यहोवा के लिए प्रेम सच्ची उपासना को प्रोत्साहित करता है
“परमेश्वर का प्रेम यह है, कि हम उस की आज्ञाओं को मानें।”—१ यूहन्ना ५:३.
१, २. हमें यहोवा की सेवा किस प्रेरणा से करनी चाहिए?
जापान से आए ८० मेहमानों का एक समूह, कॅलिफॉर्निया, यू.एस.ए., में यहोवा के गवाहों के एक अस्सेंब्ली हॉल की सैर कर रहा था। मनोहर पास-पड़ोस में, जिसमें एक बाग़ और उस में उड़नेवाले ब्लू जे पक्षी, फ़ाख़ते और मर्मर-पक्षी थे, उन्होंने खुद को अपने महान् सृष्टिकर्ता, यहोवा परमेश्वर के और भी क़रीब महसूस किया। उनकी सैर करानेवाले गाइड को जल्द ही पता चला कि उस समूह में तक़रीबन हर कोई एक पायनियर के तौर पूरे समय का कार्य कर रहा था। इसलिए, बाद में, समूह से एक सवाल पूछा गया, जो अकसर पूछा जा चुका है: “जापान में इतने सारे पायनियर क्यों हैं?” एक लम्हे के लिए ख़ामोशी रही। फिर एक जवान औरत ने खुद-ब-खुद कहा: “इसलिए कि हम यहोवा से प्रेम रखते हैं।”
२ यहोवा के प्रति प्रेम—यह हमें उनकी सेवा में उत्साही होने के लिए कितना उकसाता है! यह सच है, हर कोई पायनियर कार्य नहीं कर सकता। वास्तव में, हमारे चालीस लाख राज्य प्रचारकों में से अधिकांश प्रचारक अपनी समय-सारणी में इस ख़ास अनुग्रह का आनन्द उठाने के लिए जगह बना नहीं पाए हैं। लेकिन अनेक लोग, जिनकी अनुकूल परिस्थितियाँ हैं, इसके लिए यत्न करते हैं। हम में से बाक़ी लोग शिष्य बनाने के कार्य में कुछ हिस्सा लेने के द्वारा हमारे प्रेम को व्यक्त करते हुए, “यहोवा पर भरोसा रख और भला कर” सकते हैं। (भजन ३७:३, ४) और यहोवा के सभी समर्पित उपासक पायनियर मनोवृत्ति को बढ़ावा देने में हिस्सा ले सकते हैं, और जो लोग पायनियर कार्य कर रहे हैं, उनका प्रेममय समर्थन कर सकते हैं।—मत्ती २४:१४; २८:१९.
३. अधिकांश तथाकथित ईसाईयों और यहोवा के गवाहों के बीच कौनसे वैषम्य पर ग़ौर किया जा सकता है?
३ अधिकांश तथाकथित मसीहियों के विपरीत, जो धर्म को अपनी ज़िन्दगी का सिर्फ़ एक उपांग समझते हैं, यहोवा के गवाह परमेश्वर के प्रति एक ऐसा तीव्र प्रेम प्रदर्शित करते हैं, जो उन्हें “उसके राज्य और धर्म की खोज” करते रहने के लिए प्रेरित करता है। इस से त्याग आवश्यक हुआ है, लेकिन वह त्याग कितना सार्थक रहा है! (मत्ती ६:३३; १६:२४) यह उस बड़े आदेश के अनुरूप रहा है, जो पहले मूसा द्वारा और फिर यीशु मसीह द्वारा दोहराया गया था: “यहोवा हमारा परमेश्वर एक ही यहोवा है। और तू यहोवा अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना।”—मरकुस १२:२९, ३०; व्यवस्थाविवरण ६:४, ५.
४, ५. किन को विश्वसनीय माना जाना चाहिए, और विश्वसनीयता किस तरह दिखायी जा सकती है?
४ यहोवा के गवाहों के एक मुख्यालय कर्मचारी ने हाल में वॉच टावर सोसाइटी के ९८ वर्षीय सभापति, एफ़. डब्ल्यू. फ्रॅन्ज़ से कहा, जिन्होंने पूरे-समय की सेवा में ७० से ज़्यादा वर्ष गुज़ारे हैं: “आप विश्वसनीयता की एक बढ़िया मिसाल रहे हैं, भाई फ्रॅन्ज़।” और भाई फ्रॅन्ज़ ने जवाब दिया: “हाँ! विश्वसनीय रहना ही पड़ता है।” यह तो मामले का संक्षिप्त विवरण है। हम राज्य के कार्य के जो भी पहलू में सेवा करते हों, हम विश्वसनीय रह सकते हैं।—१ कुरिन्थियों ४:२; गलतियों ३:९.
५ यह सच है कि अनेक लोग यहोवा की सेवा में और भी ज़्यादा काम करना चाहेंगे, लेकिन धर्मशास्त्रीय ज़िम्मेदारियों या स्वस्थ्य समस्याओं की वजह से वे ज़रा सीमित होंगे। बहरहाल, जो लोग पायनियर कार्य नहीं कर पाते, उन्हें कम विश्वसनीय नहीं समझा जाना चाहिए। कुछ लोग बहुत ही कष्टप्रद परिस्थितियों में वफ़ादार रहे हैं और अकसर बहुत सारे वर्षों से। जी हाँ, वे विश्वसनीय रहे हैं! उन्होंने यहोवा के प्रति प्रेम दिखाया है और उनके ईश्वरशासित प्रबन्धों के तन-मन से दिए गए समर्थन में अध्यवसाय से सेवा की है। उन्होंने पायनियरों के क्रियाकलाप में तीव्र दिलचस्पी ली है और संभावनीय पायनियरों को, अकसर खुद अपने ही बच्चों को, प्रोत्साहन दिया है कि वे पायनियर कार्य की ओर यत्न करें जो ज़िन्दगी में एक ऐसा पेशा है जो बाक़ी सारे पेशों से बेहतर है।—व्यवस्थाविवरण ३०:१९, २० से तुलना करें।
६, ७. १ शमूएल ३०:१६-२५ में दी गयी नज़ीर आज किस तरह लागू होती है?
६ आज परमेश्वर के समस्त लोगों के कार्य की प्रेममय एकता १ शमूएल ३०:१६-२५ में दिए गए वृत्तान्त से दर्शायी जा सकती है। अमालेकियों के ख़िलाफ़ युद्ध करने में, “दाऊद उन्हें रात के पहले पहर से लेकर, दसरे दिन की साँझ तक मारता रहा” और बहुत सारा लूट ले गया। डेरे को लौटने पर, दाऊद के कुछेक लड़ाकू मनुष्यों ने माँगा कि लूट का कोई हिस्सा उन लोगों को न दिया जाए जो उनके साथ युद्ध में नहीं गए थे। लेकिन दाऊद ने जवाब दिया: “इस विषय में तुम्हारी कौन सुनेगा? लड़ाई में जानेवाले का जैसा भाग हो, सामान के पास बैठे हुए का भी वैसा ही भाग होगा; दोनों एक ही समान भाग पाएँगे।”
७ आज भी वही सिद्धान्त लागू होता है। पायनियर हमारे आध्यात्मिक युद्ध के अग्रभाग में हैं। लेकिन मण्डली में बाक़ी सारे लोग पूरे तन-मन से, वफ़ादार समर्थन देते हैं। और १९९१ के दौरान उनके संयुक्त क्रियाकलाप का भव्य नतीजा निम्नलिखित चार्ट में दर्शाया गया है।a
एक अतिविशिष्ट रिपोर्ट
८. (अ) कुल प्रचारकों और यहोवा की सेवा में उनके द्वारा बिताए समय के सम्बन्ध में विश्व रिपोर्ट में क्या प्रकट होता है? (ब) इस रिपोर्ट में नए रूप से दिखायी देनेवाले देशों के बारे में आपने कौनसी दिलचस्प बातों पर ग़ौर किया?
८ जी हाँ, १९९१ सेवा वर्ष के रिपोर्ट के चार्ट में दिखाया गया है कि किस तरह यहोवा के सभी उत्साही उपासक १९९१ के दौरान हुए उत्तेजक विश्वव्यापी विस्तार में सहायक रहे हैं। ४२,७८,८२० प्रचारकों का एक शानदार नया शिखर रिकार्ड किया गया है—६.५ प्रतिशत की वृद्धि। इन्होंने सेवा में ९५,१८,७०,०२१ घंटे बिताए। और उन देशों में हमारे भाइयों द्वारा की गयी उत्तम कोशिश पर भी ग़ौर कीजिए, जहाँ पहले प्रतिबन्ध था लेकिन जो अब पहली बार विश्व रिपोर्ट में प्रकाशित हुए हैं—अंगोला, बल्गेरिया, चेकोस्लोवाकिया, रोमेनिया, सोवियत यूनियन।
९, १०. (अ) कठिन समय की चुनौती को पायनियरों ने कैसा जवाब दिया है? (ब) पायनियर सेवा में आरम्भ होने के लिए क्या प्रोत्साहन दिया गया है?
९ हाल के वर्षों में पायनियर मनोवृत्ति पूरे संसार में फैल गयी है। उन देशों में भी जहाँ उपासना की आज़ादी सिर्फ़ हाल ही में दी गयी है, पायनियर वर्ग फूल रहे हैं। कड़ी आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद ये दिलेर गवाह यहोवा की उपासना में अपना सर्वस्व अर्पित कर रहे हैं। (२ कुरिन्थियों ११:२३, २७ से तुलना करें।) औसतन हर महीने, सभी राज्य प्रचारकों के १४ प्रतिशत प्रचारक पायनियर कार्य कर रहे हैं। पायनियरों की शिखर संख्या ७,८०,२०२ है, जो कि सभी प्रचारकों का एक बढ़िया १८ प्रतिशत है।
१० उन आनन्दों को देखकर, जिसका अनुभव पायनियर करते हैं, अन्य भी इस सेवा में शुरू होने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। अगर आप अभी तक पायनियर सेवा नहीं कर रहे हैं, तो क्या यहोवा के लिए आपका प्रेम आपको यह कहने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है, जैसा हम यशायाह ६:८ में पढ़ते हैं, “मैं यहाँ हूँ! मुझे भेज”? या आपके अध्यवसायी बाइबल अभ्यास के ज़रिए, क्या परमेश्वर का वचन आपके दिल में एक धधकती हुई मनोकामना सुलगा सकता है, जिस से आपको पायनियर सेवा में प्रवेश करने का अगला क़दम लेना ही पड़ता है? परीक्षा के समय में भी, यहोवा के वचन ने यिर्मयाह को ऐसा उत्तेजित किया कि वह अपने आप को रोक न सका।—यिर्मयाह २०:९.
मनुष्यजाति के लिए प्रेममय सेवा
११. गृह बाइबल अध्ययन कार्य ने किस तरह उन्नति की है?
११ वर्ष के रिपोर्ट की एक अतिविशिष्ट विशेषता मुफ़्त में संचालित किए जानेवाले गृह बाइबल अध्ययनों की संख्या में वृद्धि है, जहाँ पूरी दुनिया में नियमित रूप से हर महीने ३९,४७,२६१ अध्ययन संचालित किए जा रहे हैं। यह एक प्रेममय प्रबन्ध है जिसके द्वारा यहोवा के गवाह अपने घर घर के कार्य में पाए जानेवाले दिलचस्पी रखनेवालों को अधिक सहायता देते हैं। सभी राष्ट्रीय और प्रजातीय पृष्ठाधार के लोगों के साथ बाइबल अध्ययन संचालित करने में हमें खुशी होती है, और हम वही उत्सुकता से कार्य करते हैं जो प्रेरित पौलुस ने दर्शाया। उसका ‘दोनों यहूदियों और यूनानियों के सामने पूर्ण रूप से गवाही देने’ से बेशक यह आवश्यक हुआ होगा कि वह सच्चाई को सिखाने में कई घंटे बिताए। (प्रेरितों २०:२०, २१) आज भी ऐसा ही है। यहोवा के गवाह “सब प्रकार के लोगों का उद्धार [होने] और सत्य का परिशुद्ध ज्ञान प्राप्त करने” की मदद कर रहे हैं।—१ तीमुथियुस २:४.
१२-१४. यूरोप में से कौनसे आनन्दित रिपोर्ट सुनने को मिल रहे हैं?
१२ पूर्वी यूरोप में बढ़े हुए बाइबल अध्ययन कार्य की रिपोर्टें कितने उत्तेजक हैं! वहाँ कई दशकों से हमारे भाइयों को छोटे-छोटे समूहों में मिलना पड़ता था, समूह के सभी लोगों के लिए शायद किसी पुराने वॉचटावर की एक ही फटी-पुरानी, मिमिओग्राफ़ की गयी प्रति के साथ। पर अब बाइबल और बाइबल साहित्य अधिक मात्रा में उन देशों में भेजे जा रहे हैं। किंग जेम्स् वर्शन में श्रेष्ठगीत २:४ की याद दिलायी जाती है: “वह [मसीह यीशु] मुझे [आध्यात्मिक] भोज के घर में ले आया, और उसका जो झन्डा मेरे ऊपर फहराता था वह प्रेम था।” पत्रिकाओं की अपनी-अपनी निजी प्रतियाँ होने के कारण, अनेक लोग “सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में” लाने के लिए अच्छी तरह से तैयार किए जा रहे हैं।—२ तीमुथियुस २:१५.
१३ सेंट पीटरस्बर्ग, रूस, में १०३ प्रचारकों की एक मण्डली ने हाल में ३०० से अधिक गृह बाइबल अध्ययनों की रिपोर्ट की। इस बाइबल अध्ययन कोशिश के फलस्वरूप, सिर्फ़ आठ महीनों में ५३ नए गवाहों ने बपतिस्मा लिया। मण्डली में आधे से भी ज़्यादा लोग आठ महीने या उस से कम समय से सच्चाई में हैं! और उनके आध्यात्मिक विकास की देख-रेख करने के लिए उनके बीच कोई प्राचीन नहीं—सिर्फ़ एक ही सहायक सेवक है।
१४ ईस्टोनिया में रहनेवाली एक राज्य प्रचारक से एक बाइबल विद्यार्थिनी ने पूछा कि क्या वह अपने कुछ दोस्तों और सहेलियों को अध्ययन करने के लिए आमंत्रित कर सकती है। जब अगले हफ़्ते गवाह उस घर में पहुँची, तो उसने ५० से ज़्यादा लोगों को वहाँ एकत्रित पाया! बेशक, उतनी सारी दिलचस्पी की देख-रेख करने के लिए ख़ास प्रबन्ध ज़रूरी थे।
१५. स्मरण समारोह की उपस्थिति और बपतिस्माओं के बारे में क्या कहा जा सकता है?
१५ अध्ययन करनेवाले अनेक लोगों को मसीही भाईचारे का अपना पहला स्वाद यीशु की मृत्यु के स्मरण समारोह में उपस्थित होने से मिलता है। पिछले साल, पहली बार उपस्थिति १,००,००,००० से ज़्यादा थी, जब इस हर्षमय अवसर के लिए संसार भर में ६६,२०७ मण्डलियों में १,०६,५०,१५८ लोग एकत्रित हुए। अनेक लैतिन-अमेरीकी, आफ्रीकी, और पूर्वी यूरोपीय देशों में, उपस्थितियाँ राज्य प्रचारकों की संख्या से तीन या चार गुना ज़्यादा थीं। अब हमें स्मरण समारोह के लिए तैयारी करना शुरू करना पड़ेगा, जो इस साल शुक्रवार, अप्रैल १७, को होगा। यह आशा की जाती है कि नए बाइबल विद्यार्थियों की एक बड़ी संख्या, जो स्मरण समारोह में उपस्थित होंगे, बपतिस्मा की ओर प्रगति करते रहेंगे। जहाँ तक बपतिस्माओं का सवाल है, १९९१ में एक नया शिखर हासिल हुआ, जब ३,००,९४५ लोगों ने पानी में निमज्जित होकर यहोवा परमेश्वर के प्रति अपने समर्पण का प्रतीक दिया। यह १९९० से ५.९ प्रतिशत वृद्धि थी।
ईश्वरीय स्वतंत्रता के प्रेमी
१६. “स्वतंत्रता के प्रेमी” ज़िला सम्मेलनों के कौनसे उत्तेजक रिपोर्टें सुनने को मिल रहे हैं?
१६ १९९१ सेवा वर्ष की एक उल्लेखनीय विशेषता “स्वतंत्रता के प्रेमी” ज़िला सम्मेलनों की श्रृंखला रह चुकी है, जो अब उत्तर गोलार्ध में समाप्त हो चुकी है, पर जो १९९२ में दक्षिण गोलार्ध में जारी रहेंगे। पहली बार, उन अनेक पूर्वी यूरोपीय देशों में सम्मेलन का सम्पूर्ण कार्यक्रम पेश किया गया, जहाँ हमारे भाई यहोवा की स्तुति करने के लिए अपने नए सिरे से पायी गयी आज़ादी को इस्तेमाल करने में आनन्द मना रहे हैं। अक्तूबर १९९१ में, ५४ देशों में संपन्न हुए पहले ७०५ सम्मेलनों की कुल उपस्थिति ४७,७४,९३७ रिपोर्ट की गयी।
१७, १८. (अ) यहोवा के उपासक कौनसी स्वतंत्रताओं का आनन्द लेते हैं और लेने की अपेक्षा रखते हैं? (ब) ईश्वरीय स्वतंत्रता सांसारिक स्वतंत्रताओं से किस तरह अलग है?
१७ यीशु ने अपने शिष्यों से कहा: “तुम सत्य को जानोगे और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।” (यूहन्ना ८:३२) आज, बाइबल की सच्चाई ने करोड़ों लोगों को ईसाईजगत् के धर्मसिद्धान्तों से छुड़ा दिया है। इन करोड़ों ने सीखा है कि यहोवा द्वारा किया यीशु के छुड़ौती बलिदान के प्रबन्ध से मनुष्यजाति के लिए “विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त” करना संभव होगा। (रोमियों ८:१९-२२) वह कितनी शानदार स्वतंत्रता होगी—एक परादीसीय पृथ्वी पर अनन्त काल तक जीना, यहोवा द्वारा प्रेममय रूप से निर्धारित की गयी उचित सीमाओं के अन्दर।—यशायाह २५:६-८; प्रेरितों १७:२४-२६ से तुलना करें।
१८ ये स्वतंत्रताएँ जिनका आनन्द यहोवा के गवाह अब लेते हैं, और परमेश्वर की नयी रीति-व्यवस्था में और भी अधिक मात्रा में लेने की आशा रखते हैं, हमारे परमेश्वर, यहोवा की ओर से हैं। (२ कुरिन्थियों ३:१७) ये किसी राजनीतिक या विद्रोही आंदोलन पर निर्भर नहीं हैं। (याकूब १:१७) इस बात पर कोई ग़लतफ़हमी न होने के लिए, कुछेक पूर्वी यूरोपीय देशों में यहोवा के गवाहों द्वारा पहने गए १९९१ सम्मेलन बैजों पर ये शब्द थे: “ईश्वरीय स्वतंत्रता के प्रेमी ज़िला सम्मेलन।”
यहोवा के लिए गहरा प्रेम
१९. यहोवा के साथ प्रार्थनापूर्ण क़रीबी हमें किस तरह सँभाल सकती है?
१९ यहोवा के लिए हमारा प्रेम और उन पर हमारा भरोसा हमें प्रार्थना के ज़रिए उनके क़रीब रहने का कारण बनेगा। यहोवा के साथ इसी क़रीबी से हमारे भाइयों को अनेक कठिनाइयाँ और उत्पीड़न सहने की मदद मिली है। (भजन २५:१४, १५) अपनी सबसे बड़ी परीक्षा की घड़ी में, यीशु ने प्रार्थना के ज़रिए अपने पिता के साथ क़रीबी बनाए रखी। (लूका २२:३९-४६) यहोवा के साथ ऐसी प्रार्थनापूर्ण क़रीबी ने स्तिफनुस को अपनी शहादत की व्यथा में सँभाला। जैसे उसे जान से मार डालने के लिए पत्थरवाह किया जानेवाला था, स्वर्ग की ओर देखकर उसने कहा: “देखो, मैं स्वर्ग को खुला हुआ, और मनुष्य के पुत्र को परमेश्वर की दहिनी ओर खड़ा हुआ देखता हूँ।”—प्रेरितों ७:५६.
२०-२२. एक अनुभव से यह किस तरह दर्शाया जाता है कि परमेश्वर प्रार्थनाओं को सुनते हैं?
२० जैसे यहोवा के उपासकों ने इतना अकसर अनुभव किया है, यहोवा उन प्रार्थनाओं का जवाब देते हैं जो उनकी इच्छा के अनुरूप हैं। मिसाल के तौर पर, एक आफ्रीकी देश में जहाँ यहोवा के गवाहों के कार्य को निषेध किया गया है, एक ख़ास पायनियर बस से उत्तरी इलाके को सफ़र कर रहा था, जहाँ उसे राज्य साहित्य और लिफ़ाफ़ों से भरी एक बड़ी बोरी पहँचानी थी। बस पर सामान चढ़ानेवाले परिचारक ने भाई से पूछा: “इस बोरी में क्या है?” मन में जो बात पहले आ गयी, भाई ने कह दी: “डाक।”
२१ रास्ते में, बस एक चेक-नाके पर बिना रुककर तेज़ी से आगे निकल गयी, और ट्रैफिक पुलिस ने पीछा करके उसे रोका, यह शक करते हुए कि इस में तस्करी का माल है। उन्होंने हुक़्म दिया कि सभी यात्री बस में से उतर जाएँ और कि सारे सामान की तलाशी ली जाए। यह संकटस्थिति थी! कुड़बुड़ानेवाली भीड़ से थोड़ी दूर जाकर और, अपने घुटने टेककर, भाई ने यहोवा से प्रार्थना की। जब वह भीड़ में फिर से मिल गया, हर एक यात्री का सामान खोला जाकर उसकी तलाशी अतिसावधान रूप से ली जा रही थी। जब भाई की बोरी को खोला जानेवाला था, उस ने मौन रूप से यहोवा को मदद करने के लिए पुकारा।
२२ “यह किसकी बोरी है, और इस में क्या-क्या है?” पुलिसवाले ने चिल्लाकर कहा। इस से पहले कि भाई अपना मुँह खोल सका, बस के परिचारक ने जवाब देकर कहा: “यह —— डाकघर से —— डाकघर तक का डाक है।” “ठीक है,” अफ़सर ने कहा। उसने बोरी उठाकर परिचारक को दे दी। “ध्यान रहे कि इसे सफ़र के दौरान एक सुरक्षित स्थान में रखा जाए,” उसने उसे आदेश दिया। प्रार्थना के सुननेवाले का शुक्रिया अदा करने के लिए उस ख़ास पायनियर ने फिर से अपने घुटने टेके।—भजन ६५:२; नीतिवचन १५:२९.
२३. यहोवा ने क्या दर्शाया है, और फिर भी कभी-कभी वे उत्पीड़न को उसकी पूरी अवधि तक चलने क्यों देते हैं?
२३ बहरहाल, इसका यह मतलब नहीं कि यहोवा के उपासक विपत्तिजनक घटनाओं से सम्पूर्ण रूप से मुक्त हैं। कुछेक स्थितियों में, दोनों, बाइबल के समय में और आज, यहोवा ने यह दिखाया है कि वे अपने लोगों को छुड़ा सकते हैं। लेकिन ख़राई के वाद-विषय को निपटा देने के उद्देश्य के अनुरूप, कभी-कभी यूँ लगता है कि वे उत्पीड़न को उसकी पूरी अवधि तक चलने देते हैं। (मत्ती २६:३९ से तुलना करें।) इसके अलावा, यहोवा अपने लोगों को दुर्घटनाओं, नागरिक द्वंद्व, या अपराध से आपसे आप रक्षा नहीं करते, हालाँकि बाइबल-आधारित व्यावहारिक बुद्धि का अभ्यास मूल्यवान् हो सकता है। (नीतिवचन २२:३; सभोपदेशक ९:११) फिर भी, हमें यक़ीन हो सकता है कि चाहे हमें कष्टकारी स्थिति से मुक्ति मिलती है या नहीं, हमारी विश्वसीनयता को, अगर ज़रूरी हो तो पुनरुत्थान के ज़रिए भी, प्रतिफलित किया जाएगा।—मत्ती १०:२१, २२; २४:१३.
२४. यहोवा ने कौनसे प्रेममय उपहार दिए हैं, और हम उनके प्रेम के प्रति कैसी अनुक्रिया दिखा सकते हैं?
२४ यहोवा के प्रेममय उपहार कितने अद्भुत हैं! मनुष्यजाति को दी इस पृथ्वी और उस पर की सारी चीज़ों का उपहार उनके प्रेम की एक अतिविशिष्ट अभिव्यक्ति है। (भजन १०४:१, १३-१६; ११५:१६) और मनुष्यजाति को पाप और मृत्यु से छुड़ाने के लिए अपने बेटे, यीशु मसीह, के रूप में दिया गया सहानुभूतिशील उपहार, सबसे प्रेममय उपहार है जो कभी किसी ने दिया है। “जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इस से प्रगट हुआ, कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है, कि हम उसके द्वारा जीवन पाएँ। प्रेम इस में नहीं, कि हम ने परमेश्वर से प्रेम किया; पर इस में है, कि उस ने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्चित्त के लिए अपने पुत्र को भेजा।” (१ यूहन्ना ४:९, १०) उस प्रेम की ओर अनुक्रिया दिखाने में, हमें इस बात का पूरा यक़ीन हो “कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएँ, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊँचाई, न गहराई और न कोई और सृष्टि हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।”—रोमियों ८:३८, ३९.
[फुटनोट]
a चार्ट के लिए अँग्रेज़ी भाषा के द वॉचटावर, जनवरी १, १९९२ देखें।
इस लेख पर पुनर्विचार करना
▫ विश्वसनीय रहने का मतलब क्या है?
▫ हम यहोवा के लिए प्रेम कौनसे कार्यक्षेत्रों में दर्शा सकते हैं?
▫ सेवा-वर्ष रिपोर्ट की कौनसी विशेषताओं से आप में सबसे ज़्यादा दिलचस्पी उत्पन्न हुई?
▫ हम यहोवा के प्रेममय उपहारों के लिए किस तरह क़दरदानी दिखा सकते हैं?
[पेज 13 पर बक्स]
इतने सारे पायनियर क्यों?
रिपोर्टों के अनुसार, २,६०० सालों तक जापानी लोग अपने नरेशों के सरगर्म उपासक थे। इस २०वीं सदी के युद्धों में ही, तीस लाख से भी ज़्यादा जापानी सिपाहियों ने अपनी जान की क़ुरबानी दी, इसलिए कि उन्होंने सोचा कि अपने नरेश-देवता के लिए मरने से बड़ा सम्मान और कोई सम्मान न था। लेकिन दूसरे विश्व युद्ध में बौद्ध-शिंटो सैन्यवाद विफल हुआ, और उसके बाद नरेश ने अपना ईश्वरत्व त्याग दिया। कौनसी बात इस धार्मिक शून्य को भर सकी? खुशी की बात है कि यहोवा के गवाहों के मिशनरियों और बाद में स्थानीय गवाहों द्वारा संचालित किए जानेवाले गृह बाइबल अध्ययनों से अनेक लोगों को सच्चे परमेश्वर यहोवा को पाने, और उनके प्रति अपनी ज़िन्दगी समर्पित करने की मदद मिली। उन जापानी गवाहों के लिए यह समर्पण बहुत महत्त्व रखता है। अगर पहले वे किसी नरेश-देवता के लिए अपनी जान क़ुरबान करने को तैयार हुए थे, अब वे उतने ही ज़्यादा उत्साह से पायनियरों के रूप में जीवित परमेश्वर और विश्व के सृष्टिकर्ता—सर्वश्रेष्ठ प्रभु यहोवा की उपासना करने में अपनी शक्ति लगाते हैं!
[पेज 14 पर तसवीरें]
ईश्वरीय स्वतंत्रता के प्रेमी—अगस्त ९-११, १९९१ में प्राग में हुए सम्मेलन में उपस्थित यहोवा के उपासक