युवा लोग पूछते हैं . . .
मैं क्या करूँ कि मेरा दोस्त चिपकू न बने?
“मेरी सहेली ऐसा व्यवहार करती है मानो उसने मुझे खरीद रखा हो। वह मेरा पीछा ही नहीं छोड़ती।”—हॉली।
“ऐसा मित्र होता है, जो भाई से भी अधिक मिला रहता है,” एक सूक्ति कहती है। (नीतिवचन १८:२४) और यदि आपके मित्र के विश्वास, हास्यभाव अथवा शौक आपके जैसे हैं, तो स्वाभाविक है कि आप एक दूसरे की संगत पसंद करेंगे। कैरोलाइन नाम की युवा कहती है: “मसीही कलीसिया में कुछ लोगों से मेरी नज़दीकी दोस्ती इसलिए है कि हम एकसाथ मिलकर काम करते हैं।” यहोवा की साक्षी होने के नाते, कैरोलाइन ने एक महीना तय करके उस महीने सुसमाचार सुनाने के काम में ६० घंटे बिताने की योजना बनायी। उसकी सहेलियों ने अपनी-अपनी सारणी इस प्रकार बनायीं कि इस काम में उसकी मदद कर सकें!
जबकि मेलजोल के फायदे हैं फिर भी कभी-कभी लग सकता है कि कुछ ज़्यादा ही हो गया। हॉली को, जिसका ज़िक्र शुरू में किया गया है, ऐसा लगता है कि उसकी एक सहेली ने उसका दम घोंट रखा है। और ऐसा महसूस करनेवाली वह अकेली नहीं। हॉली कहती है: “लगता है कि दूसरे बच्चों के साथ भी ऐसा ही होता है। शुरू-शुरू में तो मानो एक दूसरे के बिना उनका खाना हज़म नहीं होता और फिर एक दिन बड़ा धमाका हो जाता है। फिर वे हफ्तों तक बात भी नहीं करते।”
समस्या यह है कि अपने दोस्त को कैसे बताएँ कि आपका दम घुट रहा है और आप कुछ समय अकेले रहना चाहते हैं। यह आसान नहीं है। आप शायद डरें कि कहीं आपके दोस्त की भावनाओं को ठेस न लग जाए। आपको इसका भी डर हो सकता है कि कहीं आपके रिश्ते में दरार न आ जाए। लेकिन, दोस्ती में सही दूरी बनाए रखने से नुकसान कम फायदा ज़्यादा होगा।
उदाहरण के लिए: सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में एक सार्वजनिक बाग में एक बड़े पेड़ की चारों ओर ज़ंजीर से घेरा बनाना पड़ा। क्यों? क्योंकि ढेरों सैलानी धीरे-धीरे मिट्टी को दबा रहे थे और जड़ों का दम घोंट रहे थे। बचाया न जाता, तो वह पेड़ मर गया होता। यही बात दोस्ती के बारे में भी सच हो सकती है। बहुत ज़्यादा मेलजोल एक रिश्ते का दम घोंट सकता है। राजा सुलैमान ने लिखा: “अपने पड़ोसी के घर में बारम्बार जाने से अपने पांव को रोक, ऐसा न हो कि वह खिन्न होकर घृणा करने लगे।”—नीतिवचन २५:१७.
निजी समय और एकांतता की ज़रूरत
सुलैमान ने ऐसा क्यों कहा? एक कारण तो यह है कि हम सबको कुछ निजी समय और एकांतता की ज़रूरत होती है। यीशु मसीह को भी इसकी ज़रूरत थी। हालाँकि वह अपने शिष्यों के करीब था, लेकिन कभी-कभी वह “प्रार्थना करने को अलग” चला जाता था। (मत्ती १४:२३; मरकुस १:३५) परमेश्वर का भय माननेवाला इसहाक भी अकेले में कुछ समय बिताता था। (उत्पत्ति २४:६३) आपको भी कुछ निजी समय की ज़रूरत है ताकि स्कूल का काम, घर का काम और बाइबल का अपना व्यक्तिगत अध्ययन इत्यादि कर सकें। और यदि आपके दोस्त इस संबंध में आपकी ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ करके लिहाज़ की कमी दिखाते हैं, तो नाराज़गी भड़कने में देर नहीं लगती।
तो फिर जब आपको अकेले में कुछ समय बिताने की ज़रूरत हो तो अपने दोस्त को बताने से डरिए नहीं। क्योंकि मसीही प्रेम “अपनी भलाई नहीं चाहता,” इसलिए आम तौर पर एक सच्चा दोस्त समझने की कोशिश करेगा। (१ कुरिन्थियों १३:४, ५; नीतिवचन १७:१७) “अंतिम परीक्षा आने से पहले,” एक युवा लिखती है, “मेरी सहेलियों ने बहुत सहारा दिया और समझदारी दिखायी। जब मुझे पढ़ाई करनी होती थी तो मैं आराम से उनसे कह देती थी कि वो चली जाएँ। अपनी सहेलियों के साथ ईमानदारी से बात करने में मुझे कोई परेशानी नहीं होती; वे जानती हैं कि हम सब की अपनी ज़िम्मेदारियाँ हैं।”
हाँ, सुनहरा नियम माँग करता है कि आप भी अपने दोस्तों को वैसा ही लिहाज़ दिखाएँ। (मत्ती ७:१२) टमारा नाम की युवती लिखती है: “मेरे पास बहुत-सी ज़िम्मेदारियाँ हैं इसलिए मेरे अंदर निश्चित ही इस बात का एहसास बढ़ गया है कि मेरी सहेली को भी अपने लिए कुछ समय चाहिए।” और जब टमारा को घर पर काम होता है, तो उसकी सहेलियाँ उससे यह नहीं कहतीं कि जैसे-तैसे फटाफट अपना काम खत्म कर ले या बाद में करे। इसके बजाय, टमारा कहती है, “आम तौर पर वे मुझे अपना काम खत्म करने में मदद देती हैं ताकि बाद में हम एकसाथ संगति कर सकें।” ऐसे निःस्वार्थी मित्र कितना बड़ा खज़ाना हैं—और इस प्रकार एकसाथ समय का कितना सदुपयोग होता है!
“अपना हृदय खोल दो”
इसका एक और कारण है कि दोस्ती में कुछ दूरी रखना क्यों बुद्धिमानी की बात है। जब हम अपना सारा समय और भावनाएँ एक ही दोस्ती में लगा देते हैं, तो हम शायद दूसरे ज़रूरी रिश्तों को नज़रअंदाज़ कर दें—जैसे अपने माता-पिता और भाई-बहनों और दूसरे मसीहियों के साथ हमारा रिश्ता। हम अपने भावात्मक और आध्यात्मिक विकास को भी बहुत सीमित कर देते हैं। बाइबल कहती है: “जैसे लोहा लोहे को चमका देता है, वैसे ही मनुष्य का मुख अपने मित्र की संगति से चमकदार हो जाता है।” (नीतिवचन २७:१७) स्पष्ट है कि सिर्फ एक जन के साथ संगति करने से आप थोड़ी ही “चमक” पा सकते हैं—खासकर जब वह आपका हमउम्र है।
इसलिए बाइबल गुट बनाने, संकीर्ण-मन होने या सिर्फ कुछ खास किस्म के दोस्त चुनने का प्रोत्साहन नहीं देती। बाइबल हमें ‘अपना हृदय खोलने’ की सलाह देती है। (२ कुरिन्थियों ६:१३) “यदि आपका किसी के साथ खास रिश्ता है,” पुस्तक मूड्स एण्ड फीलिंग्स सलाह देती है, “तो भी दूसरे दोस्तों से मिलने के लिए समय निकालना ज़रूरी है।”
ऐसी सलाह पर अमल करना हमेशा आसान नहीं होता। माइकल नाम का मसीही युवक कहता है: “मैं और ट्रॉय हर काम एकसाथ किया करते थे, कलीसिया में भी और सामाजिक रूप से भी। हमें कोई अलग नहीं कर सकता था। फिर हमारी कलीसिया में एक और युवा साक्षी आ गया। मैं और वह एकसाथ पूर्ण-समय सुसमाचारक के रूप में सेवा करना चाहते थे, सो हम एकसाथ समय बिताने लगे।” परिणाम? “ट्रॉय ने मुझसे बात करना बंद कर दिया,” माइकल कहता है, “और मेलमिलाप करने के निष्फल प्रयासों के बाद मैंने भी उससे बात करना छोड़ दिया। ऐसा एक साल तक चलता रहा।” वह अपनी दोस्ती को “बस मतलब की जायदाद” कहता है।
लेकिन अच्छे रिश्ते में दोस्त एक दूसरे को अपनी जायदाद नहीं समझते। सो यदि आपका दोस्त नहीं चाहता कि आप दूसरों की ओर भी दोस्ती का हाथ बढ़ाएँ तो आपको उससे खुलकर बात करने की ज़रूरत है। शायद आपके दोस्त को इस दिलासे भर की ज़रूरत हो कि अब भी आपको उसकी दोस्ती प्यारी है। उसे अच्छी तरह समझा दीजिए कि आप दोनों मेलजोल बनाए रखेंगे।
माना कि आपके दोस्त को समझौता करने में कुछ समय लग सकता है। उदाहरण के लिए, १६-वर्षीया ज़ानॆटा को जलन होने लगी जब उसकी पक्की सहेली ने दूसरों के साथ मेलजोल बढ़ाया। लेकिन ज़ानॆटा कहती है कि “प्रार्थना और व्यक्तिगत बाइबल अध्ययन के कारण” वह इन भावनाओं को दूर कर पायी। इस प्रकार वह अपनी सहेली के साथ नज़दीकी रिश्ता बनाए रख सकी। माइकल का दोस्त ट्रॉय भी शुरू में उठी जलन को दूर कर पाया और वे फिर से अच्छे दोस्त बन गये। शायद आपका दोस्त भी ऐसा ही करे। सचमुच, आगे चलकर दोस्तों का दायरा बढ़ाना सबके हित में होता है। सत्रह-वर्षीया डॆबी ने पाया है कि जब उसकी सहेलियाँ नयी सहेलियाँ बनाती हैं, “वे मेरी सहेलियाँ भी बन जाती हैं।”
लेकिन तब क्या यदि आपका दोस्त आपके रिश्ते में इन बदलावों को स्वीकार करने से इनकार कर देता है? हो सकता है कि आपके पास अपने-अपने रास्ते जाने के अलावा दूसरा कोई चारा न रह जाए। लेकिन, इस नतीजे पर पहुँचने से पहले कि सब कुछ खत्म हो गया, क्यों न अपने माता-पिता की राय लें? आखिरकार परमेश्वर का भय माननेवाले माता-पिता ही तो आपके सबसे नज़दीकी दोस्त हैं। और वे कुछ ऐसे व्यावहारिक सुझाव दे सकते हैं जिससे आपकी दोस्ती भी न टूटे और आपका दम भी न घुटे।
सही दोस्तों के साथ समय बिताइए
चेतावनी के दो शब्द: हृदय खोलकर दोस्ती करने का यह अर्थ नहीं कि बिना सोचे-समझे किसी को भी दोस्त बना लिया। दोस्ती के विषय पर एक पुस्तक कहती है: “जिनके साथ आप काफी समय बिताते हैं उन्हीं के जैसा बन जाना स्वाभाविक है। कभी-कभी आपको पता भी नहीं चलता कि ऐसा हो रहा है। आपके अपने विचार चाहे जो भी हों, पर आप शायद अपने दोस्तों के जैसा सोचने और व्यवहार करने लगें। इस तरह, आपके दोस्त शायद आप पर हावी हो जाएँ।” बाइबल ने यही बात हज़ारों साल पहले बतायी जब उसने कहा: “बुद्धिमानों की संगति कर, तब तू भी बुद्धिमान हो जाएगा, परन्तु मूर्खों का साथी नाश हो जाएगा।”—नीतिवचन १३:२०.
जब आप स्कूल में या नौकरी पर होते हैं, तो आपको उन लोगों के साथ समय बिताना पड़ सकता है जो यहोवा की सेवा करने में दिलचस्पी नहीं रखते। लेकिन पक्के साथी चुनते समय बाइबल की सलाह याद रखिए: “बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है।”—१ कुरिन्थियों १५:३३.
यह भी याद रखिए कि किसी भी मनुष्य के साथ मित्रता से अधिक महत्त्वपूर्ण है हमारे रचयिता, यहोवा परमेश्वर के साथ हमारी मित्रता। डॆबी के पास, जिसका ज़िक्र पहले किया गया है, कई अच्छे मित्र हैं। लेकिन उसकी सलाह है कि “इसका ध्यान रखिए कि हमेशा यहोवा को पहला स्थान मिले।” प्राचीन समय के वफादार इब्राहीम ने ऐसा ही किया और यहोवा ने खास तौर पर उसे ‘मेरा मित्र’ कहा। (यशायाह ४१:८, NHT) और इस पर विचार कीजिए: यहोवा इसका बुरा नहीं मानता कि आप अपने उन दोस्तों के साथ समय बिताएँ जो उससे प्रेम करते हैं; असल में वह इसका प्रोत्साहन देता है। वह कितना सच्चा मित्र है!
[पेज 26 पर तसवीर]
सच्चे दोस्त अकेले में समय बिताने की एक दूसरे की ज़रूरत को समझते हैं