मौत के मुँह में रहकर परमेश्वर की सेवा करना
झवाउन् मॉनकोकॉ की ज़ुबानी
लुआन्डा, अंगोला में, जून २५, १९६१ के दिन सिपाहियों ने आकर हमारी मसीही सभा को बंद करवा दिया। वे ३० लोगों को गिरफ्तार करके अपने साथ ले गए। कैद में हमारी जमकर पिटाई की गई, फिर हर आधे घंटे के बाद सिपाही आकर देखते कि हममें से कहीं कोई मर तो नहीं गया। उनमें से कुछ सिपाहियों ने हमारे परमेश्वर के बारे में यह कहा कि हमारा परमेश्वर ज़रूर सच्चा होगा, तभी तो हम सब इतनी ज़बरदस्त मार खाने के बाद भी ज़िंदा बच गए।
इस पिटाई के बाद पाँच महीने तक मुझे साउ पाउलू की कैद में रखा गया। उसके बाद, अगले नौ साल तक मुझे एक कैद से दूसरी कैद भेजा जाता रहा, और मुझे कई बार पीटा गया, भूखा रखा गया और मुझसे पूछताछ की गई। सन् १९७० में रिहा करने के कुछ समय बाद मुझे फिर से कैद किया गया, और इस बार साउ नीकुलाउ के कैम्प में, जो अब बॆनटीऑबा कहलाता है, भेज दिया जो लोगों को मौत के घाट उतारने के लिए कुख्यात था। वहाँ ढाई साल तक मुझे कैद में रखा गया।
आप शायद सोचें कि एक अच्छा नागरिक और कानून का पालन करनेवाला व्यक्ति होते हुए भी मुझे क्यों अपना बाइबल आधारित विश्वास दूसरों को बताने के लिए कैद किया गया? मैंने परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार के बारे में सबसे पहले कहाँ से सीखा था?
अच्छी शिक्षा की आशीष
मेरा जन्म अक्तूबर १९२५ में, उत्तरी अंगोला में मॉकीला डू ज़ोमबो शहर में हुआ। सन् १९३२ में मेरे पिता की मौत के बाद, मेरी माँ ने मुझे मामा के साथ रहने के लिए बॆलजियन कांगो भेज दिया (अभी उसे कांगो का डैमोक्रॆटिक रिपब्लिक कहते हैं)। दरअसल, माँ मुझे भेजना तो नहीं चाहती थी, मगर उसके पास मेरी परवरिश करने के लिए कुछ भी नहीं था।
मेरे मामा एक बैपटिस्ट थे और बाइबल पढ़ने के लिए मुझे बहुत उकसाते थे। हालाँकि मैं उनके चर्च का एक सदस्य तो बन गया था, मगर जो कुछ मैं सीखता था उससे न तो मेरी आध्यात्मिक भूख मिटी और न ही मुझ में परमेश्वर की सेवा करने की कोई इच्छा पैदा हुई। मामा ने पढ़ाई के लिए मुझे स्कूल भी भेजा, और अच्छी शिक्षा हासिल करने में मेरी मदद भी की। दूसरी चीज़ों के साथ-साथ मैंने फ्रैंच बोलनी सीखी। और कुछ समय बाद मैं पुर्तगाली बोलना भी सीख गया। स्कूल खत्म करने के बाद लेअपोलद्विल (अब किनशॉसा) में सैंट्रल रेडियो स्टेशन में मुझे रेडियो टैलीग्राफिस्ट की नौकरी मिल गई। फिर जब मैं २० साल का हुआ तो मैंने मॉरीआ पोवा से शादी कर ली।
एक नया धार्मिक समूह
उसी वर्ष सन् १९४६ में, मैं एक संगीत निर्देशक से बहुत प्रभावित हो गया। वह भी अंगोला का रहनेवाला था और काफी पढ़ा-लिखा था। उसका संबंध बैपटिस्ट चर्च से था, उसकी यह इच्छा थी कि उत्तरी अंगोला में रहनेवाले लोगों को, जो कॆकोनगो भाषा बोलते हैं, वह शिक्षित करे और उनकी आध्यात्मिक और सामाजिक स्थिति को सुधारे। उसे कहीं से द किंगडम, द होप ऑफ द वर्ल्ड नामक अंग्रेज़ी से पुर्तगाली में अनुवादित, एक ऐसी पुस्तिका मिली जिसे यहोवा के साक्षी बाँट रहे थे और उसे वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी ने प्रकाशित किया था।
संगीत निर्देशक ने उस पुस्तिका का कॆकोनगो भाषा में अनुवाद किया, और वह उस पुस्तिका की मदद से हर हफ्ते बॆलजियन कांगो में काम करनेवाले हमारे अंगोलन समूह के साथ बाइबल पर चर्चा करता। बाद में संगीत निर्देशक ने अमरीका में वॉच टावर सोसाइटी के हैडक्वार्टर को लिखकर और ज़्यादा प्रकाशन मँगवाया। मगर हमें वह जो कुछ सिखाता उसमें चर्च की शिक्षाएँ भी मिली हुईं होतीं। इसलिए मैं सच्ची मसीही शिक्षाओं और चर्च की गैर-मसीही शिक्षाओं के बीच फर्क नहीं कर पाता था।
मगर एक बात पर मैंने गौर किया कि वॉच टावर सोसाइटी के प्रकाशनों में दिया गया बाइबल-संदेश, बैपटिस्ट चर्च में दिए गए संदेश से एकदम अलग था। उदाहरण के लिए, अब मैंने सीखा कि बाइबल परमेश्वर के नाम, यहोवा को बहुत महत्त्व देती है, और सच्चे मसीहियों के लिए, यहोवा के साक्षी कहलाना एकदम सही है। (भजन ८३:१८; यशायाह ४३:१०-१२) इसके अलावा मुझे, बाइबल का यह वादा जानकर बहुत खुशी हुई कि यहोवा की वफादारी से सेवा करनेवाले, भविष्य में इस ज़मीन पर हमेशा-हमेशा की ज़िंदगी पाएँगे।—भजन ३७:२९; प्रकाशितवाक्य २१:३-५.
जबकि बाइबल सच्चाई का मुझे ज़्यादा ज्ञान नहीं था, मगर फिर मुझे भविष्यवक्ता यिर्मयाह की तरह महसूस होता था, जो अपनी प्रबल इच्छा की वज़ह से परमेश्वर यहोवा के बारे में बताने से खुद को नहीं रोक सका था। (यिर्मयाह २०:९) मैंने घर-घर जाकर प्रचार करना शुरू कर दिया और मेरे साथ हमारे बाइबल स्टडी ग्रुप के दूसरे सदस्य भी जाने लगे। इसके अलावा मैंने अपने अंकल के आँगन में पब्लिक मीटिंग करनी शुरू कर दी और लोगों को बुलाने के लिए मैं टाइप करके लिखी हुई पर्चियाँ भी बाँटता। एक बार में करीब ७८ लोग जमा हो जाते थे। इस तरह एक नया धार्मिक समूह पैदा हो गया था जिसका नेता अंगोलावासी संगीत निर्देशक था।
मेरी पहली कैद
मुझे पता नहीं था कि बॆलजियन कांगो में, वॉच टावर सोसाइटी के साथ किसी भी तरह का संबंध रखने की मनाई थी। इसलिए हममें से कुछ लोगों को अक्तूबर २२, १९४९ में गिरफ्तार कर लिया। मैं एक सरकारी कर्मचारी था यह बात जज को मालूम थी, इसलिए मेरे मुकदमे से पहले जज ने अकेले में मुझसे बातचीत की और उसने मुझे रिहा करने की कोशिश की। मगर शर्त यह थी कि मुझे उस समूह का सदस्य होने से इंकार करना था जो हमारे प्रचार करने से बना था, लेकिन वैसा करने से मैंने साफ मना कर दिया।
जब ढाई महीने हमें कैद में बीत गए तो अधिकारियों ने यह निर्णय लिया कि हममें से जो अंगोला के थे उन्हें वापस उनके देश भेज दिया जाए। जब हम वापस अंगोला पहुँचे तो पुर्तगाली अधिकारी भी हमारी गतिविधियों पर शक करने लगे और हम पर बंदिशें लगा दीं। बॆलजियन कांगो से हमारे समूह के कुछ और सदस्य आ गए, और आखिरकार पूरे अंगोला में हमारे समूह के १००० से ज़्यादा लोग हो गए।
कुछ समय बाद एक प्रमुख धर्म-गुरू सीमोन किमबॉन्गू के चेले हमारे समूह में शामिल हो गए। ये लोग वॉच टावर सोसाइटी के प्रकाशन पढ़ना नहीं चाहते थे क्योंकि उनका विश्वास था कि बाइबल को सिर्फ आत्मिक माध्यम द्वारा ही समझा जा सकता है। हमारे समूह में ज़्यादातर लोगों ने उनके विचार का समर्थन किया, यहाँ तक कि संगीत निर्देशक ने भी, जिसे अभी-भी हमारे समूह का नेता माना जाता था। मैंने वॉच टावर सोसाइटी के किसी सच्चे प्रतिनिधि से मुलाकात करवाने के लिए यहोवा से दिल से प्रार्थना की क्योंकि मुझे यकीन था कि जब हमारा पूरा समूह उनसे मिलेगा, तो बाइबल सच्चाई कबूल कर लेगा और गैर-शास्त्रीय काम करने से इनकार करेगा।
हमारे समूह के लोग प्रचार करते थे लेकिन हमारे कुछ सदस्यों को यह पसंद नहीं था। इसलिए उन्होंने हमारे साथ धोखा किया और अधिकारियों को हमारा नाम बता दिया। हम पर यह इलज़ाम लगाया गया था कि हम एक राजनीति गुट के नेता हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि हममें से कुछ सदस्यों को फरवरी १९५२ में गिरफ्तार कर लिया गया, जिनमें कॉरलूस ऑगूशटीनयू कॉडी और सॉला रॉमोस फीलॆमोन भी थे। हमें ले जाकर एक ऐसे कमरे मैं कैद कर दिया गया जहाँ खिड़कियाँ भी नहीं थीं। मगर हमें एक दोस्ताना सिपाही मिल गया था, जो हमारी पत्नियों से हमारे लिए खाना और एक टाइप राइटर ले आया था। इस टाइप राइटर से हम वॉच टावर सोसाइटी की पुस्तिकाओं की कई कॉपियाँ बना लेते थे।
तीन हफ्ते बाद हमें बॉईआ डूस टीगराश भेज दिया गया जो दक्षिण अंगोला का एक सुनसान इलाका है। हमारी पत्नियाँ भी हमारे साथ ही आयीं। हमें चार साल की कड़ी मेहनत की सज़ा दी गई थी, और हमें एक फिशिंग कम्पनी के लिए काम करना पड़ा। बॉईआ डूस टीगराश में फिशिंग बोट के लिए कोई बंदरगाह नहीं था इसलिए हमारी पत्नियों को सुबह से रात तक, पानी में से होकर बोट से मछलियों का भारी बोझ ढोकर लाना पड़ता था।
इस कैदवाले कैम्प में हम अपने समूह के दूसरे सदस्यों से भी मिले और हमने उन्हें नियमित रूप से बाइबल पढ़ते रहने के लिए प्रोत्साहित किया। मगर उन्हें संगीत निर्देशक, टोको की बातों के मुताबिक चलना ज़्यादा अच्छा लगा। कुछ समय बाद वे टोकोईस्ट कहलाए जाने लगे।
वह मुलाकात जिसका बेताबी से इंतज़ार था
जब हम बॉईआ डूस टीगराश में थे तब हमने वॉच टावर सोसाइटी का उत्तरी रोडीज़ा (अब ज़ाम्बिया) ब्रांच का पता खोज निकाला और उनसे मदद की माँग की। उन्होंने हमारे पत्र को दक्षिण अफ्रीका ब्रांच के पास भेज दिया और उन्होंने हमें खत लिखकर पूछा कि हमें बाइबल सच्चाई में रुचि कैसे जगी। हमारे बारे में अमरीका में वॉच टावर सोसाइटी के मुख्यालय को बताया गया, और फिर हमसे मिलने के लिए एक खास प्रतिनिधि को भेजने का इंतज़ाम किया गया। हमसे मिलने जॉन कुक आए। वो अनुभवी थे और उन्होंने विदेशों में काफी साल तक मिशनरी के तौर पर सेवा की थी।
अंगोला पहुँचने के बाद, हमसे मिलने के लिए भाई कुक को पुर्तगाल अधिकारियों से इज़ाज़त पाने में कई हफ्ते लग गए। भाई कुक मार्च २१, १९५५ को बॉईआ डूस टीगराश पहुँचे थे और उन्हें हमारे साथ पाँच दिन बिताने की इज़ाज़त मिली थी। उन्होंने बहुत ही अच्छी तरह से बाइबल समझाया और मुझे यकीन हो गया कि वे यहोवा परमेश्वर के एकमात्र सच्चे संगठन से आए हैं। आखिरी दिन भाई कुक ने, “राज्य का यह सुसमाचार” विषय पर जन भाषण दिया। और उस भाषण को ८२ लोगों ने सुना जिनमें बॉईआ डूस टीगराश का मुख्य प्रशासक भी था। हाज़िर लोगों में से हरेक को भाषण की लिखित कॉपी भी दी गई।
भाई कुक पाँच महीने तक अंगोला में रहे और इस बीच उन्होंने टोकोईस्ट के नेता और उसके कुछ सदस्यों से बातचीत की। लेकिन उनमें से अधिकतर लोग यहोवा के साक्षी बनना नहीं चाहते थे। इसलिए, मुझे और मेरे साथियों को लगा कि हमें अधिकारियों को साफ बता देना चाहिए कि हम क्या विश्वास करते हैं। हमने जून ६, १९५६ को “हिज़ एस्सलॆन्सी द गवर्नर ऑफ द डिस्ट्रिक्ट ऑफ मूसामाडिश” को एक पत्र लिखा। इसमें हमने साफ-साफ लिखा कि अब से हमारा टोको के चेलों के साथ कोई नाता नहीं है, और अब से हमें “यहोवा के साक्षियों के संगठन का सदस्य” माना जाए। हमने उससे यह भी विनती की कि हमें उपासना करने की आज़ादी दी जाए। लेकिन उन्होंने हमारी सज़ा कम करने की बजाय, दो साल और बढ़ा दी।
बपतिस्मे तक ले जानेवाली घटनाएँ
आखिरकार अगस्त १९५८ में हमें रिहा कर दिया गया। फिर जब हम लुआन्डा वापस आए तो वहाँ हमें यहोवा के साक्षियों का एक छोटा-सा समूह मिला। इस समूह की शुरूआत एक साल पहले मिशनरी भाई मरवॆन पासलो ने की थी जिन्हें जॉन कुक के बदले में अंगोला भेजा गया था। लेकिन हमारे वहाँ पहुँचने से पहले ही उन्हें भी वहाँ से कहीं और भेज दिया गया था। उसके बाद सन् १९५९ में यहोवा के साक्षियों का एक और मिशनरी हारी ऑरनॆट हमसे मिलने आया। हम तीनों उससे मिलने के लिए एयरपोर्ट पर उसका इंतज़ार कर रहे थे। लेकिन, एयरपोर्ट पर पहुँचते ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया था।
दो पुर्तगाली साक्षी मानवॆल गोंसॉलविश और बॆर्टा ताशेरा का हाल ही में बपतिस्मा हुआ था। उन्हें यह चेतावनी देकर रिहा किया गया कि वे आगे से कभी कोई मीटिंग नहीं करें। भाई ऑरनॆट को वापस भेज दिया गया, और मुझसे कहा गया कि अगर मैं पेपर पर यह लिखकर साईन नहीं करूँगा कि अब से मैं साक्षी नहीं हूँ, तो मुझे वापस बॉईआ डूस टीगराश भेज दिया जाएगा। सात घंटे तक पूछताछ करने के बाद, बगैर कोई साईन करवाए मुझे छोड़ दिया गया। एक हफ्ते बाद आखिरकार मैंने भी अपने दोस्तों कारलोस कैडी और सॉला फाइलमोन के साथ बपतिस्मा ले लिया। फिर हमने लुआन्डा के बाहर एक नगर मूसीके सॉमबीज़ॉगंगा में एक कमरा किराए पर लिया। आगे जाकर इस जगह पर अंगोला के यहोवा के साक्षियों की पहली कलीसिया बनी थी।
फिर से सताहट
रुचि रखनेवाले लोग बढ़ते जा रहे थे और सभाओं में हाज़िर होने लगे थे। कुछ तो हम पर जासूसी करने के लिए आए थे मगर मीटिंग उन्हें इतनी अच्छी लगी कि बाद में वे यहोवा के साक्षी बन गए! राजनैतिक माहौल बदल रहा था, फरवरी ४, १९६१ से राष्ट्रवादियों के बढ़ने से हालात हमारे लिए और कठिन होता गया। हमारे बारे में झूठी बातें फैलाई जा रही थीं लेकिन इसके बावजूद हम मार्च ३० को यीशु की मौत का स्मारक समारोह मना पाए जिसके लिए १३० लोग हाज़िर हुए।
जून में, जब मैं वॉचटावर स्टडी चला रहा था तो मिलिट्री पुलिस ने आकर हमारी मीटिंग को बंद करवा दिया। उन्होंने औरतों और बच्चों को तो छोड़ दिया, मगर वहाँ मौजूद ३० आदमियों को पकड़कर ले गए, जैसा कि मैंने शुरूआत में बताया था। हमें लगातार दो घंटे तक मोटे डंडे से पीटा गया। इसके तीन महीने बाद तक मुझे खून की उल्टियाँ होती थीं। मुझे पूरा यकीन था कि अब मैं नहीं बचूँगा; दरअसल जिसने मुझे पीटा था उसने यही कहा था कि तुम बचोगे नहीं। मार खानेवाले दूसरे जन अधिकतर नए बाइबल विद्यार्थी थे जिनका बपतिस्मा भी नहीं हुआ था, इसलिए उनके लिए मैंने दिल से प्रार्थना की, “यहोवा, अपनी भेड़ों की रक्षा कीजिए।”
यहोवा का शुक्र है कि उनमें से किसी की मौत नहीं हुई और यह देखकर मिलिट्रीवालों को बहुत ताज़्जुब हुआ। उनमें से कुछ सिपाहियों ने तो हमारे परमेश्वर की महिमा भी की और कहा कि उसी ने हमें ज़िंदा बचाए रखा है! उन बाइबल विद्यार्थियों में से अधिकतर लोग बपतिस्मा लेकर साक्षी बन चुके हैं, और उनमें से कुछ अभी मसीही प्राचीन भी बन गए हैं। इनमें से एक भाई सीलवॆशटर सीमाउन, अंगोला ब्रांच कमेटी का एक सदस्य है।
नौ साल तक सताहट
जैसा मैंने शुरूआत में बताया था, मैंने नौ साल तक अलग-अलग तरह की सताहटें सहीं और एक कैद से दूसरी कैद या लेबर कैम्प में सज़ा काटता रहा। इन सबमें मेरी पत्नी मॉरीआ और बच्चे भी मेरे साथ-साथ थे। इन सभी कैदखानों पर मुझे राजनैतिक वज़हों से कैद हुए लोगों को साक्षी देने का मौका मिला, जिनमें से अधिकतर आज बपतिस्मा प्राप्त साक्षी बन गए हैं।
हम जब सेरपा पीनटू लेबर कैम्प में थे तो राजनैतिक वज़हों से कैद हुए चार लोग भागने की कोशिश करते हुए पकड़े गए थे। उन्हें जानबूझकर सबके सामने बुरी तरह तड़पाकर मार दिया गया ताकि दूसरे कैदी इतना डर जाए कि भागने का ख्याल भी किसी के सपने में न आए। बाद में, कैम्प के कमांडर ने मुझे, बच्चों और मॉरीआ के सामने यह धमकी दी कि “अगर मैंने फिर कभी तुम्हें प्रचार करते पकड़ा, तो तुम्हारा भी यही हश्र होगा।”
आखिरकार नवंबर १९६६ में, हम साउ नीकुलाउ के कैम्प में पहुँचे जो लोगों को बुरी तरह मौत के घाट उतारने के लिए कुख्यात था। जब हमें उस कैम्प में लाया गया, तो कैम्प के अधिकारी, श्री. सीड को देखकर मैं बहुत ही डर गया था क्योंकि यह वही आदमी था जिसने साउ पाउलू कैदखाने में मुझे पीट-पीट कर लगभग मौत के मुँह में भेज दिया था! यहाँ हर महीने दर्जनों लोगों को बहुत सलीके से मार दिया जाता था, और मेरे परिवार को ज़बरदस्ती लोगों को क्रूरता से मारे जाते हुए देखने के लिए मज़बूर किया जाता। इस वज़ह से मॉरीआ को नर्वस ब्रेकडाउन हो गया जिससे वह आज तक उभर नहीं पाई है। आखिरकार, मुझे मॉरीआ और बच्चों को लुआन्डा ले जाने की अनुमति मिल गई जहाँ मेरी दो सबसे बड़ी बेटियों, टरेज़ा और ज़ूएना ने उनकी देखभाल की।
आज़ाद हुआ, मगर फिर से कैद
उसके अगले साल सितंबर १९७० में मुझे छोड़ दिया गया और मैं अपने परिवार और लुआन्डा के सभी भाई-बहनों से फिर से मिल पाया। नौ साल तक मैं कैद में बंद था मगर बाहर जिस तरह प्रचार काम में बढ़ोतरी हुई थी, उसे देखकर मेरी आँखों से आँसू छलक आए। सन् १९६१ में जब मुझे कैद के लिए ले जाया गया था तब लुआन्डा की कलीसिया में बस चार छोटे-छोटे समूह थे। आज वहाँ चार बड़ी-बड़ी कलीसियाएँ हैं जो अच्छी तरह से संगठित हैं और जिनको मदद देने के लिए हर छ: महीने में यहोवा के संगठन का एक प्रतिनिधि आता है। आज़ादी पाकर मैं बेहद खुश था, मगर ये आज़ादी बस थोड़े दिन की थी।
एक दिन पोलिस फार इन्वॆस्टीगेशन एण्ड डिफेन्स ऑफ द स्टेट (PIDE) के डायरेक्टर जनरल ने मुझे बुलाया। अब यह विभाग नहीं है। डायरेक्टर जनरल ने मेरी बेटी ज़ूएना के सामने पहले तो मेरी बड़ी तारीफ की, फिर मेरे हाथों में साईन करने के लिए एक कागज़ थमा दिया। यह PIDE का जासूस बनने की अरज़ी थी और इसमें मुझसे यह वादा किया गया था कि इस काम के लिए मुझे काफी भौतिक चीज़ें दी जाएँगी। जब मैंने साईन करने से इंकार कर दिया तो मुझे धमकी दी गयी कि मुझे साउ नीकूलाउ के कैदखाने में वापस भेज दिया जाएगा जहाँ से मुझे फिर कभी आज़ाद नहीं किया जाएगा।
इन धमकियों के मुताबिक ही उन्होंने गिरफ्तारियाँ शुरू कर दीं। और सिर्फ चार महीने की आज़ादी के बाद ही जनवरी १९७१ में, मुझे और लुआन्डा के ३७ मसीही प्राचीनों को गिरफ्तार करके साउ नीकुलाऊ भेज दिया गया। वहाँ हमें अगस्त १९७३ तक कैद में रखा गया।
आज़ादी के बावजूद सताहट
सन् १९७४ में, पुर्तगाल में धार्मिक आज़ादी की घोषणा की गई और बाद में पुर्तगाल के अधिकार क्षेत्र में आनेवाले राज्यों पर भी धार्मिक आज़ादी की घोषणा कर दी गई। नवंबर ११, १९७५ में अंगोला को पुर्तगाल से आज़ादी मिल गई। वो बेहद खुशी का समय था क्योंकि उस साल हम मार्च में आज़ादी के साथ पहली बार सर्किट सम्मेलन आयोजित कर पाए थे! मुझे लुआन्डा के स्पोट्र्स स्टेडियम में खुशी से झूम रही भीड़ के लिए पब्लिक टॉक देने का सुअवसर मिला।
पूरे अंगोला में गृह-युद्ध छिड़ा हुआ था और नई सरकार हमारी निष्पक्ष स्थिति का विरोध कर रही थी। हालात इतने खराब हो गए थे कि सभी गोरे साक्षियों को देश छोड़कर भाग जाना पड़ा। यहोवा के साक्षियों की पुर्तगाल ब्रांच के निरीक्षण में, अंगोला में प्रचार कार्य की देखरेख का काम वहाँ के हम तीन भाइयों को सौंपा गया।
जल्द ही मेरा नाम अखबार में आने लगा, और रेडियो पर भी सुना जाने लगा। मुझ पर यह इलज़ाम लगाया गया था कि मैं दूसरे देश का जासूस हूँ। और अंगोला के साक्षियों द्वारा हथियार न उठाने के लिए मैं ही ज़िम्मेदार हूँ। इसलिए मुझे लुआन्डा के पहले गवर्नर के सामने हाज़िर किया गया। मैंने उसे बड़े आदर से बताया कि दुनिया भर में यहोवा के साक्षी इस मामले में तटस्थ हैं, और यीशु मसीह के शुरूआती चेले भी तटस्थ थे। (यशायाह २:४; मत्ती २६:५२) जब मैंने उसे बताया कि कोलोनल शासन के समय मैं १७ से ज़्यादा साल कैद और लेबर कैम्प में बिता चुका हूँ, तब उसने मुझे गिरफ्तार नहीं किया।
उन दिनों अंगोला में यहोवा के साक्षी के तौर पर सेवा करने के लिए बहुत हिम्मत की ज़रूरत पड़ती थी। मेरे घर पर नज़र रखी गयी थी, इसलिए हमने वहाँ मीटिंग करनी बंद कर दी। लेकिन जैसा कि प्रेरित पौलुस ने कहा, ‘हमने चारों ओर से क्लेश तो भोगा, पर संकट में नहीं पड़े।’ (२ कुरिन्थियों ४:८) हमने कभी भी प्रचार-कार्य बंद नहीं किया। मैं सफरी ओवरसियर की हैसियत से प्रचार-कार्य में लगा रहा और बनग्वेला, वीला और ह्वामबो राज्यों की कलीसियाओं को मज़बूत करता रहा। उन समय मैंने अपना नाम बदलकर भाई फाईलमोन रखा था।
मार्च १९७८ में हमारे प्रचार-कार्य पर फिर से पाबंदी लगा दी गई, और मुझे विश्वसनीय सूत्रों से पता चला कि कट्टर क्रांतिकारी मुझे मार डालने की ताक में हैं। इसलिए मैं नाइजीरिया के भाई के घर में जाकर शरण ली जो अंगोला में, नाइजीरिया एम्बैसी में काम करता था। एक महीने बाद, जब मामला ठण्डा पड़ गया तो मैं फिर से सर्किट ओवरसियर की हैसियत से भाइयों की सेवा करने में जुट गया।
पाबंदी और गृह-युद्ध के बावजूद हज़ारों अंगोलावासी, प्रचार करने पर हमारी बातें सुनते थे। लोग काफी तादाद में साक्षी बन रहे थे इसलिए प्रचार-कार्य का प्रबंध करने के लिए पुर्तगाल ब्रांच के निरीक्षण में, अंगोला में एक कन्ट्री कमेटी बनाई गई। इस बीच मुझे बहुत बार पुर्तगाल जाने का मौका मिला। वहाँ मुझे अनुभवी भाइयों से बहुत अच्छी ट्रेनिंग मिली और स्वास्थ्य मदद भी मिली।
आखिरकार प्रचार करने की आज़ादी!
जब मैं लेबर कैम्प में था तो राजनैतिक वज़हों से कैद हुए लोग अकसर मेरा मज़ाक उड़ाते थे और कहते थे कि अगर मैं ऐसे ही प्रचार करता रहा तो मुझे कभी भी आज़ाद नहीं किया जाएगा। मगर मैं उन्हें जवाब देता: “अभी यहोवा के लिए द्वार खोलने का समय नहीं हुआ है मगर जब उसका समय आएगा, तब कोई भी इंसान उस द्वार को बंद नहीं कर सकेगा।” (१ कुरिन्थियों १६:९; प्रकाशितवाक्य ३:८) सन् १९९१ में सोवियत संघ सरकार गिरने के बाद, खुलेआम प्रचार करने के लिए द्वार और भी पूरी तरह से खुल गया है। उस समय से हमें अंगोला में उपासना के लिए ज़्यादा आज़ादी मिली लगी। सन् १९९२ में यहोवा के साक्षियों के काम को कानूनी तौर पर मान्यता मिल गयी। फिर १९९६ में, अंगोला में यहोवा के साक्षियों की ब्रांच बनाई गई और मुझे उस ब्रांच कमेटी का सदस्य बनाया गया।
जब मैं इतने साल कैद में था, तब किसी-न-किसी तरह से मेरे परिवार की देखभाल हमेशा होती रही। हमारे छ: बच्चे थे जिनमें से आज पाँच ज़िंदा हैं। पिछले साल कैंसर की वज़ह से हमारी प्यारी ज़ूएना की मृत्यु हो गई। चार बच्चों का बपतिस्मा हो चुका है और एक ने अभी तक बपतिस्मे के लिए कदम नहीं उठाया है।
सन् १९५५ में जब भाई कुक हमसे मिलने आए थे, उस समय अंगोला में परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनानेवाले सिर्फ चार जन थे। आज इस देश में ३८,००० से ज़्यादा राज्य-प्रचारक हैं, और वे हर महीने ६७,००० से ज़्यादा लोगों के साथ बाइबल स्टडी करते हैं। राज्य का सुसमाचार प्रचार करनेवालों में बहुत-से ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने हमें पहले सताया था। यह सब यहोवा की तरफ से मेरे लिए एक बड़ी आशीष है! मैं यहोवा का कितना शुक्रगुज़ार हूँ कि उसने मेरी रक्षा की, और मुझे ये मौका दिया कि उसका वचन प्रचार करने की अपनी प्रबल इच्छा पूरी कर सकूँ!—यशायाह ४३:१२; मत्ती २४:१४.
[पेज 22, 23 पर नक्शा]
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
काँगो का डैमोक्रॆटिक रिपब्लिक
किनशॉसा
अंगोला
मॉकीला डू ज़ोमबो
लुआन्डा
साउ नीकुलाउ (अब बॆनटीऑबा)
मूसामाडिश (अब नामीबे)
बॉईआ डूस टीगराश
सॆरपा पीनटू (अब मॆनोनगो)
[चित्र का श्रेय]
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[पेज 24, 25 पर तसवीरें]
नीचे: सन् १९५५ में जॉन कुक के साथ। सॉला फाइलमोन बाँई तरफ हैं
दाएँ: ४२ साल के बाद जॉन कुक से फिर मिलना
[पेज 25 पर तसवीर]
अपनी पत्नी मॉरीआ के साथ