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सजग होइए!–1998
g98 9/8 पेज 28-29

विश्‍व दर्शन

यूनान में धार्मिक स्वतंत्रता पर पुनर्विचार

“प्रतीत होता है कि हाल में [यूनान] सरकार धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से संबंधित मुद्दों को लेकर साथ ही विचाराधीन संवैधानिक संशोधन को ध्यान में रखते हुए चिंतित है,” ऐथन्स का अखबार टॉ वीमा रिपोर्ट करता है। “विदेश मंत्रालय के अंदर एक अनौपचारिक समिति बनायी गयी है जो धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दों से संबंधित कानूनी ढाँचे की, तानाशाह मॆटाक्सा के कानूनों की जिनमें धर्म-परिवर्तन दंडनीय अपराध है और उन स्थितियों की जिनमें अल्पसंख्यक गैर-ऑर्थोडॉक्स धार्मिक समूहों को गिरजे और सभा स्थान स्थापित करने की अनुमति है, पुनःजाँच करेगी।” रिपोर्ट आगे बताती है कि इस कदम की पहल मुख्यतः इसलिए की गयी है क्योंकि यूनान के यहोवा के साक्षियों ने मानव अधिकार यूरोपीय न्यायालय में बहुत-से कानूनी मुकदमे दायर किये हैं।

दुनिया में सबसे लंबे बाल

हू साटीओ उत्तरी थाइलैंड में रहता है। उसकी उम्र ८५ है। वह हमंग जाति का है। उसने करीब ७० साल से अपने बाल नहीं काटे हैं। “जब मैं १८ साल का था तब मैंने अपने बाल काटे थे और मैं बहुत बीमार पड़ गया था,” हू ने कहा। हाल ही में गिनिस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉड्‌र्स के एक जज ने नापकर उसके बालों की लंबाई १७ फुट दो इंच बतायी। माना जाता है कि अभी उसके बाल दुनिया में सबसे लंबे हैं, एसोसिएटॆड प्रॆस रिपोर्ट करती है। हू अपने बाल साल में एक बार धोता है और सुखाने के लिए उन्हें एक झंझरी पर फैला देता है। उसके ८७-वर्षीय भाई, यी ने अपने बाल आखिरी बार १९५७ में काटे थे। वह हू का निकटतम प्रतिद्वंद्वी है। लेकिन यी के बाल पिछला रिकॉर्ड बनानेवाली, एक भारतीय स्त्री से लंबे हैं। उस स्त्री के बाल १३ फुट ८ इंच लंबे हैं। हू इतने लंबे बालों को फायदेमंद समझता है, खासकर थाइलैंड के ठंडे पहाड़ों की ऊँचाइयों पर। “ये मुझे गर्म रखते हैं,” वह कहता है।

कुपोषण बच्चों की जान ले रहा है

“कुपोषण किसी दूसरी महामारी, प्राकृतिक विपदा अथवा युद्ध से अधिक बच्चों की जान लेता है,” फ्रांसीसी दैनिक ल मॉन्ड रिपोर्ट करता है। यह अनुमान है कि हर साल करीब ७० लाख बच्चे अपर्याप्त आहार के कारण मरते हैं। संयुक्‍त राष्ट्र बाल निधि (UNICEF) की १९९७ की रिपोर्ट दिखाती है कि पाँच साल से कम उम्र के जो १.२ करोड़ बच्चे हर साल मरते हैं उनमें से ५५ प्रतिशत की मौत कुपोषण के कारण होती है। बच्चों की जान लेने के अलावा कुपोषण कई शारीरिक और मानसिक अपंगताओं साथ ही कमज़ोर प्रतिरक्षा तंत्र का कारण भी है। दक्षिण एशिया में, २ में से १ बच्चा कुपोषित है और अफ्रीका में, ३ में से १ बच्चा कुपोषित है। लेकिन यह समस्या औद्योगिक देशों में भी है। उदाहरण के लिए, UNICEF रिपोर्ट करता है कि अमरीका में १२ साल से कम उम्र के ४ में से १ बच्चे या बच्ची को उतना पोषण नहीं मिलता जितना उसके लिए ज़रूरी है।

चांद पर पानी?

द न्यू यॉर्क टाइम्स्‌ के मुताबिक, अंतरिक्षयान लूनार प्रॉस्पेकटर ने चाँद के ध्रुव क्षेत्र में ऐसी चीज़ का पता लगाया जो जमा हुआ पानी जान पड़ता था। यान में लगे हुए उपकरणों ने वहाँ हाइड्रोजन के मौजूद होने की सूचना दी है, और अनुमान लगाया जाता है कि चाँद पर हाइड्रोजन का सिर्फ पानी के कण के रूप में ही मौजूद होने की संभावना है। ऐसा भी माना जाता है कि पानी धूल से मिले बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में मौजूद है। चाँद की पत्थरीली भूमि का यह १ प्रतिशत या उससे कम भाग है। कुछ वैज्ञानिक तो यह भी अनुमान लगा रहे हैं कि चाँद पर पानी जीवन को चला सकता है और वहाँ मौजूद हाइड्रोजन और आक्सीजन अंतरिक्षयानों के लिए इंधन का काम दे सकते हैं। दूसरे इस सोच में हैं कि अगर चाँद पर पानी है भी तो उसे निकालने का खर्चा बहुत ज़्यादा होगा। कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के डॉ. ब्रूस मूरे ने कहा कि चाँद पर किसी रसायनिक-क्रिया द्वारा पानी निकालने से ज़्यादा सस्ता धरती से चाँद पर पानी ले जाना होगा।

“आदर्श हलकी दवा”?

चॉकलॆट के उद्दीपक, अवसादरोधी और कामोत्तेजक गुणों का सैकड़ों सालों से बखान किया गया है। लेकिन हाल का शोध शायद दिखा दे कि चॉकलॆट सचमुच “चिंता स्तर, मन की शांति और लैंगिक व्यवहार” को प्रभावित करती है,” फ्रांसीसी अखबार ल मॉन्ड रिपोर्ट करता है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि चॉकलॆट में पाया जानेवाला एक पदार्थ एमफीटामाइन्ज़ से काफी मिलता-जुलता है और दूसरे पदार्थ में “विशिष्ट अवसादरोधी गुण” है। नये शोध ने यह भी प्रकट किया है कि चॉकलॆट में अनैन्डामाइड होता है। यह एक न्यूरोट्रांसमिटर होता है जो गांजे की तरह “उत्तेजना और सुखाभास बढ़ाता” है। इस कारण और चॉकलेट की निम्न विषाक्‍तता के कारण अखबार ने यह निष्कर्ष निकाला: “चॉकलॆट शारीरिक और बौद्धिक क्रिया उत्तेजित करती, ऊर्जा प्रदान करती और सुख एवं समृद्धि की भावना उत्पन्‍न करती है, इसका लगभग कोई गौण प्रभाव [साइड इफॆक्ट] नहीं होता और लत पड़ने का डर भी बहुत कम है। यह एक आदर्श हलकी दवा कहलाने के योग्य है।”

अनमोल चीज़ का मोल लगाना

कई देशों के तेरह वैज्ञानिकों ने मिलकर एक रिपोर्ट तैयार की है जिसमें प्रकृति की प्रचुरता का पैसों में मोल लगाया गया है। इन वैज्ञानिकों ने १०० से अधिक प्रकाशित अध्ययन रिपोर्टों से यह अनुमान लगाने का प्रयास किया कि प्रति हॆक्टेयर पृथ्वी जो विभिन्‍न सेवाएँ प्रदान करती है उसे किसी दूसरी चीज़ से बदलने की कीमत क्या होगी। (एक हॆक्टेयर लगभग २.५ एकड़ के बराबर होता है।) उदाहरण के लिए, एक अध्ययन ने दिखाया कि अमरीका में भवनों के लिए नम-भूमि इस्तेमाल की गयी और “बाढ़ का पानी सोखने के लिए [प्रति हॆक्टेयर] नम-भूमि की कमी के कारण सालाना नुकसान ३,३०० डॉलर से बढ़कर ११,००० डॉलर हो गया,” साइंस पत्रिका कहती है। जबकि अनेक लोग पृथ्वी की प्राकृतिक वस्तुओं और सेवाओं को कोई महत्त्व नहीं देते, वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि पैसों में इनका सालाना मूल्य ३,३३,००,००,००,००,००० डॉलर है—हर देश के कुल राष्ट्रीय उत्पादन को मिलाकर उसका लगभग दोगुना।

प्रेम कभी नहीं टलता

द वॉशिंगटन पोस्ट रिपोर्ट करता है “जिन किशोरों का अपने माता-पिता और शिक्षकों से मज़बूत भावात्मक लगाव है उनके लिए नशीले पदार्थ लेने और शराब पीने, आत्महत्या करने, हिंसा पर उतरने या छोटी उम्र में लैंगिक रूप से सक्रिय होने की संभावना काफी कम है।” चैपल हिल यूनिवर्सिटी ऑफ मिनासोटा और यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलाइना के शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि बच्चा एक-जनक या दो-जनक परिवार में रहता है। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि बच्चे को लगना चाहिए कि उससे प्यार किया जाता है, उसकी कदर की जाती है और उसे समझा जाता है। इस अध्ययन ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि “माता-पिता का किशोरावस्था में अपने बच्चों की ज़िंदगी से पूरी तरह जुड़ा रहना महत्त्वपूर्ण है, तब भी जब उन्हें लगता है कि उनकी भूमिका घट रही है,” पोस्ट कहता है।

“परमेश्‍वर रहित बाइबल”

एक डेनिश चिकित्सक ने इब्रानी शास्त्र का पुनःलिखित संस्करण प्रकाशित किया है—उसमें से परमेश्‍वर के सभी हवाले काट दिये हैं। डॉ. स्वॆन लिंग्स का मानना है कि परमेश्‍वर और विश्‍वास “अतीत की बातें हैं जो हमें बंधन में रख सकती हैं,” डेनिश अखबार क्रिसटलीट डाउब्लद रिपोर्ट करता है। लिंग्स ने कहा कि अनेक लोग दुःखी और अकेले हैं। “हम यहूदी-ईसाई संस्कृति में जी रहे हैं,” लिंग्स कहता है। “इसलिए यहूदी-ईसाई संस्कृति हमारे दुःख की ज़िम्मेदार होगी।” अखबार के अनुसार लिंग्स का लक्ष्य है कि बाइबल के इस नये संस्करण से “हमारी संस्कृति की बुनियाद हिला” दे। लिंग्स की परमेश्‍वर रहित बाइबल में, उत्पत्ति ३:१२ कहता है: “आदम ने सोचा: ‘मेरे साथ जो स्त्री थी उसने मुझे पेड़ का फल दिया और फिर मैंने खाया।’” क्रिसटलीट डाउब्लद पूछता है: “क्या यह बर्फ से पानी निकालकर यह देखने की कोशिश करने के जैसा नहीं है कि क्या बचा है?”

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