बाइबल की किताब नंबर 17—एस्तेर
लेखक: मोर्दकै
लिखने की जगह: शूशन, एलाम
लिखना पूरा हुआ: लगभग सा.यु.पू. 475
कब से कब तक का ब्यौरा: सा.यु.पू. 493–लगभग 475
चंद आसान शब्दों में कहें, तो यह फारस के राजा क्षयर्ष की कहानी है। कई लोगों का मानना है कि क्षयर्ष ही राजा ज़रक्सीज़ प्रथम था। उसकी पत्नी, रानी वशती ने उसका हुक्म नहीं माना, इसलिए वशती की जगह यहूदिन एस्तेर को रानी बनाया गया जो मोर्दकै की चचेरी बहन थी। अगाग वंश के हामान ने मोर्दकै और सभी यहूदियों का कत्लेआम करने की साज़िश रची, मगर उसे अपनी ही बनायी सूली पर लटका दिया गया। दूसरी तरफ, मोर्दकै को प्रधानमंत्री का ऊँचा ओहदा दिया गया और यहूदी बचाए गए।
2 बेशक, ऐसे भी लोग हैं जो मानते हैं कि एस्तेर की किताब बस एक बढ़िया कहानी है, यह न तो ईश्वर-प्रेरित है न ही फायदेमंद। उनके दावे की वजह यह है कि परमेश्वर का नाम इस किताब में नहीं है। यह सच है कि इस किताब में परमेश्वर का नाम सीधे तौर पर नहीं आता, फिर भी इसके इब्रानी पाठ में चार जगहें ऐसी हैं जहाँ किसी वाक्य में एक-के-बाद-एक आनेवाले शब्दों के पहले या आखिरी अक्षर, इब्रानी में परमेश्वर के नाम के चार अक्षर हैं। ये अक्षर हैं, य, ह, व, ह (इब्रानी में, יהוה) या यहोवा। कम-से-कम तीन प्राचीन इब्रानी हस्तलिपियों में इन अक्षरों को बड़ा करके लिखा गया है और मसोरा के लेखों में इन्हें लाल रंग में लिखा गया है। और इब्रानी पाठ में एस्तेर 7:5 के शब्दों के आखिरी अक्षरों को मिलाने पर परमेश्वर का यह ऐलान बनता है, “मैं साबित होऊँगा।”—न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन में एस्तेर 1:20; 5:4, 13; 7:7 साथ ही 7:5 के फुटनोट देखिए।
3 पूरी किताब से यह साफ ज़ाहिर होता है कि मोर्दकै न सिर्फ यहोवा की व्यवस्था को मानता था बल्कि उसके मुताबिक जीता भी था। उसने एक ऐसे आदमी का सम्मान करने के लिए उसके आगे सिजदा नहीं किया जो शायद एक अमालेकी था; मोर्दकै ने इसलिए इनकार किया क्योंकि परमेश्वर ने अमालेकियों का नामो-निशान मिटा देने की ठानी थी। (एस्ते. 3:1, 5; व्यव. 25:19; 1 शमू. 15:3) एस्तेर 4:14 में मोर्दकै ने जो कहा, उससे पता चलता है कि वह यहोवा से छुटकारे की आस लगाए हुए था और उसे पूरा विश्वास था कि परमेश्वर अपनी मरज़ी के मुताबिक घटनाओं का रुख बदल सकता है। राजा के सामने एस्तेर के हाज़िर होने से पहले, एस्तेर और बाकी यहूदियों ने तीन दिन उपवास किया, जिससे परमेश्वर पर उनके भरोसे का पता चलता है। (एस्ते. 4:16) इस किताब में दर्ज़ घटनाएँ दिखाती हैं कि इनके पीछे परमेश्वर का ही हाथ था, जैसे स्त्रियों के रखवाले हेगे को एस्तेर का पसंद आना, एक रात राजा को नींद न आना, इस वजह से सरकारी दस्तावेज़ों की जाँच करने की आज्ञा देना, और यह पता चलना कि मोर्दकै को अपनी नेकी का कोई इनाम नहीं मिला था। (एस्ते. 2:8, 9; 6:1-3. नीतिवचन 21:1 से तुलना कीजिए।) इस किताब में “उपवास और विलाप किए” जाने की बात की गयी है, उसका मतलब बेशक प्रार्थना करना हो सकता है।—एस्ते. 9:31.
4 कई सबूत दिखाते हैं कि एस्तेर किताब का रिकॉर्ड सच्चा है और ये सारी घटनाएँ असल में घटी थीं। यहूदी इस किताब को सच मानते थे और उन्होंने इसे मेघ्घिला कहा जिसका मतलब है “एक डंडे पर लिपटा हुआ दस्तावेज़।” ऐसा लगता है कि एज्रा ने इस किताब को इब्रानी किताबों के संग्रह में शामिल किया था। अगर यह सिर्फ एक मनगढ़ंत कहानी होती तो एज्रा इसे हरगिज़ बाइबल संग्रह में शामिल नहीं करता। आज तक यहूदी, एस्तेर के ज़माने के बड़े छुटकारे का जश्न मनाने के लिए पूरीम या चिट्ठियाँ डालने का पर्व मनाते हैं। इस किताब में फारसियों के अदब-कायदे और रीति-रिवाज़ों की ऐसी जीती-जागती तसवीर पेश की गयी है, मानो यह सब हमारे सामने ही घट रहा हो। ये सारे रिवाज़, इतिहास की जानी-मानी सच्चाइयों और पुरातत्व की खोज के मुताबिक सही हैं। मिसाल के लिए, एस्तेर की किताब सही-सही बताती है कि फारसी लोग किसी आदमी का सम्मान कैसे करते थे। (6:8) पुरातत्व की खुदाई से पता चला है कि एस्तेर की किताब में राजमहल का जो ब्यौरा दिया है, उसकी छोटी-से-छोटी बारीकी भी बिलकुल सही है।a—5:1, 2.
5 घटनाओं की एक-एक बारीकी के सही होने का सबूत इस कहानी में भी देखा जा सकता है। राजा के दरबारियों और परिचारकों के सही-सही नाम, यहाँ तक कि हामान के दस बेटों के भी नाम बताए गए हैं। मोर्दकै और एस्तेर की वंशावली बतायी गयी है कि वे बिन्यामीन गोत्र के किश नाम के एक शख्स के परिवार से थे। (2:5-7) फारस के सरकारी दस्तावेज़ों का भी ज़िक्र किया गया है। (2:23; 6:1; 10:2) यह किताब अपने ज़माने की इब्रानी भाषा में लिखी गयी है और इसमें कई फारसी और अरामी शब्द भी जोड़े गए हैं। यह शैली इतिहास, एज्रा और नहेमायाह की किताबों की शैली से काफी मिलती है। इस तरह एस्तेर किताब की शैली दिखाती है कि इसमें जिस ज़माने की घटनाएँ दर्ज़ हैं, यह उसी दौर में लिखी गयी थी।
6 माना जाता है कि एस्तेर किताब की घटनाएँ उन दिनों घटीं जब शक्तिशाली फारसी साम्राज्य बुलंदियों पर था और इस किताब में राजा क्षयर्ष (ज़रक्सीज़ प्रथम) की हुकूमत के लगभग 18 सालों का ब्यौरा है। यह किताब हमें लगभग सा.यु.पू. 475 तक की घटनाएँ बताती है और यूनान, फारस और बाबुल के इतिहास के सूत्र भी इसी तारीख का समर्थन करते हैं।b मोर्दकै इस कहानी का एक मुख्य किरदार है और इसमें बतायी घटनाओं का चश्मदीद गवाह भी। ऐसा लगता है कि उसी ने यह किताब लिखी थी। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि इस कहानी में जो छोटी-छोटी बातें और अंदरूनी जानकारी दी गयी है, उससे पता चलता है कि इसका लेखक शूशन के राजमहल में हुई घटनाओं का चश्मदीद गवाह था।c हालाँकि मोर्दकै का ज़िक्र बाइबल की किसी और किताब में नहीं आता, फिर भी इस बात पर सवाल नहीं उठाया जा सकता कि मोर्दकै इतिहास का एक असली शख्स था। गौर करने लायक बात है कि एक कीलाक्षर लेख पाया गया है जिस पर कोई तारीख नहीं है और जर्मनी के ए. अंगनद ने बताया है कि इसमें लिखा है कि ज़रक्सीज़ प्रथम के शासन के वक्त मारदुका (मोर्दकै?) सूसा (शूशन) के दरबार में एक बड़े पद पर काम करनेवाला मंत्री था।d तो ज़ाहिर है कि शूशन में ही मोर्दकै ने एस्तेर किताब लिखकर पूरी की थी। इसमें बतायी घटनाएँ होने के कुछ ही वक्त बाद, मौर्दकै ने उनको दर्ज़ किया, यानी सा.यु.पू. 475 के आस-पास।
क्यों फायदेमंद है
16 बाइबल के किसी और लेखक ने सीधे तौर पर एस्तेर किताब का हवाला नहीं दिया, फिर भी यह किताब बाकी ईश्वर-प्रेरित शास्त्र से पूरी तरह मेल खाती है। दरअसल, इस किताब में बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक जीनेवालों की कुछ बेहतरीन मिसालें दर्ज़ हैं। यही सिद्धांत बाद में मसीही यूनानी शास्त्र में भी लिखे गए और ये हर ज़माने में यहोवा के उपासकों पर लागू होते हैं। आगे दी गयी आयतों को जाँचने से न सिर्फ इस बात के सच होने का सबूत मिलेगा, बल्कि इससे हमारा मसीही विश्वास भी मज़बूत होगा: एस्तेर 4:5—फिलिप्पियों 2:4; एस्तेर 9:22—गलतियों 2:10. यहूदियों पर लगाया गया इलज़ाम कि वे राजा के कानूनों को नहीं मानते, पहली सदी के मसीहियों पर लगाए गए इलज़ाम जैसा ही था। (एस्ते. 3:8, 9; प्रेरि. 16:21; 25:7) आज यहोवा के सच्चे सेवक, मोर्दकै, एस्तेर और उनके साथी यहूदियों की बढ़िया मिसाल पर चलते हुए, खुद पर लगाए जानेवाले इलज़ामों का बेखौफ सामना करते हैं और प्रार्थना करते हुए परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं कि वह उनको छुड़ाने की शक्ति रखता है।—एस्ते. 4:16; 5:1, 2; 7:3-6; 8:3-6; 9:1, 2.
17 मसीही होने के नाते, हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हमारे हालात मोर्दकै और एस्तेर के हालात से अलग हैं। हम भी इस पराए संसार में “प्रधान अधिकारियों” के अधीन जीते हैं। हम चाहे दुनिया के किसी भी कोने में रहते हों, हम अपने देश के कायदे-कानूनों को मानना चाहते हैं, पर साथ ही हम ‘जो कैसर का है, वह कैसर को देने और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को देने’ के बीच साफ-साफ फर्क बनाए रखना चाहते हैं। (रोमि. 13:1; लूका 20:25) प्रधानमंत्री मोर्दकै और रानी एस्तेर ने परमेश्वर की भक्ति करने और राजा की तरफ अपना फर्ज़ निभाने में अच्छी मिसाल रखी। (एस्ते. 2:21-23; 6:2, 3, 10; 8:1, 2; 10:2) लेकिन मोर्दकै ने, घिनौने अगागी हामान के आगे सिजदा करने के शाही हुक्म को मानने से बेखौफ इनकार किया। यही नहीं, जब हामान ने यहूदी जाति का सफाया करने की साज़िश रची तो मोर्दकै ने कानून की मदद से इंसाफ के लिए पुकार भी लगायी।—3:1-4; 5:9; 4:6-8.
18 सारे सबूत यही दिखाते हैं कि एस्तेर की किताब पवित्र बाइबल का एक हिस्सा है और ‘परमेश्वर की प्रेरणा से रची गयी और उपयोगी है।’ यह किताब सीधे तौर पर परमेश्वर का या उसके नाम का ज़िक्र न करने पर भी, हमें विश्वास की उम्दा मिसालें देती है। मोर्दकै और एस्तेर, कथा-कहानियों के काल्पनिक किरदार नहीं थे, बल्कि वे यहोवा परमेश्वर के सच्चे सेवक थे, जिन्होंने पूरा-पूरा भरोसा रखा कि यहोवा अपने लोगों को बचाने की शक्ति रखता है। पराए देश में “प्रधान अधिकारियों” के अधीन रहते हुए भी उन्होंने परमेश्वर के लोगों की और सच्ची उपासना की रक्षा करने के लिए हर मुमकिन तरीके से कानून का सहारा लिया। आज हम भी उनकी मिसाल पर चलकर, छुटकारा दिलानेवाले परमेश्वर के राज्य के “सुसमाचार की रक्षा और उसके पुष्टिकरण” के लिए काम कर सकते हैं।—फिलि. 1:7, NHT.
[फुटनोट]
a इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्, भाग 1, पेज 764; भाग 2, पेज 327-31.
b इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्, भाग 2, पेज 613-16.
c मैक्लिंटॉक और स्ट्रॉन्ग की साइक्लोपीडिया, सन् 1981 में दोबारा छापी गयी, तीसरा भाग, पेज 310.
d ए. अंगनद, “कीलिनश्ख्रिफ्टलिच ब्यीट्रेज ज़म बुक एस्रा अंड एस्टर” ज़िट्सक्रिफ्ट फूर डाई आल्टेस्टामेंटलिंच विसनस्काफ्ट LVIII (1940-41), पेज 240-4.