प्रस्तावनाएँ क्षेत्र सेवकाई में इस्तेमाल के लिए
टिप्पणियाँ: यह तय करने में कि आप क्षेत्र सेवकाई में भाग लेते समय किस प्रकार की प्रस्तावना इस्तेमाल करेंगे, तीन बातें ध्यानपूर्वक विचार के योग्य हैं: (१) वह संदेश जिसे पहुँचाने के लिए हमें विशेष आदेश दिया गया है “राज्य का सुसमाचार” है। (मत्ती २४:१४) जब हम प्रत्यक्ष रूप से इसकी चर्चा नहीं कर रहे हैं तब भी, हमारे ध्यान में इसकी ज़रूरत समझने में लोगों की मदद करना, या शायद इसे विचार किए जाने में आयी बाधाओं को निकालना होना चाहिए। (२) मिलनेवाले लोगों की ख़ैरियत के लिए सच्ची चिन्ता ने जिस तरह यीशु की मदद की उसी तरह हमें भी उनके हृदय तक पहुँचने में मदद करेगी। (मर. ६:३४) ऐसी असली दिलचस्पी एक स्नेही मुस्कान और मैत्रीपूर्ण व्यवहार से तथा जब वे बोलते हैं उनकी बातों को सुनने के लिए तत्परता से और फिर तदनुसार अपनी टिप्पणियों को अनुकूल बनाने से शायद सूचित हो। साथ ही सवालों के इस्तेमाल से भी असली दिलचस्पी सूचित हो सकती है जो उन्हें ख़ुद को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ताकि हम बेहतर तरीक़े से उनका दृष्टिकोण समझ सकें। (१ कुरि. ९:१९-२३) (३) संसार के कुछ भागों में, अपनी भेंट का कारण बताने से पहले मेहमानों से ख़ास लोकाचार का पालन करने की अपेक्षा की जाती है। अन्य जगहों में शायद गृहस्थ अनिमंत्रित मेहमान से अपनी भेंट का कारण तुरन्त बताने की अपेक्षा करे।—लूका १०:५ से तुलना कीजिए.
निम्नलिखित प्रस्तावनाएँ दिखाती हैं कि कैसे कुछ अनुभवी गवाह वार्तालाप आरम्भ करते हैं। आप इन्हें बेशक अपने ख़ुद के शब्दों में डालना चाहेंगे। साथ ही, आप अपनी कलीसिया के अन्य गवाहों से, जिन्हें अच्छी सफलता मिली है, सुझाव लेना सहायक पाएँगे।
अरमगिदोन
• ‘अनेक लोग अरमगिदोन के बारे में चिन्तित हैं। उन्होंने विश्व नेताओं को सर्वव्यापी परमाणु युद्ध के संदर्भ में उस शब्द को इस्तेमाल करते हुए सुना है। आपका क्या विश्वास है, मानवजाति के लिए अरमगिदोन क्या अर्थ रखेगा? . . . दरअसल, यह नाम अरमगिदोन बाइबल से लिया गया है, और आम तौर पर जिसे व्यक्त करने के लिए यह शब्द इस्तेमाल किया जाता है उससे इसका अर्थ काफ़ी अलग है। (प्रका. १६:१४, १६) बाइबल यह भी दिखाती है कि बचने के दृष्टिकोण से ऐसी कुछ चीज़ें हैं जिन्हें हम व्यक्तिगत रूप से कर सकते हैं। (सप. २:२, ३)’
बाइबल/परमेश्वर
• ‘नमस्ते। आप के साथ एक महत्त्वपूर्ण संदेश बाँटने के लिए मैं संक्षिप्त भेंट कर रहा हूँ। कृपया ध्यान दीजिए कि बाइबल यहाँ क्या कहती है। (शास्त्रवचन पढ़िए, जैसे कि प्रकाशितवाक्य २१:३, ४.) इसके बारे में आप क्या सोचते हैं? क्या यह आपको अच्छा लगता है?’
• ‘जीवन की समस्याओं का सामना करने के लिए कहाँ व्यावहारिक सहायता प्राप्त करनी है, इसके बारे में हम अपने पड़ोसियों से बात कर रहे हैं। अतीत में, अनेक लोगों ने बाइबल से सलाह ली। लेकिन हम एक ऐसे समय में जीते हैं जब मनोवृत्तियाँ बदल रही हैं। इसके बारे में आप कैसा महसूस करते हैं? क्या आप विश्वास करते हैं कि बाइबल परमेश्वर का वचन है या क्या आप महसूस करते हैं कि यह मनुष्यों द्वारा लिखी गयी मात्र एक अच्छी किताब है? . . . अगर यह परमेश्वर से है, तो आपको क्या लगता है एक व्यक्ति इस बात पर कैसे यक़ीन कर सकता है?’
[• ‘आपको घर में पाकर मुझे ख़ुशी हुई। मैं अपने पड़ोसियों के साथ बाइबल (या, पवित्र शास्त्र) में से एक प्रोत्साहक विचार बाँट रहा हूँ। क्या आपने कभी विचार किया है: . . .? (एक ऐसा सवाल पूछिए जो आपके चर्चा के विषय में ले जाता है।)’]
• ‘हम लोगों को अपनी बाइबल पढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। महत्त्वपूर्ण सवालों के इसके जवाबों से लोग अकसर चकित हो जाते हैं। उदाहरण के लिए: . . . (भज. १०४:५; या दानि. २:४४; या कोई और)।’
• ‘हम आज अपने पड़ोसियों से संक्षिप्त भेंट कर रहे हैं। जिन लोगों से हम बात करते हैं, उनमें से कुछ को परमेश्वर पर भरोसा है। अन्य जनों को उसमें विश्वास करने में कठिनाई होती है। आपको कैसा लगता है? . . . बाइबल हमें भौतिक विश्व की सार्थकता पर विचार करने का प्रोत्साहन देती है। (भज. १९:१) जिसके नियम इन खगोलीय पिण्डों को नियंत्रित करते हैं उसने हमारे लिए भी बहुत उपयोगी निर्देशन प्रदान किया है। (भज. १९:७-९)’
अपराध/सुरक्षा
• ‘नमस्ते। हम लोगों से निजी सुरक्षा के बारे में बात कर रहे हैं। हमारे चारों ओर बहुत अपराध है, और यह हमारे जीवन पर असर करता है। क्या आपको लगता है कि एक ऐसा समय आएगा जब आपके और मेरे जैसे लोग रात को सड़क पर चल सकेंगे और सुरक्षित महसूस करेंगे? (या, क्या आपको लगता है कि किसी के पास इस समस्या का वास्तविक हल है?) . . . (नीति. १५:३; भज. ३७:१०, ११)’
[• ‘मेरा नाम —— है। मैं पड़ोस में रहता हूँ। जब मैं सुबह आ रहा था, मैं ने ध्यान दिया कि सब लोग (हाल ही में पड़ोस में हुए एक अपराध या स्थानीय चिन्ता के विषय का उल्लेख कीजिए) के बारे में बात कर रहे हैं। इसके बारे में आपका क्या विचार है? . . . क्या ऐसी कोई चीज़ है जो आपको लगता है कि हमारे जीवन को अधिक सुरक्षित बनाने में मदद करेगी? . . . (नीति. १:३३; ३:५, ६)’]
सामयिक घटनाएँ
• ‘नमस्ते। मेरा नाम —— है। मैं (सड़क या क्षेत्र का नाम बताइए) से एक पड़ोसी हूँ। क्या आपने कल रात टी.वी. पर समाचार देखा? . . . (चिन्ता के किसी सामयिक विषय का उल्लेख कीजिए) पर वह समाचार—उसके बारे में आपका क्या विचार है? . . . लोगों को यह पूछते हुए सुनना असाधारण नहीं है, इस संसार का क्या हो रहा है? हम यहोवा के गवाह होने के नाते विश्वास करते हैं कि हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं जिसे बाइबल ‘अन्तिम दिन’ कहती है। दूसरा तीमुथियुस ३:१-५ में इस विस्तृत वर्णन पर ध्यान दीजिए।’
• ‘क्या आपने इस सप्ताह इसे अख़बार में पढ़ा? (उपयुक्त कतरन दिखाइए।) आपको क्या लगता है . . . ?’
• ‘मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूँ। अगर आप चुन सकते, तो अब संसार के सम्मुख अनेक समस्याओं में से आप कौनसी समस्या का सब से पहले समाधान किया जाना पसंद करते? (यह जानने के बाद कि गृहस्थ की सबसे बड़ी चिन्ता क्या है, इसे अपनी चर्चा के आधार के रूप में इस्तेमाल कीजिए।)’
रोज़गार/घर
• ‘हम आपके पड़ोसियों से इस बारे में बात कर रहे थे कि सभी के लिए रोज़गार और घर होगा इसका आश्वासन दिलाने के लिए क्या किया जा सकता है। क्या आप विश्वास करते हैं कि यह अपेक्षा करना तर्कसंगत है कि मानवी सरकारें इसे पूरा करेंगी? . . . लेकिन ऐसा भी कोई है जो इन समस्याओं का हल निकालना जानता है; वह मनुष्यजाति का सृष्टिकर्ता है। (यशा. ६५:२१-२३)’
[• ‘हम अपने पड़ोसियों के साथ अच्छी सरकार के बारे में एक विचार बाँट रहे हैं। अधिकांश लोग ऐसे प्रकार की एक सरकार चाहेंगे जो भ्रष्टाचार से मुक्त है, जो सभी के लिए रोज़गार और अच्छे घर प्रदान करती है। आपको क्या लगता है, किस प्रकार की सरकार यह सब कर सकती है? . . . (भज. ९७:१, २; यशा. ६५:२१-२३)’]
परिवार/बच्चे
• ‘हम लोगों से बात कर रहे हैं जो इस बात में दिलचस्पी रखते हैं कि किस तरह हम पारिवारिक जीवन की समस्याओं का सामना बेहतर तरीक़े से कर सकते हैं। हम सब भरसक कोशिश करते हैं, लेकिन अगर कोई चीज़ है जो हमें ज़्यादा कामयाबी पाने में मदद कर सकती है, तो हमें उसमें दिलचस्पी होती है, है ना? . . . (कुलु. ३:१२, १८-२१) बाइबल हमारे सामने एक आशा रखती है जो हमारे परिवारों के लिए एक वास्तविक भविष्य पेश करती है। (प्रका. २१:३, ४)’
• ‘हम सब चाहते हैं कि हमारे बच्चों का जीवन सुखी हो। लेकिन क्या आपको ऐसा लगता है कि जिस मुसीबत में संसार आज है इससे एक ख़ुशहाल नतीजे की अपेक्षा करने का कोई ठोस कारण है? . . . सो, आपको क्या लगता है, हमारे बच्चे बड़े होने पर किस प्रकार के संसार का सामना करनेवाले हैं? . . . बाइबल दिखाती है कि परमेश्वर इस पृथ्वी को जीने के लिए एक सुन्दर जगह बनानेवाला है। (भज. ३७:१०, ११) लेकिन क्या हमारे बच्चे उस में भाग लेंगे यह शायद काफ़ी हद तक तो हमारे चुनाव पर निर्भर करे। (व्यव. ३०:१९)’
भविष्य/सुरक्षा
• ‘नमस्ते। आप कैसे हैं? . . . हम अपने पड़ोसियों के साथ भविष्य का एक सकारात्मक दृष्टिकोण बाँटने का प्रयत्न कर रहे हैं। क्या आप जीवन को उसी तरह देखने की कोशिश करते हैं? . . . क्या आप पाते हैं कि कुछेक स्थितियाँ इसे करना कठिन बनाती हैं? . . . मैं ने पाया है कि बाइबल इस सम्बन्ध में बहुत ही सहायक है। हमारे दिनों के हालातों का वर्णन बाइबल यथार्थता से करती है, लेकिन यह इनके अर्थ की व्याख्या भी करती है और बताती है कि नतीजा क्या होगा। (लूका २१:२८, ३१)’
• ‘नमस्ते। मेरा नाम —— है। आपका नाम? . . . मैं आप जैसे युवा लोगों को बाइबल में हमारे लिए दिए गए महान भविष्य पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा हूँ। (शास्त्रवचन पढ़िए, जैसे कि प्रकाशितवाक्य २१:३, ४.) क्या यह आपको अच्छा लगता है?’
गृह बाइबल अध्ययन
• ‘मैं आपको एक मुफ़्त गृह बाइबल कोर्स पेश करने के लिए भेंट कर रहा हूँ। अगर अनुमति दें, तो मैं कुछ मिनटों में प्रदर्शित करना चाहूँगा कि कैसे कुछ २०० देशों में पारिवारिक समूहों के तौर पर लोग घर में बाइबल पर चर्चा करते हैं। हम इन विषयों में से किसी एक को चर्चा के आधार के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। (अध्ययन पुस्तक से विषय-सूची को दिखाइए।) कौनसा विषय आपको ख़ास तौर पर दिलचस्प लगता है?’
•‘हम अपने पड़ोसियों को यह बाइबल अध्ययन सहायक दिखा रहे हैं। (उसे दिखाइए।) क्या आपने इसे पहले देखा है? . . . अगर आपके पास सिर्फ़ कुछ मिनट हों, तो मैं यह प्रदर्शित करना चाहूँगा कि किस तरह इसे बाइबल की आपकी प्रति के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है।’
अन्याय/दुःख-तकलीफ़
• ‘क्या आपने कभी सोचा है: क्या परमेश्वर इंसानों द्वारा अनुभव किए गए अन्याय और दुःख-तकलीफ़ के बारे में वास्तव में परवाह करता है? . . . (सभो. ४:१; भज. ७२:१२-१४)’
राज्य
• ‘मेरे पड़ोसियों के साथ बात करने में, मैं ने ध्यान दिया है कि अनेक जन एक ऐसी सरकार के अधीन जीना चाहते हैं जो वास्तव में हमारे सम्मुख बड़ी समस्याओं—अपराध और मँहगाई (या हाल में अनेकों के मन की कोई समस्या) को सुलझा सकती है। क्या आप मानते हैं कि यह चाहने योग्य होगा? . . . क्या आज ऐसी एक सरकार है? . . . अनेक लोगों ने असल में ऐसी एक सरकार के लिए प्रार्थना की है जो उन चीज़ों को कर सकती है। बेशक आपने उसके लिए प्रार्थना की होगी, लेकिन थोड़े लोग ही इसे एक सरकार के रूप में देखते हैं। (दानि. २:४४; भज. ६७:६, ७; मीका ४:४)’
• ‘हम अपने पड़ोसियों से एक सवाल पूछ रहे हैं। हम इस पर आपकी टिप्पणी की क़दर करेंगे। आप जानते हैं कि यीशु ने हमें परमेश्वर के राज्य के आने के लिए और उसकी इच्छा जैसे स्वर्ग में पूरी होती है वैसे ही पृथ्वी पर होने के लिए प्रार्थना करना सिखाया। आपके विचार से क्या इस प्रार्थना का जवाब कभी दिया जाएगा ताकि परमेश्वर की इच्छा वास्तव में इस पृथ्वी पर पूरी हो? . . . (यशा. ५५:१०, ११; प्रका. २१:३-५)’
• ‘मैं अपने पड़ोसियों के साथ एक वाद-विषय पर चर्चा कर रहा हूँ जिसका सामना हम सब को करना है: क्या हम परमेश्वर की सरकार का समर्थन करते हैं, या क्या हम मानवी शासकत्व को पसंद करते हैं? आज संसार की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, क्या आपको लगता है कि हमें एक ऐसी सरकार की ज़रूरत है जो मनुष्यों द्वारा बनायी सरकार से अलग है? . . . (मत्ती ६:९, १०; भज. १४६:३-५)’
अन्तिम दिन
• ‘आज संसार में हमारे चारों ओर हो रही घटनाओं के अर्थ की चर्चा करने के लिए हम भेंट कर रहे हैं। अनेक लोगों में परमेश्वर और बाइबल में दिए गए जीवन के लिए उसके स्तरों में दिलचस्पी कम हुई है। इससे एक दूसरे के प्रति लोगों की मनोवृत्ति पर बहुत प्रभाव पड़ा है। कृपया मुझे २ तीमुथियुस ३:१-५ में अभिलिखित इस वर्णन को आप के साथ बाँटने दीजिए और मुझे बताइए कि क्या आपको लगता है कि यह आज के संसार पर ठीक बैठता है। (पढ़िए) . . . क्या भविष्य में बेहतर परिस्थितियों की अपेक्षा करने के लिए ठोस कारण है? (२ पत. ३:१३)’
• ‘अनेक लोग विश्वास करते हैं कि इस संसार का अंत निकट आ रहा है। वे हमारे समय को “अन्तिम दिन” कहते हैं। क्या आपको एहसास हुआ कि बाइबल हमें यह कहती है कि किस तरह हम वर्तमान संसार के अन्त से बच सकते हैं और ऐसी पृथ्वी पर जी सकते हैं जो एक परादीस बनायी जाएगी? (सप. २:२, ३)’
[सुझायी गयी प्रस्तावनाओं की इस सूची में “सामयिक घटनाएँ” को भी देखिए।]
जीवन/आनन्द
• ‘हम ऐसे लोगों को पाने के लिए अपने पड़ोसियों को भेंट कर रहे हैं जो जीवन के अर्थ के बारे में बहुत ही चिन्तित हैं। अधिकांश लोग कुछ आनन्द का अनुभव करते हैं। लेकिन वे बहुत सारी समस्याओं का भी सामना करते हैं। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमें एहसास होता है कि जीवन बहुत ही छोटा है। क्या जीवन का अर्थ केवल इतना ही है? इसके बारे में आप कैसा महसूस करते हैं? . . . (परमेश्वर के मूलभूत उद्देश्य पर टिप्पणी कीजिए जो अदन में प्रकट किया गया; फिर यूहन्ना १७:३ और प्रकाशितवाक्य २१:३, ४ पर टिप्पणी कीजिए.)’
• हम अपने पड़ोसियों से आज पूछ रहे हैं कि जब वे अपनी बाइबल में “अनन्त जीवन” अभिव्यक्ति पढ़ते हैं तो क्या सोचते हैं। यह विशेष दिलचस्पी की बात है क्योंकि वह अभिव्यक्ति बाइबल में कुछ ४० बार आती है। ऐसे जीवन का हमारे लिए क्या अर्थ हो सकता है? . . . हम इसे कैसे पा सकते हैं? (यूह. १७:३; प्रका. २१:४)’
• ‘हम उन लोगों से बात कर रहे हैं जो आज के जीवन की गुणवत्ता के बारे में सचमुच चिन्तित हैं। हम में से अधिकांश जन ख़ुश हैं कि हम जीवित हैं, लेकिन अनेक जन सोचते हैं, क्या सचमुच का एक आनन्दित जीवन सम्भव है? इसके बारे में आप कैसा महसूस करते हैं? . . . आप क्या कहेंगे, आज आनन्द के लिए सबसे बड़ी बाधा क्या है? . . . (भज. १:१, २; गृहस्थ की चिन्ता के अनुरूप अतिरिक्त पाठ)’
प्रेम/कृपा
• ‘हम ने पाया है कि अनेक लोग संसार में सच्चे प्रेम की कमी के बारे में काफ़ी चिन्तित हैं। क्या आपको भी वैसा ही लगता है? . . . आपको क्यों लगता है कि यह प्रवृत्ति प्रचलित है? . . . क्या आप जानते थे कि बाइबल ने इस स्थिति को पूर्वबतलाया? (२ तीमु. ३:१-४) बाइबल इनका कारण भी बताती है। (१ यूहन्ना ४:८)’
• ‘मेरा नाम —— है। मैं आपका एक पड़ोसी हूँ। मैं अपने पड़ोसियों के साथ एक ऐसी बात करने के लिए केवल एक संक्षिप्त भेंट कर रहा हूँ जो मुझे काफ़ी चिन्तित करती है। मुझे यक़ीन है कि आपने भी इस पर ग़ौर किया है। कृपा दिखाने के लिए बड़ी क़ीमत नहीं लगती, लेकिन यह आज बहुत ही कम देखने में आती है। क्या आपने कभी सोचा है कि यह स्थिति क्यों अस्तित्व में है? . . . (मत्ती २४:१२; १ यूहन्ना ४:८)’
बुढ़ापा/मृत्यु
• ‘क्या आपने कभी सोचा है कि हम क्यों बूढ़े होते और मरते हैं? कुछ समुद्री कछुए सैकड़ों साल जीते हैं। कुछ वृक्ष तो हज़ारों साल तक जीवित रहे हैं। लेकिन इंसान सिर्फ़ ७० या ८० साल तक जीते हैं और फिर मर जाते हैं। क्या आपने कभी सोचा है क्यों? . . . (रोमि. ५:१२) क्या यह स्थिति कभी बदलेगी? . . . (प्रका. २१:३, ४)’
• ‘क्या आपने कभी पूछा है: क्या मृत्यु सब बातों की समाप्ति है? या क्या मृत्यु के बाद कुछ और है? . . . मृत्यु के बारे में हमारे हर सवाल का बाइबल स्पष्ट जवाब देती है। (सभो. ९:५, १०) बाइबल यह भी दिखाती है कि विश्वास रखनेवाले व्यक्तियों के लिए सच्ची आशा है। (यूहन्ना ११:२५)’
युद्ध/शांति
• ‘मैं ऐसे लोगों को ढ़ूँढ रहा हूँ जो युद्ध से मुक्त संसार में जीना चाहते हैं। सिर्फ़ इस शताब्दी में ही सैकड़ों युद्ध हुए हैं, जिसमें दो विश्व युद्ध शामिल हैं। . . . कौन एक शांतिपूर्ण संसार ला सकता है? . . . (मीका ४:२-४)’
•‘हम पाते हैं कि लगभग हर व्यक्ति विश्व शांति चाहता है। अधिकांश विश्व नेता भी यही कहते हैं। तो फिर, यह हासिल करना इतना मुश्किल क्यों है? . . . (प्रका. १२:७-१२)’
जब अनेक लोग कहते हैं: ‘मेरा अपना धर्म है’
• ‘नमस्ते। आपके क्षेत्र के सभी परिवारों से हम भेंट कर रहे हैं, और हम ने पाया है कि अधिकांश परिवारों के अपने धर्म हैं। बेशक आपका भी अपना धर्म होगा। . . . लेकिन, चाहे हमारा धर्म कोई भी क्यों न हो, हम अनेक समान समस्याओं से प्रभावित हैं—मँहगाई, अपराध, बीमारी—क्या यह सच नहीं? . . . क्या आपको लगता है कि इन समस्याओं का कोई असली हल है? . . . (२ पत. ३:१३; इत्यादि)’
जब अनेक लोग कहते हैं: ‘मैं व्यस्त हूँ’
• ‘नमस्ते। हम एक महत्त्वपूर्ण संदेश के साथ पड़ोस में सब से भेंट कर रहे हैं। बेशक आप एक व्यस्त व्यक्ति हैं, इसलिए मैं संक्षिप्त में बताऊँगा।’
• ‘नमस्ते। मेरा नाम —— है। मेरे आने का उद्देश्य है आपके साथ परमेश्वर के राज्य की आशिषों की चर्चा करना। और यह चर्चा भी करना कि किस तरह हम उनमें भाग ले सकते हैं। लेकिन मैं देख सकता हूँ कि आप व्यस्त हैं (या, बाहर जानेवाले हैं)। क्या मैं आपको एक संक्षिप्त विचार बता सकता हूँ?’
अकसर कार्य किए गए क्षेत्र में
• ‘आपको घर में पाकर मुझे ख़ुशी हुई। हम पड़ोस में अपनी साप्ताहिक भेंट कर रहे हैं, और हम आपको उन अद्भुत चीज़ों के बारे में और अधिक बताना चाहते हैं जो परमेश्वर का राज्य मानवजाति के लिए करेगा।’
• ‘नमस्ते। आपको फिर से देखकर ख़ुशी हुई। . . . क्या परिवार में सब लोग ठीक हैं? . . . मैं आपके साथ . . . पर विचार बाँटने के लिए आया हूँ।’
[• ‘नमस्ते। आप कैसे हैं? . . . आपके साथ बात करने के लिए मैं एक और अवसर चाहता था। (फिर उस ख़ास विषय को बताइए जिस पर आप चर्चा करना चाहते हैं।)’]