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  • शॆरिफ की क्षमा-याचना
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सजग होइए!–1998
g98 7/8 पेज 31

शॆरिफ की क्षमा-याचना

टॉम विल लेन वह शॆरिफ था जिसके बारे में ऎडवर्ड मिशलॆक ने दिसंबर २२, १९९६, “सजग होइए!” (अंग्रेज़ी) के लेख “आनेवाली परीक्षाओं के लिए शक्‍ति मिली” में बताया था। कहानी में मिशलॆक ने बताया:

“अमरीका में वॉर्टन, टॆक्सस का शॆरिफ गुस्से में आग बबूला हो रहा था। मुझे चौथी बार जेल ले जाते हुए वह चिल्लाया: ‘तुम आज्ञा क्यों नहीं मानते?’

“‘मुझे यह करने का पूरा अधिकार है,’ मैंने तड़ाक से कह दिया। इससे शॆरिफ का गुस्सा और भड़क गया और वह मुझे कोड़े मारने लगा। दूसरे अफसर भी उसके साथ हो लिये और मुझे अपनी बंदूकों के मुट्ठों से मारने लगे।”

मारी पॆरॆस नाम की स्त्री १९६० दशक के शुरू में शॆरिफ लेन के लिए काम करती थी। हाल ही में उसने लिखा: “वह जानता था कि मैं यहोवा की साक्षी हूँ। उसने मुझे बताया कि उसने ऎड मिशलॆक को बड़ा सताया था। उसने मुझसे कहा कि दूसरे साक्षियों को बता दूँ कि उसे अपने किये पर पछतावा है। उसने कहा कि उसे नहीं पता था कि साक्षी अच्छे, कानून का पालन करनेवाले लोग हैं। वह सचमुच बहुत शर्मिंदा था।”

मारी ने आगे कहा: “हालाँकि कुछ साल पहले शॆरिफ की मृत्यु हो चुकी है, मैं आशा करती हूँ कि यह पत्र उसकी क्षमा-याचना व्यक्‍त कर देगा।”

फिर उसने बताया कि वह कैसे एक साक्षी बनी: “भाई मिशलॆक को १९४० के दशक की शुरूआत में सताया गया था। इस कारण मैंने ठाना कि जब मेरे घर साक्षी आएँगे तो मैं उनकी ज़रूर सुनूँगी। जल्द ही हमने बाइबल का अध्ययन करना शुरू कर दिया। मेरा और मेरे पति का बपतिस्मा १९४९ में हुआ।”

यह एक और उदाहरण है जो दिखाता है कि मसीही सिद्धांतों के लिए एक व्यक्‍ति जो रुख अपनाता है उसका दूसरों के जीवन पर कितना व्यापक प्रभाव हो सकता है। उदाहरण के लिए, प्रथम शताब्दी में पतरस और अन्य प्रेरितों ने जो साहसी रुख अपनाया उससे कितने लोगों पर गहरा प्रभाव हुआ है?—प्रेरितों ५:१७-२९.

[पेज 31 पर तसवीरें]

ऎड मिशलॆक और मारी पॆरॆस, १९४० के दशक में

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