विश्व दर्शन
पैदल चलने से जीवन के दिन बढ़ सकते हैं
हर दिन चलने से व्यक्ति के जीवन के दिन काफी बढ़ सकते हैं, एशियावीक कहती है। एक १२-वर्षीय अध्ययन ने धूम्रपान नहीं करनेवाले ऐसे ७०७ पुरुषों पर ध्यान दिया जिनकी उम्र ६१ से ८१ साल थी और जो चलने में समर्थ थे। जो हर दिन “बस ३.२ किलोमीटर (दो मील) चलते थे—धीमी चाल से ही सही—उनकी किसी भी कारण मृत्यु का जोखिम ५०% घट गया,” रिपोर्ट बताती है। जो हर दिन ३.२ किलोमीटर चलते थे उनकी तुलना में जो नहीं चलते थे उनके हर किस्म के कैंसर से मरने का जोखिम २.५ गुना ज़्यादा था। द न्यू इंग्लॆंड जरनल ऑफ मॆडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन ने पाया कि हर दिन बस ०.८ किलोमीटर चलना भी मृत्यु दर घटा देता है। पहले, कुछ व्यायाम विशेषज्ञ धीमी-गति कसरत के लाभ पर संदेह करते थे। अब, नया अध्ययन निष्कर्ष निकालता है: “बुज़ुर्ग लोगों को चलने का प्रोत्साहन देना उनके स्वास्थ्य को लाभ पहुँचा सकता है।”
बच्चों पर टीवी का असर
“कार्टून और वीडियो खेल ६ से १२ साल के बच्चों के व्यवहार पर स्कूल से ज़्यादा प्रभाव डालते हैं, क्योंकि वे हफ्ते में ३८ घंटे तक टीवी देखने में बिताते हैं जबकि कक्षा में २३ घंटे बिताते हैं,” मॆक्सिको का अखबार एल यूनीवर्साल रिपोर्ट करता है। शोधकर्ता ओमार टॉराब्लाँका ने नोट किया कि टीवी बच्चों को सिखाता है कि किस स्थिति में कैसी मनोवृत्ति अपनाएँ—लेकिन बच्चे को यह पता नहीं होता कि वह मनोवृत्ति सही है या गलत। उसने बताया: “यदि बच्चा कार्टून या फिल्म में देखता है कि किसी को बाँधा गया है और उसका अच्छा नतीजा निकला है तो अति संभव है कि बच्चा भी इस काम की नकल करेगा।” टॉराब्लाँका की जाँच ने दिखाया कि “बच्चे हर दिन टीवी से जो सीखते हैं उसे अपने दैनिक जीवन में लागू करते हैं लेकिन स्कूल से सीखी बातों को नहीं करते, क्योंकि स्कूल को वे कर्त्तव्य भर समझते हैं।”
संगीत बच्चों की मदद करता है
तीन या चार साल के बच्चों को साज़ सिखाना उन्हें तर्क करने और सोचने में मदद दे सकता है, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया, अरवाइन में भौतिकी का प्रोफॆसर गॉर्डन शॉ कहता है। इस छोटी उम्र में मस्तिष्क में संबंध जल्दी बनते हैं और शोधकर्ताओं ने प्रदर्शित किया है कि हर दिन दस मिनट भी नियमित अभ्यास करें तो “आगे चलकर बच्चे की तर्क करने और सोचने की क्षमता को बढ़ाने में” मदद मिलती है। नौ महीने के एक परीक्षण में उन बच्चों की तुलना जिन्होंने पियानो बजाना सीखा था ऐसे बच्चों से की गयी जिन्होंने कंप्यूटर सीखा था या जिन्होंने कुछ नहीं सीखा था। जिन्होंने पियानो बजाना सीखा था उनके बुद्धि जाँच परिणाम ३५ प्रतिशत बढ़ गये, जबकि दूसरे दो वर्गों के बच्चों में थोड़ा या कोई सुधार नहीं हुआ, लंदन का संडे टाइम्स रिपोर्ट करता है।
हमारा विश्वव्यापी भोजन
क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया की आबादी हर दिन कितना भोजन करती है? यूनानी अखबार टॉ वीमा ने दैनिक उपभोग के बारे में भौचक्का करनेवाले आँकड़े दिये। दुनिया भर में दो अरब अंडों का उत्पादन और सेवन किया जाता है—जिनसे साइप्रस द्वीप के जितना बड़ा ऑमलेट बनाया जा सकता है! दुनिया १६ लाख टन मक्का हज़म कर जाती है। आलू भी खूब चलते हैं, ७,२७,००० टन! चावल पृथ्वी के बहुत लोगों का मुख्य भोजन है, हर दिन इसका १५ लाख टन उत्पादन होता है। उसमें से ३,६५,००० टन चावल चीनी लोग खा जाते हैं। ७,००० टन उबली चायपत्ती से तीन अरब कप चाय बनती है। दुनिया के रईस लोग २.७ टन कैविआर (मछली के अंडे) का मज़ा लेते हैं। पाश्चात्य जगत में साधारण वयस्क हर दिन भोजन में ४,००० कैलोरी लेता है—जबकि २,५०० कैलोरी की सिफारिश की जाती है—लेकिन अफ्रीका में यह औसत केवल १,८०० कैलोरी है।
तंबाकू-संबंधी मौतें
दुनिया भर में करीब १.१ अरब लोग तंबाकू का सेवन करते हैं, एशियन कंसलटॆंसी ऑन टोबैको कंट्रोल की प्रोफॆसर जूडिथ मके कहती है। ब्रिटिश मॆडिकल जरनल में रिपोर्ट किया गया कि तंबाकू और स्वास्थ्य के दसवें विश्व सम्मेलन में यह अनुमान लगाया गया कि १९९० में तंबाकू-संबंधी तीस लाख मौतें हुईं। वह संख्या वर्ष २०२५ और २०३० के बीच बढ़कर एक करोड़ होने का अंदेशा है। जरनल कहता है कि अगले तीन दशकों में धूम्रपान-संबंधी मौतों में बढ़ोतरी विकसित देशों में नहीं बल्कि विकासशील देशों में होगी। प्रोफॆसर रिचर्ड पीटो के अनुसार, जो ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी में चिकित्सा सांख्यिकी का प्रोफॆसर है, “चीन में अभी से दूसरे किसी देश से ज़्यादा तंबाकू-संबंधी मौतें हो रही हैं।”
अंग दान करनेवाले
क्या आप मरने के बाद अपने अंग दान करना चाहते हैं? यह प्रश्न अनेक ब्राज़ीलवासियों के सामने खड़ा है क्योंकि जनवरी १, १९९८ से नया कानून लागू हुआ है। कानून कहता है कि १८ साल से ऊपर के सभी ब्राज़ीलवासियों को अपने आप ही अंग दान करनेवाला समझा जाएगा और यदि वे ऐसा नहीं करना चाहते तो उन्हें कुछ दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करके इससे छूट माँगनी होगी। लेकिन “इसके बहुत संकेत हैं कि अधिकतर ब्राज़ीलवासी मरने के बाद समूचे रहना पसंद करेंगे,” द माइऎमी हॆरल्ड रिपोर्ट करता है। “पिछले छः महीनों में, ड्राइवर का लाइसॆंस लेनेवाले प्रति चार में से तीन लोगों ने अंग दान करने से इनकार कर दिया।” क्यों? कुछ लोगों को डर है कि अंग निकालने की हड़बड़ी में डॉक्टरों पर दबाव डाला जाएगा कि समय से पहले मरीज़ों को दिमागी तौर पर मृत घोषित कर दें।
उजड़ते जंगल
जब से मनुष्यों ने जंगलों का नाश शुरू किया है तब से दो-तिहाई जंगल गायब हो गये हैं, वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) कहता है। समस्या के बारे में लोगों को सचेत करने के लिए मनुष्य कड़े प्रयास कर रहे हैं फिर भी इस दशक में वन-कटाई इस हद तक बढ़ गयी है कि कुछ देशों में जल्द ही कोई प्राकृतिक जंगल नहीं बचेंगे। लकड़ी और खेती के लिए जंगलों को काटने से पौधा और पशु प्रजातियाँ नष्ट हो जाती हैं। इसके अलावा, पेड़ों को जलाने से पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड फेंकी जाती है और बहुत लोगों को डर है कि इससे पृथ्वी का तापमान बढ़ेगा। WWF आग्रह करता है कि वर्ष २००० तक दुनिया भर में सभी किस्म के कम-से-कम १० प्रतिशत जंगलों को सुरक्षित रखा जाना चाहिए, लंदन का गार्डीअन अखबार रिपोर्ट करता है।
विश्व भर में खाद्य पदार्थों की कमी होने का अनुमान
जॉन्स हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, “यदि जनसंख्या वृद्धि उल्लेखनीय रूप से कम नहीं होती और खेती उत्पादन नहीं बढ़ता तो २०२५ तक दुनिया के अनुमानित ८ अरब लोगों का पेट भरने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं होगा,” एसोसिएटॆड प्रॆस की एक रिपोर्ट बताती है। शोधकर्ता अनुमान लगाते हैं कि “यदि प्रजनन दर घटकर मोटे तौर पर प्रति स्त्री दो बच्चे तक नहीं हो जाती,” तो २०२५ तक खाद्य उत्पादन को दोगुना होना पड़ेगा ताकि लोगों को स्वस्थ रहने के लिए “पर्याप्त मात्रा में अच्छा और पौष्टिक भोजन मिल सके।” पानी की कमी, धरती का प्रदूषण, अपरदन के कारण निरंतर ऊपरी मिट्टी का कटना और जलवायु में बदलाव समस्या को और भी बढ़ा देते हैं। आज भी, हर साल करीब १.८ करोड़ लोग भुखमरी से मरते हैं जबकि आज पृथ्वी पर जी रहे लगभग ६ अरब लोगों का पेट भरने के लिए पर्याप्त अन्न उपजाया जाता है।