आपकी श्रवण-शक्ति सहेजकर रखा जानेवाला तोहफ़ा
शहरी शोर-शराबे से दूर किसी देहात में एक शांत शाम, रात की मधुर आवाज़ों में डूब जाने का अवसर प्रदान करती है। मंद-मंद बहती हवा पत्तों को हौले-हौले चरमराती है। दूर से कीड़ों, परिंदों, व जानवरों की आवाज़ सुनाई देती है। ऐसी मद्धिम आवाज़ों को सुनने से क्या ही अद्भुत अनुभूति होती है! क्या आप इन्हें सुन सकते हैं?
मानव श्रवण-शक्ति प्रणाली की क्षमता बस कमाल की है। एक गूंजरहित कक्ष में—ध्वानिक रूप से एकांत कमरा जिसकी ऊपरी सतहों की रचना सब आवाज़ को आत्मसात् करने के मक़सद से की गयी है—आधा घंटा बिताइए और आपकी सुनने की क्षमता आहिस्ते-आहिस्ते ‘बढ़’ गयी होगी, इतनी कि आप अपने ही शरीर के अंदर से आनेवाली अपरिचित आवाज़ों को सुनना शुरू कर देंगे। ध्वनि-संबंधी विज्ञानी एफ़. ओलटन एवरॆस्ट इस अनुभव का वर्णन द मास्टर हैंडबुक ऑफ़ एकॉस्टिक्स में करता है। पहले, आपके दिल की धड़कन ज़ोर से सुनाई देती है। कमरे में एक घंटे रहने के बाद, आप अपनी रगों में खून को दौड़ता हुआ सुनते हैं। अंततः, यदि आपकी श्रवण-शक्ति तेज़ है, तो “आपके धैर्य को प्रतिफल के तौर पर आपके दिल की ‘धड़कनों’ व लहू के छपछपाने की आवाज़ के बीच एक विचित्र फुफकारने की आवाज़ सुनने को मिलेगी। यह क्या है? यह आपके कर्ण पटल से टकरा रहे हवा के कणों की आवाज़ है,” एवरॆस्ट समझाता है। “इस फुफकारने की आवाज़ से परिणित कर्ण पटल की गति बहुत ही कम है—एक सेंटीमीटर के दस लाखवें भाग का केवल १/१००वाँ अंश!” यह “श्रवण-शक्ति की चौखट” है, ध्वनि का पता लगाने की आपकी क्षमता की निम्नतर सीमा। अत्यधिक संवेदनशीलता आपके कोई काम की नहीं होगी क्योंकि कमज़ोर ध्वनियाँ वायु-कणों की गति के शोर में डूब जाएँगी।
बाह्य, मध्य, व आंतरिक कान, साथ ही हमारे स्नायु तंत्र तथा मस्तिष्क की कार्य-प्रणाली व सुनने-समझने की क्षमता के सहयोग से श्रवण-शक्ति संभव होती है। दबाव कंपनों की तरंगों के रूप में ध्वनि हवा के माध्यम से पहुँचती है। ये तरंगें हमारे कर्ण पटलों को आगे-पीछे हिलाती हैं और यह गति, क्रमशः, मध्य कान से आंतरिक कान तक स्थानांतरित होती है। वहाँ इस गति को स्नायु आवेगों में बदला जाता है, जिसे मस्तिष्क ध्वनि समझता है।a
आपका महत्त्वपूर्ण बाह्य कान
आपके कान का नम्य, वक्राकार बाह्य भाग पिना कहलाता है। पिना आवाज़ पकड़ता है, लेकिन यह इससे भी कहीं ज़्यादा करता है। क्या आपने कभी विचार किया है कि क्यों आपके कान में इतने सारे छोटे-छोटे मोड़ हैं? पिना की विभिन्न सतहों से परावर्तित हो रही ध्वनि तरंगों को कुशलतापूर्वक परिवर्तित किया जाता है। यह परिवर्तन उनके आने की दिशा के मुताबिक़ किया जाता है। मस्तिष्क इन छोटे-छोटे परिवर्तनों का अर्थ समझने व आवाज़ के स्रोत की स्थिति तय करने में समर्थ है। इसके अलावा, जब आवाज़ आपके प्रत्येक कान में प्रवेश करती है, तब मस्तिष्क आवाज़ के समय व तीव्रता की तुलना भी करता है।
इसे प्रदर्शित करने के लिए, आँख मूँदकर खड़े किसी व्यक्ति के ठीक सामने अपना हाथ ऊपर-नीचे करते हुए चुटकी बजाइए। हालाँकि आपकी उँगलियाँ उसके दोनों कान से समान दूरी पर रहती हैं, फिर भी वह यह बता सकेगा कि आवाज़ ऊपर से, नीचे से, या बीच में कहीं से आ रही है। दरअसल, ऐसा व्यक्ति भी जो केवल एक कान से सुनता है, ध्वनियों का स्थितिनिर्धारण भली-भाँति कर सकता है।
आपका मध्य कान—एक यांत्रिक कमाल
आपके मध्य कान का मुख्य कार्य है आपके आंतरिक कान में भरनेवाले द्रव पदार्थ तक आपके कर्ण पटल के कंपन को पहुँचाना। यह द्रव पदार्थ हवा से काफ़ी भारी होता है। अतः, जैसे कि एक काफ़ी ऊँची पहाड़ी पर साइकिल चलाकर जानेवाले व्यक्ति के बारे में सच है, यथासंभव कुशलता से ध्वनि-ऊर्जा पहुँचाने के लिए उचित ‘गीयर अनुपात’ की ज़रूरत है। मध्य कान में, तीन छोटी-छोटी हड्डियों के द्वारा इस ऊर्जा का प्रवाह होता है। इन तीन हड्डियों को आम तौर पर इनके आकार के कारण हैमर, एनविल, व स्टरप कहा जाता है। यह सूक्ष्म तकनीकी कड़ी ऐसा ‘गीयर अनुपात’ प्राप्त करती है जो कि आंतरिक कान के लिए लगभग पूरी तरह सही है। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि इसके बिना ९७ प्रतिशत ध्वनि ऊर्जा व्यर्थ हो जाएगी!
आपके मध्य कान में दो नाज़ुक मांस-पेशियाँ इस कड़ी से जुड़ी हुई होती हैं। आपके कान पर किसी कम-आवृत्तिवाली ऊँची आवाज़ पड़ने के सेकेंड-भर के सौवें भाग के अंदर, ये मांस-पेशियाँ स्वतः कस जाती हैं। इससे कड़ी के हिलने-डुलने में अत्यधिक रोक लग जाती है और इस प्रकार कोई भी संभव हानि टाल दी जाती है। यह प्रतिवर्त क्रिया बड़ी तत्परता से प्रकृति की तक़रीबन सभी ऊँची आवाज़ों से आपकी रक्षा करती है, हालाँकि यह यांत्रिक व विद्युत उपकरणों द्वारा उत्पन्न सभी आवाज़ों से ऐसा नहीं कर पाती। इसके अलावा, छोटी-छोटी मांस-पेशियाँ इस रक्षात्मक मुद्रा को बस १० मिनटों तक बनाए रख सकती हैं। लेकिन यह आपको उस आपत्तिजनक शोर से दूर भागने का अवसर देता है। दिलचस्पी की बात है, जब आप बात करते हैं, तब आपका मस्तिष्क इन मांस-पेशियों को आपकी श्रवण संवेदनशीलता को कम करने का संकेत भेजता है, ताकि आपकी ही आवाज़ आपको ज़्यादा ऊँची न लगे।
आपका विलक्षण आंतरिक कान
आपके आंतरिक कान का वह हिस्सा जो श्रवण-शक्ति में शामिल है, कॉक्लिया के अंदर होता है। कॉक्लिया का नाम इसके घोंघे का खोलनुमा आकार की वज़ह से पड़ा। जो खोल इसकी नाज़ुक बनावट की रक्षा करता है, वह आपके शरीर की सबसे सख़्त हड्डी है। इसके आंतर कर्ण के अंदर आधारी कला पायी जाती है। आधारी कला उन अनेक उत्तकों में से एक है जो कॉक्लिया की लंबाई को नलिकाओं में विभाजित करती है। आधारी कला के साथ-साथ ऑर्गन ऑफ़ कॉर्टी होता है, जो हज़ारों केश कोशिकाओं की मदद करता है। ये केश कोशिकाएँ ऐसी स्नायु कोशिकाएँ हैं जिनके केश-सरीखे सिरे कॉक्लिया में भरे द्रव पदार्थ तक बढ़ते हैं।
जब मध्य कान की हड्डियों की गति कॉक्लिया के अंडाकार द्वार को कंपकपाती है, तब यह द्रव पदार्थ में तरंगें उत्पन्न करती है। ये तरंगें झिल्लियों को हिलाती हैं, ठीक उसी तरह जिस तरह किसी तालाब में छोटी लहरें तैरते हुए पत्तों को ऊपर-नीचे हिलाती हैं। ख़ास आवृत्ति से संबंधित जगहों में ये तरंगे आधारी कला को मोड़ती हैं। उन जगहों की केश कोशिकाएँ तब ऊपर की छादक झिल्ली को हलके से स्पर्श करती हैं। यह संपर्क केश कोशिकाओं को उत्तेजित करता है और बदले में वे आवेग उत्पन्न करती हैं और उन्हें आपके मस्तिष्क को भेजती हैं। आवाज़ जितनी तीव्र होगी, केश कोशिकाएँ उतनी ही ज़्यादा उत्तेजित होंगी और उतनी ही तेज़ी से उत्तेजित होंगी। इस तरह, मस्तिष्क ज़्यादा ऊँची आवाज़ पकड़ता है।
आपका मस्तिष्क व श्रवण-शक्ति
आपका मस्तिष्क आपकी श्रवण-शक्ति प्रणाली का सबसे अहम भाग है। इसमें स्नायु आवेगों के रूप में प्राप्त होनेवाली जानकारी की भरमार को मानसिक तौर पर ध्वनि के बोध में बदलने की अद्भुत क्षमता है। यह बड़ी भूमिका सोच व श्रवण-शक्ति के बीच की विशेष कड़ी की ओर संकेत करती है, एक ऐसा संबंध जिसे इस क्षेत्र में साइकोएकॉस्टिक्स के नाम से अध्ययन किया जाता है। मिसाल के तौर पर, आपका मस्तिष्क एक भीड़-भाड़वाले कमरे में अनेक लोगों में से किसी एक की बातचीत सुनने में आपको समर्थ करता है। माइक्रोफ़ोन में यह क़ाबिलीयत नहीं होती, सो उसी कमरे में की गयी टेप रिकॉर्डिंग शायद ठीक से समझ में न आए।
अनचाही आवाज़ों द्वारा उत्पन्न परेशानी इस कड़ी के एक और पहलू को प्रदर्शित करती है। चाहे आवाज़ की तीव्रता शायद कितनी भी धीमी क्यों न हो, यदि आप इसे उस समय थोड़ा भी सुन पाते हैं जब आप इसे सुनना पसंद नहीं करते, तो यह परेशान कर सकती है। मसलन, रिसते नल की आवाज़ की तीव्रता बहुत ही धीमी होती है। लेकिन आप शायद इसे बेहद आपत्तिजनक पाएँगे यदि रात के सन्नाटे में यह आपको जगाए रखती है!
वाक़ई, हमारी भावनाएँ हमारी श्रवण-शक्ति के बोध से नज़दीकी से जुड़ी हुई हैं। एक ठहाकेदार हँसी के संक्रामक असर के बारे में, या प्रीति अथवा सराहना के निष्कपट शब्द द्वारा उत्पन्न स्नेह के बारे में सोचिए। इसी तरह, दिमाग़ी तौर पर जो कुछ हम सीखते हैं, उसका अधिकांश भाग हम अपने कानों के ज़रिए ग्रहण करते हैं।
सहेजकर रखा जानेवाला तोहफ़ा
हमारी श्रवण-शक्ति के अनेक दिलचस्प रहस्यों पर अब भी परदा पड़ा हुआ है। लेकिन जो वैज्ञानिक समझ प्राप्त हुई है वह इसमें प्रकट बुद्धि व प्रेम के लिए हमारी क़दरदानी को गहराती है। “किसी भी गहराई तक मानव श्रवण-शक्ति प्रणाली पर विचार करने पर,” ध्वनि-संबंधी खोजकर्ता एफ़. ओलटन एवरॆस्ट लिखता है, “इस निष्कर्ष को अनदेखा करना मुश्किल है कि इसके जटिल कार्य व संरचनाएँ दिखाती हैं कि इसकी रचना में किसी परोपकारी का हाथ है।”
प्राचीन इस्राएल के राजा दाऊद को हमारी श्रवण-शक्ति की आंतरिक कार्यप्रणालियों के बारे में वर्तमान-दिन के वैज्ञानिक ज्ञान की कमी थी। फिर भी, उसने अपने शरीर व इसकी अनेक योग्यताओं पर मनन किया तथा अपने सृष्टिकर्ता को गीत में सुनाया: “मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं।” (भजन १३९:१४) शरीर के अचंभों व रहस्यों का, जिसमें श्रवण-शक्ति शामिल है, वैज्ञानिक शोध इस प्रमाण को बल देता है कि दाऊद सही था—हमें एक बुद्धिमान व प्रेममय सृष्टिकर्ता ने अद्भुत रीति से रचा है!
[फुटनोट]
a सजग होइए! (अंग्रेज़ी), जनवरी २२, १९९०, पृष्ठ १८-२१ देखिए।
[पेज 27 पर बक्स/तसवीर]
क्षतिग्रस्त श्रवण-शक्तिवालों के लिए मदद
काफ़ी समय तक तेज़ आवाज़ को सुनने से श्रवण-शक्ति को स्थायी हानि पहुँचती है। अत्यधिक तेज़ आवाज़ में संगीत सुनना या बिना सुरक्षा के शोरवाले उपकरणों से घिरे रहकर काम करना ऐसी हानि की बहुत बड़ी क़ीमत है। हियरिंग एड कम सुननेवालों की काफ़ी हद तक मदद कर सकते हैं, यहाँ तक कि कुछ ऐसों की भी जो जन्मजात बहरे हैं। अनेक के लिए, ऐसे यंत्रों से उन्हें फिर से दुनिया-जहाँ की आवाज़ें सुनने को मिलती हैं। पहली बार हियरिंग एड लगाए जाने के बाद, एक स्त्री का ध्यान उसके रसोईघर की खिड़की के बाहर से आ रही एक विचित्र आवाज़ पर गया। “वह परिंदों की आवाज़ थी!” वह चहकती है। “मैंने सालों से परिंदों की आवाज़ नहीं सुनी थी!”
अत्यधिक क्षति के बग़ैर भी, ढलती उम्र तीक्ष्ण आवाज़ों को पकड़ने की हमारी क्षमता को आम तौर पर कम कर देती है। अफ़सोस की बात है, इसमें व्यंजनों—ऐसी आवाज़ें जो बोली समझने के लिए अकसर सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण होती हैं—की आवृत्ति शामिल है। इसीलिए, शायद उम्रदराज़ लोग यह पाएँ कि घर की सामान्य आवाज़ें ज़बानी संचार में बाधा डाल सकती हैं, ऐसी आवाज़ें जैसे बहता पानी या काग़ज़ का मरोड़ना, क्योंकि इनमें उच्च आवृत्तियाँ होती हैं जो व्यंजनों के आड़े आती हैं। हियरिंग एड से शायद थोड़ी-बहुत राहत मिले, लेकिन उनकी भी अपनी ख़ामियाँ होती हैं। एक वज़ह यह है कि उच्च कोटि के हियरिंग एड बहुत महँगे हो सकते हैं—अनेक देशों में आम आदमी की पहुँच से बिलकुल बाहर। लेकिन फिर भी, कोई भी हियरिंग एड आपको पूरी तरह से प्राकृतिक श्रवण-शक्ति वापस नहीं दे सकता। सो, क्या किया जा सकता है?
लिहाज़ दिखाना काफ़ी मददगार हो सकता है। ऊँचा सुननेवाले किसी व्यक्ति से बात करने से पहले, यह निश्चित कीजिए कि वह जानता है कि आप कुछ कहने जा रहे हैं। व्यक्ति को देखकर बात करने की कोशिश कीजिए। इससे वह आपके शरीर व होठों के हावभाव को देख सकता है तथा आपके शब्दों के व्यंजनों को पूरी तरह सुन सकता है। यदि संभव हो, तो व्यक्ति के और निकट जाइए तथा आहिस्ते-आहिस्ते व साफ़-साफ़ बात कीजिए; चीखिएगा नहीं। अनेक कमज़ोर श्रवण-शक्तिवाले लोगों के लिए ऊँची आवाज़ वास्तव में दर्दनाक होती है। यदि कोई कथन समझ में न आए, तो उसे दोहराने के बदले दूसरे शब्दों में कहने की कोशिश कीजिए। इसी तरह, यदि आपकी श्रवण-शक्ति पहले की तरह नहीं रही, तो बात करनेवाले व्यक्ति के निकट जाने व धीरजवंत होने के द्वारा आप आपके साथ संचार करना दूसरों के लिए आसान बना सकते हैं। इन अतिरिक्त प्रयासों से शायद ज़्यादा बेहतर संबंध परिणित हों तथा आपके माहौल के सुर में सुर मिलाए रहने में ये आपकी मदद कर सकते हैं।
[तसवीर]
ऊँचा सुननेवाले किसी व्यक्ति से बात करते वक़्त, उसे देखकर बात कीजिए तथा आहिस्ते-आहिस्ते व साफ़-साफ़ बात कीजिए
[पेज 26 पर रेखाचित्र]
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
आपका कान
अंडाकार द्वार
स्टरप (स्टेप्स)
एनविल (इंकस)
हैमर (मैलियस)
पिना
श्रवण-संबंधी नलिका
कर्ण पटल
गोलाकार द्वार
कॉक्लिया
श्रवण स्नायु
ऑर्गन ऑफ़ कॉर्टी
श्रवण स्नायु
स्नायु रेशे
छादक झिल्ली
केश कोशिकाएँ
आधारी कला