जब बच्चों को बच्चे होते हैं
“वह ऐसे लग रहा था, मानो कोई परीकथा से निकला हो,” एक युवती ने जिसे हम शॅरन कहेंगे दुःख से स्मरण किया। “वह हर समय यह कहता था कि वह मुझ से प्यार करता है और यह कि अगर उसकी कोई प्रेमिका कभी भी गर्भवती हो जाए तो वह उसे कभी नहीं छोड़ देता।”
एक दिन शॅरन अपने डॉक्टर से मिलने गयी, उसकी जाँच करने के लिए जो उसे उपांत्रशोथ लगता था; यह पाया गया कि वह तीन महिनों से गर्भवती थी। “मैंने मेरे प्रेमी को तुरन्त बुला लिया,” शॅरन याद करती है। उसकी प्रतिक्रिया? “तुम्हें गर्भपात करना चाहिए! अभी इससे पिंड छुड़ा लो!” परी-कथा एक दुःस्वप्न बन गया।
केवल अमरीका में, हर वर्ष क़रीब दस लाख युवतियाँ गर्भवती होती हैं। अमरीका के पास औद्योगिक देशों में सब से अधिक गर्भधारण अनुपात होने की अनिश्चित विशिष्टता है—एकमात्र देश जहाँ यह अनुपात बढ़ रहा है। किन्तु, द ॲलन गुट्मॅकर इस्टिट्यूट द्वारा संचालित एक ३७-देश विश्लेषण ने यह प्रकट किया कि अविवाहित किशोरियों में गर्भधारण एक विश्वसमस्या है।
अडॉलसेन्स इस पत्रिका में शोध-कर्ताएं ब्लॅक और डीब्लॅसी ने लिखा: “स्कूली उमर की लडकियाँ जो गर्भवती होती हैं, वे समाज के सभी आर्थिक वर्गों और दोनों सार्वजनिक और असार्वजनिक विद्यालयों से आती हैं। सभी जाति, सभी धर्म, और देश के सभी भाग, देहाती और शहरी प्रतिनिधित हैं।” गरीब या अल्पसंख्यक परिवारों की लड़कियों में जन्मदर क्यों उच्चतर है, उसके कारण के विषय में जर्नल ऑफ मॅरेज ॲन्ड द फॅमिली कहती है: “गोरे और समाज के उच्चतर आर्थिक स्थिति की लड़कियाँ प्रायः अधिक गर्भपात करते हैं।”
अमरीका में सभी वैधिक गर्भपातों की एक तिहाई के लिए २० वर्ष से कम उमर की औरतें जिम्मेदार हैं। नैतिक विचारों को छोड़, गर्भपात करने के निश्चय के साथ जीना बहुधा एक मुश्किल बात सिद्ध होती है। एक औरत जो केवल एक किशोरी होने पर गर्भपात किया था स्मरण करती है, ”मुझ पर विश्वास करो, यह जानना चोट पहुँचाती है कि मैं एक खून का कारण थी, एक ऐसा खून जिसके लिए वह मृत व्यक्ति यह कभी नहीं जानेगा कि मैं कितनी दुःखी हूँ।”
समाधान के लिए खोज
सामाजिक कलंक, अस्थिर शादियाँ, ग़रीबी—ये किशोर गर्भधारण के कुछ सामान्य परिणाम हैं। फिर, कोई आश्चर्य नहीं, कि यह मामला शिक्षकों, डॉक्टरों, राजनीतिज्ञों और माता-पिताओं की चिन्ता का केन्द्रबिन्दु बन गया है। कुछ लोग यौन-शिक्षण कार्यक्रम आवश्यक समझते हैं, यह भी मांग करते हैं कि गर्भनिरोधक और गर्भपात सेवाएं युवजनों के लिए आसान रूप से प्राप्य बनाए जाएँ।
फिर भी, कुछ युवजनों में भावात्मक आवश्यकताएं हैं जो यौन-शिक्षण पूर्ण नहीं कर सकती। उदाहरणार्थ कुछ लड़कियों में सचमुच गर्भवती बनने की चाह थी! जैसे एक युवती ने व्यक्त किया: “अपने माता-पिता का ध्यान पाने के लिए मैंने मुसीबत में पड़ जाने की कोशिश की। मैंने कल्पना किया कि यह [बच्चा] कुछ ऐसा होगा जो मेरा हो सकता है—कोई उसे ले नहीं सकता और मेरे पास मेरा एक छोटा अंश रह जाता जो मुझे जीने का एक कारण देता।”
इसके अतिरिक्त, यौन-शिक्षण कार्यक्रम युवजनों को नैतिक मार्गदर्शन नहीं देते। स्वीड़ेन और नेदरलैंडस् जैसे देशों में, जहाँ ऐसे कार्यक्रम सामान्य हैं, शायद किशोरावस्था के गर्भधारण कम होंगे, लेकिन स्वच्छन्द संभोग प्रबल है। क्या ऐसा हो सकता है, कि गर्भधारण के अतिरिक्त, स्वच्छन्द संभोग से गंभीर भावात्मक, नैतिक और आध्यात्मिक हानि उठानी पड़ती है? अगर ऐसा है, तो क्या गर्भनिरोध नहीं, बल्कि शुचिता को प्रोत्साहित करने का कोई ठोस कारण हैं? उत्तर में, चलो हम देखते हैं कि अस्तित्व में सबसे पुरानी पुस्तक—बाइबल—इस विषय पर क्या कहती है।
[पेज 26 पर तसवीरें]
“स्कूली-उमर की लडकियाँ जो गर्भवती होती हैं, वे समाज के सभी आर्थिक वर्गों और दोनों सार्वजनिक और असार्वजनिक विद्यालयों से आती हैं। सभी जाति, सभी धर्म, और देश के सभी भाग, देहाती और शहरी, प्रतिनिधित हैं।”—अडॉलसेन्स नामक पत्रिका.