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पहले पेज का विषय | मुसीबत का दौर कैसे करें पार

जब जानलेवा बीमारी हो जाए

अर्जण्टिना में रहनेवाली मॉबेल शारीरिक सुधार-केंद्र में एक डॉक्टर (फिज़िकल रिहैबिलिटेशन थैरपिस्ट) थी। वह काफी सेहतमंद और चुस्त-दुरुस्त रहती थी। सन्‌ 2007 में अचानक उसकी तबियत बिगड़ने लगी। वह बहुत थकी-थकी-सी रहने लगी और हर दिन उसके सिर में बहुत तेज़ दर्द रहने लगा। वह कहती है, “कई डॉक्टरों को दिखाया, हर तरह का इलाज करवाया, मगर कोई फायदा नहीं हुआ।” आखिरकार मॉबेल ने एम.आर.आई. स्कैन करवाया, जिससे पता चला कि उसे ब्रेन ट्यूमर (दिमाग में गाँठ) है। वह कहती है, “रिपोर्ट देखकर मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गयी! यकीन ही नहीं हो रहा था कि मुझे इतनी बड़ी बीमारी है।”

मॉबेल

वह कहती है, बीमारी का पता लगने के बाद भी “जब तक मेरा ऑपरेशन नहीं हुआ, मैं समझ नहीं पायी कि मेरी हालात कितनी गंभीर है। ऑपरेशन के बाद जब मुझे होश आया, तब पता चला कि मैं तो हिल-डुल भी नहीं सकती, बस बिस्तर पर लेटे-लेटे छत निहार सकती हूँ! ऑपरेशन से पहले मैं बहुत चुस्त-दुरुस्त थी, सबकुछ खुद कर सकती थी। पर एक ही झटके में सबकुछ बदल गया। अब मैं अपने आप से कुछ नहीं कर सकती। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि करूँ तो क्या करूँ। आई.सी.यू. में चारों तरफ शोर ही शोर था, उपकरणों की आवाज़, एमरजंसी अलार्म, दूसरे मरीज़ों का दर्द से कराहना, पूरी तरह मैं दर्द और तकलीफों से घिरी थी।”

“आज मैं थोड़ी-बहुत ठीक हूँ। बगैर किसी की मदद के चल-फिर सकती हूँ। कभी-कभी मैं अकेले बाहर भी चली जाती हूँ। पर अफसोस मेरी आँखों में खराबी आ गयी, मुझे सबकुछ दो-दो दिखायी देता है। मेरी मास-पेशियाँ अब भी ठीक से काम नहीं करतीं।”

मुसीबतों का दौर कैसे पार करें

एक सही नज़रिया बनाए रखिए। बाइबल में नीतिवचन 17:22 कहता है “मन का आनन्द अच्छी औषधि है, परन्तु मन के टूटने से हड्डियां सूख जाती हैं।” मॉबेल कहती है, “जब मैं धीरे-धीरे ठीक हो रही थी, तब मुझे उन्हीं मुश्‍किलों का सामना करना पड़ रहा था, जिनका मेरे मरीज़ सामना करते थे। मुझे जो कसरत करायी जाती थी, उससे मुझे बहुत दर्द होता था। कई बार मन में आता सब छोड़-छाड़ दूँ। मन से ऐसे खयाल निकालने के लिए मुझे खुद से बड़ी जद्दोजेहद करनी पड़ती थी, क्योंकि मैं जानती थी कि अभी मेहनत कर ली तो आखिर में अच्छे नतीजे मिलेंगे।”

एक सच्ची आशा पर ध्यान लगाए रखिए, ताकि आप धीरज धर सकें। मॉबेल कहती है, “मैंने बाइबल से सीखा है कि इंसानों पर दुख-तकलीफें क्यों आती हैं। पर मैं यह भी जानती हूँ कि जैसे-जैसे दिन गुज़रते हैं, हम उस वक्‍त के और भी करीब आते जा रहे हैं जब दुख-दर्द हमेशा के लिए मिटा दिया जाएगा।a

यकीन रखिए, परमेश्‍वर आपकी परवाह करता है। (1 पतरस 5:7) मॉबेल बताती है कि इस बात से उसे कैसे मदद मिली: “जब मुझे ऑपरेशन के लिए ले जाया जा रहा था, तब मैंने पाया कि बाइबल में यशायाह 41:10 में लिखे शब्द वाकई सच हैं। वहाँ परमेश्‍वर कहता है, ‘मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं।’ मुझे इस बात से बहुत सुकून मिला कि मैं जिस दर्द से गुज़र रही हूँ वह यहोवा परमेश्‍वर जानता है, वह सच में मेरी परवाह करता है।”

क्या आप जानते हैं? बाइबल कहती है एक वक्‍त ऐसा आएगा जब इंसानों को किसी भी तरह की बीमारी से नहीं जूझना पड़ेगा।—यशायाह 33:24; 35:5, 6. (g14-E 07)

a ज़्यादा जानकारी के लिए बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब का अध्याय 11 देखिए। यह ऑनलाइन www.pr418.com पर उपलब्ध है।

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