कैसे आप संभावित वार्तालाप रोधकों का जवाब दे सकते हैं
टिप्पणियाँ: लोगों के जीवन की प्रत्याशाएँ यहोवा परमेश्वर के प्रति और यीशु मसीह के द्वारा उसके राज्य के प्रति उनकी मनोवृत्ति पर निर्भर करती हैं। परमेश्वर के राज्य का संदेश रोमांचक है, और यह मानवजाति के लिए एकमात्र विश्वसनीय आशा की ओर संकेत करता है। यह ऐसा संदेश है जो जीवन को रूपांतरित करता है। हम चाहते हैं कि सब लोग इसे सुनें। हमें इस बात का एहसास है कि सिर्फ़ थोड़े ही लोग क़दरदानी के साथ इसे स्वीकार करेंगे। लेकिन हम जानते हैं कि अगर लोगों को एक जानकार चुनाव करना है, तो उन्हें कम-से-कम इसे सुनने की ज़रूरत है। फिर भी सब जन इसे सुनने को राज़ी नहीं हैं, और हम उन्हें बाध्य करने की कोशिश नहीं करते। लेकिन समझदारी के साथ संभावित वार्तालाप रोधकों को अतिरिक्त चर्चा के लिए अवसर में बदल देना अकसर मुमकिन होता है। कुछ अनुभवी गवाहों ने योग्य जनों को ढूँढ निकालने के अपने प्रयासों में क्या इस्तेमाल किया है यहाँ इसके कुछ उदाहरण हैं। (मत्ती १०:११) विचार को मन में बिठाइए, इसे अपने शब्दों में डालिए और इसे एक ऐसे ढंग से व्यक्त कीजिए जो उस व्यक्ति में, जिससे आप बात कर रहे हैं, आपकी असली दिलचस्पी ज़ाहिर करता है। जब आप ऐसा करते हैं, आप विश्वस्त हो सकते हैं कि वे लोग जिनके हृदय उचित रीति से प्रवृत्त हैं सुनेंगे और क़दरदानी के साथ इस बात की ओर प्रतिक्रिया दिखाएँगे कि यहोवा जीवन के लिए अपने प्रेममय प्रबंधों की तरफ़ उन्हें आकर्षित करने के लिए क्या कर रहा है।—यूहन्ना ६:४४; प्रेरितों १६:१४.
‘मुझे दिलचस्पी नहीं’
• ‘क्या मैं पूछ सकता हूँ, क्या आपका मतलब है कि आपको बाइबल में दिलचस्पी नहीं है, या क्या आपको आम तौर पर धर्म में दिलचस्पी नहीं? मैं इसलिए पूछ रहा हूँ क्योंकि हम अनेक व्यक्तियों से मिले हैं जो एक समय पर धार्मिक थे लेकिन अब गिरजा नहीं जाते क्योंकि वे गिरजों में काफ़ी पाखण्ड देखते हैं (या, वे महसूस करते हैं कि धर्म सिर्फ़ पैसा कमाने का एक और धंधा है; या, वे राजनीति में धर्म की सहभागिता को पसंद नहीं करते; इत्यादि)। बाइबल भी ऐसे अभ्यासों को पसंद नहीं करती और वह एकमात्र आधार प्रदान करती है जिस पर हम भरोसे के साथ भविष्य की ओर देख सकते हैं।’
• ‘अगर आपका मतलब है कि आपको किसी और धर्म में दिलचस्पी नहीं है, तो मैं वह समझ सकता हूँ। लेकिन यह ध्यान देते हुए कि युद्ध ने हमारे जीवन को क्या किया है संभवतः आपको इस बात में दिलचस्पी है कि किस प्रकार के भविष्य की अपेक्षा हम कर सकते हैं (या, हम अपने बच्चों को नशीले पदार्थों से कैसे सुरक्षित रख सकते हैं; या, अपराध के बारे में क्या किया जा सकता है ताकि हम सड़कों पर चलने के लिए भयभीत न हों; इत्यादि)। क्या आप एक वास्तविक हल के लिए कोई प्रत्याशा रख सकते हैं?’
• ‘क्या इसलिए कि आपका अपना धर्म है? . . . मुझे बताइए, क्या आपके विचार में हम कभी एक ऐसा समय देखेंगे जब सभी जन एक ही धर्म के होंगे? . . . बाधा क्या है? . . . इसे अर्थपूर्ण होने के लिए, किस प्रकार की बुनियाद की ज़रूरत होगी?’
• ‘मैं इसकी क़दर कर सकता हूँ। कुछ साल पहले मुझे भी ऐसा ही लगता था। लेकिन मैं ने बाइबल में कुछ पढ़ा जिसने बातों को एक अलग दृष्टि से देखने के लिए मेरी मदद की। (उस व्यक्ति को बताइए कि वह क्या था।)’
• ‘क्या आपको दिलचस्पी होगी अगर मैं बाइबल से आपको दिखा सकूँ कि कैसे आप अपने मृत प्रिय जनों को दोबारा देख सकते हैं (या, जीवन का असली उद्देश्य क्या है; या, हमारे परिवारों को संयुक्त रखने के लिए कैसे यह हमारी मदद कर सकती है; इत्यादि)?’
• ‘अगर आपका मतलब है कि आपको कुछ खरीदने में दिलचस्पी नहीं है, तो मैं आपको बेफ़िक्र करना चाहता हूँ। मैं कोई व्यापारिक कार्य नहीं कर रहा हूँ। लेकिन क्या आपको बीमारी और अपराध से मुक्त परादीस पृथ्वी पर आप से वास्तव में प्रेम करनेवाले पड़ोसियों के साथ जीने के मौक़े में दिलचस्पी होगी?’
[• ‘जब यहोवा के गवाह भेंट करते हैं क्या आप सामान्यतः यही जवाब देते हैं? . . . क्या आपने वास्तव में कभी सोचा है कि हम क्यों भेंट करते रहते हैं या हमें क्या कहना है? . . . संक्षिप्त में बताया जाए तो, मेरा आपको मिलने आने का कारण यह है कि मैं एक ऐसी बात जानता हूँ जिसे आपको भी जानना चाहिए। क्यों न इसे सिर्फ़ एक बार सुनें?’]
‘मुझे धर्म में दिलचस्पी नहीं है’
• ‘आप कैसा महसूस करते हैं यह मैं समझ सकता हूँ। स्पष्टतः, गिरजे इस संसार को जीने के लिए एक सुरक्षित जगह नहीं बना रहे हैं, है ना? . . . लेकिन क्या आप परमेश्वर में विश्वास करते हैं?’
• ‘अनेक लोग आपके दृष्टिकोण से सहमत हैं। धर्म ने उन्हें वास्तव में मदद नहीं की है। भेंट करने का यह एक कारण है। गिरजों ने परमेश्वर और मनुष्यजाति के लिए उसके अद्भुत उद्देश्य के बारे में लोगों को सत्य नहीं बताया है।’
• ‘लेकिन मुझे यक़ीन है कि आपको अपने भविष्य में दिलचस्पी है। क्या आप जानते थे कि आज के संसार में विद्यमान परिस्थितियों के बारे में बाइबल ने पूर्वबतलाया? . . . और परिणाम क्या होगा यह भी दिखाती है।’
• ‘क्या आपको हमेशा ऐसा महसूस हुआ है? . . . भविष्य के बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?’
‘मुझे यहोवा के गवाहों में दिलचस्पी नहीं है’
• ‘कई लोग हमें यह कहते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों मेरे जैसे लोग ऐसी भेंट स्वेच्छा से करते हैं यह जानते हुए भी कि अधिकांश गृहस्थ शायद हमारा स्वागत नहीं करेंगे? (मत्ती २५:३१-३३ का सारांश दीजिए, और यह समझाइए कि सब जातियों के लोगों को अलग करने का कार्य चल रहा है और राज्य संदेश के प्रति उनकी प्रतिक्रिया इसमें एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। या यहेजकेल ९:१-११ का सारांश बताइए, और समझाइए कि, राज्य संदेश के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया के आधार पर, सब लोगों पर महा क्लेश से बच निकलने के लिए या परमेश्वर द्वारा विनाश के लिए “चिन्ह” लगाया जा रहा है।)’
• ‘मैं इस बात की क़दर कर सकता हूँ, क्योंकि मैं भी ऐसा ही महसूस करता था। लेकिन, निष्पक्ष होने के लिए, मैं ने उनमें से एक व्यक्ति की बात सुनने का निर्णय किया। और मैं ने पाया कि मुझे उनके बारे में सच्चाई नहीं बतायी गयी थी। (एक सामान्य झूठे आरोप का उल्लेख कीजिए और फिर व्याख्या कीजिए कि हम क्या विश्वास करते हैं।)’
• ‘कुछ समय पहले मेरे घर आए हुए एक गवाह को मैं ने यही कहा था। लेकिन उसके जाने से पहले मैं ने एक सवाल पूछा, और मुझे यक़ीन था वह इसका जवाब नहीं दे सकेगा। क्या आप जानना चाहेंगे वह सवाल क्या था? . . . (उदाहरण के लिए: कैन को अपनी पत्नी कहाँ से मिली?)’ (उन लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाना चाहिए जिनका सचमुच ऐसा अनुभव था।)
• ‘अगर आप एक धार्मिक व्यक्ति हैं, तो मैं इसकी क़दर कर सकता हूँ। बेशक आपका अपना धर्म आपके लिए काफ़ी अर्थ रखता है। लेकिन मैं सोचता हूँ कि आप इस बात पर सहमत होंगे कि हम दोनों को (एक उपयुक्त विषय का ज़िक्र कीजिए) में दिलचस्पी है।’
[• ‘फिर बेशक आपका अपना धर्म है। आपका धर्म क्या है मेरे यह पूछने में आपको एतराज़ तो नहीं? . . . आपके धर्म के लोगों के साथ बात करने में हमें आनन्द होता है। (अपनी चर्चा का विषय बताइए) के बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?’]
• ‘जी हाँ, मैं समझता हूँ। लेकिन हमारे भेंट करने का कारण यह है कि हम एक ऐसा परिवार हैं जो लोगों को शांति में एकत्रित रहते हुए देखना चाहते हैं। हर रात समाचार पर झगड़े और दुःख-तक़लीफ़ की रिपोर्टों से हम तंग आ गए हैं। मैं समझता हूँ आपको भी वैसा ही लगता है। . . . लेकिन क्या चीज़ ज़रूरी परिवर्तन ला सकती है? . . . हमें बाइबल की प्रतिज्ञाओं में प्रोत्साहन मिला है।’
[• ‘मैं इस बात की क़दर करता हूँ कि आपने मुझे बताया कि आप कैसा महसूस करते हैं। क्या आप मुझे यह बताने का कष्ट करेंगे कि आपको हमारे बारे में क्या पसंद नहीं है? क्या हम बाइबल से जो दिखाते हैं वह आपको पसंद नहीं, या क्या आपको हमारा आप से भेंट करना पसंद नहीं?’]
‘मेरा अपना धर्म है’
• ‘क्या आप मुझे यह बताने का कष्ट करेंगे कि क्या आपका धर्म यह सिखाता है कि वह समय आएगा जब सही चीज़ों से प्रेम करनेवाले लोग पृथ्वी पर सर्वदा जीएँगे? . . . यह एक आकर्षक विचार है, है ना? . . . यह यहाँ बाइबल में है। (भज. ३७:२९; मत्ती ५:५; प्रका. २१:४)’
• ‘मैं इस बात से सहमत हूँ कि इस मामले में हर व्यक्ति को अपना निर्णय लेना चाहिए। लेकिन क्या आप जानते थे कि ख़ुद परमेश्वर उसके सच्चे उपासक बनने के लिए एक निश्चित प्रकार के लोगों को ढूँढ रहा है? यहाँ यूहन्ना ४:२३, २४ पर ग़ौर कीजिए। “सच्चाई से” परमेश्वर की उपासना करने का मतलब क्या होगा? . . . परमेश्वर ने हमें क्या सच है और क्या नहीं यह जानने में हमारी मदद के लिए क्या दिया है? . . . (यूहन्ना १७:१७) और ग़ौर कीजिए कि यह व्यक्तिगत तौर पर हमारे लिए कितना महत्त्वपूर्ण है। (यूहन्ना १७:३)’
[• ‘क्या आप अपना सारा जीवन एक धार्मिक व्यक्ति रहे हैं? . . . क्या आप सोचते हैं कि मनुष्यजाति एक धर्म में कभी संयुक्त होगी? . . . यहाँ प्रकाशितवाक्य ५:१३ में अभिलिखित बातों के कारण मैं ने उस पर बहुत सोचा है। . . . हमें इस चित्र में ठीक बैठने के लिए क्या ज़रूरी है?’]
• ‘मैं आप जैसे व्यक्ति को मिलने की आशा कर रहा था जिन्हें आध्यात्मिक बातों में दिलचस्पी है। आज अनेक लोगों को दिलचस्पी नहीं है। क्या मैं पूछ सकता हूँ कि आप बाइबल की प्रतिज्ञा के बारे में कैसा महसूस करते हैं कि परमेश्वर सब दुष्टता को हटाएगा और इस पृथ्वी को ऐसी एक जगह बनाएगा जहाँ सिर्फ़ धार्मिकता को प्रेम करनेवाले लोग ही रहेंगे? क्या वह आपको आकर्षित करता है?’
• ‘क्या आप गिरजे के मामलों में काफी सक्रिय हैं? . . . क्या गिरजा इन दिनों सभाओं के लिए सामान्यतः भरा हुआ होता है? . . . क्या आप पाते हैं कि अधिकांश सदस्य सचमुच अपनी रोज़मर्रा ज़िन्दगी में परमेश्वर के वचन को लागू करने की सच्ची इच्छा दिखा रहे हैं? (या, क्या आप पाते हैं कि सदस्यों में उन समस्याओं के हल के प्रति सोच-विचार में एकता है जो आज संसार के सम्मुख हैं?) हम पाते हैं कि निजी गृह बाइबल उपदेश मदद करता है।’
•‘यह प्रतीत होता है कि आप अपने धर्म से संतुष्ट हैं। लेकिन अधिकांश लोग संसार के हालातों से संतुष्ट नहीं हैं। शायद यह आपके बारे में भी सच है; है कि नहीं? . . . यह सब कहाँ ले जा रहा है?’
• ‘क्या आपको बाइबल पढ़ने में आनन्द आता है? . . . क्या आपको इसे नियमित रूप से पढ़ने के लिए समय मिलता है?’
• ‘मैं इस बात की क़दर करता हूँ कि आपने मुझे यह बताया। मुझे यक़ीन है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि, हमारी धार्मिक पृष्ठभूमि जो भी हो, हम सब विश्व शांति में बहुत ही दिलचस्पी रखते हैं (या, हमारे बच्चों को बुरे प्रभावों से बचाना; या, ऐसा पड़ोस होना जहाँ लोग सचमुच एक दूसरे से प्रेम करते हैं; या, अन्य लोगों से अच्छे रिश्तों का आनन्द लेना, और यह एक चुनौती प्रस्तुत कर सकती है जब हरेक जन दबाव महसूस करता है)।’
• ‘मैं यह जानकर ख़ुश हूँ कि आप धार्मिक रूप से प्रवृत्त हैं। आज अनेक लोग धर्म को संजीदगी से नहीं लेते। कुछ तो यह भी सोचते हैं कि परमेश्वर नहीं है। लेकिन, आपको जो बातें सिखायी गईं हैं उसके अनुसार आप परमेश्वर को किस तरह का व्यक्ति समझते हैं? . . . ग़ौर कीजिए कि बाइबल हमें उसका व्यक्तिगत नाम बताती है। (निर्ग. ६:३; भज. ८३:१८)’
[• ‘जब यीशु ने अपने शिष्यों को प्रचार करने के लिए भेजा, उसने उन्हें पृथ्वी की छोर तक जाने को कहा, इसलिए वे उन अनेक लोगों को मिलते जिनका धर्म उनके धर्म से अलग था। (प्रेरितों १:८) लेकिन वह जानता था कि धार्मिकता के लिए भूखे और प्यासे लोग सुनेंगे। हमारे दिन में दिए जानेवाले किस विशेष संदेश के बारे में उसने कहा? (मत्ती २४:१४) वह राज्य हमारे लिए क्या अर्थ रखता है?’]
‘हम पहले से ही मसीही हैं’
• ‘मैं यह जानकर ख़ुश हूँ। तब आप बेशक जानते हैं कि ख़ुद यीशु ने ऐसा कार्य किया, लोगों से उनके घरों में भेंट की, और अपने शिष्यों को भी ऐसा करने की आज्ञा दी। उनके प्रचार के विषय से क्या आप परिचित हैं? . . . आज हम उसी के बारे में बात करने के लिए आए हैं। (लूका ८:१; दानि. २:४४)’
• ‘तो फिर मुझे यक़ीन है कि आप यहाँ पहाड़ी उपदेश में यीशु द्वारा कही गयी बातों की गम्भीरता की क़दर करेंगे। वह बहुत ही स्पष्टवादी लेकिन स्नेही भी था जब उसने कहा . . . (मत्ती ७:२१-२३) तो फिर, हमें अपने आप से यह सवाल पूछने की ज़रूरत है, मैं स्वर्गीय पिता की इच्छा को कितनी अच्छी तरह जानता हूँ? (यूहन्ना १७:३)’
‘मैं व्यस्त हूँ’
• ‘तब मैं बहुत ही संक्षिप्त में बताऊँगा। मैं आपके साथ सिर्फ़ एक महत्त्वपूर्ण विचार बाँटने के लिए आया हूँ। (क़रीबन दो वाक्यों में अपनी चर्चा के विषय का सारांश दीजिए।)’
• ‘ठीक है। मुझे किसी दूसरे समय आने के लिए ख़ुशी होगी, जब आप के लिए अधिक सुविधाजनक हो। लेकिन जाने से पहले, मैं सिर्फ़ एक शास्त्रवचन पढ़ना चाहता हूँ जो सचमुच हमें विचार करने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण बात देता है।’
• ‘मैं समझती हूँ। एक माँ (या, श्रमिक; या, विद्यार्थी) के तौर पर मेरी समय-सारिणी व्यस्त है। इसलिए मैं संक्षिप्त में बोलूँगी। हम सब एक गम्भीर स्थिति का सामना कर रहे हैं। बाइबल दिखाती है कि हम उस समय के बहुत नज़दीक हैं जब परमेश्वर वर्तमान दुष्ट रीति-व्यवस्था को नाश करेगा। लेकिन उत्तरजीवी होंगे। सवाल है, उन में होने के लिए आपको और मुझे क्या करना है? बाइबल उस सवाल का जवाब देती है। (सप. २:२, ३)’
• ‘मैं ठीक इसी कारण भेंट कर रहा हूँ। हम सब व्यस्त हैं—इतने व्यस्त कि जीवन में सचमुच महत्त्वपूर्ण चीज़ों के प्रति कभी-कभी लापरवाह हो जाते हैं, है ना? . . . मैं बहुत संक्षेप में बताऊँगा, लेकिन मुझे यक़ीन है कि आप इस एक पाठ में दिलचस्पी रखेंगे। (लूका १७:२६, २७) हम में से कोई भी व्यक्ति ख़ुद को उस स्थिति में पाना नहीं चाहता, इसलिए अपने व्यस्त जीवनों में हमें बाइबल में कही गयी बातों पर ग़ौर करने के लिए समय निकालने की ज़रूरत है। (साहित्य पेश कीजिए।)’
• ‘क्या यह अधिक सुविधाजनक होगा अगर हम आपके कुछ पड़ोसियों को भेंट करने के बाद, तक़रीबन आधे घंटे के बाद आएँ?’
[• ‘फिर मैं आपको नहीं रोकूँगा। शायद मैं किसी और दिन आ सकता हूँ। लेकिन जाने से पहले, मैं आपको यह ख़ास भेंट पाने का अवसर देना चाहता हूँ। (महीने की भेंट दिखाइए।) इस प्रकाशन में एक अध्ययन पाठ्यक्रम है जो ऐसे सवालों के, जैसे कि (सिर्फ़ एक या दो का ज़िक्र कीजिए) बाइबल के अपने जवाबों से आपको परिचित करेगा।’]
• ‘मुझे खेद है कि मैं आपको एक असुविधाजनक समय पर मिला। जैसे कि आप शायद जानते होंगे, मैं एक यहोवा का गवाह हूँ। मैं बाइबल से आपके साथ एक महत्त्वपूर्ण विचार बाँटना चाहता था। लेकिन अभी आपके पास सुनने का समय नहीं होने के कारण, मैं आपको यह ट्रैक्ट देना चाहता हूँ, जो (विषय का नाम बताइए) पर चर्चा करता है। इसे पढ़ने के लिए ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा, लेकिन आप इसे बहुत ही दिलचस्प पाएँगे।’
[• ‘मेरे लिए यह समझना कठिन नहीं है। लगता है कि सब कुछ करने के लिए पर्याप्त समय ही नहीं है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जीवन कितना अलग हो सकता अगर आप सर्वदा जी सकते? मैं जानता हूँ कि यह शायद विचित्र लगे। लेकिन मुझे आपको सिर्फ़ एक बाइबल पाठ दिखाने दीजिए जो व्याख्या करता है कि कैसे ऐसा जीवन सम्भव है। (यूहन्ना १७:३) अतः, अब हमें परमेश्वर और उसके पुत्र के इस ज्ञान को लेने की ज़रूरत है। इसलिए हम यह साहित्य छोड़ते हैं।’]
‘आप लोग इतनी बार क्यों आते हैं?’
• ‘क्योंकि हम विश्वास करते हैं कि बाइबल में ज़िक्र किए गए अन्तिम दिनों में हम जी रहे हैं। हम यह समझते हैं कि वर्तमान हालातों का परिणाम क्या होगा इसके बारे में हम सब का सोचना महत्त्वपूर्ण है। (एक या दो हाल की घटनाएँ या सामयिक स्थितियों का ज़िक्र कीजिए।) सवाल है, अगर हमें इस रीति-व्यवस्था के अन्त से बचना है तो हमें क्या करने की ज़रूरत है?’
• ‘क्योंकि हम परमेश्वर और अपने पड़ोसियों से प्रेम करते हैं। यह हम सब को करना चाहिए, है ना?’
‘मैं आपके कार्य से पहले से ही अच्छी तरह परिचित हूँ’
• ‘मैं यह सुनकर बहुत ख़ुश हूँ। क्या आपका कोई नज़दीकी रिश्तेदार या दोस्त एक गवाह है? . . . क्या मैं पूछ सकता हूँ: हम बाइबल से जो सिखाते हैं क्या आप उस पर विश्वास करते हैं, यानी, कि हम “अन्तिम दिनों” में जी रहे हैं, कि जल्द परमेश्वर दुष्टों का नाश करनेवाला है, और पृथ्वी एक परादीस बनेगी जिस में लोग परिपूर्ण स्वास्थ्य में एक दूसरे से सचमुच प्रेम करनेवाले पड़ोसियों के बीच सर्वदा के लिए जी सकते हैं?’
‘हमारे पास पैसा नहीं है’
• ‘हम पैसे नहीं माँगते हैं। लेकिन हम एक मुफ़्त गृह बाइबल अध्ययन पाठ्यक्रम पेश कर रहे हैं। इस में एक विषय है (एक सामयिक प्रकाशन से एक अध्याय के शीर्षक को इस्तेमाल कीजिए)। यह बताने के लिए कि यह किस तरह कार्य करता है, क्या मैं कुछ मिनट ले सकता हूँ? आपको एक पैसा ख़र्च करना नहीं पड़ेगा।’
• ‘हम लोगों में दिलचस्पी रखते हैं, उनके पैसे में नहीं। (चर्चा को आगे बढ़ाइए। उन्हें एक प्रकाशन दिखाइए और समझाइए कि यह किस तरह उन्हें लाभ पहुँचा सकता है। अगर वे असली दिलचस्पी दिखाते हैं और इसे पढ़ने का वादा करते हैं, तो यह उनके पास छोड़िए। अगर उपयुक्त हो, तो समझाइए कि किस तरह हमारी विश्वव्याप्त प्रचार गतिविधि का अर्थप्रबंध किया जाता है।)’
जब कोई व्यक्ति कहता है, ‘मैं बौद्धधर्मी हूँ’
• यह निष्कर्ष मत निकालिए कि उस व्यक्ति के विश्वास और अन्य बौद्धधर्मियों के विश्वास एक ही हैं। जापानी बौद्ध धर्म दक्षिण-पूर्व एशिया के बौद्ध धर्म से काफ़ी भिन्न है। व्यक्तियों के भी अपने-अपने भिन्न दृष्टिकोण होते हैं। तथापि, आम तौर पर, निम्नलिखित मुद्दे शायद सहायक हों: (१) बौद्ध धर्म एक बाहरी ईश्वर, एक व्यक्तिगत सृष्टिकर्ता को नहीं मानता है। लेकिन अनेक बौद्धधर्मी बुद्ध के मूर्तियों और स्मृति चिह्नों की उपासना करते हैं। (२) सिद्धार्थ गौतम, जिसे बुद्ध की उपाधि दी गयी थी, अपने अनुयायियों का धार्मिक आदर्श माना गया जिसका उन्हें अनुकरण करना था। उसने एक मानवी दृष्टिकोण से मनुष्यजाति का अध्ययन करने के द्वारा प्रबोधन पाने का प्रोत्साहन दिया। साथ ही सभी पार्थिव अभिलाषाओं को ख़त्म करने के लिए मन का नियंत्रण करने के द्वारा दुःख की जड़ों को काटने का प्रोत्साहन दिया। उसने सिखाया कि इस तरह एक व्यक्ति निर्वाण यानी देहान्तरण के पुनर्जन्मों से मुक्ति पा सकता है। (३) बौद्धधर्मी अपने पूर्वजों की उपासना करते हैं क्योंकि वे इन्हें अपने जीवन का स्रोत मानते हैं।
वार्तालाप के लिए सुझाव: (१) बौद्धधर्मियों से बात करते समय, इस बात पर ज़ोर दीजिए कि आप मसीहीजगत के भाग नहीं हैं। (२) बौद्धधर्मियों को “पवित्र पुस्तकों” के प्रति आदर है, और आम तौर पर इस कारण वे बाइबल का आदर करते हैं। बौद्ध दर्शनशास्त्र पर बात करने के बजाय, बाइबल का सकारात्मक संदेश प्रस्तुत कीजिए। उन्हें यह पता चले कि बाइबल मात्र मानवी दर्शनशास्त्र नहीं बल्कि मनुष्यजाति के सृष्टिकर्ता, यहोवा परमेश्वर का प्रामाणिक वचन है। शिष्टतापूर्वक पूछिए कि क्या आप उन्हें इस पवित्र पुस्तक, बाइबल से एक दिलचस्प मुद्दा दिखा सकते हैं। (३) अनेक बौद्धधर्मी शांति और पारिवारिक जीवन में बहुत ही दिलचस्पी रखते हैं और नैतिक जीवन जीना चाहते हैं। (४) यह दिखाइए कि मनुष्यजाति के सम्मुख समस्याओं के असली हल के तौर पर बाइबल पृथ्वी पर एक धार्मिक स्वर्गीय सरकार की ओर निर्दिष्ट करती है। वह पृथ्वी के भविष्य और पार्थिव परादीस में सर्वदा जीवित रहने की अद्भुत प्रत्याशा की व्याख्या करती है। (५) आप शायद बता सकते हैं कि बाइबल जीवन का उद्गम, जीवन का अर्थ, मृत जनों की स्थिति तथा पुनरुत्थान की आशा, दुष्टता के अस्तित्व के कारण की व्याख्या करती है। परमेश्वर के वचन की स्पष्ट सच्चाइयों की कृपालुता से की गयी प्रस्तुति भेड़समान जनों के हृदयों में क़दरदानी की प्रतिक्रिया जगाएगी।
एक पिता की खोज में (अंग्रेज़ी) पुस्तिका ख़ास तौर पर निष्कपट बौद्धधर्मियों के लाभ के लिए तैयार की गयी थी।
जब कोई व्यक्ति कहता है, ‘मैं हिन्दू हूँ’
•आपको अवगत होना चाहिए कि हिन्दू दर्शनशास्त्र बहुत ही जटिल है और सामान्य तर्क के अनुरूप नहीं है। निम्नलिखित मुद्दों को ध्यान में रखना आप शायद सहायक पाएँगे: (१) हिन्दू धर्म सिखाता है कि ईश्वर ब्रह्मा में तीन रूप सम्मिलित हैं—सृष्टिकर्ता ब्रह्मा, रक्षक विष्णु, और विनाशक शिव। लेकिन हिन्दू लोग ऐसा विचार नहीं करते कि एक व्यक्तिगत ईश्वर है जिसका वैयक्तिक अस्तित्व है। (२) हिन्दू लोग मानते हैं कि सभी प्राकृतिक वस्तुओं में एक आत्मा होती है जो कभी नहीं मरती। आत्मा पुनर्जन्म के वस्तुतः अन्तहीन चक्र का अनुभव करती है। जिस रूप में आत्मा पुनर्जन्म लेती है वह कर्म द्वारा निर्धारित किया जाता है। सभी शारीरिक अभिलाषा को मिटाने से ही इस “अन्तहीन चक्र” से छुटकारा सम्भव है, और अगर यह प्राप्त होता है तो आत्मा विश्वात्मा में समा जाएगी। (३) आम तौर पर, हिन्दू लोग अन्य धर्मों का आदर करते हैं। हिन्दू विश्वास करते हैं कि परस्पर-विरोधी सिद्धांत सिखाने के बावजूद सभी धर्म एक ही सत्य की ओर ले जाते हैं।
हिन्दू दर्शनशास्त्र की जटिलताओं पर चर्चा करने की कोशिश करने के बजाय, पवित्र बाइबल में पायी जानेवाली संतोषजनक सच्चाइयों को प्रस्तुत कीजिए। जीवन के लिए यहोवा के प्रेममय प्रबंध सभी प्रकार के लोगों के लिए खुले हैं, और उसके वचन की स्पष्ट सच्चाइयाँ धार्मिकता के लिए भूखे और प्यासे जनों के हृदयों तक पहुँचेगी। सिर्फ़ बाइबल ही भविष्य के लिए एक ठोस आधार वाली आशा प्रदान करती है; मनुष्यजाति के महत्त्वपूर्ण सवालों का वास्तव में संतोषजनक जवाब सिर्फ़ बाइबल ही देती है। उन्हें इन जवाबों को सुनने का अवसर दीजिए। यह दिलचस्पी की बात है कि हिन्दू रिग-वेद भजन, १०. १२१, का शीर्षक है “अज्ञात ईश्वर को।” कुछ मामलों में आप शायद इसका ज़िक्र करना उपयुक्त समझें। (प्रेरितों १७:२२, २३ से तुलना कीजिए.) यह दिलचस्पी की बात है कि हिन्दू ईश्वर विष्णु का नाम, उच्चारण के पहले स्वर के बिना, इश-नूह है। इसका कालदी भाषा में मतलब है “वह मनुष्य नूह।” यह दिखाइए कि नूह के दिनों में विश्वव्यापी जलप्रलय के महत्त्व के बारे में बाइबल क्या कहती है।
छुटकारे की ओर ले जानेवाले परमेश्वरीय सत्य का मार्ग और कुरुक्षेत्र से आरमागेडोन तक—और आपकी उत्तरजीविता पुस्तिकाएँ साथ ही हमारी समस्याएँ—उन्हें हल करने में कौन हमारी मदद करेगा? ब्रोशर में ऐसी जानकारी है जो सत्हृदय हिन्दुओं के लिए बहुत ही लाभदायक होगी।
जब कोई व्यक्ति कहता है, ‘मैं यहूदी हूँ’
• पहले, यह जान लीजिए कि वह व्यक्ति अपने आपको एक यहूदी के तौर पर किस तरह देखता है। कुछ लोग धार्मिक होते हैं। अनेकों के लिए, यहूदी होना सिर्फ़ एक नृजातीय पदनाम है।
यहाँ कुछेक मुद्दे हैं जिन्हें ध्यान में रखना लाभदायक हैं: (१) धार्मिक यहूदी परमेश्वर के नाम का उच्चारण करना वर्जित मानते हैं। (२) कई यहूदी “बाइबल” को एक मसीही किताब समझते हैं, लेकिन अगर आप “इब्रानी शास्त्र” या “शास्त्र,” या “तोराह” कहें, तो समस्या नहीं होगी। (३) उनके विश्वास का केंद्रीय भाग है परम्परा और अनेक धार्मिक यहूदियों द्वारा यह प्राधिकार में शास्त्रों के बराबर देखी जाती है। (४)यीशु के नाम से यहूदियों द्वारा मसीहीजगत के हाथों अनुभव किए गए हिंसक उत्पीड़न से वे शायद यीशु का सम्बन्ध जोड़ें। (५) वे अकसर विश्वास करते हैं कि परमेश्वर यहूदियों से सब्त रखने की माँग करता है। और इस विश्वास में उस दिन पैसे को हाथ नहीं लगाना सम्मिलित है।
एक सामान्य आधार स्थापित करने के लिए, आप शायद कह सकते हैं: (१) ‘आप बेशक सहमत होंगे कि, हमारी पृष्ठभूमि जो भी हो, हम सब आज के संसार में अनेक समान कठिनाइयों का सामना करते हैं। क्या आप विश्वास करते हैं कि इस पीढ़ी के सम्मुख बड़ी समस्याओं का असल में स्थायी हल होगा? (भज. ३७:१०, ११, २९; भज. १४६:३-५; दानि. २:४४)’ (२) ‘हम मसीहीजगत के भाग नहीं हैं और त्रियेक में विश्वास नहीं करते बल्कि इब्राहीम के परमेश्वर की उपासना करते हैं। हम ख़ास तौर पर धार्मिक सच्चाई के मामले में दिलचस्पी रखते हैं। आपको कोई कष्ट तो नहीं होगा अगर मैं यह पूछूँ कि आप सच को किस तरह निर्धारित करते हैं, ख़ास तौर पर इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि यहूदी लोगों के विश्वासों में बड़ी भिन्नताएँ है? . . . (व्यव. ४:२; यशा. २९:१३, १४; भज. ११९:१६०)’ (३) ‘इब्राहीम को की गयी परमेश्वर की प्रतिज्ञा में हम उत्सुकता से दिलचस्पी रखते हैं कि उसके वंश के द्वारा सब जातियों के लोग अपने को धन्य मानेंगे। (उत्प. २२:१८)’
अगर वह व्यक्ति परमेश्वर में विश्वास की कमी व्यक्त करता है, तो उससे पूछिए कि क्या वह हमेशा से ऐसा ही महसूस करता है। फिर शायद चर्चा कीजिए कि क्यों परमेश्वर ने दुष्टता और दुःख को अनुमति दी है। अनेक यहूदियों को नात्सी हत्याकांड की यादें इसके बारे में चिन्तित होने के कारण हैं।
अगर आप परमेश्वर का नाम इस्तेमाल करने के महत्त्व पर चर्चा करें, तो पहले यह पता कीजिए कि उस व्यक्ति को इसके बारे में कैसा लगता है। यह दिखाइए कि निर्गमन २०:७ परमेश्वर का नाम व्यर्थ में लेने को वर्जित करता है, लेकिन इसे आदर से लेने को वर्जित नहीं करता। फिर निर्गमन ३:१५ (या भजन १३५:१३); १ राजा ८:४१-४३; यशायाह १२:४; यिर्मयाह १०:२५; मलाकी ३:१६ जैसे पाठों पर तर्क कीजिए।
जब आप मसीहा पर चर्चा करते हैं: (१) उसकी पहचान के बजाय, उसके शासन के अधीन भावी आशिषों के बारे में पहले बात कीजिए। (२) फिर उन पाठों पर तर्क कीजिए जो एक व्यक्तिगत मसीहा की ओर निर्दिष्ट करते हैं। (उत्प. २२:१७, १८; जक. ९:९, १०; दानि. ७:१३, १४) (३) आपको शायद मसीहा के दो आगमन पर चर्चा करने की ज़रूरत हो। (दानिय्येल ७:१३, १४ से दानिय्येल ९:२४-२६ की विषमता दिखाइए.) (४) यीशु का ज़िक्र ऐसे संदर्भ में कीजिए जो परमेश्वर के उद्देश्य के प्रगतिशील प्रकार पर ज़ोर देता है। यह उल्लेख कीजिए कि जब यीशु ने सिखाया, तब वह समय नज़दीक था जब परमेश्वर ने दूसरे मंदिर का नाश होने दिया, जिसका पुनर्निर्माण नहीं होना था। लेकिन यीशु ने व्यवस्था और भविष्यवक्ताओं की पूर्ति और उस शानदार भविष्य पर ज़ोर दिया जिसकी तरफ़ वे विश्वास रखनेवाले व्यक्तियों को निर्दिष्ट करते।