सुसमाचार वृत्तान्तों का वॉशिंग्टन कोडेक्स
दिसम्बर १९०६ में, चार्ल्स एल. फ्रीयर ने, जो एक धनी अमरीकी उद्योगपति और कला संग्राहक था, मिस्र के गीज़ा शहर में, अली नाम के एक अरबी व्यापारी से कुछेक पुरानी पाण्डुलिपियाँ ख़रीद लीं। अली ने कहा कि ये सोहॅज नगर के पास, व्हाइट मॉनस्ट्री से मिली थीं, लेकिन यह ज़्यादा सम्भव है कि ये नाइल डेल्टा में गीज़ा के तीसरे पिरामिड् के पास, मॉनस्ट्री ऑफ द वाइनड्रेस्सर के खण्डहरों में पाए गए थे।
फ्रीयर को तीन पाण्डुलिपियाँ और “चर्मपत्र का एक काला, सड़ा हुआ ढेला, जिसका बाहरी भाग गोंद जैसा सख़्त और भंगुर था,” दिए गए। इसका नाप तक़रीबन ६.५ इंच लम्बा, ४.५ इंच चौड़ा और १.५ इंच मोटा था, और इसे पाण्डुलिपियों के साथ सिर्फ़ इसीलिए बेचा गया कि यह उनके साथ था, और न इसलिए कि इसका खुद का कोई कल्पित मूल्य था। खण्डित पन्नों के इस जमे हुए ढेर को अलग करना एक श्रमसाध्य और बारीक काम था, लेकिन आख़िरकार उन में से ८४ पन्ने प्रकट हुए, सभी जो पौलुस की पत्रियों के सामान्य युग की पाँचवीं या छठीं सदी के कोडेक्स से थे।
बाक़ी के तीन पाण्डुलिपियों में से एक पाण्डुलिपि में व्यवस्थाविवरण और यहोशू की किताबों थीं। एक और में भजन संहिता थी, जो कि यूनानी भाषा के सेप्टुआजिन्ट अनुवाद से थी। तीसरी और उन सब में से सबसे महत्त्वपूर्ण पाण्डुलिपि, चार सुसमाचार पत्रों की पाण्डुलिपि थी।
इस अवरोक्त पाण्डुलिपि में पतले चर्मपत्र, अधिकतर मेषचर्म से बनी हुई १८७ पन्ने हैं, जो तिरछे यूनानी अन्शियल (बड़े टाइप) में लिखी गयी हैं। विरामादि-विधान विरले ही मिलता है, लेकिन अक्सर वाक्यांशों के बीच छोटी-छोटी जगह हैं। पाण्डुलिपि की कोरें सभी बहुत ही बुरी तरह से क्षीण हुई थीं, लेकिन लिखाई अधिकतर सुरक्षित थी। इसे बाद में वॉशिंग्टन, डी.सी. में, स्मिथ्सोनियन इंस्टिट्यूट के फ्रीयर गॅलरी ऑफ आर्ट, को पेश किया गया। इसे वॉशिंग्टन कोडेक्स ऑफ द गॉस्पेल्स का नाम देकर, “W” का पहचान-चिह्न दिया गया।
इस चर्मपत्र के तिथि-निर्धारण से पता चला है कि यह चौथी सदी के बादवाले हिस्से या पाँचवीं सदी के प्रारंभिक हिस्से से है, इसलिए महत्त्व में इसे साइनाइटिक, वैटिकन्, और ॲलेक्सॅन्ड्रीन पाण्डुलिपियों के महत्त्वपूर्ण त्रिक के आस-पास स्थान दिया गया है। सुसमाचार पत्र (जो दो खोए गए पन्नों को छोड़ सम्पूर्ण हैं) मत्ती, यूहन्ना लूका और मरकुस के तथाकथित पाश्चातिक क्रम में हैं।
पाण्डुलिपियों को पढ़ने से मूलपाठ के टाइप में एक असाधारण मिश्रण प्रकट होता है, प्रत्येक जो बड़े, अविराम खण्डों में प्रस्तुत है। ऐसा प्रतीत होता है कि इनकी नक़ल कई पाण्डुलिपियों के अवशेषों के टुकड़ों से की गयी है, हर एक जिसके मूलपाठ का टाइप अलग था। प्रोफ़ेस्सर एच. ए. सॅन्डरस् ने सुझाव दिया कि यह सा.यु. के वर्ष ३०३ में एम्परर (सम्राट्) डायोक्लीशियन के आदेशानुसार किए मसीहियों के अचानक उत्पीड़न के समय का होगा, जिसकी आदेश से धर्मशास्त्रों की सभी प्रतियों को सब के सामने जला डालने की आज्ञा दी गयी। हम ऐतिहासिक वृत्तान्तों से जानते हैं कि उस समय कुछेक पाण्डुलिपियों को छिपा दिया गया था। ऐसा लगता है कि दशकों बाद किसी अज्ञात व्यक्ति ने अलग-अलग पाण्डुलिपियों के बचे हुए टुकड़ों की नक़ल करके वॉशिंग्टन कोडेक्स के मूलपाठ को तैयार किया। बाद में, यूहन्ना का पहला दस्ता (यूहन्ना १:१ से ५:११ तक), किसी समय में गुम हो गया और इसे सा.यु. की सातवीं सदी में दोबारा लिखना पड़ा।
मूलपाठ में कुछेक दिलचस्प विभिन्नताएँ हैं, और मरकुस अध्याय १६ को एक असाधारण, परन्तु अस्वीकृत, जोड़ है, जिसकी शुरुआत सम्भवतः एक पार्श्वटिप्पणी के तौर से हुई। इस पाण्डुलिपि का ख़ास मूल्य उसके पुराने लैतिन और सिरिएक भाषा अनुवादों के साथ सम्बन्ध में है। चर्मपत्र पर गिरे चर्बी से बनी बत्तियों के टपकों से उत्पन्न दाग़ों से सूचित होता है कि इसका उपयोग बहुत ज़्यादा हुआ था।
उत्पीड़न और विरोध और समय की क्षति के बावजूद, अनेक पाण्डुलिपियों के रूप में बाइबल को हमारे लिए अद्भुत रीति से सुरक्षित रखा गया है। सचमुच, “यहोवा का वचन युगानुयुग स्थिर रहेगा।”—१ पतरस १:२५; यशायाह ४०:८.
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किस की “ज़रूरत” है?
सुसमाचार पत्रों के इस W कोडेक्स ने यीशु की एक टिप्पणी के अनुवाद में भाग लिया है, जो उसने अपने नज़दीक़ी मित्र लाजर की बहन मरथा से की थी। जब यीशु ने उस परिवार से भेंट की, मरथा को लगा कि यीशु के लिए एक अच्छा भोजन तैयार करना सबसे महत्त्वपूर्ण है, लेकिन उसने कृपालुता से उसे सुझाव दिया कि वह भी अपनी बहन मरियम की मिसाल का अनुकरण करे, जो उसके पैरों के पास बैठी उसे सुन रही थी। उसने कहा: “परन्तु थोड़ी ही चीज़ें, या एक ही चीज़ की ज़रूरत है। उसकी ओर से, मरियम ने उत्तम भाग को चुन लिया है, और इसे उस से न छीना जाएगा।”—लूका १०:४२, न्यू.व.
ये शब्द वेस्टकॉट्ट और हॉर्ट द्वारा तैयार किए गए १८८१ के यूनानी मूलपाठ का अनुवाद हैं, जो कि न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन का मूलाधार है। इस बाइबल के १९८४ रेफ़रेंस संस्करण की एक फुटनोट में दिखाया गया है कि यह अनुवाद साइनाइटिक (א) और वैटिकन (B) पाण्डुलिपियों से लिया गया है, दोनों जो एक ही मूलपाठ टाइप के प्रातिनिधिक हैं। लेकिन ॲलेक्सॅन्ड्रीन (A) पाण्डुलिपि में यूँ लिखा गया है: “यद्यपि, एक ही वस्तु आवश्यक है। उसकी ओर से, . . . ” जैसे कि फुटनोट में बताया गया है, कोडेक्स W, और साथ ही चेस्टर बीयटी पॅपाइरस् (P45) और बॉडमर पॅपाइरस् (P75) दोनों जो सा.यु. की तीसरी सदी के हैं, इस अवरोक्त अनुवाद से सहमत हैं। लेकिन ये सारी पाण्डुलिपियाँ वर्ष १८८१ में वेस्टकॉट्ट और हॉर्ट द्वारा प्रकाशित किए गए मूलपाठ के बहुत समय बाद ही दुनिया के नज़रों के सामने आयीं, जिस से उन्हें इस वैकल्पिक अनुवाद पर ग़ौर करने का मौक़ा ही नहीं मिला। आज हम उस पाठ का जो भी अनुवाद स्वीकार करना चाहें, फिर भी, यीशु हमें स्पष्ट रूप से बताता है कि हम अपनी ज़िन्दगी में आध्यात्मिक बातों को पहला स्थान दें—ऐसी सलाह जिस पर अमल करके हम भली-भाँति करेंगे
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Courtesy of Freer Gallery of Art, Smithsonian Institution