लघुरूप पुस्तकों की रोमांचक दुनिया
ब्रिटॆन में सजग होइए! संवाददाता द्वारा
अतिरूप जिज्ञासा जगाते हैं—सबसे ऊँचा पहाड़, सबसे गहरा सागर, सबसे ऊँची इमारत, सबसे लंबी सुरंग—तो सबसे छोटी पुस्तक के बारे में क्या? लघुरूप पुस्तकें रोमांचक होती हैं! कम-से-कम २० भाषाओं में और हर संभव विषय पर ये लाखों की संख्या में छापी गयी हैं। यदि आपने उनकी दुनिया की सैर नहीं की है, तो अब उन पर एक नज़र डालिए।
लघुरूप पुस्तक की परिभाषा कैसे दी जाए? सामान्य नियम यह है कि इसे लंबाई या चौड़ाई में ७६ मिलीमीटर से ज़्यादा नहीं होना चाहिए। इस माप में जिल्द शामिल है, हालाँकि कुछ अतिसावधान संग्रहकर्ता सिर्फ पुस्तक के पन्नों को मापना पसंद करते हैं। ये लघुरूप पुस्तकें क्यों छापी गयीं?
कला के रूप
आम सोच के विपरीत, अधिकतर लघुरूप पुस्तकों को आसानी से पढ़ा जा सकता है। इसलिए लघुरूप तिथिपत्र, साहित्यिक पाठ, उपन्यास, नाटक, शब्दकोश, और पवित्र लेख को आराम से साथ ले जाया जा सकता है और इस्तेमाल किया जा सकता है। हालाँकि सालों पहले यह ऐसी छोटी पुस्तकों को रखने का मुख्य कारण रहा होगा, लेकिन आज का संग्रहकर्ता लघुरूप पुस्तकों की दूसरी विशेषता में ज़्यादा दिलचस्पी रखता है: इन्हें छापने और जिल्दबंद करनेवालों का कौशल।
ऐसा टाइप डिज़ाइन करने और बनाने के लिए जिसे आवर्धक लॆंस से या उसके बिना पढ़ा जा सके, मुद्रकों को अनेक तकनीकी समस्याओं को पार करना पड़ा। उनके परिश्रम का परिणाम हैं ये अति सुंदर पुस्तकें। यह निश्चित करने के लिए कि मुद्रित पन्ने पर सब कुछ एकदम साफ-साफ दिखे कागज़ और स्याही के निर्माताओं ने भी अपने कौशल का योग दिया।
पुस्तक की छपाई होने के बाद उस पर जिल्द चढ़ायी जाती है; और लघुरूप पुस्तकों की जिल्द बहुत सुंदर हो सकती है। शिल्पकार का कौशल नक्काशीदार चमड़े, सोने या चाँदी की तारों, कछुवे के कवच, या सजी हुई तामचीनी की छोटी-छोटी जिल्द बनाने में दिखता है। जिल्द रेशम या मखमल की भी होती है। उन पर कढ़ाई की गयी होती है या उन्हें मोतियों और सितारों से सजाया गया होता है। कुछ पुस्तकों के साथ एक थैली भी होती है ताकि उन्हें उसमें सुरक्षित रखा जा सके।
जो नक्काश पाठ के लिए चित्र बनाते थे उन्होंने बहुत ही बारीकी से चित्र बनाये। कई बार तो वे चित्र के लिए कागज़ की सात वर्ग सॆंटीमीटर से भी कम जगह लेते थे! एक उदाहरण है ३६८-पृष्ठवाली ब्राइस थम्ब इंग्लिश डिक्शनरी में बनी अंग्रेज़ कोशकार डॉ. सैमुएल जॉनसन की तसवीर, यह १८९० के दशक में छापी गयी थी; और दूसरा उदाहरण है शेक्सपीयर की किंग रिचर्ड lll के पहले पन्ने पर बना चित्र, यह १९०९ में अंग्रेज़ अभिनेत्री ऎलॆन टॆरी को समर्पित की गयी थी।
पैरिस में प्रकाशित बीबलीयॉटॆक पॉरटाटीव ड्यू वयाज़्हॉर एक लघुरूप पुस्तकालय है और माना जाता है कि नपोलियन बोनापार्ट ने अपने सैनिक अभियानों के दौरान इसे साथ रखा। इसके ४९ खंड जिनमें फ्रांसीसी साहित्य हैं, चमड़ा-मढ़े बक्स में रखे गये हैं। इस बक्स को बंद करने पर यह एक बड़ी पृष्ठ-आकार पुस्तक के समान दिखता है।
थम्ब बाइबलें
ज़रूरी नहीं कि थम्ब (अँगूठा) बाइबलें संपूर्ण बाइबलें हों। कुछ तो “नया नियम” भर हैं। दूसरी हैं जो बाइबल कहानियों का सारांश हैं या जिनमें बाइबल का पूरा इतिहास संक्षिप्त रूप से करीब ७,००० शब्दों में दिया गया है, और वे खास तौर पर बच्चों के पढ़ने के लिए बनायी गयी थीं। उनके शीर्षक इस प्रकार हैं बाइबल का लघुरूप (अंग्रेज़ी), पवित्र बाइबल का इतिहास (अंग्रेज़ी) और बच्चे की बाइबल (अंग्रेज़ी)।
थम्ब बाइबल का यह नाम कैसे पड़ा? यह बाइबल हमारे अँगूठे के ऊपरी हिस्से के जितनी होती है, सो लगता है कि इसीलिए यह नाम पड़ा होगा। लेकिन पुस्तक थम्ब बाइबलों की तीन सदियाँ (अंग्रेज़ी) संकेत देती है कि विख्यात अमरीकी बौना चार्ल्स स्ट्रैटन, जो जनरल टॉम थम्ब के नाम से ज़्यादा प्रसिद्ध है, इंग्लैंड आया और उसकी यात्रा के बाद ही शायद यह नाम रखा गया। इस दावे का समर्थन यह तथ्य करता है कि टॉम थम्ब १८४४ में इंग्लैंड आया था और लगता है कि नाम “थम्ब बाइबल” लंदन में पहली बार १८४९ में इस्तेमाल हुआ।
अनोखे शास्त्र खंड
छोटी बाइबलों की दुनिया में विचित्र द फिंगर न्यू टॆस्टामॆंट का भी योग है, जो इस सदी की शुरूआत में छपी थी। यह मात्र ३ सॆंटीमीटर चौड़ी और ९ सॆंटीमीटर लंबी है—उँगली के बराबर—इसलिए इसका नाम फिंगर (उँगली) पड़ा। लेकिन, क्योंकि इसकी लंबाई ७६ मिलीमीटर से ज़्यादा है इसलिए सच पूछिए तो यह लघुरूप पुस्तक नहीं है, जबकि आम तौर पर इसे ऐसी बाइबलों में गिना जाता है। इस छोटी-सी पुस्तक में इस्तेमाल किया गया ४ पॉइंट टाइप एकदम स्पष्ट है और बहुत लोग तो आवर्धक लॆंस के बिना भी इसे आसानी से पढ़ लेते हैं।
सचित्रित बाइबल (अंग्रेज़ी) शीर्षकवाली पुस्तक एक अनोखा उदाहरण है। इसमें कविताओं का शीर्षक है स्वर्ग का रेलमार्ग। ब्रिटॆन की रेलवे के आरंभिक दिनों में यह पुस्तक ५० साल से ज़्यादा समय तक छपती रही। लेखक ने रेलमार्ग का लाभ उठाया। इसमें दो पृष्ठ की कविता है जिसका शीर्षक है “आपको दूसरे मार्ग पर ले जाने के लिए।” उस दूसरे मार्ग की पहचान “यहोवा के पुत्र, यीशु मसीह” के रूप में करायी गयी है। कविता के अंत में कहा गया है: “परमेश्वर कहता है, हे मेरे पुत्र मुझे हृदय दे तू अपना। जल्दी कर—ट्रेन छूट जाएगी वरना।”
वर्ष १९०० की पुस्तक मेरा सुबह का सलाहकार (अंग्रेज़ी) भी अनोखी है। उसमें दैनिक बाइबल पाठ है, और हर महीने से पहले ईश्वरीय नाम का एक-एक रूप दिया गया है। उदाहरण के लिए, फरवरी का रूप है “यहोवा-शालोम।” यह पुस्तक और सचित्रित बाइबल, जिसका ज़िक्र पहले किया गया है, स्पष्ट करती हैं कि परमेश्वर का नाम यहोवा सौ साल पहले ब्रिटॆन में सामान्य रूप से प्रयोग किया जाता था।
सबसे छोटी?
सदियों के दौरान सबसे छोटी मुद्रित पुस्तक होने के कई दावे किये गये हैं। पहला उचित दावा १६७४ में किया गया था जब सी. फान लाँग की पुस्तक ब्लूम-हॉफया बारीक टाइप में छापी गयी। लघुरूप पुस्तकें (अंग्रेज़ी) उसे “उँगली के नाखून के आकार” का बताती है, और उसने जो रिकॉर्ड बनाया वह २०० से ज़्यादा साल तक रहा।
डान्टे की ला डीवीना कॉमॆड्या का प्रसिद्ध संस्करण २ पॉइंट टाइप में छापा गया था। उसे अब तक का सबसे छोटा टाइप माना जाता है—खाली आँख से शायद ही दिखायी पड़ता। यह पुस्तक पैजवा, इटली में १८७८ में बनायी गयी थी। ३० पन्नों को छापने में एक महीना लगा। और हर नये रूप के लिए नया टाइप ज़रूरी था। इसके बावजूद, १,००० प्रतियाँ छापी गयीं।
आकार को घटाया जाता रहा। १९७८ में पेज़ली, स्कॉटलॆंड की ग्लॆनिफर प्रॆस ने बच्चों की कविता थ्री ब्लाइंड माइस निकाली, जो “दुनिया की सबसे छोटी पुस्तक” बन गयी। इस सीमित संस्करण का रिकॉर्ड इन्हीं मुद्रकों ने १९८५ में तोड़ा जब उन्होंने बच्चों की एक और कविता, ओल्ड किंग कोल! की ८५ प्रतियाँ बनायीं। हर प्रति का माप मात्र एक मिलीमीटर बाइ एक मिलीमीटर है। पन्नों को पलटा जा सकता है—सूई की मदद से!
लूइस बॉन्डी ने कहा कि ये नन्ही पुस्तकें “मानो धूल के कण के बराबर” हैं। ये अकथित धीरज और शिल्पकारिता का प्रमाण देती हैं। लेकिन, ये छोटी पुस्तकें लघुरूप पुस्तकों के मूल विचार से आगे गयी हैं। मूल विचार था ऐसी पुस्तकें बनाना जिन्हें पढ़ा जा सके और आसानी से इस्तेमाल किया जा सके।
संग्रहालयों में इन सुंदर लघुरूप पुस्तकों के उत्तम संग्रह देखे जा सकते हैं, और बहुत-सी ऐसी पुस्तकें निजी रूप से लोगों के पास हैं। यदि आप कभी उनकी रोमांचक दुनिया में जाते हैं, तो याद करके इन नन्ही पुस्तकों को बहुत ध्यान से सँभालिएगा। ये सचमुच कला कृतियाँ हैं!
[पेज 24 पर बक्स/तसवीर]
प्रकाश-यांत्रिक लघुकरण
अब तक का सबसे छोटा “नया नियम” ग्लासगो, स्कॉटलॆंड के डेविड ब्राइस ने १८९५ में बनाया था। वह १.९ सॆंटीमीटर बाइ १.६ सॆंटीमीटर है और केवल ०.८ सॆंटीमीटर मोटा है! उसे छापना कैसे संभव हुआ? “वह प्रकाश-यांत्रिक लघुकरण द्वारा उत्कृष्ट और स्पष्ट रूप से छापा गया है,” लघुरूप पुस्तकें में लूइस बॉन्डी बताता है। सौ साल पहले जब फोटोग्राफी अपने शुरूआती चरण में थी, तब यह कोई छोटी-मोटी उपलब्धि नहीं थी।
यही तरीका इस्तेमाल करके डेविड ब्राइस ने कई संपूर्ण थम्ब बाइबलें भी बनायीं। जिन्हें बारीक अक्षर पढ़ने में कठिनाई होती है उनके लिए हर बाइबल की जिल्द के अंदरवाले हिस्से में एक छोटा-सा आवर्धन लॆंस लगाया गया है। इस सुविधा के कारण उनके लिए पढ़ना संभव हो जाता है जिनको इसकी लगन है।
यह उल्लेखनीय है कि यहोवा के साक्षियों ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नात्ज़ियों द्वारा और बाद में साम्यवादियों द्वारा सताहट के समय फोटोग्राफिक रूप से लघुकृत प्रकाशनों को छापने की प्रक्रिया का लाभ उठाया। संलग्न चित्र में इस तरीके से छापी गयी एक बाइबल अध्ययन पुस्तक दिखायी गयी है। माचिस की डिबिया में डालकर, इसे नात्ज़ी यातना शिविर में चोरी-छिपे यहोवा के साक्षियों तक पहुँचाया गया।
इसे माचिस की डिबिया में डालकर यातना शिविर में चोरी-छिपे पहुँचाया गया
[पेज 22 पर तसवीर]
लघुरूप पुस्तकें छोटी तो होती हैं, पर उन्हें पढ़ा जा सकता है
[पेज 24 पर तसवीर]
लघुरूप पुस्तकों का पुस्तकालय