मेरा कुत्ता मेरे सुनने का काम करता है!
ब्रिटॆन में सजग होइए! संवाददाता द्वारा
“पता नहीं मैं अपने प्यारे कुत्ते के बिना क्या करूँगी!” डॉरथी ने अपने छोटे-से सफेद-भूरे कुत्ते की ओर प्यार-से देखते हुए कहा। वह जैक रसल टॆरियर संकर-नसल का कुत्ता संतुष्ट भाव से उसकी कुर्सी के नीचे लेटा हुआ था। “ट्विंकी मेरे पास कुछ ही महीनों से है लेकिन उसने मेरे जीने का अंदाज़ ही बदल दिया है!”
मैंने ट्विंकी के करीब जाकर देखा कि वह पीले रंग का कोट पहने हुए है जिसके ऊपर काले और मोटे अक्षरों में लिखा है “बहरों के लिए सुननेवाला कुत्ता।” मुझे याद है कि उस समय मैंने मन-ही-मन सोचा, ‘कितना अनोखा कुत्ता है!’ ‘वह क्या कर सकता है?’
पिछली जुलाई लंदन, इंग्लॆंड में हुए यहोवा के साक्षियों के “ईश्वरीय जीवन का मार्ग” अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में उपस्थित ४४,००० लोगों के बीच हमारी मुलाकात एक इत्तफाक थी। एक लाउड-स्पीकर के पास बैठने के कारण डॉरथी कार्यक्रम को सुन पा रही थी, तो उसे सुननेवाले कुत्ते की क्या ज़रूरत थी? जब भोजन के अंतराल में हम बैठे बात कर रहे थे तो डॉरथी ने मुझे अपनी कहानी सुनायी।
ट्विंकी का काम
डॉरथी को तीन साल की उम्र में गठिये से बुखार हो गया था जिसके बाद से वह बहुत ऊँचा सुनने लगी। २३ साल पहले अपने पति की मौत के बाद से वह अकेली रहती है, लेकिन डॉरथी ने बताया कि बढ़ती उम्र में उसे सिर्फ संगति की नहीं, उससे ज़्यादा की ज़रूरत थी। “मेरी उम्र के बहरे लोगों को बहुत असुरक्षा महसूस हो सकती है,” उसने कहा। “मैं ७४ साल की हूँ और ऐसी बिल्डिंग में रहती हूँ जिसमें एक चौकीदार है, लेकिन जब वह चौकीदार मुझसे मिलने आता है तो मुझे अपने दरवाज़े की घंटी सुनायी नहीं देती। यह सोचकर कि शायद मेरी तबियत ठीक नहीं है, कभी-कभी वह अंदर घुस आता है और मुझे पता भी नहीं चलता; मैं डर के मारे चौंक जाती हूँ। लेकिन अब ट्विंकी घंटी सुन लेती है। वह आकर मेरे पैर पर थपथप करती है और मुझे सामनेवाले दरवाज़े तक ले जाती है। वैसे ही जब ट्विंकी मेरे अवन के टाइमर की आवाज़ सुनती है तो वह भागकर मेरे पास आती है और मैं उसके पीछे-पीछे जाती हूँ। ट्विंकी को सिखाया गया है कि धूएँ या आग की घंटी बजने पर मेरा ध्यान खींचे और फिर यह दिखाने के लिए ज़मीन पर लेट जाए कि खतरा हो सकता है। हर बार जब वह मेरी मदद करती है तो मैं उसे खास इनाम देती हूँ, कुछ मज़ेदार नमकीन चीज़ देती हूँ।”
कुशलता से सिखाना
मेरी जिज्ञासा बढ़ी। मैंने पूछा, “आपको अपना कुत्ता कैसे मिला और किसने उसे सिखाया?” यह डॉरथी के लिए इशारा था कि मुझे ‘बहरों के लिए सुननेवाले कुत्ते’ के बारे में कुछ बताये। यह एक धर्मार्थ संस्थान है जिसका उद्देश्य है ब्रिटॆन में बहरे लोगों की मदद करना ताकि वह ज़्यादा आज़ादी महसूस कर सकें और इस तरह बेहतर जीवन जी सकें। सन् १९८२ से इसने ब्रिटॆन में बहरे लोगों को सैकड़ों कुत्ते दिये हैं। पूरी तरह सिखाये जाने के बाद, कुत्ते को मुफ्त में एक नये मालिक के हाथ सौंप दिया जाता है।
आम तौर पर लावारिस कुत्तों को चुना जाता है। उन्हें देश भर के बचाव केंद्रों से लिया जाता है हालाँकि कुत्ते पालनेवाले भी कुछ कुत्तों को दान में देते हैं। एक कुत्ते को सिखाने में करीब १२ महीने लग जाते हैं। इसका खर्च अकसर कोई प्रायोजक उठाता है, वह या तो एक कंपनी हो सकती है या फिर लोगों का एक समूह जिनके थोड़े-थोड़े चंदे को इकट्ठा किया जाता है। डॉरथी ने मुझे बताया कि एक हॆल्थ क्लब ने कृपा करके ट्विंकी का खर्च उठाया था।
सात हफ्ते से लेकर तीन साल की उम्र तक का कुत्ता चुनने के बाद, उसे सिखाया जाता है कि अमुक आवाज़ें सुनने पर प्रतिक्रिया दिखाए। लेकिन, शुरू-शुरू में कुत्ते को एक समाज-सेवक को सौंपा जाता है जो कुत्ते की उम्र और अनुभव के हिसाब से उसे दो से आठ महीने तक अपने घर रखकर ट्रेनिंग देता है। उसे सिखाया जाता है कि वह घर गंदा न करे और कोई नुकसान न करे। लेकिन खासकर उसे सार्वजनिक स्थानों और यातायात से परिचित करवाया जाता है और उसे हर उम्र के लोगों, बच्चों और शिशुओं के साथ भी तरह-तरह का अनुभव करवाया जाता है। लक्ष्य यह होता है कि कुत्ते को अच्छा व्यवहार करना सिखाया जाए ताकि बाद में उसे जिस घर में भी भेजा जाए वह उन्हें पसंद आये।
इसके अलावा, मैंने जाना कि जिनकी खास ज़रूरतें हैं उनकी मदद करने के लिए दूसरी संस्थाएँ भी कुत्तों का इस्तेमाल करती हैं। इन कुत्तों को आज्ञा मानना तो सिखाया जाता ही है, साथ ही अमुक चीज़ों और गंध से भी परिचित कराया जाता है। रिट्रीवर नसल के एक कुत्ते को ऐसी स्त्री की देखभाल करना सिखाया गया है जो चल-फिर नहीं सकती। वह उसके लिए फोन और चिट्ठियाँ उठाता है और चिट्ठियों पर डाक-टिकट चिपकाता है! एक और कुत्ता है जो १२० तरह के काम करता है, यहाँ तक कि सुपर-बाज़ार के ताखों पर रखे डिब्बे और पैकॆट उठाकर लाता है। अगर विकलांग व्यक्ति को कोई सामान चाहिए तो वह उस पर एक लेज़र पॉइंटर से लाइट फेंकता है और तब उसका कुत्ता वह सामान लाकर उसे देता है।
सुखद साथ
“क्या हर कोई ट्विंकी की अहमियत समझता है?” मैंने पूछा। “एक दुकानदार ने मेरे कुत्ते को अंदर नहीं घुसने दिया,” डॉरथी ने जवाब दिया। “मेरे खयाल से उसने इसलिए मना किया होगा क्योंकि उसने दुकान में खाने की चीज़ें सजा रखी थीं और उसे समझ नहीं आया कि मुझे ट्विंकी की ज़रूरत क्यों है वरना शायद ही किसी ने ऐसा व्यवहार किया हो।”
अब मुझे समझ आ गया था कि घर में सुननेवाला कुत्ता होना उपयोगी होता है, लेकिन मेरे मन में एक और सवाल था। जब डॉरथी इतने सारे संगी मसीहियों के साथ खुशी-खुशी संगति कर रही थी तो उस समय ट्विंकी का क्या काम? “मैं होंठ देखकर समझ जाती हूँ कि दूसरा व्यक्ति क्या कह रहा है और अपने हियरिंग एड की मदद से मैं बातचीत कर पाती हूँ,” डॉरथी ने समझाया। “लेकिन जब लोग ट्विंकी का पीला कोट देखते हैं तो उन्हें तुरंत पता चल जाता है कि मैं बहरी हूँ। फिर वे मेरी तरफ देखकर बात करते हैं और आम तौर पर एकदम साफ बोलते हैं। इस तरह, मुझे अपनी अपंगता के बारे में बताने की ज़रूरत नहीं पड़ती और मैं काफी परेशानी से बच जाती हूँ।”
अधिवेशन सत्र फिर से शुरू होनेवाला था और इससे पहले ट्विंकी को थोड़ा घूमने की ज़रूरत थी ताकि वह सत्र के दौरान चुपचाप बैठे। जाने से पहले जब मैंने झुककर ट्विंकी को सहलाया तो उसने अपनी चमकीली आँखें खोलीं और फिर डॉरथी की तरफ देखा और अपनी दुम हिलाने लगी। इतनी आज्ञाकारी और काम की दोस्त—उनके रिश्ते में कमी नहीं थी!
[पेज 26 पर तसवीर]
अधिवेशनों में ट्विंकी की मदद का जवाब नहीं