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सजग होइए!–1998
g98 5/8 पेज 28-29

विश्‍व-दर्शन

ऑस्ट्रेलिया के जंगली ऊँट

ऑस्ट्रेलिया के बीहड़ इलाके में टॆलिग्राफ-लाइन और रेलमार्ग के निर्माण-काम के लिए बहुत साल पहले ऊँटों का आयात किया गया। जब इन मेहनती जानवरों की जगह ट्रक आ गये तो इनके अनेक अफगान मालिकों ने इन्हें मार डालने के बजाय जंगल में छोड़ दिया। ये ऊँट सूखे केंद्रीय ऑस्ट्रेलिया में फलने-फूलने लगे और आज वहाँ करीब २,००,००० ऊँट हैं। अब कुछ लोगों का मानना है कि ऊँट मूल्यवान राष्ट्रीय संपदा बन सकते हैं, अखबार दी ऑस्ट्रेलियन रिपोर्ट करता है। ऊँट का मांस परीक्षण के रूप में उपलब्ध कराया गया है और कहा जाता है कि यह भैंस के मांस जितना ही नरम होता है और इसमें वसा की मात्रा कम होती है। ऊँट के अन्य उत्पादन हैं चमड़ा, दूध, ऊन, साथ ही साबुन और प्रसाधनों में इस्तेमाल करने के लिए वसा। जीवित ऊँटों की भी बहुत माँग है। केंद्रीय ऑस्ट्रेलिया ऊँट उद्योग के पीटर साइडल के अनुसार, “अनेक अंतर्राष्ट्रीय चिड़ियाघरों और पर्यटन उद्यानों में ऑस्ट्रेलियाई ऊँटों की माँग है क्योंकि हमारे जानवर रोग-मुक्‍त हैं।”

आर्सेनिक ज़हर-असर

“बंग्लादेश के करीब १.५ करोड़ लोगों और कलकत्ता सहित पश्‍चिम बंगाल के ३ करोड़ लोगों को आर्सेनिक ज़हर का खतरा है,” द टाइम्स ऑफ इंडिया रिपोर्ट करता है। समस्या है हरित क्रांति का एक अनपेक्षित उपफल। जब फसल की सिंचाई के लिए गहरे कूँए खोदे गये तो ज़मीन में उपस्थित आर्सेनिक पानी के साथ बाहर आया और धीरे-धीरे वह उन कूँओं में रिस गया जिनसे पीने का पानी लिया जाता है। अमरीका में यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो के पर्यावरण विशेषज्ञ विलर्ड चैपल ने हाल ही में प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और समस्या को “संसार में अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक ज़हर-असर का मामला” कहा। पहले ही २,००,००० से ज़्यादा लोग चर्म रोगों से पीड़ित हैं जो कि आर्सेनिक ज़हर के असर का चिन्ह है। ‘लगता है कि हमने भूख की समस्या (हरित क्रांति के द्वारा) तो दूर कर दी लेकिन साथ-साथ लोगों का दुःख बढ़ा दिया,’ बंग्लादेश के एक सरकारी अधिकारी इशाक अली ने कहा।

दिवालियापन आम बात बन रही है

वर्ष १९९६ में “अपूर्व १२ लाख अमरीकियों ने अपने आपको दिवालिया घोषित किया, जो कि १९९४ से ४४ प्रतिशत ज़्यादा था,” न्यूज़वीक पत्रिका कहती है। “दिवालियापन इतनी आम बात हो गयी है कि उसका कलंक ही धुल गया है।” दिवालियापन में वृद्धि का क्या कारण है? एक कारण है कि “ज़्यादा लोग मान रहे हैं कि दिवालियापन एक और किस्म की जीवन-शैली भर है,” न्यूज़वीक कहती है। “देनदारों का कहना है कि रुख में इस बदलाव के कारण दुरुपयोग हो रहा है: एक अध्ययन कहता है कि दिवालियापन घोषित करनेवाले ४५ प्रतिशत लोग अपना काफी कर्ज़ चुका सकते हैं।” लेकिन अपना कर्ज़ चुकाने की इच्छा दिखाने और शर्म महसूस करने के बजाय बहुतेरे लोग बस यह कह रहे हैं, ‘मैं नयी शुरूआत करना चाहता हूँ।’ बहुतेरे लोग और कंपनियाँ दिवालियापन का रास्ता अपना रही हैं और वे वकीलों के विज्ञापनों से भी प्रभावित हो रहे हैं कि “अपनी कर्ज़ की मुश्‍किलें झटपट दूर कीजिए!!” फलती-फूलती अर्थव्यवस्था में दिवालियापन की संख्या बढ़ती जा रही है, और विशेषज्ञ यह सोचने से भी घबरा रहे हैं कि यदि बाज़ार लुढ़क जाए या मंदी आ जाए तो क्या होगा।

कामकाजी माताएँ

कामकाजी महिला राष्ट्रीय संघ ने १९९१ में अनुमान लगाया था कि “दशक १९९० के मध्य तक ६५% [अमरीकी] स्त्रियाँ जिनके बच्चे अभी स्कूल नहीं जाते और ७७% ऐसी स्त्रियाँ जिनके बच्चे स्कूल जाते हैं, नौकरी कर रही होंगी।” उनका अनुमान कितना सही निकला? यू.एस. सॆंसस ब्यूरो के अनुसार १९९६ में ६३ प्रतिशत स्त्रियाँ जिनके बच्चे पाँच साल से कम उम्र के थे नौकरी कर रही थीं, द वॉशिंगटन पोस्ट रिपोर्ट करता है। जिन स्त्रियों के बच्चे स्कूल जाते हैं उनमें से ७८ प्रतिशत कामकाजी माताएँ थीं। यूरोप के बारे में क्या? यूरोपीय संघ के सांख्यिकी विभाग द्वारा एकत्र की गयी जानकारी के आधार पर १९९५ में यूरोपीय देशों में “उन कामकाजी स्त्रियों का अनुपात जिनके बच्चे ५ से १६ साल के हैं” इस प्रकार है: पुर्तगाल ६९ प्रतिशत, ऑस्ट्रिया ६७, फ्रांस ६३, फिनलैंड ६३, बेल्जियम ६२, ब्रिटॆन ५९, जर्मनी ५७, नॆदरलैंडस्‌ ५१, यूनान ४७, लक्ज़मबर्ग ४५, इटली ४३, आयरलैंड ३९, और स्पेन ३६ प्रतिशत।

मछुवाही के विनाशकारी तरीके

मछलियों की संख्या लगातार घटने के कारण व्यापारिक मछुवाही कंपनियाँ ऐसे उपकरणों में पैसा लगा रही हैं जो समुद्र तल से मछलियों को निकाल सकते हैं। समुद्रतल उपकरणों को जिन्हें सचल यंत्र कहा जाता है, समुद्रतल में १,२०० मीटर तक की गहराई में डालकर घसीटा जाता है ताकि उन प्रजातियों को ऊपर निकाल लाएँ जिन पर पहले ध्यान नहीं दिया गया था। समस्या यह है कि बड़ी संख्या में “ट्यूब वर्म, स्पंज, एनीमोन, हाइड्रोज़ोअन, अर्चिन, और अन्य समुद्री जीव” भी साथ आ जाते हैं और “बेकार समझकर फेंक दिये जाते हैं,” साइंस न्यूज़ रिपोर्ट करती है। उनको नष्ट करना मछली भंडार को और भी कम करता है। क्योंकि ये जीव छोटी मछलियों को भोजन और आश्रय देते हैं, अमरीका के रॆडमंड, वॉशिंगटन में समुद्र-जीव संरक्षण जीवविज्ञान संस्थान का निदेशक, इलिऎट नॉर्स कहता है कि मछुवाही के इस तरीके से समुद्र-जीव इलाके का विनाश करना “ज़मीन के जंगल काट डालने” के समान है।”

सावधान लिपिक

बाइबल के यूनानी शास्त्र पाठ की सावधानी से नकल बनाकर उसे बहुत ध्यान से हम तक पहुँचाया गया है, म्यून्टस्टर, जर्मनी में नया नियम अनुसंधान संस्थान की प्रमुख डॉ. बार्ब्रा आलान्ट कहती है। “गलतियाँ और यहाँ तक कि धर्मविज्ञानियों द्वारा प्रेरित बदलाव भी बहुत कम हैं,” वॆस्टफालिश नाखरिखटन रिपोर्ट करता है। १९५९ से इस संस्थान ने ऐसी ५,००० से अधिक हस्तलिपियों की जाँच की है जो मध्ययुग और उससे भी पहले की हैं। करीब ९० प्रतिशत हस्तलिपियों को माइक्रोफिल्म पर रिकॉर्ड किया गया है। बाइबल लिपिकों ने इतना ज़्यादा ध्यान क्यों रखा कि गलतियाँ न हों? क्योंकि वे “अपने आपको ‘लिपिक’ समझते थे, लेखक नहीं,” अखबार कहता है।

शुरू से बच्चों की बौद्धिक-ज्ञान परीक्षाएँ

मानव बुद्धि का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों का अब यह मानना है कि जन्म से लेकर तीन साल की उम्र तक एक शिशु का मस्तिष्क विकास के अति महत्त्वपूर्ण दौर से गुज़रता है। यह भी माना जाता है कि मानसिक उत्तेजन से उस समय के दौरान मस्तिष्क में स्थायी संयोजन स्थापित होते हैं। इसलिए, कुछ माता-पिता अपने बच्चों को नर्सरी-स्कूल में दाखिल कराने से भी पहले उन्हें बौद्धिक-ज्ञान परीक्षाएँ (आइ.क्यू. टॆस्ट) देने लगे हैं ताकि वे स्पर्धा में आगे रहें, आधुनिक प्रौढ़ता (अंग्रेज़ी) कहती है। लेकिन, बॉस्टन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मॆडिसिन के बालचिकित्सा विभाग के अध्यक्ष, डॉ. बैरी ट्‌सूकरमन ने उन माता-पिताओं को लेकर चिंता व्यक्‍त की जो एक “बुद्धिमान बालक” बनाने की कोशिश में “अपने शिशु को हर मिनट ‘उत्तेजित’ करने का दबाव” महसूस करते हैं। बाल मनोविज्ञान का प्रोफॆसर, रिचर्ड वाइनबर्ग आगे कहता है: “होड़ करने के लिए बच्चों पर बहुत जल्दी दबाव डाला जाए तो अकसर उलटा प्रभाव होता है। बच्चों को अपने बचपन का मज़ा लेने दीजिए।”

विश्‍वव्यापी वन-कटाई

“इस ग्रह का दो-तिहाई वन क्षेत्र पहले ही नाश हो चुका है,” ज्हॉरनल डा टार्डा रिपोर्ट करता है। पृथ्वी के आरंभिक वन क्षेत्र में से जो आठ करोड़ वर्ग किलोमीटर था, केवल तीन करोड़ बचा है। विश्‍व वन्यजीवन निधि (WWF) ने पाया है कि एशिया महाद्वीप में सबसे अधिक वन-कटाई हुई है। इसकी ८८ प्रतिशत आरंभिक वनस्पति नष्ट हो गयी है। यूरोप में यह आँकड़ा ६२ प्रतिशत है, अफ्रीका में ४५ प्रतिशत, लैटिन अमरीका में ४१ प्रतिशत, और उत्तर अमरीका में ३९ प्रतिशत। अमाज़ोनिया में, जहाँ विश्‍व का सबसे बड़ा उष्णकटिबंधी वर्षा-प्रचुर वन है, अभी-भी ८५ प्रतिशत आरंभिक वन बचा हुआ है। ऑ ऎस्टाडॉ डा साउन पाउलू WWF के गारो बाटमानयन का यह कथन उद्धृत करता है: “ब्राज़ील के पास यह अवसर है कि दूसरे वनों में जो गलतियाँ की गयी हैं उन्हें न दोहराए।”

खज़ानों की चोरी

कनाडा की एक हालिया समाचार विज्ञप्ति ने कहा कि “अंतर्राष्ट्रीय अपराध दल मेसोपोटामिया के खज़ानों को निशाना बना रहे हैं जो १९९१ में फारस खाड़ी युद्ध के फलस्वरूप मानो पूरी तरह असुरक्षित हो गये हैं, वर्ल्ड प्रॆस रिव्यू रिपोर्ट करती है। १९९६ में, चोर दिन-दहाड़े बैबिलॉन संग्रहालय में घुस गये और उन बेलनाकार मुहरों और तख्तियों को ले गये जिन पर कीलाक्षर लेखन अंकित थे। अनमोल पुरावस्तुएँ, जिनमें से कुछ नबूकदनेस्सर द्वितीय के शासनकाल की हैं, अनुमान लगाया गया है कि अंतर्राष्ट्रीय कला बाज़ार में ७,३५,००० से भी ज़्यादा डॉलर की होंगी। चोरों की नज़र प्राचीन नगर अल-हादर पर भी है। बचे-खुचे खज़ाने को बचाने की कोशिश में सरकार ने नगर के सभी दरवाज़ों और आने-जाने के रास्तों को ईंट और गारा लगाकर बंद कर दिया है, पत्रिका कहती है।

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