यह संकट विश्वव्यापी है
ब्राज़ील में फुटपाथ पर रहनेवाले बच्चों की क्रूर हत्या इसका एक और उदाहरण है कि अनचाहे बच्चे कितने असुरक्षित हैं। ब्राज़ील की रिपोर्टों में कहा गया कि हर साल सैकड़ों बच्चों की हत्या की जा रही है।
डनब्लेन, स्कॉटलॆंड और वुलवरहैम्पटन, इंग्लॆंड और दूसरे कई क्षेत्रों में बच्चों पर घातक हमले हुए हैं। उदाहरण के लिए, अंगोला की एक १२-वर्षीय अनाथ लड़की मरीआ के दुःख की कल्पना कीजिए। उसका बलात्कार किया गया और वह गर्भवती हो गयी। बाद में उसे करीब ३२० किलोमीटर पैदल चलने के लिए मजबूर किया गया जिसके बाद उसने समय से पहले एक बच्चे को जन्म दिया जो सिर्फ दो हफ्ते जीया। मरीआ एक हफ्ते बाद मर गयी। वह बीमार और कुपोषित थी।
सन् १९९२ में संयुक्त राष्ट्र बाल निधि (यूनिसॆफ) की एक रिपोर्ट ने कहा कि “ ‘बच्चों पर हमला’ २०वीं सदी की देन है।” यूनिसॆफ की १९९६ की एक रिपोर्ट के अनुसार कुछ लोगों का विचार है कि ‘शत्रु की भावी पीढ़ियों को, अर्थात् शत्रुओं के बच्चों को भी खत्म कर दिया जाना चाहिए।’ एक राजनीतिक टीकाकार ने यूँ कहा: “बड़े चूहों को खत्म करना है तो छोटे चूहों को भी खत्म करने की ज़रूरत है।”
हाल के दस सालों के अंदर बीस लाख बच्चे हिंसक मौत का शिकार हुए हैं। साथ ही बारूदी सुरंगों के फटने से चालीस लाख अपंग, अंधे या मानसिक रूप से विकलांग हो गये हैं और युद्धों के कारण करोड़ों बेघर हो गये हैं। ये सभी जैसे-तैसे जीने की कोशिश कर रहे हैं। तो फिर एक रिपोर्ट की सुर्खियों को पढ़कर कोई हैरानी नहीं होती जहाँ लिखा था: “बच्चों पर युद्ध के कहर का डरावना दृश्य।”
बच्चों के साथ हुआ यह अत्याचार मानवजाति पर कलंक है और इसका पक्का प्रमाण है कि कुछ देशों में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बच्चे संकट में हैं। और जिन बच्चों के साथ दुर्व्यवहार किया गया है उनमें से बहुतों को धोखा भी दिया गया है।
जिन पर भरोसा था उन्हीं ने धोखा दिया
बच्चे का भरोसा तोड़ना उसे गहरी चोट पहुँचा सकता है। और बच्चे को ज़्यादा चोट तब पहुँचती है जब माता, पिता, मित्र या सलाहकार ने धोखा दिया हो। माता-पिता बच्चों के साथ कितने बड़े पैमाने पर दुर्व्यवहार करते हैं वह इससे देखा जा सकता है कि जब अमरीका में “सहमी खामोशी: बाल दुर्व्यवहार का खुलासा और खातमा” नामक कार्यक्रम प्रसारित किया गया तो उसके बाद एक हॉटलाइन पर अनगिनत फोन आये। इस कार्यक्रम को टॉक-शो की जानी-मानी हस्ती ओपरा विन्फ्री ने प्रस्तुत किया था। इसके कार्यकारी निर्माता आर्नल्ड शपिरो ने चिल्डरॆन टुडे पत्रिका में कहा कि “सबसे ज़्यादा दिल दहलानेवाले फोन सहमे हुए छोटे-छोटे बच्चों ने किये थे। वे शारीरिक या लैंगिक दुर्व्यवहार की पीड़ा से बचना चाहते थे।”
इस कार्यक्रम से काफी हद तक यह साफ हो गया कि बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करनेवाले लोग लंबे-चौड़े, डरावने-से अजनबी नहीं होते। सच्चाई तो यह है कि बच्चों के साथ “अधिकतर दुर्व्यवहार माता-पिता और नज़दीक के रिश्तेदार करते हैं,” शपिरो अंत में कहता है। दूसरे शोध इस निष्कर्ष की पुष्टि करते हैं और यह भी दिखाते हैं कि कभी-कभी उन लोगों ने बच्चों के साथ दुर्व्यवहार किया है जिनका परिवार के साथ मेलजोल है और जिन पर भरोसा किया जाता है। पहले उन्होंने बच्चे का और उसके परिवार का भरोसा जीता ताकि बाद में पूरी योजना बनाकर बच्चे के साथ दुर्व्यवहार कर सकें। कौटुंबिक-व्यभिचार भरोसा तोड़ने का सबसे घिनौना तरीका है।
दुनिया भर में बच्चों के लिए एक और खतरा है बालगामियों द्वारा लैंगिक दुर्व्यवहार। अपराध और अपराधिक न्याय के रुख और मुद्दे (अंग्रेज़ी) समाचार-पुस्तिका यह परिभाषा देती है: “बालवृत्ति छोटे बच्चों के प्रति लैंगिक आकर्षण को सूचित करती है। . . . बालवृत्ति में हमेशा ही ऐसे अपराध शामिल होते हैं जैसे लैंगिक आक्रमण, अभद्रता और बाल अश्लीलता से जुड़े अपराध।”
बालगामी गुटों की ढेरों घिनौनी रिपोर्टें दुनिया भर से मिल रही हैं। ये गुट हवस मिटाने के लिए बच्चों का लैंगिक शोषण करते हैं। (पृष्ठ ७ पर बक्स देखिए।) वे छोटे लड़कों और छोटी लड़कियों, दोनों को ही अपना शिकार बनाते हैं। चरित्रहीन पुरुष बच्चों को बहकाकर ले जाते हैं, उनके साथ लैंगिक दुर्व्यवहार करते हैं और फिर उन्हें डराते-धमकाते हैं या इतना लाड़-प्यार देकर बिगाड़ देते हैं कि वे उनके “क्लब” में ही रहें। जो पुरुष युक्ति बनाकर ऐसे घिनौने काम करते हैं वे अकसर समाज के प्रमुख नेता होते हैं और कभी-कभी तो पुलिस और न्यायपालिका को उनके कारनामों की पूरी जानकारी होती है और वे ही उनका बचाव करती हैं।
धर्मगुरु भी बच्चों के साथ लैंगिक दुर्व्यवहार कर रहे हैं और इससे भी लोगों का क्रोध भड़क रहा है। दुनिया भर से मिले समाचार दिखाते हैं कि किस हद तक धर्मगुरु बाल दुर्व्यवहार कर रहे हैं, कभी-कभी तो वे परमेश्वर के नाम पर ऐसा करते हैं। उदाहरण के लिए, एक कसूरवार ऐंग्लिकन पादरी ने एक दस-वर्षीय लड़के से कहा कि “परमेश्वर उस [पादरी] के द्वारा बात कर रहा है और वह [पादरी] जो भी काम करे या वह [लड़का] जो भी काम करे वह परमेश्वर को पसंद आएगा और इसलिए सही होगा।”
धर्मगुरु और भरोसे के पद पर बैठे दूसरे लोग बच्चों के साथ जो दुर्व्यवहार करते हैं उसके बारे में ऑस्ट्रेलिया में लड़ाई और उसका नतीजा: बाल लैंगिक दुर्व्यवहार युद्ध (अंग्रेज़ी) नामक पुस्तक की समीक्षा में टिप्पणी की गयी है: कहा जाता है कि इसमें फँसे संगठन इस बारे में चिंतित नज़र आये कि कैसे वे खुद को बचाएँ और कैसे उनकी अपनी छवि पर कम-से-कम आँच आये, उन्हें असुरक्षित बच्चों को बचाने की चिंता नहीं थी।
तबाह करनेवाले प्रभाव
बच्चा किसी पर भरोसा करता है तो आम तौर पर पूरे दिल से करता है, उसके दिल में शक की गुंजाइश नहीं होती। सो यदि बच्चे का भरोसा तोड़ दिया जाए तो उसके मासूम दिमाग पर बहुत बुरा प्रभाव होता है। बाल दुर्व्यवहार और लापरवाही (अंग्रेज़ी) प्रकाशन कहता है: “जो व्यक्ति और स्थान पहले सुरक्षा या सहारे का एहसास देते थे वही अब खतरे और डर का एहसास देने लगे हैं। बच्चे की दुनिया में सुरक्षा और स्थिरता कम हो गयी है।”
इस तरह का दुर्व्यवहार कई सालों से होता आया है और नतीजा यह हुआ है कि कुछ बच्चों को आगे चलकर, बड़े हो जाने के बाद भी सामाजिक और मनश्चिकित्सीय समस्याएँ हो गयी हैं। इस तरह भरोसा तोड़ना बच्चे को इतना तबाह इसलिए कर देता है क्योंकि बच्चे की मासूमियत का फायदा उठाया गया होता है। तोभी, अनेक बच्चे अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की रिपोर्ट नहीं करते—बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करनेवाले इसी बात का फायदा उठाते हैं।
हाल के सालों में दुनिया भर में बाल दुर्व्यवहार के प्रमाण बढ़े हैं और आज ऐसे प्रमाणों का अंबार लग गया है कि अब इसे झुठलाया या अनदेखा नहीं किया जा सकता। लेकिन अधिकतर लोग इस बात पर सहमत हैं कि बाल दुर्व्यवहार को खत्म करना पहाड़-जैसा काम है। सो ये प्रश्न उठते हैं: क्या कोई है जो सचमुच हमारे बच्चों की रक्षा कर सकता है? हममें से जो माता-पिता हैं वे परमेश्वर से मिली इस मीरास अर्थात् अपने मासूम बच्चों की रक्षा और खतरे में पड़ी उनकी जान की देखरेख कैसे करें? माता-पिता मदद के लिए कहाँ जाएँ?
[पेज 7 पर बक्स/तसवीर]
इंटरनॆट गुप्त अभियान
कुछ महीने पहले, इंटरनॆट पर बाल अश्लीलता के विरुद्ध चलाये गये एक बहुत बड़े गुप्त अभियान में पुलिस ने १२ देशों में १०० से ज़्यादा संदिग्ध बालगामियों के घर पर छापे मारे। अमरीका में स्थित बालगामियों के मात्र एक गिरोह से बच्चों के १,००,००० से ज़्यादा अश्लील चित्र बरामद हुए।
ब्रिटॆन के एक जासूस ने इंटरनॆट पर पाँच महीने की जाँच का संचालन किया। उसने कहा: “चित्र इतने घिनौने थे कि उन्हें देखकर किसी भी भले इनसान को उलटी आ जाती।” चित्र छोटे-छोटे लड़के-लड़कियों के थे, कुछ चित्र तो बस दो साल के बच्चों के थे। बॆल्जियम की पुलिस ने कहा कि इंटरनॆट के चित्रों में “बाल अश्लीलता का सबसे ज़्यादा घिनौना चित्रण” किया गया था। “लोग इस हद तक गिर गये थे कि उन्होंने अपने ही बच्चों के साथ दुर्व्यवहार किया ताकि अति अश्लील चित्र खींच सकें।” एक पुरुष ने अपनी भतीजी के साथ बलात्कार किया और उस घिनौने काम की तसवीरें खींचकर उन्हें अपने कंप्यूटर में डाल दिया।
संदिग्ध व्यक्तियों में शिक्षक, वैज्ञानिक, कानून का विद्यार्थी, मॆडिकल विद्यार्थी, स्काउट मास्टर, अकाउंटॆंट और विश्वविद्यालय का प्रोफॆसर था।
[पेज 6 पर तसवीर]
एक विस्फोटक यंत्र ने इस लड़के का दायाँ हाथ बेकार कर दिया
[चित्र का श्रेय]
UN/DPI Photo by Armineh Johannes
[पेज 7 पर चित्र का श्रेय]
Photo ILO/J. Maillard