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अपने बच्चों को दुर्घटनाओं से बचाइए

स्वीडन के सजग होइए! संवाददाता द्वारा

हाना लगभग तीन बरस की है। उसके मम्मी-पापा का नाम कार्ल-एरिक और बॆरगिटा है। हाना अपने मम्मी-पापा के साथ, पड़ोसी के घर की साफ-सफायी करने गयी थी जिसकी मौत हो चुकी थी। कुछ समय बाद, हाना अपने हाथ में दवा की एक छोटी शीशी लेकर एक कमरे से बाहर आयी। उसने उसमें से कुछ गोलियाँ खा ली थी। जब बॆरगिटा ने ध्यान से शीशी देखी तो उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गयी! इस शीशी में तो उस पड़ोसी के दिल के रोग की दवा थी!

हाना को फटाफट अस्पताल ले जाया गया जहाँ उसे पूरी रात इंटॆनसिव केयर में रखा गया। हालाँकि यह ऐसी दवा थी जिससे हाना की सेहत को हमेशा-हमेशा के लिए नुकसान पहुँच सकता था, मगर उस पर इस दवा का कोई बुरा असर नहीं हुआ। क्यों? क्योंकि इन गोलियों को खाने से कुछ ही समय पहले उसने दलिया खाया था। सो, इस भोजन ने गोलियों के कुछ ज़हर को सोख लिया था जिसे हाना को उल्टी करवाकर निकाल दिया गया था।

हाना के साथ जो हुआ वह कोई नयी बात नहीं है। क्योंकि हर रोज़, दुनिया भर में हज़ारों बच्चों के साथ कुछ ऐसी ही दुर्घटना होती रहती हैं जिससे डॉक्टर के पास या अस्पताल जाना ज़रूरी हो जाता है। हर साल, स्वीडन में हर ८ में से एक बच्चे को किसी दुर्घटना के बाद डॉक्टरी इलाज की ज़रूरत होती है। इसीलिए, अगर आपके घर में भी बच्चे हों तो इसकी गुंजाइश ज़्यादा है कि आपके बच्चे के साथ भी कुछ इसी तरह की दुर्घटना हो सकती है।

यह तो आम बात है कि बच्चों को घर पर या घर के आसपास के परिचित माहौल में अकसर चोट लग जाती है। और जैसे-जैसे वे बड़े होते जाते हैं, वैसे-वैसे उन्हें अलग-अलग किस्म की चोटें लगती हैं। एक शिशु को थोड़े समय के लिए अकेले बिस्तरे पर छोड़ा जाए तो वह बड़ी आसानी से नीचे गिर सकता है या भोजन का कोई छोटा टुकड़ा या कोई छोटी चीज़ गले में अटक जाए तो उसका दम घुट सकता है। छोटे बच्चे यहाँ-वहाँ चढ़ने की कोशिश करते वक्‍त अकसर गिर जाते हैं या हाथ की पहुँच में रखी चीज़ों को छूते वक्‍त जल सकते हैं या वे कोई ऐसी चीज़ खा सकते हैं जो ज़हरीली हो। स्कूल जानेवाले बच्चों को अकसर आती-जाती गाड़ियों से या बाहर मैदान में खेलते वक्‍त चोट लग सकती है।

इनमें से कई दुर्घटनाओं को होने से रोका जा सकता है। अगर आप थोड़ी-सी सूझ-बूझ से काम लेते हैं और बच्चे की बढ़ती उम्र को ध्यान में रखते हुए सावधानी बरतते हैं, तो आप बच्चों को चोट लगने से या किसी बड़ी दुर्घटना से बचा सकते हैं। इस बात को १९५४ से स्वीडन में चलाए जा रहे एक ऑर्गनाइज़्ड चाइल्ड-सेफ्टी प्रोग्राम ने साबित किया है। उस समय से पहले, हर साल लगभग ४५० बच्चे दुर्घटनाओं से मरते थे। मगर आज, दुर्घटनाओं से मरनेवाले बच्चों की संख्या गिरकर सालाना ७० हो गयी है।

घर की चार-दीवारी के अंदर

चाइल्ड साइकॉलॉजिस्ट किशटिन बाकस्ट्रोम कहती है, “आप एक साल के, दो साल के, या तीन साल के बच्चों को खतरों से दूर रहना नहीं सिखा सकते, ना ही उनसे इन बातों को ध्यान में रखने की उम्मीद कर सकते हैं।” इसलिए, अपने बच्चों को दुर्घटनाओं से दूर रहने में मदद करने की ज़िम्मेदारी आप माँ-बाप पर या उन बड़ों पर है जिनके साथ बच्चा अकसर रहता है।

सबसे पहले, अपने घर के चारों तरफ नज़र दौड़ाइए। साथ में दिए गए बक्स की चेकलिस्ट का इस्तेमाल कीजिए। शायद हर देश में सुरक्षा के कुछ यंत्र उपलब्ध न हों या फिर वे बहुत ही महँगे हों। फिर भी थोड़ी-सी तरकीब भिड़ाने और दिमाग लड़ाने से, आप शायद कुछ ऐसे तरीके ढूँढ़ सकते हैं जो आपके घर के लिए ठीक हों और जिनसे आप अपना काम चला सकें।

मिसाल के तौर पर, अगर आपके किचन की दराज़ों पर लूप-समान हैंडल हैं, तो आप हैंडलों के बीच एक मज़बूत लकड़ी डालकर उन्हें लॉक कर सकते हैं। उसी तरह की कोई तरकीब इस्तेमाल करके आप कैबिनॆटवाले अवन के दरवाज़े को भी लॉक कर सकते हैं। और प्लास्टिक की थैलियों से होनेवाले खतरों को कम करने के लिए उन्हें गाँठ बाँधकर कहीं सुरक्षित जगह पर रख सकते हैं।

इनके अलावा शायद आप कुछ दूसरी आसान तरकीब ढूँढ़ सकते हैं जिनसे घर पर या घर के आस-पास, दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है। आप इन तरकीबों को अपने यार-दोस्तों और जान-पहचान के लोगों को भी बता सकते हैं जिनके यहाँ छोटे-छोटे बच्चे हैं।

घर के बाहर

उन जगहों को अच्छी तरह से देखिए जहाँ-जहाँ आपका बच्चा खेलता है। चार साल से ऊपर के बच्चों को ज़्यादातर चोट तभी लगती है जब वे घर के बाहर खेलते हैं। गिर जाने पर उन्हें चोट लग सकती है या फिर साइकिल चलाते वक्‍त वे गिरकर चोट खा सकते हैं। आम तौर पर तीन से सात की उम्रवाले बच्चों के साथ सबसे खतरनाक दुर्घटना, सड़कों पर आती-जाती गाड़ियों से या पानी में डूबकर मरने से होती है।

बच्चों के खेल के मैदान का मुआयना करके देखिए कि वहाँ रखी गयी खेल की चीज़ें सही-सलामत हैं या नहीं ताकि खेलते वक्‍त बच्चे को चोट न लग जाए। झूलों, बच्चों के चढ़ने-उतरने के लिए बनाए गए फ्रेम्स, और उसी तरह की दूसरी खेल की चीज़ों के नीचे क्या बालू जैसी कुछ नरम वस्तु डाली गयी है जिससे गिरने पर बच्चे को चोट न लगे?

क्या आपके घर के आस-पास कोई पोखर या नदी है? एक या दो साल के बच्चे को डूबकर मरने के लिए केवल कुछ सेंटीमीटर ऊँचा पानी ही काफी है। चाइल्ड साइकॉलॉजिस्ट बाकस्ट्रोम कहती है, “जब एक छोटा बच्चा थोड़े-से पानी में औंधे मुँह गिरता है तो वह यह आभास खो बैठता है कि ऊपर की तरफ कौन-सा है और नीचे की तरफ कौन-सा। इसलिए वह बस वापस उठ ही नहीं सकता।”

इसलिए सबसे ज़रूरी नियम यह है: जब एक से तीन साल की उम्र के बच्चे की देखभाल करने के लिए आस-पास कोई बड़ा व्यक्‍ति न हो, तो उसे अकेले खेलने के लिए मत छोड़िए। अगर आस-पास थोड़े-से पानी का कोई पोखर भी हो, तो बच्चे को तब तक बिना किसी के निगरानी के बाहर खेलने मत दीजिए जब तक कि वह काफी बड़ा न हो जाए।

सड़कों पर

यही बात तब भी लागू होती है जब आपका घर सड़क के आस-पास हो। बाकस्ट्रोम कहती है, “जो बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं या फिर अभी-अभी स्कूल जाना शुरू किया है, वैसे बच्चे सिर्फ एकदम साफ-साफ लिखे गए सिगनल्स ही समझ सकते हैं और एक समय पर बस एक चीज़ पर ही ध्यान लगा सकते हैं। मगर सड़कों पर तो हर तरह के पेचीदा और दोहरे मतलबवाले सिगनल्स होते हैं।” जिन बच्चों की अब तक स्कूल जाने की उम्र नहीं हुई है, उन्हें अपने आप सड़क पार करने मत दीजिए। साथ ही, विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे तब तक अपने आप किसी व्यस्त सड़क पर साइकिल चलाने के काबिल नहीं होते जब तक कि वे १२ साल के नहीं हो जाते।

बच्चों को साइकिल चलाते वक्‍त, किसी जानवर पर सवारी करते वक्‍त, रोलर स्केट्‌स चलाते वक्‍त या बर्फगाड़ी (toboggan) चलाकर मज़ा लूटते वक्‍त सुरक्षा-हेल्मॆट पहनना सिखाइए। क्योंकि सर की चोटों का इलाज करना मुश्‍किल होता है और इनसे कभी-कभी हमेशा के लिए नुकसान हो सकता है, यहाँ तक कि जान भी जा सकती है! बच्चों के एक क्लिनिक में देखा गया कि साइकिल दुर्घटना की शिकायत लेकर आए बच्चों में से ६० प्रतिशत बच्चों के सर और चेहरे पर चोटें लगीं थीं, मगर जिन बच्चों ने हेल्मॆट पहन रखा था उनके सिर पर गहरी चोटें नहीं आयी थीं।

साथ ही, इस बात पर भी काफी ध्यान दीजिए कि कार से सफर करते वक्‍त आपका बच्चा सुरक्षित है। कई देशों में ऐसे कानून हैं कि छोटे बच्चों को एक खास तौर पर बनायी गयी सेफ्टी-सीटों पर बॆल्ट से बाँधा जाना चाहिए। इससे सड़क-दुर्घटनाओं में बच्चों के चोट लगने और उनके मरने की दर में काफी गिरावट आयी। अगर आपके इलाके में भी सेफ्टी-सीट मिलती हैं तो आप इसे खरीद लीजिए। इससे जान जाने की गुंजाइश कम रहती है। मगर यह ध्यान रखिए कि यह सेफ्टी-सीट किसी मान्यता-प्राप्त कंपनी की ही हो। यह भी ध्यान रखिए कि शिशुओं के लिए बनी सीट, तीन से ऊपर की उम्रवाले बच्चों की सीट से अलग होती हैं।

हमारे बच्चे यहोवा की तरफ से अनमोल देन हैं और हम उनकी हर तरह से हिफाज़त करना चाहते हैं। (भजन १२७:४) ज़्यादातर माँ-बाप की तरह, कार्ल-एरिक और बॆरगिटा को भी हमेशा अपने बच्चों की सुरक्षा की फिक्र रहती है। उनको ऐसी फिक्र शुरू से ही थी, हाना के साथ हुए हादसे से पहले भी और बाद में भी। कार्ल-एरिक कहता है, “मगर हम उस हादसे के बाद और भी चौकन्‍ने हो गए हैं।” बॆरगिटा कहती है, “अब तो हमारे बच्चों के भी बच्चे हो गए हैं और हम हमेशा यह ध्यान रखते हैं कि हमारी दवाइयाँ ताले-चाबी में बंद हों।”

[पेज 22 पर बक्स]

घर में सुरक्षा

• दवाइयाँ: इन्हें बंद करके ऐसे कपबोर्ड या दराज़ में रखिए जो बच्चे की पहुँच से बाहर हो। जड़ी-बूटियों और विटामिन की दवाइयों को भी बच्चों की पहुँच से दूर रखिए। साथ ही, रात को ठहरनेवाले मेहमानों से अपनी दवाइयाँ बच्चे की पहुँच से बाहर रखने के लिए कहिए।

• घर पर इस्तेमाल होनेवाले रसायन: इन्हें भी कपबोर्ड में ताला लगाकर बच्चे की पहुँच से बाहर रखिए। उन्हें उनके असली डब्बों में ही रहने दीजिए ताकि ये साफ-साफ पहचान में आएँ। जब आप इन सबका इस्तेमाल कर रहे हों तो इन पर पूरा-पूरा ध्यान दीजिए और उन्हें हमेशा वापस उनकी जगह रख दीजिए, तब भी जब आप कमरे से बस चंद मिनटों के लिए बाहर जा रहे हों। अपने डिशवॉशर यानी बरतन धोने की मशीन में बचा-कुचा डिटरजॆन्ट वगैरह कभी मत रहने दीजिए।

• स्टोव: पैन के हैंडल को स्टोव पर हमेशा अंदर की तरफ घुमाकर रखिए। अगर बाज़ार में उपलब्ध हो तो सॉसपैन गार्ड, यानी स्टोव के चारों तरफ एक गार्ड लगवा लीजिए जिससे बच्चे का हाथ स्टोव तक न पहुँच पाए। कैबिनॆटवाले स्टोव में टिल्ट-गार्ड लगवा लीजिए यानी स्टोव अच्छी तरह से ज़मीन या दीवार से लगा हुआ होना चाहिए, ताकि बच्चा अगर कैबिनॆट में बने अवन के दरवाज़े पर चढ़ने की कोशिश भी करे तो वह उसके ऊपर नहीं गिरेगा। अवन के दरवाज़े पर भी किसी तरह का लॉक होना चाहिए। अगर बच्चा अवन डोर को छूता है तो क्या वह जल सकता है? अगर ऐसी बात है तो अवन डोर पर किसी तरह का गार्ड या जालीवाला ग्रिल लगवा लीजिए ताकि बच्चे का हाथ अवन के गर्म दरवाज़े तक न पहुँच पाए।

• घरेलू चीज़ें जो खतरनाक साबित हो सकती हैं: चाकू-छूरियाँ, कैंचियाँ और दूसरी खतरनाक चीज़ों को कपबोर्ड में या दराज़ों में ताला मारकर रखना चाहिए या इन्हें बच्चों की पहुँच से बाहर रखना चाहिए। जब आप ऐसी चीज़ों का इस्तेमाल कर रहे हों और बस कुछ देर के लिए कहीं रख देते हों तो उन्हें मेज़ या काउंटर के किनारे पर मत रखिए, जहाँ बच्चे का हाथ पहुँच सकता है। माचिस और प्लास्टिक की थैलियाँ भी छोटे बच्चों के लिए खतरे से खाली नहीं हैं।

• सीढ़ियाँ: सीढ़ियों के ऊपर और नीचे, दोनों ही जगहों पर कम-से-कम ३० ईंच ऊँचे गेट लगवा लीजिए।

• खिड़कियाँ और बालकनी के दरवाज़े: इनमें किसी तरह के लॉक या सेफ्टी यंत्र लगवा लीजिए ताकि बच्चा इन्हें खोल न पाए। या फिर, खिड़कियों और बालकनी के दरवाज़ों पर ऐसी जगह जंज़ीरें लगवाइए, जहाँ बच्चे का हाथ नहीं पहुँच पाए, ताकि बच्चा किसी भी तरह बाहर न निकल पाए।

• बुकशेल्फ्स: अगर आपके बच्चे को चढ़ना और चीज़ों से लटकना पसंद है तो यह ध्यान में रखें कि बुकशेल्फ्स और दूसरे बड़े या ऊँचे फर्नीचर दीवार से अच्छी तरह लगे हुए हों ताकि वे बच्चे पर न गिरें।

• बिजली के सॉकेट्‌स और तार: जो सॉकेट्‌स इस्तेमाल नहीं किए जा रहे हैं उन पर किसी तरह का लॉक लगा देना चाहिए। टेबल लैम्प वगैरह की तार को खुला नहीं रखना चाहिए बल्कि उन्हें दीवार से या किसी फर्नीचर आदि से अच्छी तरह लगा देना चाहिए ताकि अगर बच्चा लैम्प को खींचता है तो उसे शॉक न लगे ना ही लैम्प के गिरने से उसे चोट लगे। नहीं तो, ऐसे लैम्पों को हटा दीजिए। इस्त्री करने की जगह पर इस्त्री को यूँ ही मत छोड़ दीजिए और उसकी तार को भी खुला लटकने मत दीजिए।

• गर्म पानी: अगर आपके पास गीज़र से नल में आनेवाले गर्म पानी के तापमान को कम-ज़्यादा करने की सुविधा हो, तो आपको उसे लगभग ५० डिग्री सेल्सिअस तक कम कर देना चाहिए। तब अगर बच्चा नल चालू कर भी दे तो उसके शरीर का कोई अंग जलेगा नहीं।

• खिलौने: उन खिलौनों को फेंक दीजिए जिनके किनारे बहुत ही पैने हैं। और ऐसे छोटे खिलौनों को या उन खिलौनों को फेंक दीजिए जिन्हें छोटे-छोटे पुर्ज़ों में अलग किया जा सकता है। क्योंकि इन छोटे-छोटे पुर्ज़ों को मुँह में डाल लेने से बच्चे का दम घुट सकता है। बच्चे की गुड़ियों या टैड्डी बैर जैसे खिलौनों की आँखें और नाक वगैरह अच्छी तरह से चिपकी हुई होनी चाहिए। साथ ही, अपने बड़े बच्चों को सिखाइए कि अगर छोटा बच्चा फर्श पर खेल रहा हो तो वे अपने छोटे खिलौनों को फर्श पर पड़ा रहने न दें।

• टॉफी, कैंडी और स्नैक्स: मूँगफली या टॉफी या कैंडी जैसी मिठाइयों को ऐसी जगह न रखें जहाँ बच्चे का हाथ पहुँच सकता है। ये सब चीज़ें बच्चे के गले में अटक सकती हैं।

[चित्र का श्रेय]

स्रोत: The Office of the Children’s Ombudsman

[पेज 22 पर बक्स]

दुर्घटना हो जाने पर

• ज़हर खा लेने पर: अगर बच्चे ने कोई ज़हरीली चीज़ पी ली हो, तो पहले पानी से उसका मुँह अच्छी तरह धोइए और फिर एक या दो ग्लास पानी या दूध पिलाइए। उसके बाद, किसी डॉक्टर से या पॉइसन इंफॉरमेशन सेंटर से सलाह लीजिए। अगर बच्चे की आँख में कुछ ज़हरीला रसायन चला जाता है तो फौरन आँखों को ढेर सारे पानी से, कम-से-कम दस मिनट तक अच्छी तरह धोइए।

• जल जाने पर: अगर हलका-फुल्का जल गया हो तो उस जगह पर कम-से-कम २० मिनट तक ठंडा पानी (लेकिन बहुत ज़्यादा ठंडा नहीं) उँडेलते रहिए। अगर घाव, बच्चे की हथेली से बड़ा हो या चेहरे पर, किसी जोड़ पर या पेट के नीचे या जननांगों पर हो, तो आपको उसे फौरन अस्पताल के कैशुअलटी वॉर्ड में ले जाना चाहिए। त्वचा पर हुए गहरे घावों का इलाज हमेशा डॉक्टरों से करवाना चाहिए।

• दम घुटना: अगर कोई चीज़ बच्चे की श्‍वास-नली में अटक जाती है तो यह बहुत ही ज़रूरी है कि उसे फौरन निकाला जाए। उसे निकालने का एक सबसे बढ़िया तरीका है हेइमलिक मनूवर जिससे कि गले में अटकी हुई चीज़ बाहर निकल आए। अगर आपको इस बारे में पता नहीं है तो जानने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क कीजिए या फिर कोई चाइल्ड-एक्सीडेंट या फस्ट-एड कोर्स कीजिए जिसमें यह तरीका सिखाया जाता है।

[चित्र का श्रेय]

स्रोत: The Swedish Red Cross

[पेज 23 पर तसवीर]

साइकिल चलाते वक्‍त खास सुरक्षा-हेल्मॆट पहने हुए

[पेज 23 पर तसवीर]

कार की सीट पर सुरक्षित

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