वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • g98 5/8 पेज 30
  • हमारे पाठकों से

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • हमारे पाठकों से
  • सजग होइए!–1998
  • मिलते-जुलते लेख
  • क्या हम अपने जीनस्‌ द्वारा पूर्वनियत हैं?
    सजग होइए!–1996
  • कसूर किसका है—आपका या आपके जीन्स का?
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2002
  • हमारे पाठकों से
    सजग होइए!–1998
  • हमारे पाठकों से
    सजग होइए!–1998
और देखिए
सजग होइए!–1998
g98 5/8 पेज 30

हमारे पाठकों से

परदेस जाना लेख “परदेस जाने की क़ीमत आँकिए!” (जून ८, १९९७) मुझे बहुत अच्छा लगा। आपने जो बातें लिखीं उनमें से अधिकतर मुझ पर पूरी हो रही हैं। अफ्रीका से यूरोप आ बसने के बाद मुझे जाति, भाषा, रंग और सबसे बढ़कर पूर्वधारणा से संबंधित दुःखद स्थितियों का निरंतर सामना करना पड़ रहा है। प्रचलित जन-संपर्क माध्यमों ने लोगों के मन में अफ्रीकियों और आम तौर पर विदेशियों की गलत तसवीर बनायी है।

पी. ए., जर्मनी

मनोरंजन लेख “मनोरंजन को क्या हो गया है?” (जून ८, १९९७) के लिए शुक्रिया। मैं १२ साल की हूँ और अपनी स्कूल की छुट्टियों में मैं बहुत टी.वी. देखा करती थी। इस लेख ने मुझे यह समझने में मदद दी कि मैं दूसरे भी कई मनोरंजक काम कर सकती हूँ।

जे. एल., इंग्लैंड

सिंगापुर लेख “सिंगापुर—एशिया का बदरंगी रत्न” (जुलाई ८, १९९७) ने इसका परदाफाश किया कि इस आधुनिक सरकार ने शांतिप्रिय मसीहियों के साथ कितने बीभत्स रूप से व्यवहार किया है। मैं वहाँ के अनेक मसीही पुरुषों और स्त्रियों को व्यक्‍तिगत रूप से जानता हूँ और वे सभी अच्छे, प्रेममय लोग हैं। मुझे इस बात से प्रोत्साहन मिलता है कि सताहट के बावजूद वे यहोवा की सेवा कर रहे हैं।

आई. ओ., मलेशिया

क्रोध लेख “अपने क्रोध पर क़ाबू क्यों रखें?” (जुलाई ८, १९९७) में आपने कहा कि शिमोन और लेवी को उनके पिता ने शाप दिया था। मुझे अच्छी तरह याद है कि मैंने कहीं पढ़ा था कि याकूब ने उनके क्रोध को शाप दिया था।

एस. एल., अमरीका

हमारी पाठक ने सही कहा। जून १५, १९६२ की “प्रहरीदुर्ग” (अंग्रेज़ी) ने समझाया था: “याकूब ने मरते समय शिमोन और लेवी को शाप नहीं दिया। उसने उनके क्रोध को शाप दिया, ‘जो प्रचण्ड था।’ उसने उनके रोष को शाप दिया, ‘जो निर्दय था।’”—संपादक।

आहार “आपका आहार—क्या यह आपको मार सकता है?” (जुलाई ८, १९९७) लेख ने मेरी जान बचायी। इसे पढ़ने के बाद, मैंने अपनी पत्नी को कहा कि डॉक्टर को तुरंत बुलाए क्योंकि लेख में मेरी स्थिति का एकदम सही वर्णन था। मेरी जाँच करने के बाद, मेरे डॉक्टर ने अगली सुबह मेरा ऑपरेशन करने का फैसला किया। उसने तुरंत मुझे अस्पताल में भरती करवा दिया क्योंकि उसे डर था कि कहीं मैं रात को ही न मर जाऊँ। अभी मैं घर पर हूँ और ट्रिपल बाइपास ऑपरेशन कराने के बाद आराम कर रहा हूँ।

एफ. एस., अमरीका

कभी-कभी, मुझे और मेरे पति को भोजन के समय अपने आप पर नियंत्रण रखना कठिन लगता है। मैंने आहार पर दूसरे लेख भी पढ़े हैं लेकिन इस लेख में सरल और व्यावहारिक रूप से बातों पर चर्चा की गयी है। मुझे विश्‍वास है कि आपके सुझावों पर अमल करने से हम अपना स्वास्थ्य अच्छा बनाए रख सकेंगे।

वी. ए., ब्राज़ील

लेख-श्रृंखला “आपका आहार—चिंतित क्यों हों” के लिए शुक्रिया। इसने मुझे मोटापे से होनेवाले खतरों को देखने में मदद दी। इसमें दिये गये सभी सुझावों पर मैंने अमल करना शुरू कर दिया है और यहोवा की मदद से, मैं जानती हूँ कि मैं अपने भोजन पर नियंत्रण कर लूँगी।

वी. वाई. डी., लाइबीरिया

व्याध पतंगे बहुत मज़ेदार लेख “नदी किनारे के रत्न” (जुलाई ८, १९९७) के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया। यह मेरे मनपसंद हवाई कलाकार, व्याध पतंगे के बारे में था। जब मैं अपने बागीचे में काम कर रही होती हूँ तो मानो हमेशा एक व्याध पतंगा मँडरा रहा होता है या आस-पास बैठा आराम कर रहा होता है। मैंने भू-दृश्‍य बनानेवाले एक आदमी से पूछा कि ऐसा क्यों है। उसने कहा कि मच्छर व्याध पतंगे का आहार होते हैं और मच्छर मनुष्यों की ओर आकर्षित होते हैं। सो अब मैं इस रंग-बिरंगे पतंगे को एक किस्म से अपना निजी रक्षक समझती हूँ!

जे. एफ., अमरीका

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें