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विश्‍व-दर्शन मैं एक पत्रकार हूँ और मेरे कई सहकर्मी “विश्‍व-दर्शन” स्तंभ पढ़ना पसंद करते हैं क्योंकि इससे उन्हें अपने लेखों के लिए आइडिया मिलते हैं। मैं स्वीकार करता हूँ कि मुझे भी कुछ लेखों से प्रेरणा मिली है। आपके अनुवादक और प्रूफरीडर खासकर प्रशंसा के योग्य हैं। भाषा की इतनी उच्च शैली संचार माध्यमों में आम तौर पर इस्तेमाल नहीं की जाती।

जे. बी., सिज़िकिया

सालों पहले जब मैंने सजग होइए! पढ़ना शुरू किया था तो “विश्‍व-दर्शन” मुझे ज़्यादा पसंद नहीं था। अब मुझे यह बहुत ज्ञानवर्धक लगता है। असल में, अनेक विश्‍व घटनाएँ जो मैंने टीवी समाचार प्रसारण में नहीं देखीं वे “विश्‍व-दर्शन” में बतायी गयी होती हैं। अपना बढ़िया काम जारी रखिए!

आई. के. एम. सी., ब्राज़ील

समलिंगता मैं बहुत खुश हुई जब मुझे जनवरी ८, १९९८ की सजग होइए! मिली जिसमें “बाइबल का दृष्टिकोण: क्या मसीहियों को समलिंगियों से घृणा करनी चाहिए?” लेख था। यह बहुत-ही संवेदनशील विषय पर अच्छी तरह लिखा गया और संतुलित लेख था।

एल. डब्ल्यू., अमरीका

बोरियत मैंने अपनी सुपरवाइज़र को “क्या आप अपने काम से बोर हो गये हैं?” (जनवरी ८, १९९८) लेख की एक प्रति दी। अगली सुबह काम पर उसने मुझसे कहा कि लेख बहुत बढ़िया था। उसने वह लेख मेरे कुछ सहकर्मियों को भी पढ़ने के लिए दिया और एक प्रति बैठक में रख दी। आपका लेख एकदम सही समय पर आया!

वी. एल., अमरीका

दिलचस्प जानकारी के लिए शुक्रिया। मैं १७ साल की हूँ और पूरे समय की नौकरी करती हूँ। लेख ने मुझे बढ़िया सलाह दी कि कैसे अपने काम को ज़्यादा मज़ेदार बनाऊँ। शुक्रिया!

ई. ए., इटली

लेख के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया। मेरी ट्रेनिंग का दूसरा साल चल रहा है और मुझे अभी से बोरियत होने लगी थी, अपने काम में मज़ा नहीं आ रहा था। आपके लेख ने मुझे फिर से अपने काम का लुत्फ उठाने में मदद दी।

आई. एफ., जर्मनी

रेव मैं १९ साल की हूँ और मुझे टॆक्नो संगीत सुनने में सचमुच बहुत मज़ा आता था। लेकिन लेख “युवा लोग पूछते हैं . . . क्या रेव नुकसान न करनेवाली मौज-मस्ती है?” (जनवरी ८, १९९८) मुझे बहुत पसंद आया। मैंने यह पहला ऐसा लेख देखा है जिसमें इस तरह के संगीत को एकदम सही ढंग से समझाया गया है। “क्या रेव आपके लिए ज़रूरी है?” भाग के लिए मैं खासकर शुक्रगुज़ार हूँ। प्रश्‍नों और शास्त्रवचनों के द्वारा मुझे एक सरल और तर्कसंगत निष्कर्ष पर पहुँचने में मदद मिली।

ए. पी., स्लोवीनिया

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