इंटरनॆट क्या आपको सचमुच इसकी ज़रूरत है?
क्या आपको इंटरनॆट इस्तेमाल करना चाहिए? इसमें कोई शक नहीं कि यह एक निजी मामला है, एक ऐसा मामला जिसे आपको बड़े ध्यान से तौलना चाहिए। कौन-सी बातें आपके फ़ैसले को प्रभावित कर सकती हैं?
ज़रूरत—क्या आपने ख़र्च जोड़ा है?
हाल में हुई इंटरनॆट की अधिकतर वृद्धि का कारण है व्यवसाय जगत के तीव्र विक्रय प्रयास। स्पष्टतया, उनका लक्ष्य है ऐसी भावना उत्पन्न करना कि आपको इसकी ज़रूरत है। जब वे आपमें यह इच्छा जगा देते हैं कि आपको इसकी ज़रूरत है, तब उस जानकारी या सेवा के लिए जो आपको शुरू-शुरू में मुफ़्त दी जा रही थी कुछ संगठन सदस्यता शुल्क या वार्षिक अभिदान की माँग करते हैं। यह शुल्क उस ख़र्च के अतिरिक्त होता है जो आप इंटरनॆट के इस्तेमाल के लिए हर महीने देते हैं। इंटरनॆट पर उपलब्ध कुछ अख़बार इस चलन के जाने-माने उदाहरण हैं।
क्या आपने अपनी असल ज़रूरत की तुलना में उपकरण और सॉफ़्टवॆयर का ख़र्च जोड़ लिया है? (लूका १४:२८ से तुलना कीजिए।) क्या ऐसे सार्वजनिक पुस्तकालय या स्कूल हैं जहाँ इंटरनॆट सुविधा उपलब्ध है? शुरू में इन साधनों को इस्तेमाल करना अपनी ज़रूरत को आँकने में आपकी मदद कर सकता है, इससे पहले कि आप शुरू में ही एक पर्सनल कंप्यूटर और संबंधित उपकरण में भारी रक़म लगाएँ। ज़रूरत होने पर शायद उपयुक्त सार्वजनिक इंटरनॆट साधन इस्तेमाल किए जा सकते हैं, जब तक कि यह स्पष्ट न हो जाए कि असल में कितनी बार इन साधनों की ज़रूरत पड़ती है। याद रखिए, इससे पहले कि आम जनता को इंटरनॆट का पता चलता, इसकी ज़रूरत का एहसास होने की बात तो दूर रही, यह दो दशकों से भी अधिक समय से विद्यमान था!
सुरक्षा—क्या आपकी गोपनीयता बनी रहती है?
एक और मुख्य चिंता है गोपनीयता। उदाहरण के लिए, आपका ई-मेल संदेश उसे ही दिखना चाहिए जिसे आपने भेजा है। लेकिन, जब पत्र मार्ग में होता है तब एक चतुर और संभवतः चालबाज़ व्यक्ति या समूह आपके पत्र को रोक सकता है या उसे जाँच सकता है। संदेश को सुरक्षित रखने के लिए, कुछ लोग ई-मेल सॉफ़्टवॆयर उत्पादों का इस्तेमाल करके पत्र भेजने से पहले उसकी गोपनीय बातों को आगे-पीछे कर देते हैं। दूसरे छोर पर, प्रापक को भी वैसे ही सॉफ़्टवॆयर की ज़रूरत पड़ सकती है जिससे कि वह उस संदेश को फिर से सही क्रम में ला सके।
हाल ही में, इंटरनॆट पर क्रॆडिट-कार्ड और व्यवसायिक प्रयोग की अन्य गोपनीय जानकारी के आदान-प्रदान पर काफ़ी चर्चा हुई है। हालाँकि यह अपेक्षा की जाती है कि इस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ सुरक्षा को और कड़ा करेंगी, फिर भी विख्यात कंप्यूटर सुरक्षा विश्लेषक डॉरथी डॆनिंग कहती है: “पूरी तरह से सुरक्षित प्रणालियाँ संभव नहीं हैं, परंतु जोख़िम को काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है, संभवतः उस हद तक लाया जा सकता है जो प्रणालियों पर जमा की गयी जानकारी के महत्त्व और हैकरों (घुसपैठियों) तथा इनसाइडरों (अंदरवालों) द्वारा खड़े किए गए ख़तरे के अनुरूप हो।” किसी भी कंप्यूटर प्रणाली पर पूरी सुरक्षा पाना संभव नहीं, चाहे वह इंटरनॆट से जुड़ा हुआ हो या नहीं।
क्या आपके पास समय है?
एक और महत्त्वपूर्ण बात है आपका समय। इंटरनॆट इस्तेमाल करने से पहले ज़रूरी उपकरण लगाने और सुविधाओं को सीखने में आपका कितना समय लगेगा? साथ ही, एक अनुभवी इंटरनॆट प्रशिक्षक ने कहा कि इंटरनॆट पर सैर करना “इंटरनॆट के नए प्रयोक्ता के लिए अति व्यसनकारी और समय-लेनेवाला कार्य हो सकता है।” ऐसा क्यों है?
ढेरों दिलचस्प विषय होते हैं और सीखने के लिए अनगिनत नयी बातें। असल में, इंटरनॆट पुस्तकालयों का एक विशाल संग्रह है जिसमें दृश्य रूप से आकर्षक दस्तावेज़ होते हैं। उसके छोटे-से हिस्से को ही देखने में आसानी से शाम गुज़र सकती है और आपको थकान भी नहीं होती। (पृष्ठ १३ पर “आपका समय कितना मूल्यवान है?” बक्स देखिए।) निःसंदेह, इसका यह अर्थ नहीं कि सभी वॆब यूज़रों में नियंत्रण की कमी होती है। लेकिन, वॆब सैर में समय और विषय पर सीमा लगाना बुद्धिमत्ता होगी—ख़ासकर युवाओं के लिए। अनेक परिवार टॆलिविज़न के साथ भी यही करते हैं।a इससे वह समय बचेगा जो पारिवारिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए नियत किया गया है।—व्यवस्थाविवरण ६:६, ७; मत्ती ५:३.
क्या आप कुछ खो रहे हैं?
धीरे-धीरे, इंटरनॆट टॆक्नॉलजी संसार के विकासशील क्षेत्रों में और ज़्यादा फैल जाएगी। लेकिन, याद कीजिए उन लोगों को जिनका ज़िक्र पहले लेख की शुरूआत में किया गया था। उन्होंने जो जानकारी प्राप्त की उसमें से अधिकतर तो पुस्तकालय, टॆलिफ़ोन, सामान्य डाक, या अख़बारों का इस्तेमाल करके प्राप्त की जा सकती थी। यह सही है कि इनमें से कुछ तरीक़ों का इस्तेमाल करें तो ज़्यादा समय और ख़र्च लग सकता है। फिर भी, पृथ्वी-भर में अधिकतर लोगों के लिए, ये ज़्यादा पारंपरिक तरीक़े संभवतः कुछ समय तक संचार का मुख्य साधन बने रहेंगे।
[फुटनोट]
a सजग होइए! के फरवरी २२, १९८५, अंग्रेज़ी अंक में लेख “युवा लोग पूछते हैं . . . मैं इतना टीवी देखना कैसे छोड़ूँ?” देखिए।
[पेज 9 पर तसवीर]
यदि आत्म-संयम न रखा जाए तो नॆट पर सैर करना फँदा बन सकता है