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ट्रूबाडोर “ट्रूबाडोर—प्रेमगीतों के गायक ही नहीं” (मार्च ८, १९९८) लेख में मध्ययुगीन समाज में इन गायक-कवियों की भूमिका की बढ़िया समीक्षा की गयी। साहित्य शिक्षिका होने के नाते मैंने पुर्तगाली ट्रूबाडोरों का अध्ययन किया है और आपके लेख ने मुझे इस कलात्मक चलन को इसके पूरे परिप्रेक्ष्य में देखने में मदद दी। इस क्वालिटी के लेख आपकी पत्रिका में विश्‍वास बढ़ाते हैं।

आर. एन. ए., ब्राज़ील

मैं स्वीकार करती हूँ कि इस लेख को पढ़ना शुरू करने के लिए मुझे प्रयास करना पड़ा, लेकिन एक बार जब मैंने शुरू कर दिया तो तुरंत इसने मेरी दिलचस्पी बाँध ली। मुझे खासकर यह जानकर खुशी हुई कि “लेडीज़-फर्स्ट” (महिलाएँ-पहले) का रिवाज़ शायद किसने शुरू किया होगा। जापान में “लेडीज़-फर्स्ट” का रिवाज़ नहीं है, लेकिन मेरे पति को बचपन से यहोवा के साक्षी की तरह पाला-पोसा गया था और वह हमारी सगाई के समय से इस रिवाज़ पर बिना चूके चलते आये हैं। (हमारी शादी का पाँचवाँ साल चल रहा है।) मैं बहुत खुश हूँ।

वाई. एन., जापान

माँ और बच्चे का पुनर्मिलन “अनोखा पुनर्मिलन” (मार्च ८, १९९८) लेख ने मुझे बहुत प्रभावित किया। जब मैंने अपना पारिवारिक इतिहास जाना तो इसका मुझ पर भावात्मक रूप से गहरा असर हुआ। मेरे माता और पिता ने कभी विवाह नहीं किया। मैं अकसर अपने पिता के बारे में सोचा करती थी, लेकिन मुझे अपने प्रश्‍नों के सिर्फ संक्षिप्त उत्तर मिले। हाल ही में मैंने अपनी माँ से पूछा कि मेरे पिता का पूरा नाम क्या था। टॆलिफोन डाइरॆक्ट्री का इस्तेमाल करके मैं उनकी बहन का पता लगा सकी और मैं तो दंग रह गयी जब मुझे पता चला कि वह यहोवा की साक्षी हैं! उन्होंने बताया कि मेरे पिता की मृत्यु १९८० में हो गयी थी और उन्होंने कभी विवाह नहीं किया। लेकिन मेरी माँ और मेरी बूआ ने ज़रूरत की इस घड़ी में मुझे बहुत दिलासा दिया है। आपके लेख भी मेरे घाव भर रहे हैं।

एल. डी., अमरीका

जाति-गर्व लेख “युवा लोग पूछते हैं . . . जाति-गर्व के बारे में क्या?” (मार्च ८, १९९८) पढ़कर मैं बहुत खुश हुई। कई बार मुझसे पूछा गया है, “आप किस जाति की हैं?” अपने वंश का पता न लगा सकने के कारण मैंने मज़ाक में जवाब दिया है, “संकर-जाति!” एक सफरी सेवक ने कहा, “जब कोई आपसे पूछता है कि आप किस जाति की हैं तो बस इतना कहिए, ‘मैं यहोवा की साक्षी हूँ।’” मुझे उस संगठन में होने का गर्व है जो सभी जातियों को एकसमान समझता है।

डी. एच., अमरीका

मैं १४ साल की हूँ और इस लेख के लिए आपको शुक्रिया कहना चाहती हूँ। मेरा जाति-गर्व जातिवाद में बदल गया था। इस लेख ने मुझे यह समझने में मदद दी कि यहोवा की नज़रों में हम सब बराबर हैं।

आई. पी., इटली

जब मैं छोटी थी तो मेरे स्कूल के बहुत-से बच्चों को अपनी जाति और रंग पर गर्व था। वे कहते थे कि हमारे अंदर स्पेनी खून है, जबकि मैं अल्पसंख्यक समूह की थी। मुझमें हीन भावना और आत्म-सम्मान की कमी उत्पन्‍न हो गयी। कभी-कभी मुझे लगता है, ‘मुझे अपने रंग से नफरत है!’ इस लेख में दी गयी सलाह ने मुझे अपना आत्म-सम्मान फिर से पाने और यहोवा ने मुझे जो दिया है उसमें संतुष्ट रहने में मदद दी है।

ए. जी., फिलीपींस

मेरी सोच सचमुच गलत थी। मैं सोचती थी कि ज़्यादा अमीर देशों में पैदा होनेवाले लोग ज़्यादा ऊँचे होते हैं। आपके लेख ने मुझे यह देखने में मदद दी कि केवल एक जाति है—मानव जाति।

एल. जी., ब्राज़ील

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