यहोवा की आत्मा उसके लोगों की अगुआई करती है
“तेरा भला आत्मा मुझ को धर्म के मार्ग में ले चले!”—भजन १४३:१०.
१, २. यहोवा के निष्ठावान् सेवकों को कौनसी चीज़े दुःखी कर सकती हैं?
‘मैं इतना हताश महसूस करता हूं! मैं कहाँ से कुछ सांत्वना प्राप्त कर सकता हूं? क्या परमेश्वर ने मुझे छोड़ दिया है?’ क्या आप कभी ऐसा महसूस करते हैं? यदि आप करते हैं, आप अकेले नहीं हैं। चाहे यहोवा के निष्ठावान् सेवक समृद्ध आध्यात्मिक परादीस में वास कर रहे हैं, वे कभी-कभी मानवजाति की आम दुःखद समस्याओं, संकटों, और प्रलोभनों का सामना करते हैं।—१ कुरिन्थियों १०:१३.
२ शायद आप किसी दीर्घकालीन संकट या अति तनाव के कारण से घिरे हुए हैं। आप शायद किसी प्रिय जन की मृत्यु का शोक मना रहे हैं और इस कारण बहुत अकेले महसूस कर सकते हैं। या शायद आपका हृदय किसी प्रिय मित्र की बीमारी से परेशान है। ऐसी परिस्थितियाँ शायद आपके आनन्द और शान्ति को लूट रही हैं और शायद आपके विश्वास को भी जोखिम में डाल रही हैं। आपको क्या करना चाहिए?
परमेश्वर से उसकी आत्मा के लिए निवेदन कीजिए
३. यदि कोई चीज़ आपकी शान्ति और आनन्द जैसे गुणों को लूट रही है, तो क्या करना बुद्धिमानी होगी?
३ यदि कोई चीज़ आपकी शान्ति, आनन्द, या कोई और ईश्वरीय गुण को लूट रही है, तो परमेश्वर की पवित्र आत्मा, या सक्रिय शक्ति के लिए प्रार्थना करना बुद्धिमानी होगी। क्यों? क्योंकि यहोवा की आत्मा अच्छे फल उत्पन्न करती है जो एक मसीही को समस्याओं, संकटों और प्रलोभनों का सामना करने के लिए सहायता करते हैं। “शरीर के काम” के विरुद्ध चेतावनी देने के बाद, प्रेरित पौलुस ने लिखा: “पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं।”—गलतियों ५:१९-२३.
४. जब कोई संकट या प्रलोभन सामने आए, तब एक व्यक्ति का अपनी प्रार्थना में विशिष्ट होना क्यों उचित हो सकता है?
४ आप जिस प्रकार के संकट का सामना कर रहे हैं, उसके कारण शायद आप महसूस करें कि आप आपनी नम्रता, या नम्र स्वभाव को खोने के ख़तरे में हैं। तब आत्मा के नम्रता के फल के लिए यहोवा परमेश्वर से प्रार्थना करने में विशिष्ट होइए। यदि आप किसी प्रलोभन का सामना करते हैं, तो आपको ख़ासकर संयम के फल की आवश्यकता है। निःसन्देह, प्रलोभन का प्रतिरोध करने में ईश्वरीय सहायता के लिए, शैतान से मुक्ति के लिए, और संकट को सहने के लिए धीरज के लिए प्रार्थना करना भी उचित होगा।—मत्ती ६:१३; याकूब १:५, ६.
५. यदि परिस्थितियाँ इतनी दुःखद हैं कि आप नहीं जानते आत्मा के कौनसे फल के लिए प्रार्थना करनी है, तो क्या किया जा सकता है?
५ फिर भी, कभी-कभार परिस्थितियाँ इतनी दुःखद या भ्रमकारी हो सकती हैं कि आप नहीं जानते आत्मा के कौनसे फल की आपको आवश्यकता है। वास्तव में, आनन्द, शान्ति, नम्रता, और दूसरे ईश्वरीय गुण सब ख़तरे में हो सकते हैं। तब क्या? क्यों न स्वयं पवित्र आत्मा के लिए परमेश्वर से निवेदन करें और इसे आपके मामले में आवश्यक फलों को विकसित करने दीजिए? प्रेम या आनन्द या शान्ति या आत्मा के फलों का योग, वे आवश्यक फल हो सकते हैं। साथ ही प्रार्थना कीजिए कि परमेश्वर अपनी आत्मा के निदेशन के प्रति आधीन होने में आपकी सहायता करे, क्योंकि वह अपने लोगों की अगुआई करने में इसे प्रयोग करता है।
यहोवा सहायता करने के लिए तत्पर है
६. निरन्तर प्रार्थना करने की आवश्यकता के विषय में यीशु ने अपने अनुयायियों को कैसे प्रभावित किया?
६ जब यीशु मसीह के चेलों ने प्रार्थना के विषय में अनुदेश प्राप्त करना चाहा, अंशतः उसने उन्हें परमेश्वर की आत्मा के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया। यीशु ने पहले एक दृष्टांत का प्रयोग किया जिसका उद्देश्य था उन्हें निरन्तर प्रार्थना करने के लिए प्रेरित करना। उसने कहा: “तुम में से कौन है कि उसका एक मित्र हो, और वह आधी रात को उसके पास जाकर उस से कहे, कि हे मित्र; मुझे तीन रोटियां दे। क्योंकि एक यात्री मित्र मेरे पास आया है, और उसके आगे रखने के लिये मेरे पास कुछ नहीं है। और वह भीतर से उत्तर दे, कि मुझे दुख न दे; अब तो द्वार बन्द है, और मेरे बालक मेरे पास बिछौने पर हैं, इसलिये मैं उठकर तुझे दे नहीं सकता? मैं तुम से कहता हूं, यदि उसका मित्र होने पर भी उसे उठकर न दे, तौभी उसके लज्जा छोड़कर मांगने के कारण उसे जितनी आवश्यकता हो उतनी उठकर देगा।”—लूका ११:५-८.
७. लूका ११:११-१३ में यीशु के शब्दों का सार क्या है, और वे हमें परमेश्वर और उसकी आत्मा के सम्बन्ध में क्या आश्वासन देते हैं?
७ यहोवा अपने हरेक वफ़ादार समर्पित सेवकों की सहायता करने के लिए तत्पर है, और वह उनके निवेदनों को सुनता है। परन्तु यदि ऐसा व्यक्ति ‘मांगता रहे,’ जैसे कि यीशु ने आग्रह किया, तब यह हार्दिक इच्छा को संकेत करता है और विश्वास का एक प्रदर्शन है। (लूका ११:९, १०) यीशु ने आगे कहा: “तुम में से ऐसा कौन पिता होगा, कि जब उसका पुत्र रोटी मांगे, तो उसे पत्थर दे: या मछली मांगे, तो मछली के बदले उसे सांप दे? या अण्डा मांगे तो उसे बिच्छू दे? सो जब तुम बुरे होकर अपने लड़केबालों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो स्वर्गीय पिता अपने मांगनेवालों को पवित्र आत्मा क्यों न देगा।” (लूका ११:११-१३) यदि एक पार्थिव जनक, वंशागत पापमयता के कारण थोड़ा-बहुत बुरा होने के बावजूद अपने बच्चे को अच्छी वस्तुएं देता है, यक़ीनन हमारा स्वर्गीय पिता अपने निष्ठावान् सेवकों में से हर किसी को अपनी पवित्र आत्मा देता रहेगा जो इसको विनम्रता से मांगते हैं।
८. दाऊद, यीशु, और परमेश्वर के आधुनिक-दिन के सेवकों पर भजन १४३:१० कैसे लागू होता है?
८ परमेश्वर की आत्मा से लाभ उठाने के लिए, हमें उसकी अगुआई का अनुसरण करने में दाऊद की तरह तत्पर होना चाहिए। उसने प्रार्थना की: “मुझ को यह सिखा, कि मैं तेरी इच्छा क्योंकर पूरी करूं, क्योंकि मेरा परमेश्वर तू ही है! तेरा भला आत्मा मुझ को धर्म के मार्ग में ले चले!” (भजन १४३:१०) दाऊद, जिसे इस्राएली राजा शाऊल द्वारा अपराधी घोषित किया गया था, चाहता था कि परमेश्वर की आत्मा उसकी अगुआई करे ताकि उसे यक़ीन हो सके कि उसका मार्ग खरा था। समय आने पर एब्यातार, याजक के एपोद के साथ आया जिसका प्रयोग परमेश्वर की इच्छा पता लगाने में किया जाता था। परमेश्वर के याजकीय प्रतिनिधि के तौर पर, एब्यातार ने दाऊद को परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए जिस मार्ग पर चलना है, उसके सम्बन्ध में अनुदेश दिया। (१ शमूएल २२:१७-२३:१२; ३०:६-८) दाऊद की तरह, यीशु भी यहोवा की आत्मा द्वारा मार्गदर्शित था, और एक वर्ग के तौर पर मसीह के अभिषिक्त अनुयायियों के विषय में भी यह सच हुआ है। उन्नीस सौ अट्ठारह-उन्नीस में, वे मानव समाज के आगे एक विमुख स्थिति में थे, और उनके धार्मिक शत्रुओं ने सोचा कि वे उन्हें नष्ट कर सकते हैं। अपनी निष्क्रिय दशा से निकलने का रास्ता पाने के लिए अभिषिक्तों ने प्रार्थना की, और १९१९ में परमेश्वर ने उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया, उन्हें मुक्त किया, और उन्हें अपनी सेवा में पुनर्सक्रिय किया। (भजन १४३:७-९) यक़ीनन, यहोवा की आत्मा उस समय उसके लोगों की सहायता और अगुआई कर रही थी, जैसे आज के दिन तक भी कर रही है।
आत्मा कैसे सहायता करती है
९. (क) पवित्र आत्मा कैसे एक “सहायक” के तौर पर सेवा करती है? (ख) हम कैसे जानते हैं कि पवित्र आत्मा एक व्यक्ति नहीं है? (फुटनोट देखिए.)
९ यीशु मसीह ने पवित्र आत्मा को एक “सहायक” कहा। उदाहरण के लिए, उसने अपने अनुयायियों से कहा: “मैं पिता से बिनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे। अर्थात् सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है: तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा।” दूसरी चीज़ों के साथ-साथ, वह “सहायक” शिक्षक भी होगा, क्योंकि मसीह ने प्रतिज्ञा की: “सहायक अर्थात् पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।” मसीह के विषय में भी आत्मा गवाही देगी, और उसने अपने चेलों को आश्वस्त किया: “मेरा जाना तुम्हारे लिये अच्छा है, क्योंकि यदि मैं न जाऊं, तो वह सहायक तुम्हारे पास न आएगा, परन्तु यदि मैं जाऊंगा, तो उसे तुम्हारे पास भेज दूंगा।”—यूहन्ना १४:१६, १७, २६; १५:२६; १६:७.a
१०. किन तरीक़ों से पवित्र आत्मा एक सहायक प्रमाणित हुई है?
१० सामान्य युग ३३ में पिन्तेकुस्त के दिन यीशु ने स्वर्ग से प्रतिज्ञात पवित्र आत्मा को अपने अनुयायियों के ऊपर उंडेला। (प्रेरितों १:४, ५; २:१-११) सहायक के तौर पर, आत्मा ने परमेश्वर की इच्छा और उद्देश्य के बारे में उन्हें विस्तृत समझ दी और उसके भविष्यसूचक वचन को उनके लिए खोला। (१ कुरिन्थियों २:१०-१६; कुलुस्सियों १:९, १०; इब्रानियों ९:८-१०) उस सहायक ने यीशु के चेलों को पूरी पृथ्वी में गवाह होने के लिए भी समर्थ किया। (लूका २४:४९; प्रेरितों १:८; इफिसियों ३:५, ६) आज, पवित्र आत्मा एक समर्पित मसीही को ज्ञान में बढ़ने के लिए सहायता कर सकती है यदि वह उन आध्यात्मिक प्रबन्धों से लाभ उठाए जिनका प्रबन्ध परमेश्वर ने “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” द्वारा किया है। (मत्ती २४:४५-४७) यहोवा के एक सेवक के तौर पर गवाही देने के लिए आवश्यक साहस और शक्ति को प्रदान करके परमेश्वर की आत्मा सहायता प्रदान कर सकती है। (मत्ती १०:१९, २०; प्रेरितों ४:२९-३१) फिर भी, पवित्र आत्मा परमेश्वर के लोगों की सहायता अन्य तरीक़ों से भी करती है।
“आहें भर भरकर जो बयान से बाहर हैं”
११. यदि एक संकट अत्यधिक भारी प्रतीत होता है, तब एक मसीही को क्या करना चाहिए?
११ यदि एक मसीही एक ऐसे संकट से घिरा हुआ है जो अत्यधिक भारी प्रतीत होता है, तो उसे क्या करना चाहिए? क्यों, पवित्र आत्मा के लिए प्रार्थना करें, और उसे अपना काम करने दें! “आत्मा भी हमारी दुर्बलता में सहायता करता है,” पौलुस ने कहा, “क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए; परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर हैं, हमारे लिये बिनती करता है। और मनों का जांचनेवाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्या है? क्योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्छा के अनुसार बिनती करता है।”—रोमियों ८:२६, २७.
१२, १३. (क) ख़ासकर दुःखद परिस्थितियों में की गई प्रार्थनाओं पर रोमियों ८:२६, २७ कैसे लागू होता है? (ख) पौलुस और उसके सहयोगियों ने क्या किया जब एशिया के क्षेत्र में वे भारी बोझ से दबे थे?
१२ ये पवित्र लोग जिनके लिए परमेश्वर की आत्मा निवेदन करती है यीशु के स्वर्गीय आशा वाले अभिषिक्त अनुयायी हैं। परन्तु चाहे आपका स्वर्गीय बुलावा हो या पार्थिव आशा, एक मसीही के तौर पर आप परमेश्वर की पवित्र आत्मा की सहायता प्राप्त कर सकते हैं। यहोवा कभी-कभी एक विशिष्ट प्रार्थना का सीधा उत्तर देता है। फिर भी, कभी-कभार आप इतना परेशान हो सकते हैं कि आप अपनी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाते हैं और शायद यहोवा को केवल अनकही कराहों से ही अनुनय कर पाएं। वास्तव में, आपके लिए क्या उत्तम है यह शायद आप न जानते हों और जब तक आप पवित्र आत्मा के लिए प्रार्थना न करें आप ग़लत चीज़ भी मांग सकते हैं। परमेश्वर जानता है कि आप चाहते हैं उसकी इच्छा पूरी हो, और वह इससे अवगत है कि आपको किस चीज़ की सचमुच आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त, उसने अपनी पवित्र आत्मा द्वारा, काफ़ी प्रार्थनाएं अपने वचन में लिपिबद्ध करवाई हैं, और ये प्रार्थनाएं दुःखद परिस्थितियों के साथ सम्बन्धित हैं। (२ तीमुथियुस ३:१६, १७; २ पतरस १:२१) इसलिए, यहोवा ऐसी प्रेरित प्रार्थनाओं में से कुछ अभिव्यक्त भावनाओं को आपकी अभिव्यक्ति के रूप में ले सकता है, जिसे आप उसके एक सेवक होने के नाते अभिव्यक्त करना चाहते हैं, और वह उनका उत्तर आपके लिए दे सकता है।
१३ एशिया के क्षेत्र में क्लेश उठाते समय पौलुस और उसके सहयोगियों को शायद यह मालूम नहीं था कि उन्हें किस चीज़ के लिए प्रार्थना करनी है। ‘ऐसे भारी बोझ से दबे, उन्होंने अपने मन में समझ लिया था कि उन पर मृत्यु की आज्ञा हो चुकी है।’ परन्तु उन्होंने दूसरों की प्रार्थनाओं के लिए निवेदन किया और परमेश्वर पर भरोसा रखा, जो मरे हुओं को जिला सकता है, और उसने उन्हें बचाया। (२ कुरिन्थियों १:८-११) यह कितना सांत्वना देता है कि यहोवा परमेश्वर अपने वफ़ादार सेवकों की प्रार्थनाएं सुनता है और उन के अनुसार कार्य करता है!
१४. यदि यहोवा एक संकट को कुछ समय के लिए जारी रहने देता है तो क्या अच्छा परिणाम हो सकता है?
१४ एक संगठन के तौर पर परमेश्वर के लोगों को अकसर संकटों ने घेरा है। जैसे पहले बताया गया, उन्हें प्रथम विश्व-युद्ध के दौरान सताया गया था। चाहे उस समय उन्हें अपनी स्थिति के बारे में स्पष्ट समझ नहीं थी और इसलिए वे नहीं जानते थे कि उन्हें वास्तव में किस चीज़ के लिए प्रार्थना करनी है, यहोवा के वचन में भविष्यसूचक प्रार्थनाएं थीं जिनका उत्तर उसने उनके लिए दिया। (भजन ६९, १०२, १२६; यशायाह, अध्याय १२) परन्तु क्या हो यदि यहोवा एक संकट को कुछ समय के लिए जारी रहने देता है? यह एक गवाही में परिणित हो सकता है, कइयों को सच्चाई अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है, और मसीहियों को अपने दुःखी संगी विश्वासियों के लिए प्रार्थना करने या अन्यथा सहायता करने के ज़रिए भ्रातृवत् प्रेम दिखाने का अवसर प्रदान करता है। (यूहन्ना १३:३४, ३५; २ कुरिन्थियों १:११) याद रखिए कि यहोवा अपनी पवित्र आत्मा के ज़रिए अपने लोगों की अगुआई करता है, जो उनके लिए उत्तम है वही करता है, और हमेशा मामलों को इस तरीक़े से सुलझाता है जिससे उसके पवित्र नाम का सम्मान और पवित्रीकरण होगा।—निर्गमन ९:१६; मत्ती ६:९.
कभी भी आत्मा को शोकित मत कीजिए
१५. उनके प्रति क्या करने के लिए मसीही जन यहोवा की आत्मा पर भरोसा कर सकते हैं?
१५ यदि आप यहोवा के सेवक हैं, तो इस कारण, संकटों के दौरान और अन्य समयों पर पवित्र आत्मा के लिए प्रार्थना कीजिए। फिर निश्चित ही उसके निर्देशन का अनुसरण कीजिए, क्योंकि पौलुस ने लिखा: “परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।” (इफिसियों ४:३०) वफ़ादार अभिषिक्त मसीहियों के लिए परमेश्वर की आत्मा एक छाप थी और है, या ‘जो आनेवाला था उसका एक चिह्न’ है—अर्थात्, अविनाशी स्वर्गीय जीवन। (२ कुरिन्थियों १:२२, NW; रोमियों ८:१५; १ कुरिन्थियों १५:५०-५७; प्रकाशितवाक्य २:१०) अभिषिक्त मसीही और वे जिनकी पार्थिव आशा है, दोनों ही यहोवा की आत्मा पर भरोसा कर सकते हैं कि वह उनके लिए काफ़ी कुछ करेगी। वह उन्हें वफ़ादारी के जीवन में निदेशित और ऐसे पापमय कार्यों से बचे रहने में सहायता कर सकती है, जिनका परिणाम है परमेश्वर की अस्वीकृति, उसकी पवित्र आत्मा को खोना और अनन्त जीवन को प्राप्त करने में विफलता।—गलतियों ५:१९-२१.
१६, १७. एक मसीही कैसे आत्मा को शोकित कर सकता है?
१६ कैसे एक मसीही, जानबूझकर या अनजाने में, आत्मा को शोकित कर सकता है? खैर, कलीसिया में एकता को बढ़ाने के लिए और ज़िम्मेदार पुरुषों को नियुक्त करने के लिए यहोवा अपनी आत्मा का प्रयोग करता है। इसलिए, यदि कलीसिया का एक सदस्य नियुक्त प्राचीनों के विरुद्ध बड़बड़ाए, निंदात्मक गप फैलाए, इत्यादि, तो वह शान्ति और एकता की ओर परमेश्वर की आत्मा के अगुआई का अनुसरण नहीं कर रहा होगा। एक सामान्य रूप से, वह आत्मा को शोकित कर रहा होगा।—१ कुरिन्थियों १:१०; ३:१-४, १६, १७; १ थिस्सलुनीकियों ५:१२, १३; यहूदा १६.
१७ इफिसुस के मसीहियों को लिखते समय, पौलुस ने झूठ, दीर्घ क्रोध, चोरी, अनुचित बातें, व्यभिचार में कामुक दिलचस्पी, घृणित व्यवहार, और अश्लील मज़ाक के प्रति प्रवृत्ति के विरुद्ध चेतावनी दी थी। यदि एक मसीही स्वयं को ऐसी चीज़ों की ओर बहकने दे, तो वह बाइबल की आत्मा-प्रेरित सलाह के विरुद्ध जा रहा होगा। (इफिसियों ४:१७-२९; ५:१-५) जी हाँ, और इस प्रकार कुछ हद तक वह परमेश्वर की आत्मा को शोकित कर रहा होगा।
१८. कोई भी मसीही जो परमेश्वर के आत्मा-प्रेरित वचन की सलाह की उपेक्षा करने लगता है, उसके साथ क्या हो सकता है?
१८ असल में, कोई भी मसीही जो यहोवा के आत्मा-प्रेरित वचन की सलाह की उपेक्षा करने लगता है, शायद ऐसी अभिवृत्ति या लक्षण विकसित करने लगे जो ज्ञानकृत पाप और ईश्वरीय अनुग्रह को खो देने में परिणित हो सकता है। चाहे वह शायद इस समय पाप नहीं कर रहा है, हो सकता है वह उस दशा की ओर जा रहा हो। आत्मा की अगुआई के विपरीत जानेवाला ऐसा मसीही उसे शोकित कर रहा होगा। वह इस प्रकार यहोवा का भी प्रतिरोध कर रहा होगा और उसको शोकित कर रहा होगा, जो पवित्र आत्मा का स्रोत है। परमेश्वर का एक प्रेमी कभी भी ऐसा नहीं करना चाहेगा!
पवित्र आत्मा के लिए प्रार्थना करते रहिए
१९. ख़ासकर आज यहोवा के लोगों को उसकी आत्मा की क्यों आवश्यकता है?
१९ यदि आप यहोवा के एक सेवक हैं, तो उसकी पवित्र आत्मा के लिए प्रार्थना करते रहिए। ख़ासकर इन “अन्तिम दिनों” में, जिसके संकटपूर्ण समय से निपटना बहुत कठिन है, मसीहियों को परमेश्वर की आत्मा की सहायता की आवश्यकता है। (२ तीमुथियुस ३:१-५) इब्लीस और उसके पिशाच, जो स्वर्ग से निकाले गए और अब पृथ्वी के प्रतिवेश में हैं, यहोवा के संगठन के विरुद्ध तहस-नहस कर रहे हैं। इसलिए, पहले से कहीं अधिक अब, परमेश्वर के लोगों की अगुआई, या मार्गदर्शन, करने के लिए और कठिनाइयों एवं सताहटों को सहने में समर्थ करने के लिए उन्हें उसकी पवित्र आत्मा की आवश्यकता है।—प्रकाशितवाक्य १२:७-१२.
२०, २१. यहोवा के वचन, आत्मा, और संगठन के निदेशन का क्यों अनुसरण करें?
२० अपनी पवित्र आत्मा द्वारा यहोवा परमेश्वर जो सहायता प्रदान करता है, उसके लिए हमेशा मूल्यांकन दिखाइए। उसके आत्मा-प्रेरित वचन, बाइबल के निदेशन का अनुसरण कीजिए। परमेश्वर की आत्मा द्वारा मार्गदर्शित पार्थिव संगठन को पूरा सहयोग दीजिए। कभी भी अपने आपको बाइबल विरुद्ध मार्ग पर जाने न दीजिए जो पवित्र आत्मा को शोकित करने के बराबर होगा, क्योंकि यह अंत में उसके वापस लिए जाने और इस प्रकार आध्यात्मिक विनाश की ओर ले जा सकता है।—भजन ५१:११.
२१ यहोवा को प्रसन्न करने और एक शान्तिपूर्ण, हर्षपूर्ण ज़िंदगी प्राप्त करने का एकमात्र तरीक़ा है उसकी आत्मा द्वारा मार्गदर्शित होना। यह भी याद रखिए कि यीशु ने पवित्र आत्मा को “सहायक” या “सांत्वनादाता” कहा था। (यूहन्ना १४:१६, फुटनोट, NW) इसके द्वारा, परमेश्वर मसीहियों को सांत्वना देता है और उन्हें अपने संकटों का सामना करने के लिए मज़बूत करता है। (२ कुरिन्थियों १:३, ४) यहोवा के लोगों को सुसमाचार प्रचार करने के लिए यह आत्मा समर्थ करती है और एक अच्छी गवाही देने के लिए आवश्यक शास्त्रवचनीय मुद्दों को याद करने में सहायता करती है। (लूका १२:११, १२; यूहन्ना १४:२५, २६; प्रेरितों १:४-८; ५:३२) प्रार्थना और आत्मा की अगुआई के द्वारा, मसीही जन स्वर्गीय बुद्धि के साथ विश्वास की परीक्षाओं का सामना कर सकते हैं। अतः, जीवन की हर परिस्थितियों में वे परमेश्वर की पवित्र आत्मा के लिए प्रार्थना करते रहते हैं। परिणामस्वरूप, यहोवा की आत्मा अपने लोगों की अगुआई करती है।
[फुटनोट]
a चाहे “सहायक” के तौर पर मूर्तिमान की गयी है, पवित्र आत्मा एक व्यक्ति नहीं है, क्योंकि आत्मा के लिए एक यूनानी नपुंसकलिंग सर्वनाम (जिसका अनुवाद “यह” किया गया है) प्रयोग किया गया है। इसी प्रकार इब्रानी स्त्रीलिंग सर्वनामों को बुद्धि की प्रतिमूर्ति के लिए प्रयोग किया गया है। (नीतिवचन १:२०-३३; ८:१-३६) इसके अतिरिक्त, पवित्र आत्मा को ‘उंडेला गया,’ जो कि एक व्यक्ति के साथ नहीं किया जा सकता है।—प्रेरितों २:३३.
आपके उत्तर क्या हैं?
▫ यहोवा की पवित्र आत्मा के लिए क्यों प्रार्थना करें?
▫ पवित्र आत्मा कैसे एक सहायक है?
▫ आत्मा को शोकित करने का क्या अर्थ है, और हम ऐसा करने से कैसे बच सकते हैं?
▫ क्यों पवित्र आत्मा के लिए प्रार्थना और उसकी अगुआई का अनुसरण करते रहें?
[पेज 26 पर तसवीरें]
जैसे एक प्रेममय पिता अपने पुत्र को अच्छी वस्तुएं देता है, वैसे ही यहोवा अपने सेवकों को पवित्र आत्मा देता है जो इसके लिए प्रार्थना करते हैं
[पेज 28 पर तसवीरें]
क्या आप जानते हैं कि परमेश्वर की आत्मा कैसे प्रार्थनामय मसीहियों के लिए निवेदन करती है?