परमेश्वर की स्वतंत्रता के नए संसार का अभिवादन करना
“[परमेश्वर] उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी।”—प्रकाशितवाक्य २१:४.
१, २. केवल कौन सच्ची स्वतंत्रता ला सकते हैं, और उनके बारे में हम बाइबल से क्या सीख सकते हैं?
भविष्यवक्ता यिर्मयाह के इस कथन की सच्चाई को इतिहास ने सिद्ध कर दिया है: “मनुष्य का मार्ग उसके वश में नहीं है। मनुष्य चलता तो है, परन्तु उसके डग उसके अधीन नहीं हैं।” केवल कौन ही मनुष्य के डग को अधीन कर सकता है? यिर्मयाह ने आगे कहा: “हे यहोवा, मेरी ताड़ना कर।” (यिर्मयाह १०:२३, २४) जी हाँ, केवल यहोवा ही मानव परिवार को सतानेवाली समस्याओं से सच्ची स्वतंत्रता दिला सकते हैं।
२ अपने सेवकों को स्वतंत्रता देने का यहोवा की क्षमता के बारे में बाइबल में अनेक उदाहरण हैं। “जितनी बातें पहिले से लिखी गई, वे हमारी ही शिक्षा के लिए लिखी गईं हैं कि हम धीरज और पवित्र शास्त्र की शांति के द्वारा आशा रखें। (रोमियों १५:४) झूठी उपासना के विरुद्ध यहोवा के न्याय-दण्डों को भी अभिलिखित किया गया है, और “वे हमारी चितावनी के लिए जो जगत के अन्तिम समय में रहते हैं लिखी गईं हैं।”—१ कुरिन्थियों १०:११.
अपने लोगों को छुड़ाना
३. मिस्र में अपने लोगों को छुड़ाने की क्षमता का प्रदर्शन, यहोवा ने कैसे किया?
३ झूठी उपासना के विरुद्ध न्याय-दण्ड देने और अपनी इच्छा पूरी करनेवालों को स्वतंत्र करने का परमेश्वर की सक्षमता का एक उदाहरण तब घटित हुआ जब उनके प्राचीन समय के लोगों को मिस्र में ग़ुलाम बनाया गया था। निर्गमन २:२३-२५ बताता है: “उनकी दोहाई जो कठिन सेवा के कारण हुई वह परमेश्वर तक पहुँची। और परमेश्वर ने उनका कराहना सुना।” मिस्र के झूठे देवताओं के ऊपर अपनी श्रेष्ठता का विस्मयप्रेरक प्रदर्शन करते हुए, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने उस राष्ट्र पर दस विपत्तियाँ लायीं। प्रत्येक विपत्ति की रचना किसी एक मिस्री देवता को ज़लील करने के लिए था, यह दिखाते हुए कि वे झूठे थे और उनकी उपासना करनेवाले मिस्रियों की सहायता नहीं कर सकते थे। इस प्रकार, परमेश्वर ने अपने लोगों को आज़ाद किया और फ़िरौन और उसकी फ़ौज को लाल सागर में नष्ट कर दिया।—निगर्मन, अध्याय ७ से १४.
४. कनानियों के विरुद्ध अपने न्याय-दण्ड देना, परमेश्वर के लिए कोई बेइंसाफ़ी क्यों नहीं था?
४ जब परमेश्वर इस्राएल को कनान में ले आए, तो वहाँ के पिशाच-उपासक निवासियों का नाश कर दिया गया और वह देश परमेश्वर के लोगों को दे दिया गया। विश्व मंडल का सर्वसत्ताधिकारी होने के नाते, यहोवा को यह हक़ है कि दूषित धर्मों पर अपना न्याय-दण्ड दें। (उत्पत्ति १५:१६) कनानी धर्म के सम्बन्ध में, हेली की बाइबल हैंडबुक कहती है: “कनानी देवताओं की उपासना . . . में अत्याधिक असंयमी व्यभिचार होता था; उनके मंदिर दुराचार के केंद्र होते थे। . . . कनानी लोग उपासना अपने देवताओं की उपस्थिति में असंयम यौन-संबंधी आचरण को धार्मिक अनुष्ठान मानकर करते थे; और फिर, इन्हीं देवताओं को बलि चढ़ाने के लिए अपने पहिलौठों की हत्या कर देते थे। ऐसा प्रतीत होता है कि बड़ी मात्रा में कनान देश राष्ट्रीय पैमाने पर एक प्रकार का सदोम और अमोरा बन गया था।” वह आगे कहता है: “क्या ऐसी घृणित गन्दगी और क्रूरता से भरी सभ्यता को और अधिक समय तक अस्तित्व में रहने का अधिकार था? . . . जिन पुरातत्त्वज्ञों ने कनानी शहरों के खंडहरों में खुदाई की यह सोचते हैं कि परमेश्वर ने इन्हें और पहले नाश क्यों नहीं किया।”
५. परमेश्वर का अपने प्राचीन लोगों को स्वतंत्र करना, हमारे समय के लिए कैसे एक नमूना है?
५ परमेश्वर की झूठे उपासना के विरुद्ध कार्यवाही, अपनी वाचा के लोगों को स्वतंत्र करना, और उन्हें प्रतिज्ञात देश देने का विवरण आनेवाली बातों के लिए नमूने की तरह है। यह अतिनिकट भविष्य की ओर संकेत करता है जब परमेश्वर इस संसार के झूठे धर्मों और उसके समर्थकों को कुचल देंगे और अपने आधुनिक-दिन के सेवकों को धार्मिकता के एक नए संसार में प्रवेश कराएँगे।—प्रकाशितवाक्य ७:९, १०, १३, १४; २ पतरस ३:१०-१३.
परमेश्वर के नए संसार में सच्ची स्वतंत्रता
६. वे कुछेक अद्भुत स्वतंत्रताएँ क्या हैं, जो परमेश्वर नए संसार में प्रदान करेंगे?
६ नए संसार में, परमेश्वर अपने लोगों को उस स्वतंत्रता के सभी अद्भुत पहलुएँ वरदान में देंगे, जिसे उन्होंने मानव परिवार के लिए रखा है। वहाँ राजनीतिक, आर्थिक और झूठे धर्म के तत्त्वों के दमन से स्वतंत्रता होगी। वहाँ पाप और मृत्यु से स्वतंत्रता होगी, जहाँ लोगों को पृथ्वी पर सदा जीवित रहने की प्रत्याशा होगी। “धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।”—भजन ३७:२९; मत्ती ५:५.
७, ८. नए संसार में सिद्ध स्वास्थ्य पुनः प्राप्त करने में क्या अनुभव किया जाएगा?
७ उस नए संसार को उद्घाटित करने के तुरन्त बाद, इसके निवासी चमत्कारिक तरीके से सिद्ध स्वास्थ्य प्राप्त करेंगे। अय्यूब ३३:२५ कहता है: “तब उस मनुष्य की देह बालक की देह से अधिक स्वस्थ और कोमल हो जाएगी; उसकी जवानी के दिन फिर लौट आएँगे।” यशायाह ३५:५, ६ प्रतिज्ञा करता है: “तब अन्धों की आँखें खोली जाएँगी और बहिरों के कान भी खोले जाएँगे; तब लंगड़ा हरिण की सी चौकड़िया भरेगा और गूँगे अपनी जीभ से जयजयकार करेंगे।”
८ आप में से जिनको बुढ़ापे या अस्वस्थता के कारण शारीरिक रोग हैं, अपने आप को नए संसार में हर सुबह तन्दुरुस्थ और हृष्ट-पुष्ट होकर उठने की कल्पना करें। आपकी झुर्रियों के स्थान पर चिकनी, स्वस्थ त्वचा है—त्वचा के लोशनों की कोई ज़रूरत नहीं। आपकी धुँधली या अँधी हुई आँखों में सम्पूर्ण दृष्टि लौट आयी है—ऐनकों की कोई ज़रूरत नहीं। सम्पूर्ण श्रवणशक्ति लौटी गयी है—श्रवणशक्ति साधनों को फेंक दें। विकलांग हाथ-पैर अब मज़बूत और पूरे हैं—उन लाठियों, बैसाखियों और पहियेदार कुरसियों को हटा दें। अब रोग नहीं रहे—उन सब दवाओं को फेंक दें। इस प्रकार, यशायाह ३३:२४ पूर्वबतलाता है: “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूँ।” वह यह भी कहता है: “वे हर्ष और आनन्द पाएँगे और शोक और लम्बी सांस का लेना जाता रहेगा।”—यशायाह ३५:१०.
९. कैसे युद्ध सदा के लिए समाप्त कर दिया जाएगा?
९ इसके बाद कोई भी इंसान युद्ध के लिए बलि न चढ़ेगा। “[परमेश्वर] पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है। वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है, और रथों को आग में झोंक देता है।” (भजन. ४६:९) यशायाह ९:६ जिसे “शान्ति का राजकुमार” कहकर सम्बोधित करता है, परमेश्वर के राज्य का शासक, यीशु मसीह, फिर कभी युद्ध के हथियारों को अनुमति नहीं देंगे। आयत ७ आगे कहता है: “उसकी प्रभुता सर्वदा बढ़ती रहेगी, और उसकी शान्ति का अन्त न होगा।”
१०, ११. सम्पूर्ण शान्ति का पृथ्वी के लिए क्या अर्थ होगा?
१० मानवजाति, और इस पृथ्वी, के लिए लड़ाई के हथियारों से मुक्त होना क्या ही आशिष होगा! अजी, आधुनिक समय में, पिछले युद्धों में इस्तेमाल किए गए हथियार आज भी लोगों को ख़त्म कर रहे हैं। एक देश, फ्राँस, में १९४५ से पिछले युद्धों के छोड़े गए विस्फोटकों को नाश करने की प्रक्रिया में ६०० से अधिक बम हटानेवाले विशेषज्ञ मारे गए हैं। वहाँ के बम हटानेवाले एजेंसी के अध्यक्ष ने कहा: “हमें १८७० की फ्रांसीसि-प्रशियाई युद्ध से ज़िदा तोप के गोले अभी भी मिलते हैं। ऐसी झीलें हैं जो प्रथम विश्व युद्ध के विषैले ग्रेनेड से भरे हुए हैं। कभी-कभी, ट्रैक्टर में बैठा एक किसान द्वितीय विश्व युद्ध के एक टैंक-विरोधी सुरंग के ऊपर चलाता है और वह सुरंग के फटने से मारा जाता है। ऐसी घटनाएँ हर कहीं है।” दो साल पहले द न्यू यॉर्क टाइम्स (The New York Times) अखबार ने टीका किया: “द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद के ४५ वर्षों में [बम हटानेवाले दलों] ने [फ्राँसीसि] भूमि पर से १ करोड़ ६० लाख प्रक्षेपी तोप गोलों, ४,९०,००० बमों और ६,००,००० अंतर्जलीय सुरंगों को निकाला है। लाखों एकड़ ज़मीन के चारों ओर बाड़े लगाए गए हैं, जो हथियार ही हथियार से बिछे हुए हैं और जिनकी चारों ओर पोस्टर लगे हैं जो यह चेतावनी देते हैं: ‘छूना नहीं। यह प्राणघातक है!’”
११ नया संसार कितना भिन्न होगा! हरेक के पास अच्छे घर, प्रचुर मात्रा में भोजन, और सारा पृथ्वी को परादीस बनाने का लाभप्रद, शान्तिमय कार्य होगा। (भजन ७२:१६; यशायाह २५:६; ६५:१७-२५) फिर कभी लोगों पर और पृथ्वी पर करोड़ों विस्फोटक उपकरणों द्वारा बमबारी नहीं होगी। एक ऐसा ही नया संसार यीशु के मन में था जब उन्होंने अपने ऊपर विश्वास रखनेवाले व्यक्ति से कहा: “तू मेरे साथ परादीस में होगा।”—लूका २३:४३, NW.
जीवन के लिए विश्वव्यापी शिक्षा
१२, १३. यीशु और यशायाह ने हमारे समय के लिए किस तरह का विश्वव्यापी शिक्षा-संबंधी कार्य को पूर्वबतलाया था?
१२ जब एक व्यक्ति परमेश्वर के नए संसार के बारे में जान लेता है, वह यह भी जान लेता है कि हमारे दिनों में यहोवा ने सच्ची उपासना को संगठित करने के वास्ते एक विश्वव्यापी कलीसिया उत्पन्न किया है। यह नए संसार का केन्द्र होगा, और परमेश्वर इसे आज अपने उद्देश्यों के विषय में दूसरों को सिखाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। यह मसीही संगठन ऐसे प्रकार और आकार का विश्वव्यापी शिक्षा-संबंधी कार्य कर रही है, जिसे पहले कभी नहीं देखा गया। यीशु ने पूर्वबतलाया था कि ऐसा किया जाएगा। उन्होंने कहा: “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।”—मत्ती २४:१४; मत्ती ६:९, १० भी देखें.
१३ इस विश्वव्यापी शिक्षा-संबंधी कार्य के बारे में भी यशायाह ने कहा था: “अन्त के दिनों में [हमारे समय में] ऐसा होगा कि यहोवा के भवन का पर्वत [उनकी उच्च सच्ची उपासना] सब पहाड़ों पर दृढ़ किया जाएगा, . . . और हर जाति के लोग धारा की नाईं उसकी ओर चलेंगे। और लोग आएँगे, और आपस में कहेंगे: ‘आओ, हम यहोवा के पर्वत पर जाएँ, . . . तब वह हमको अपने मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पथों पर चलेंगे।’”—यशायाह २:२, ३.
१४. आज हम परमेश्वर के लोगों को कैसे पहचान सकते हैं?
१४ इस कारण, परमेश्वर के राज्य के बारे में गवाही का विश्वव्यापी कार्य इस बात का ठोस प्रमाण है कि हम इस दुष्ट रीति-व्यवस्था के अन्त के निकट हैं और सच्ची स्वतंत्रता बिलकुल क़रीब है। परमेश्वर के नए संसार का आशापूर्ण संदेश लेकर लोगों के पास भेंट करनेवाले व्यक्तियों को प्रेरितों १५:१४ में, “[परमेश्वर के] नाम के लिए एक लोग” कहकर वर्णित किया गया है। कौन यहोवा के नाम को धारण किए हुए हैं और कौन यहोवा और उनके राज्य के बारे में विश्वव्यापी गवाही दे रहे हैं? २०वीं शताब्दी का ऐतिहासिक अभिलेख जवाब देता है: केवल यहोवा के गवाह। पूरे विश्व में आज वे ६६,००० से अधिक कलीसियाओं में ४० लाख से अधिक हैं।—यशायाह ४३:१०-१२; प्रेरितों २:२१.
१५. राजनीतिक मामलों के संबंध में, हम परमेश्वर के सच्चे सेवकों को कैसे पहचान सकते हैं?
१५ यहोवा के गवाह राज्य प्रचार कार्य की भविष्यवाणियों को पूरा कर रहे हैं, इस बात का एक और प्रमाण यशायाह २:४ में है: “वे अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल और अपने भालों को हंसिया बनाएँगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरुद्ध फिर तलवार न चलाएगी, न लोग भविष्य में युद्ध की विद्या सीखेंगे।” इसलिए जो व्यक्ति परमेश्वर के राज्य के विश्वव्यापी प्रचार कार्य कर रहे हैं उन्हें ‘युद्ध की विद्या नहीं सीखनी’ चाहिए। यीशु ने कहा कि उन्हें “इस संसार का भाग नहीं” होना चाहिए। (यूहन्ना १७:१६) इसका अर्थ है कि उन्हें राजनीतिक मामलों में तटस्थ होना चाहिए, राष्ट्रों के विवादों और युद्धों में पक्ष नहीं लेना चाहिए। कौन संसार का भाग नहीं हैं और युद्ध की विद्या नहीं सीखते हैं? दोबारा, २०वीं शताब्दी के ऐतिहासिक अभिलेख प्रमाणित करते हैं: केवल यहोवा के गवाह।
१६. परमेश्वर के विश्वव्यापी शिक्षा-संबंधी कार्य कितनी सम्पूर्णता से होगी?
१६ यहोवा के गवाहों का विश्वव्यापी शिक्षा-संबंधी कार्य, परमेश्वर द्वारा इस वर्तमान दुष्ट संसार को ख़त्म कर देने के बाद भी चलता रहेगा। यशायाह ५४:१३ बताता है: “तेरे सब लड़के यहोवा के सिखलाए हुए होंगे।” यह प्रशिक्षण इतना पूर्ण होगा कि यशायाह ११:९ पूर्वबतलाता है: “पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसा जल समुद्र में भरा रहता है।” निरन्तर शिक्षण की आवश्यकता न केवल इस पुराने संसार के अन्त से बचनेवालों और नए संसार में पैदा होनेवाले बच्चों के लिए होगी, परन्तु उन अरबों व्यक्तियों के लिए भी होगी जो पुनरुत्थान में जीवित होंगे। आख़िरकार, पृथ्वी पर रहनेवाले प्रत्येक व्यक्ति को परमेश्वरीय नियमों की सीमाओं के भीतर अपनी स्वतंत्र इच्छा का प्रयोग करने सिखाया जाएगा। परिणाम? “नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएँगे”—भजन ३७:११.
अभी भी महान स्वतंत्रताएँ
१७. मूसा ने परमेश्वर के प्राचीन लोगों को क्या करने को कहा था?
१७ जब प्राचीन इस्राएली लोग, प्रतिज्ञात देश में प्रवेश करने ही वाले थे, मूसा ने उन से बात की और कहा: “मैं ने तो अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार तुम्हें विधि और नियम सिखाएँ हैं, कि जिस देश के अधिकारी होने जाते हो उस में तुम उनके अनुसार चलो। सो तुम उनको धारण करना और मानना; क्योंकि और देशों के लोगों के सामने तुम्हारे बद्धि और समझ इसी से प्रगट होगी, अर्थात वे इन सब विधियों को सुनकर कहेंगे कि निश्चय यह बड़ी जाति बुद्धिमान और समझदार है। देखो, कौन ऐसी बड़ी जाति है जिसका देवता उसके ऐसे समीप रहता हो जैसा हमारा परमेश्वर यहोवा, जब कि हम उसको पुकारते हैं?”—व्यवस्थाविवरण ४:५-७.
१८. परमेश्वर की सेवा करनेवाले को अभी भी कौनसी महान स्वतंत्रताएँ मिलती हैं?
१८ आज यहोवा की उपासना करनेवाले लाखों लोग भी एक प्रतिज्ञात देश—नया संसार—के दहलीज़ पर हैं। क्योंकि वे परमेश्वर के नियमों का पालन करते हैं, वे उन्हें अपने पास पाते हैं और दूसरे लोगों से अलग नज़र आते हैं। परमेश्वर ने अभी से ही उन्हें झूठे धार्मिक विचारों, जातिवाद, अवैध नशीली दवाओं का सेवन, राष्ट्रवाद, युद्ध, और यौन-संबंधी संचारित रोगों की महामारी से स्वतंत्र किया है। इसके अलावा, परमेश्वर ने उन्हें एक अटूट अंतरराष्ट्रीय भाईचारे में एकत्रित किया है। (यूहन्ना १३:३५) वे भविष्य के विषय में चिन्तित नहीं है, लेकिन “हृदय की अच्छी स्थिति के कारण हर्ष के मारे जयजयकार” करते हैं।” (यशायाह ६५:१४, NW) परमेश्वर को शासक के रूप में सेवा करने से वे अभी भी कितनी महान स्वतंत्रताओं का आनन्द उठाते हैं!—प्रेरितों ५:२९, ३२; २ कुरिन्थियों ४:७; १ यूहन्ना ५:३.
दूसरों को झूठे विश्वासों से स्वतंत्र करना
१९, २०. मृतकों की स्थिति के विषय में बाइबलीय शिक्षा से लोग कैसे मुक्त कराए जाते हैं?
१९ यहोवा के गवाह जिन को प्रचार करते हैं उन में से बहुत से लोग इन स्वतंत्रताओं को पा रहे हैं। मसलन, जिन देशों में पूर्वजों की उपासना होती है, वहाँ यहोवा के गवाह दूसरों को यह बता रहे हैं कि मृतक कहीं भी जीवित नहीं हैं और जीवतों को हानि नहीं पहुँचा सकते। गवाह सभोपदेशक ९:५ की ओर संकेत करते हैं, जो कहता है कि “जीवते तो इतना जानते हैं कि वे मरेंगे, परन्तु मरे हुए कुछ भी नहीं जानते।” वे भजन संहिता १४६:४ का उल्लेख भी करते हैं, जो कहता है कि जब एक व्यक्ति मरता है, “वह भी मिट्टी में मिल जाता है; उसी दिन उसकी सब कल्पनाएँ नाश हो जाती हैं।” तो बाइबल यह दिखाती है कि जीवतों को चंगा करने और उन्हें भयभीत करने के लिए कोई ऐसी प्रेतात्मा या अमर आत्मा नहीं है। इसलिए, ओझाओं और पुरोहितों की सेवाएँ प्राप्त करने के द्वारा, मेहनत की कमाई बरबाद करने की ज़रूरत नहीं है।
२० ऐसे यथार्थ बाइबल ज्ञान से लोग नरक-अग्नि और शोधन-स्थान जैसी झूठी शिक्षाओं से मुक्ति पाते हैं। जब लोग इस बाइबल सच्चाई को सीख लेते हैं कि मृतक, गहरी नींद के समान, बेहोश हैं, वे चिन्ता नहीं करते कि उनके मृत प्रिय जनों के साथ क्या घटित हुआ होगा। इसके विपरीत, वे उस अद्भुत समय का इंतज़ार करते हैं जिसके बारे में प्रेरित पौलुस ने बात की थी जब उन्होंने कहा: “धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा।”—प्रेरितों २४:१५.
२१. पुनरुत्थित जनों में निस्संदेह कौन शामिल होंगे, और उनकी संभाव्य प्रतिक्रिया क्या होगी?
२१ पुनरुत्थान में मृतक, उत्तराधिकार में प्राप्त आदम के मृत्यु से सदा के लिए स्वतंत्र होकर जीवित हो जाएँगे। बेशक पुनरुत्थित व्यक्तियों में मोलक जैसे कनानी देवताओं को बलि चढ़ाए गए बच्चे, अज़टेक देवताओं को बलि चढ़ाए गए युवक, और युद्ध देवता को बलि चढ़े अनगिनत करोड़ों लोग भी सम्मिलित होंगे। झूठे विश्वासों के वे भूतपूर्व बलि कितने आश्चर्यचकित और हर्षित होंगे! फिर ऐसे पुनरुत्थित व्यक्ति ख़ुशी से यह घोषणा कर सकते हैं: “हे मृत्यु, तेरी मारने की शक्ति कहाँ रही? हे अधोलोक, तेरी नाश करने की शक्ति कहाँ रही?”—होशे १३:१४.
यहोवा की खोज करें
२२. यदि हम परमेश्वर के नए संसार में जीना चाहते हैं, तो हमें किस बात को ध्यान में रखना है?
२२ क्या आप परमेश्वर के धार्मिक नए संसार में जीना चाहते हैं, जहाँ सच्ची स्वतंत्रता होगी? यदि हाँ, तो २ इतिहास १५:२ के इन शब्दों को मन में बिठाएँ: “जब तक तुम यहोवा के संग रहोगे तब तक वह तुम्हारे संग रहेगा; और यदि तुम उसकी खोज में लगे रहो, तब तो वह तुम से मिला करेगा, परन्तु यदि तुम उसको त्याग दोगे तो वह भी तुम को त्याग देगा।” और याद रखें कि परमेश्वर के बारे में जानने और उन्हें ख़ुश करने के आपके निष्कपट प्रयास अनदेखे नहीं रहेंगे। इब्रानियों ११:६ कहता है कि परमेश्वर, “उसे गम्भीरतापूर्वक खोजनेवालों को प्रतिफल देते हैं।” (NW) और रोमियों १०:११ कहता है: “जो कोई उन पर विश्वास करेगा, वह निराश न होगा।”—NW.
२३. परमेश्वर की स्वतंत्रता का नए संसार का अभिवादन हमने क्यों करना चाहिए?
२३ परमेश्वर की सच्ची स्वतंत्रता का नया संसार लगभग क्षितिज पर है। वहाँ “सृष्टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त करेगी।” और “[परमेश्वर] उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी।” (रोमियों ८:२१; प्रकाशितवाक्य २१:४) फिर, यहोवा के सभी सेवक अपने सिरों को उठाएँगे और ख़ुशी से परमेश्वर की स्वतंत्रता के नए संसार का अभिवादन इस तरह चिल्लाकर करेंगे, ‘आख़िरकार सच्ची स्वतंत्रता के लिए, यहोवा, आपका शुक्रिया!’
आप कैसे जवाब देंगे?
▫ अपने लोगों को स्वतंत्र करने की योग्यता को यहोवा ने कैसे प्रदर्शित किया?
▫ परमेश्वर के नए संसार में कौनसी अद्भुत स्वतंत्रताएँ होंगी?
▫ यहोवा किस तरह लोगों को जीवन के लिए शिक्षा दे रहे हैं?
▫ यहोवा की सेवा करने से परमेश्वर के लोग आज भी कौन-कौनसी स्वतंत्रताओं का आनन्द ले रहे हैं?
[पेज 14 पर तसवीरें]
अपने उपासकों को स्वतंत्र करके, यहोवा ने मिस्र के झूठे देवताओं पर अपनी श्रेष्ठता दिखाई
[पेज 16, 17 पर तसवीरें]
आज, परमेश्वर के सच्चे सेवकों की पहचान उनके विश्वव्यापी शिक्षा-संबंधी कार्य करने और उनके नाम को धारण करने से होती है