कौन मनुष्यजाति को शान्ति की ओर ले जाएगा?
क्या इस तथ्य से, कि मनुष्यजाति शान्ति नहीं ला सकती, यह अर्थ निकलता है कि हम कभी शान्ति नहीं देख पाएँगे? नहीं। जिस तरह शैतान, जो हम से अधिक ताक़तवर है, पृथ्वी पर शान्ति के क़ायम होने में परम बाधा है, उसी तरह एक ऐसा व्यक्ति मौजूद है जो शैतान से भी ज़्यादा ताक़तवर है, और जो मनुष्यजाति को शान्ति की ओर ले जाएगा। बाइबल जो शैतान के बारे में बताती है, इस व्यक्ति के बारे में भी बताती है। यह कहती है: “प्रभुता उसके काँधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत युक्ति करनेवाला, पराक्रमी ईश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा।” (यशायाह ९:६, ७, न्यू.व.) यह शान्ति का राजकुमार कौन है? यीशु मसीह के अलावा और कोई नहीं, और वही शान्ति ला सकता है, इसलिए कि वह हम से ज़्यादा योग्य है। किन रीतियों में?
मानवी योग्यताओं से अधिक
एक बात तो यह है कि यीशु कोई मनुष्य नहीं है, जो मृत्यु के आधीन है। यह सच है कि वह किसी समय एक मनुष्य के तौर से जीवित था और एक बलिदान के रूप में मर गया था। लेकिन उसके बाद उसे अमर स्वर्गीय जीवन प्राप्त करने के लिए पुनरुत्थित किया गया, और इसी अवस्था में वह शान्ति का राजकुमार बनता है। इसीलिए एक भविष्यवाणी में कहा गया है: “उसके राज्य का अन्त न होगा।” (लूका १:३२, ३३) पूर्वी सम्राट् अशोक से भिन्न, यीशु अनन्त रूप से जीवित रहेगा, यह निश्चित करने के लिए कि उसका अच्छा काम घटिया उत्तराधिकारियों द्वारा बरबाद नहीं किया जाए।
इसके अलावा, यीशु पाप से दूषित नहीं है। उसकी हुक़ूमत ईश्वरीय बुद्धि और उचित सिद्धान्तों पर आधारित है। भविष्यवक्ता यशायाह ने पूर्वबतलाया: “यहोवा की आत्मा, बुद्धि और समझ की आत्मा, युक्ति और पराक्रम की आत्मा, और ज्ञान और यहोवा के भय की आत्मा उस पर ठहरी रहेगी . . . वह मुँह देखा न्याय न करेगा और न अपने कानों के सुनने के अनुसार निर्णय करेगा; परन्तु वह कंगालों का न्याय धर्म से . . . करेगा।” (यशायाह ११:२-४) किसी पूर्व युग के यूरोपीय लोगों से भिन्न, यीशु स्वदेश में शान्ति क़ायम करके विदेश में युद्ध नहीं करेंगे। उसके अधीन, शान्ति विश्वव्यापक होगी।
इसके अतिरिक्त, यीशु को शान्ति लाने की ताक़त है। भविष्यवाणी कहती है: “यहोवा की आत्मा, . . . युक्ति और पराक्रम की आत्मा” उस पर है। यही आत्मा विश्व की सृष्टि और बाइबल में बतलाए गए धर्म के सभी प्रभावशाली कार्यों के पीछे थी। महान विरोधी, शैतान, के पास भी ऐसे हथियार नहीं, जिस से परमेश्वर की आत्मा की ताक़त का सफ़लतापूर्वक विरोध हो सके।
शान्ति की ओर ले जानेवाले क़दम
यीशु किस तरह मनुष्यजाति को शान्ति की ओर ले जाएगा? आपको शायद ताज्जुब होगा कि उसने इसकी पहले ही शुरुआत की है। प्रकाशितवाक्य की भविष्यसूचक किताब में, यीशु को परमेश्वर की ओर से एक स्वर्गीय राज्य में हुक़ूमत पाते हुए देखा जाता है। (प्रकाशितवाक्य ११:१५) अगर हम ध्यान से बाइबल की भविष्यवाणियों की जाँच करेंगे और हमारी सदी में हुई घटनाओं के साथ इनकी तुलना करेंगे, तो हम देख सकेंगे कि एक राजा के तौर से यीशु का राज्याभिषेक स्वर्ग में १९१४ में ही हुआ। (मत्ती २४:३-४२) पृथ्वी पर शान्ति क़ायम करने की ओर वह एक महत्त्वपूर्ण क़दम था।
यद्यपि, अगर यह बात थी, तो १९१४ में पहला विश्व युद्ध की शुरुआत क्यों हुई? और हमारी सदी में इतिहास में अन्य किसी भी सदी से अधिक युद्ध क्यों हुए हैं? क्योंकि शैतान को स्वर्ग में से हमेशा के लिए निकाल देना और उसे पृथ्वी के प्रतिवेश में फेंक देना स्वर्गीय राजा का पहला कार्य था। इसका नतीजा? भविष्यवाणी कहती है: “हे पृथ्वी, और समुद्र, तुम पर हाय! क्योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है, क्योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाक़ी है।” (प्रकाशितवाक्य १२:७-१२) हमारी सदी के महायुद्ध शैतान के इस क्रोध से संबंधित हैं। लेकिन ग़ौर करें: शैतान का क्रोध “थोड़े ही समय” के लिए है। संकटकाल जल्द ही समाप्त होगा!
यद्यपि, इसके समाप्त होने से पहले, शान्ति का राजकुमार शान्ति के लिए अधिक अत्यावश्यक तैयारियाँ करते हैं। पहली बात तो यह है कि मनुष्यजाति को मसीह के ज़रिए शान्ति लाने के लिए परमेश्वर के उद्देश्य के बारे में जानना ज़रूरी है। इसके अनुकूल, यीशु ने भविष्यवाणी की कि हमारे समय में “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।” (मत्ती २४:१४) इसकी पूर्ति में, आज यहोवा के गवाह इस सुसमाचार को पृथ्वी के हर कोने में सुना रहे हैं।
फिर, नेकनीयत लोगों को शान्ति के मार्गों में शिक्षित करना होगा। बाइबल वादा करती है: “तेरे सब लड़के यहोवा के सिखलाए हुए होंगे, और उनको बड़ी शान्ति मिलेगी।” (यशायाह ५४:१३) लाखों नेकनीयत लोग अब भी यह शिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
अगला क़दम
शान्ति क़ायम करने की प्रक्रिया में एक और निर्णायक क़दम लेने के लिए अब समय लगभग आ ही गया है। वह क्या है? यह ऐसी बात है जिसका नाम अनेक जानते हैं, परन्तु जिसका सही मक़सद बहुत कम लोग जानते हैं। बाइबल इसे “सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उस बड़े दिन की लड़ाई,” या अरमगिदोन कहती है। (प्रकाशितवाक्य १६:१४, १६) अनेक लोग समझते हैं कि अरमगिदोन एक परमाणु युद्ध होगा जो सभ्यता को नष्ट कर देगा। इसके विपरीत, यह शान्ति के राजकुमार, यीशु द्वारा किया गया एक सीधा कार्य होगा, उन बातों को पूरा करने के लिए जो शान्ति के लिए अत्यावश्यक है।
सबसे पहले, अरमगिदोन शान्ति क़ायम करने के मार्ग से सभी मानवी बाधाओं को हटा देगा। भजन ३७:१० में दी गयी भविष्यवाणी कहती है: “थोड़े दिन के बीतने पर दुष्ट रहेगा ही नहीं; और तू उसके स्थान को भली भाँति देखने पर भी उसको न पाएगा।” जी हाँ, यीशु “दुष्ट” को—युद्ध करनेवाले, अपराधी, आतंकवादी, और साथ ही उन सभी लोगों को, जो महान् शान्ति के राजकुमार को स्वीकार करने से इंकार करते हैं—पार्थिव दृश्य से हटाएगा। उन्हें और आगे इस ग्रह पर जीवित रहने का कोई हक़ नहीं रहेगा।—प्रकाशितवाक्य १९:१९-२१.
दूसरी बात, अरमगिदोन के समय दानिय्येल की यह भविष्यवाणी पूरी होगी: “उन राजाओं के दिनों में स्वर्ग का परमेश्वर, एक ऐसा राज्य उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा, और न वह किसी दूसरी जाति के हाथ में किया जाएगा। वरन वह उन सब राज्यों को चूर चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा; और वह सदा स्थिर रहेगा।” (दानिय्येल २:४४) वही राष्ट्रीय सीमाएँ, जिनकी वजह से कितनी बार युद्ध शुरु हुए हैं, मिटा दी जाएँगी। अन्त में, एक ऐसे शासक के अधीन, जिस पर हम भरोसा कर सकते हैं, एक विश्व सरकार क़ायम होगी!
अरमगिदोन कब आएगा? बाइबल यह नहीं बताती। लेकिन भविष्यवाणी की पूर्ति में होनेवाली विश्व घटनाओं से सूचित होता है कि यह बहुत ही जल्द होगा। बाइबल स्पष्टतः पूर्वबतलाती है कि एक विशेष घटना इसके तुरंत पहले होगी। प्रेरित पौलुस कहता है: “जब लोग कहते होंगे, कि कुशल है, और कुछ भय नहीं, तो उन पर एकाएक विनाश आ पड़ेगा।” (१ थिस्सलुनीकियों ५:३) फिर, उस एकाएक विनाश के फ़ौरन बाद, जिसका चरमोत्कर्ष अरमगिदोन में होगा, शान्ति के मार्ग में से सबसे बड़े बाधा को हटा दिया जाएगा। शैतान का “थोड़ा ही समय” समाप्त होगा, और उसे एक ऐसी स्थिति में डाल दिया जाएगा, जिस में से वह अब और यहाँ पृथ्वी पर तक़लीफ़ उत्पन्न नहीं कर सकेगा। (प्रकाशितवाक्य २०:१-३) यह कैसा छुटकारा होगा!
एक शान्त दुनिया
उस समय की स्थिति की कल्पना करें। भजनकार ने भविष्यवाणी की: “नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएँगे।” (भजन ३७:११) ये नम्र लोग यशायाह की सुन्दर भविष्यवाणी को पूरा करते रहेंगे: “वह जाति जाति का न्याय करेगा, और देश देश के लोगों के झगड़ों को मिटाएगा, और वे अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल और अपने भालों को हंसिया बनाएँगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरुद्ध फिर तलवार न चलाएगी, न लोग भविष्य में युद्ध की विद्या सीखेंगे।”—यशायाह २:४.
आख़िरकार, अदन के समय से अब पहली बार, सभी जीवित मानव यहोवा परमेश्वर के आशीर्वाद का आनन्द उठाएँगे, और वह अपना वादा पूरा करेंगे: “देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर उन के साथ रहेगा; और उनका परमेश्वर होगा। और वह उन की आँखों के सब आँसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहीं।”—प्रकाशितवाक्य २१:३, ४.
एक पक्की आशा
तो फिर, कौन मनुष्यजाति को शान्ति की ओर ले जाएगा? नियुक्त शान्ति का राजकुमार, यीशु मसीह। क्या यह आज हमारे लिए एक व्यावहारिक आशा है? ख़ैर, अगर बाइबल के वादे भरोसेयोग्य न होते, तो शान्ति के लिए कोई वास्तविक आशा न होती। मनुष्य एक दूसरे से लड़ते और हत्या करते रहते, और इसका कोई अन्त ही न होता। लेकिन बाइबल भरोसेयोग्य है, और मसीह के अधीन परमेश्वर का राज्य शान्ति ज़रूर ले आएगा। हम आपको प्रोत्साहित करते हैं कि आप राज्य के सुसमाचार को सुनें जो यहोवा के गवाह आपके घर आकर आपको सुनाएँगे, और खुद इसकी जाँच करें। फिर, जब समय आएगा, तब ऐसा हो कि आप उन नम्र लोगों में हों, जो पृथ्वी के अधिकारी होंगे और जो शान्ति की बहुतायत में आनन्द मनाएँगे।
इस लेख में जिस शान्ति की आशा पर चर्चा की गयी है, वह बाइबल में से है। आज, जब अनेक लोग बाइबल में अब और विश्वास नहीं करते, आप शायद इस बात पर सन्देह करेंगे कि क्या यह आशा व्यावहारिक है। यहोवा के गवाह दृढ़तापूर्वक मानते हैं कि यह व्यावहारिक है। वे बाइबल को परमेश्वर के उत्प्रेरित वचन के तौर से स्वीकार करते हैं, और इसलिए इसे पूर्ण रूप से भरोसेयोग्य मानते हैं। १९८९ में उन्होंने एक किताब प्रकाशित की, जिसका शीर्षक है द बाइबल—गॉड्स वर्ड ऑर मॅन्स्? और जिस में इस तथ्य के लिए कई सबूत पेश किए गए थे।
“विश्व शान्ति—दरअसल इसका अर्थ क्या होगा?” इस शीर्षक वाले लेख में बाइबल में दिए शान्ति के वादे पर अधिक जानकारी प्रकाशित होगी, जो कि प्रहरीदुर्ग के नवम्बर १, १९९१, अंक में प्रकाशित किया जाएगा।
[पेज 8 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
सिर्फ़ यीशु में ही मनुष्यजाति को शान्ति की ओर ले जाने की योग्यताएँ हैं
[पेज 9 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
आज, राज्य का सुसमाचार पृथ्वी के हर कोने में सुनाया जा रहा है