांस में पाया गया एक फ़ॉसिल व्याध पतंगे के पंखों की छाप देता है जिसके पंख का फैलाव ७५ सेंटीमीटर था! अभी जीवित किसी भी व्याध पतंगे के आकार से तीन गुना बड़ा, अब तक ज्ञात यह सबसे बड़ा कीट पतंगा है।

‘यह कैसे संभव है,’ मैंने स्वयं से पूछा, ‘कि एक सबसे जटिल उड़ान यंत्रावली जिसे मानव जानता है, बस अपने आप आ जाए, पूर्णतया विकसित?’ “कीट पतंगों की बिना पंख की और पंख-सहित स्थिति के बीच का कोई फ़ॉसिल नहीं है,” विदेशी साम्राज्य—कीट-पतंगों के जीवन की एक जाँच (अंग्रेज़ी) पुस्तक स्वीकार करती है। यह स्पष्ट है कि व्याध पतंगे बुद्धिमान दक्ष रचनाकार की हस्तकला है।

व्याध पतंगे लगभग पृथ्वी के हर भाग में सफलापूर्वक बस गए हैं। वे पहाड़ी झील के किनारे, भूमध्य के दलदल, या उपनगरीय स्विमिंग पूल में अपना आवास बनाते हैं।

मैंने अफ्रीका के उष्णप्रदेशीय समुद्र-तट पर व्याध पतंगों के झुंड देखे हैं और अपने प्रिय यूरोपियन तालाब पर लगातार पहरा देते हुए अकेले शहंशाह व्याध पतंगे भी देखे हैं। और जब मैंने फिलीपींस की पत्तीदार घाटी से अपनी छोटी नाव पर सफ़र किया था, तब शानदार डेमसेल पतंगे मानो मुझे विदा करने आए थे, यहाँ तक कि मेरी खुली बाँहों पर भी बैठे थे।

यद्यपि व्याध पतंगे पृथ्वी पर शायद सबसे जटिल उड़ान यंत्रों में से हों, परंतु मैं उनकी उड़ने की क्षमता से अधिक उनके लालित्य और सुंदरता से हमेशा प्रभावित हुआ हूँ। उनकी उपस्थिति हमारे तालाबों और नदी किनारों में चार चाँद लगा देती है। ये उत्कृष्ट रत्न हैं—आनंद लेने के लिए सर्वदा मौजूद।

[फुटनोट]

a कभी-कभी, व्याध पतंगे अपने पंखों को नीचे की ओर करके अपना धड़ ऊपर की तरफ़ सूर्य की दिशा में रखते हैं। वे इस मुद्रा को ठंडक पाने के लिए अपनाते हैं, चूँकि इससे उनके शरीर का कम-से-कम भाग सूर्य के सामने खुला होता है।

[पेज 16, 17 पर तसवीरें]

व्याध पतंगे, जो अपने पंखों को समतल फैलाए रखते हैं, सामान्यतः उन डेमसेल पतंगों से बड़े होते हैं, जो पीठ पर ऊपर की ओर अपने पंखों को मिलाकर रखते हैं।

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